22-02-2025, 03:12 PM
तब मैंने मानसी से पूछा- अचानक तुम मेरे साथ इतना खुल कैसे गई हो?
इस पर उसने कहा- उस दिन तुम्हारा लंड देखने के बाद मुझे अपनी प्यास पूरी होती नजर आई. पर क्योंकि हम दोनों रिश्ते में हैं और ये प्यास बुझाना हर किसी के बस की बात नहीं है. मैं पूरी तरह संतुष्ट होना चाहती थी इसलिए मैंने सोचा कि तुम मेरा यह काम कर सकते हो शायद. इसलिए जब तुम दोनों बाजार चले गए, उसके बाद मैंने तुम्हारी बीवी से सेक्स लाइफ को लेकर सारे सवाल पूछ लिए थे. यहां तक कि तुम्हारा लंड कितना बड़ा है और तुम कितनी देर तक चुदाई कर सकते हो, यह भी जान लिया था.
अब क्योंकि औरतें चूत हाथ में लेकर नहीं घूमतीं कि जहां लंड मिले, वहीं चुदवा लो, इसी वजह से मेरी सलहज ने मुझसे चुदने का मन बना लिया था.
फिर रश्मि ने उसे पूरा बताया कि कैसे मैं उसे निचोड़ देता हूँ और फिर भी मेरा नहीं होता.
ये सब सुनकर सलहज ने अपना विचार पक्का कर लिया था.
सलहज से सारा मामला समझ लेने के बाद मैंने मुस्कुरा कर कहा- तुमने तो मेरे बारे में पता कर लिया, पर अपने बदन के बारे में तो बताया ही नहीं!
मानसी बोली- अब बताना क्यों, सीधा देख कर जो करना हो कर लेना!
तब मैंने कहा- तुम वहां हो और मैं यहां … तो ये होगा कैसे?
वह बोली- जब दिल मिल गए तो बाकी सब भी मिल जाएगा.
यह कह कर वह खिलखिला कर हंस पड़ी.
इस बीच उसने कहा- एक घंटा होने को है, दोनों के पार्ट्नर जाग ना गए हों.
फिर हम दोनों ने एक दूसरे को फोन पर ही बाइ वाली किस की और सोने चले गए.
अगले दिन जब मैं सोकर उठा तो देखा मानसी ने सिर्फ़ तौलिया पहने हुए अपनी फोटो भेजी थी, जिसमें उसके गोरे गोरे मम्मे कुछ इस तरह से दिख रहे थे कि सिर्फ़ निप्पल छुपे हुए थे बाकी ऊपर का सारा स्तन दिख रहा था.
एक तो सुबह का टाइम, ऊपर से ऐसी फोटो देख कर लंड महाराज फनफना उठे.
तब मैंने भी बाथरूम में जाकर अपने लंड की फोटो मानसी की तुरंत भेज दी.
फोटो देख कर मानसी का तुरंत रिप्लाइ आया- बाप रे, ये तो दीपेश के दुगने से भी बड़ा है!
अपने लंड की तारीफ सुन कर मेरा सीना चौड़ा हो गया.
फिर इसी तरह हमारी बात होने लगी क्योंकि दिन में उसे भी काम रहता और घर जाकर वह बात नहीं कर सकती थी.
इस वजह से हम रात को ग्यारह बजे के आस-पास से एक डेढ़ घंटे के लिए बात करते और अब ज़्यादातर फोन सेक्स ही करते.
हम दोनों ही एक दूसरे को अपने अपने न्यूड फोटो भेजते, पर अभी तक मानसी ने अपने मम्मे और चूत की फोटो साफ साफ नहीं भेजी थी.
वह हमेशा कहती कि जब मिलोगे तब जी भरके देख लेना.
इसी तरह हमें बात करते और फोटो भेजते आठ दिन हो गए थे.
एक दिन उसने बताया कि बैंक की तरफ से कोई मीटिंग है, जो दो दिन की है और मेरे शहर रायपुर से पचास किलोमीटर की दूरी पर किसी जगह पर है.
उसने यह भी कहा कि उस मीटिंग में वह अकेली आएगी यानि दीपेश नहीं आएगा.
यह सुन कर हम दोनों के तन बदन में आग लग गई और मिलने के लिए तड़पने लगे.
मानसी से मैंने मीटिंग की तारीख और समय पूछ कर एक अच्छे से होटल में कमरा बुक कर लिया.
मीटिंग आठ दिन बाद शुक्रवार और शनिवार को दोपहर दो से रात आठ नौ बजे तक होने वाली थी.
मानसी ने कहा कि वह सुबह सात बजे वाली ट्रेन से आएगी और उसे पहुंचने में एक डेढ़ घंटा लगेगा.
मैंने भी घर में ऑफिस का बहाना बना कर सोमवार सुबह तक आने का बोल दिया.
नियत तिथि को मैंने जल्दी से नहा धोकर झांटों को हटा कर लंड को मस्त चिकना बना लिया.
यही काम उस वक़्त मानसी भी अपनी मुनिया के साथ कर रही थी.
फिर मैं नाश्ता करके जल्दी अपनी कार से उस स्थान के लिए निकल पड़ा और मानसी भी ट्रेन में चल पड़ी थी.
