22-02-2025, 03:20 PM
क्योंकि मैं दोपहर को अच्छे से सोया था इसलिए मुझे नींद की ज़रूरत ज़्यादा थी नहीं!
और जब बिस्तर पर आपका हर तरह से साथ देने वाला पार्ट्नर हो तो भला नींद किसे आयेगी.
तो 40-50 मिनट की झपकी के बाद मेरी नींद खुल गई.
और एसी भी 18 डिग्री पर था तो ठंड अच्छी हो गई थी.
मैं बाथरूम में मूतने के लिए गया और वापस आकर देखा कि मानसी थक कर बेसुध होकर सोई है.
क्योंकि हम एक ही चादर में थे तो जब मैं बाथरूम जाने के लिए उठा था तो चादर एक तरफ को सरक गई थी और मानसी के शरीर से भी हट गई थी.
कमरे में एक नाइट लैंप जल रहा था और उसकी दूधिया रोशनी में मानसी के संगमरमर सा बदन अंधेरे कमरे में पूर्णिमा की रात में चाँद जैसा चमक रहा था.
इतनी चुदाई और ऊपर से उसकी मीटिंग की वजह से वह काफ़ी थक चुकी थी.
मुझे उस पर तरस भी आया … पर यह भी सोचना पड़ा कि आज और कल बस दो ही दिन हैं हमारे पास!
फिर ना जाने कब मुलाकात होगी!
और उस मुलाकात में भी कुछ हो पायेगा या नहीं … क्या पता?
फिर मैंने उसे अपने आगोश में लिया और चादर को दोनों के नंगे शरीर पर औढ़ लिया.
इस बीच मानसी थोड़ा हिलने की वजह से कसमसाई और अपनी आंखें खोल कर मुझे देखा और हल्के से मुस्कुराई.
फिर बिना किसी के कुछ कहे हमारे होंठ आपस में मिल गये.
इस बार हमारा चुंबन एकदम धीरे धीरे हो रहा था, कोई जल्दबाज़ी नहीं, कोई किसी को काट भी नहीं रहा था, कोई हवस नहीं … सिर्फ़ प्यार और प्यार ही था इस चुंबन में!
मानसी मेरी पीठ और चेहरे को सहला रही थी और मैं उसकी गांड और दूध को मसल रहा था.
सिर्फ़ दो मिनट बाद मेरा लंड उफान मार कर उसकी चूत को टच कर रहा था.
मानसी ने एक हाथ से मेरे लंड को अपने हाथों में भर लिया और बेहतरीन तरीके से मसलने लगी.
पाँच मिनट बाद हमने चुम्बन बंद किया और मानसी सीधा नीचे सरक गई.
गप से एक झटके में उसने लंड को अपने मुंह में भर लिया और किसी छोटे बच्चे की तरह चूसने लगी जैसे उसे लॉलिपोप मिल गया हो.
वह कभी मेरे आंडों को मसलती, कभी उन्हें मुंह में भरती, कभी आँड से लेकर लंड के टोपे तक जीभ से चाटती.
कुल मिलकर स्वर्ग सी अनुभूति हो रही थी मुझे!
दस मिनट बाद मैंने उसे रोका और अपने ऊपर खींचा, जिससे हमारे होंठ फिर आपस में जुड़ गये.
तब मैंने उसके मन की बात जानने के लिए पूछा कि दिन भर के काम और इतनी बार के सेक्स के बाद अगर वह थक गई हो तो चाहे आराम कर ले. ये चुदाई का कार्यक्रम मीटिंग के बाद आराम से कर कर सकते हैं.
मानसी ने कोई जवाब दिए बगैर मेरे होंठों को अपने मुंह में भर लिया और जितना उसे बन सकता था उतना मेरे होठों को अंदर खींच रही थी.
और जब बिस्तर पर आपका हर तरह से साथ देने वाला पार्ट्नर हो तो भला नींद किसे आयेगी.
तो 40-50 मिनट की झपकी के बाद मेरी नींद खुल गई.
और एसी भी 18 डिग्री पर था तो ठंड अच्छी हो गई थी.
मैं बाथरूम में मूतने के लिए गया और वापस आकर देखा कि मानसी थक कर बेसुध होकर सोई है.
क्योंकि हम एक ही चादर में थे तो जब मैं बाथरूम जाने के लिए उठा था तो चादर एक तरफ को सरक गई थी और मानसी के शरीर से भी हट गई थी.
कमरे में एक नाइट लैंप जल रहा था और उसकी दूधिया रोशनी में मानसी के संगमरमर सा बदन अंधेरे कमरे में पूर्णिमा की रात में चाँद जैसा चमक रहा था.
इतनी चुदाई और ऊपर से उसकी मीटिंग की वजह से वह काफ़ी थक चुकी थी.
मुझे उस पर तरस भी आया … पर यह भी सोचना पड़ा कि आज और कल बस दो ही दिन हैं हमारे पास!
फिर ना जाने कब मुलाकात होगी!
और उस मुलाकात में भी कुछ हो पायेगा या नहीं … क्या पता?
फिर मैंने उसे अपने आगोश में लिया और चादर को दोनों के नंगे शरीर पर औढ़ लिया.
इस बीच मानसी थोड़ा हिलने की वजह से कसमसाई और अपनी आंखें खोल कर मुझे देखा और हल्के से मुस्कुराई.
फिर बिना किसी के कुछ कहे हमारे होंठ आपस में मिल गये.
इस बार हमारा चुंबन एकदम धीरे धीरे हो रहा था, कोई जल्दबाज़ी नहीं, कोई किसी को काट भी नहीं रहा था, कोई हवस नहीं … सिर्फ़ प्यार और प्यार ही था इस चुंबन में!
मानसी मेरी पीठ और चेहरे को सहला रही थी और मैं उसकी गांड और दूध को मसल रहा था.
सिर्फ़ दो मिनट बाद मेरा लंड उफान मार कर उसकी चूत को टच कर रहा था.
मानसी ने एक हाथ से मेरे लंड को अपने हाथों में भर लिया और बेहतरीन तरीके से मसलने लगी.
पाँच मिनट बाद हमने चुम्बन बंद किया और मानसी सीधा नीचे सरक गई.
गप से एक झटके में उसने लंड को अपने मुंह में भर लिया और किसी छोटे बच्चे की तरह चूसने लगी जैसे उसे लॉलिपोप मिल गया हो.
वह कभी मेरे आंडों को मसलती, कभी उन्हें मुंह में भरती, कभी आँड से लेकर लंड के टोपे तक जीभ से चाटती.
कुल मिलकर स्वर्ग सी अनुभूति हो रही थी मुझे!
दस मिनट बाद मैंने उसे रोका और अपने ऊपर खींचा, जिससे हमारे होंठ फिर आपस में जुड़ गये.
तब मैंने उसके मन की बात जानने के लिए पूछा कि दिन भर के काम और इतनी बार के सेक्स के बाद अगर वह थक गई हो तो चाहे आराम कर ले. ये चुदाई का कार्यक्रम मीटिंग के बाद आराम से कर कर सकते हैं.
मानसी ने कोई जवाब दिए बगैर मेरे होंठों को अपने मुंह में भर लिया और जितना उसे बन सकता था उतना मेरे होठों को अंदर खींच रही थी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