अब बस हम दोनों की चुदाई की रेलगाड़ी चलने की देर थी.
इस पर उसने कहा- उस दिन तुम्हारा लंड देखने के बाद मुझे अपनी प्यास पूरी होती नजर आई. पर क्योंकि हम दोनों रिश्ते में हैं और ये प्यास बुझाना हर किसी के बस की बात नहीं है. मैं पूरी तरह संतुष्ट होना चाहती थी इसलिए मैंने सोचा कि तुम मेरा यह काम कर सकते हो शायद. इसलिए जब तुम दोनों बाजार चले गए, उसके बाद मैंने तुम्हारी बीवी से सेक्स लाइफ को लेकर सारे सवाल पूछ लिए थे. यहां तक कि तुम्हारा लंड कितना बड़ा है और तुम कितनी देर तक चुदाई कर सकते हो, यह भी जान लिया था.
अब क्योंकि औरतें चूत हाथ में लेकर नहीं घूमतीं कि जहां लंड मिले, वहीं चुदवा लो, इसी वजह से मेरी सलहज ने मुझसे चुदने का मन बना लिया था.
फिर रश्मि ने उसे पूरा बताया कि कैसे मैं उसे निचोड़ देता हूँ और फिर भी मेरा नहीं होता.
ये सब सुनकर सलहज ने अपना विचार पक्का कर लिया था.
सलहज से सारा मामला समझ लेने के बाद मैंने मुस्कुरा कर कहा- तुमने तो मेरे बारे में पता कर लिया, पर अपने बदन के बारे में तो बताया ही नहीं!
मानसी बोली- अब बताना क्यों, सीधा देख कर जो करना हो कर लेना!
तब मैंने कहा- तुम वहां हो और मैं यहां … तो ये होगा कैसे?
वह बोली- जब दिल मिल गए तो बाकी सब भी मिल जाएगा.
यह कह कर वह खिलखिला कर हंस पड़ी.
इस बीच उसने कहा- एक घंटा होने को है, दोनों के पार्ट्नर जाग ना गए हों.
फिर हम दोनों ने एक दूसरे को फोन पर ही बाइ वाली किस की और सोने चले गए.
अगले दिन जब मैं सोकर उठा तो देखा मानसी ने सिर्फ़ तौलिया पहने हुए अपनी फोटो भेजी थी, जिसमें उसके गोरे गोरे मम्मे कुछ इस तरह से दिख रहे थे कि सिर्फ़ निप्पल छुपे हुए थे बाकी ऊपर का सारा स्तन दिख रहा था.
एक तो सुबह का टाइम, ऊपर से ऐसी फोटो देख कर लंड महाराज फनफना उठे.
तब मैंने भी बाथरूम में जाकर अपने लंड की फोटो मानसी की तुरंत भेज दी.
फोटो देख कर मानसी का तुरंत रिप्लाइ आया- बाप रे, ये तो दीपेश के दुगने से भी बड़ा है!
अपने लंड की तारीफ सुन कर मेरा सीना चौड़ा हो गया.
फिर इसी तरह हमारी बात होने लगी क्योंकि दिन में उसे भी काम रहता और घर जाकर वह बात नहीं कर सकती थी.
इस वजह से हम रात को ग्यारह बजे के आस-पास से एक डेढ़ घंटे के लिए बात करते और अब ज़्यादातर फोन सेक्स ही करते.
हम दोनों ही एक दूसरे को अपने अपने न्यूड फोटो भेजते, पर अभी तक मानसी ने अपने मम्मे और चूत की फोटो साफ साफ नहीं भेजी थी.
वह हमेशा कहती कि जब मिलोगे तब जी भरके देख लेना.
इसी तरह हमें बात करते और फोटो भेजते आठ दिन हो गए थे.
एक दिन उसने बताया कि बैंक की तरफ से कोई मीटिंग है, जो दो दिन की है और मेरे शहर रायपुर से पचास किलोमीटर की दूरी पर किसी जगह पर है.
उसने यह भी कहा कि उस मीटिंग में वह अकेली आएगी यानि दीपेश नहीं आएगा.
यह सुन कर हम दोनों के तन बदन में आग लग गई और मिलने के लिए तड़पने लगे.
मानसी से मैंने मीटिंग की तारीख और समय पूछ कर एक अच्छे से होटल में कमरा बुक कर लिया.
मीटिंग आठ दिन बाद शुक्रवार और शनिवार को दोपहर दो से रात आठ नौ बजे तक होने वाली थी.
मानसी ने कहा कि वह सुबह सात बजे वाली ट्रेन से आएगी और उसे पहुंचने में एक डेढ़ घंटा लगेगा.
मैंने भी घर में ऑफिस का बहाना बना कर सोमवार सुबह तक आने का बोल दिया.
नियत तिथि को मैंने जल्दी से नहा धोकर झांटों को हटा कर लंड को मस्त चिकना बना लिया.
यही काम उस वक़्त मानसी भी अपनी मुनिया के साथ कर रही थी.
फिर मैं नाश्ता करके जल्दी अपनी कार से उस स्थान के लिए निकल पड़ा और मानसी भी ट्रेन में चल पड़ी थी.
अब बस हम दोनों की चुदाई की रेलगाड़ी चलने की देर थी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
