22-02-2025, 03:12 PM
क्योंकि उनको अभी अपने शहर जाना था इसलिए ज़्यादा बात नहीं हो पाई और वे लोग दो घंटे बाद ट्रेन से चले गए और बात खत्म हो गई.
फिर वे लोग अपना सामान शिफ्ट करवा कर घर किराए पर लेकर पंद्रह दिन में वहां शिफ्ट हो गए.
उधर शिफ्ट हो जाने के दो दिन बाद अचानक से दोपहर एक बजे मेरे नंबर पर मानसी का मैसेज आया.
उसने कहा कि फ्री होकर कॉल करना.
मैं थोड़ा चौंका, पर मुझे भी काम था और उसका भी लंच दो बजे होगा … यह सोच कर मैंने उसे सवा दो बजे कॉल किया.
कुछ देर इधर उधर की सामान्य बात करने के बाद मानसी ने कुछ यूं बताया कि दीदी यानि मेरी बीवी मुझसे परेशान है.
मैंने पूछा- क्यों?
तो उसने कहा कि आप उन्हें रात को बहुत तंग करते हो, इस वजह से!
दरअसल मेरी बीवी को सेक्स में कोई खास रूचि नहीं है.
रात को भी जब मैं उसे छेड़ कर उसका मूड बनाता हूँ तब वह कुछ करती है.
उस पर भी वह दस पंद्रह मिनट के बाद जैसे ही उसका हो जाता है तो वह मुझे भी जल्दी झड़ने का बोल कर ज़्यादा कुछ करने का अवसर नहीं देती क्योंकि उसे नीचे जलन होने लगती है.
फिर और चाहे जो भी हो, आप किसी के साथ जबरदस्ती सेक्स नहीं कर सकते … और मुझे तो ऐसा सेक्स चाहिए था जो दोनों की सहमति से, दोनों की पहल से, दोनों के तृप्त होने तक थोड़ा जोरदार चुदाई दमदार तरीके से हो.
खैर … जब मानसी ने मुझे यह बताया तब मैंने कहा- हां रश्मि (मेरी बीवी) मुझे पूरा सहयोग नहीं करती है, काफ़ी जल्दी उसका हो जाता है!
तब मानसी ने मुझे छेड़ते हुए पूछा- अच्छा तो कितने देर तक टिकने वाली चाहिए आपको?
मैंने भी बिंदास बोल दिया- जब तक दोनों तृप्त होकर थक ना जाएं, तब तक तो होना ही चाहिए!
यह सुन कर मानसी ने भारी मन से कहा- सही बोल रहे हो तुम!
आज यह पहली बार था, जब उसने मुझे तुम कहा और यह भी बोला कि दीपेश का भी यही हाल है, बहुत जल्द ही अपना करके शांत हो जाता है!
तब हम दोनों को ये समझ आया कि सेक्स में रूचि ना होना शायद मेरी बीवी और साले के खून में है.
फिर मानसी ने कहा- अगर कोई लंबा टिकने वाली मिल गई तो क्या संभाल पाओगे उसे!
मैंने भी कह दिया- जब तक दोनों तृप्त ना हों, तब तक सेक्स का मज़ा कहां है!
यह सुनकर वह मुस्कुरा दी और उसने कहा कि भगवान ने चाहा तो जल्द ही दोनों को उनके हिसाब से तृप्त करने वाला मिल जाएगा!
फिर उसे कुछ अर्जेंट काम आ गया और उसने बाइ बोल कर फोन रख दिया.
उसके बाद मेरे मन में उथल-पुथल मच गई कि यह ऐसे क्यों बात कर रही थी … इसके दिल में क्या है?
फिर दिन गुजरा और रात को खा पी कर हम सब सोने चले गए.
क्योंकि बीवी के साथ एक रात चुदाई कर लो, तो दस बारह दिन की छुट्टी हो जाती थी और अभी छह दिन पहले ही सेक्स हुआ था, तो कुछ होना तो था नहीं, पर मानसी की बात सोच सोच कर लंड महाराज अपने उफान पर थे.
ऐसे ही रात के साढ़े ग्यारह हो गए थे कि तभी मानसी का मैसेज आया- सो गए क्या?
मैंने खुश होकर तुरंत रिप्लाइ किया- नहीं, तुम्हारे मैसेज का इंतजार कर रहा था!
उसने तुनक कर कहा- अगर ऐसा होता तो खुद ही पहले मैसेज या कॉल करते!
मैंने कहा- अगर पहले कॉल करता तो कहीं तुम ग़लत ना समझ बैठतीं?
मानसी बोली- घबराओ मत, तुम्हारा अब मुझे कुछ बोलना या करना ग़लत नहीं लगेगा!
यह सुनकर मुझे पक्का यकीन हो गया कि हम दोनों ही मिल कर एक दूसरे की प्यास को अच्छे से बुझा सकते हैं.
उसके बाद मैंने उसे वाय्स कॉल करने को कहा, तो मानसी ने रूम से निकल कर तुरंत कॉल कर दिया.
तब तक मैं भी कमरे से बाहर निकल चुका था और छत की तरफ जा रहा था.
तब मैंने मानसी से पूछा- अचानक तुम मेरे साथ इतना खुल कैसे गई हो?
फिर वे लोग अपना सामान शिफ्ट करवा कर घर किराए पर लेकर पंद्रह दिन में वहां शिफ्ट हो गए.
उधर शिफ्ट हो जाने के दो दिन बाद अचानक से दोपहर एक बजे मेरे नंबर पर मानसी का मैसेज आया.
उसने कहा कि फ्री होकर कॉल करना.
मैं थोड़ा चौंका, पर मुझे भी काम था और उसका भी लंच दो बजे होगा … यह सोच कर मैंने उसे सवा दो बजे कॉल किया.
कुछ देर इधर उधर की सामान्य बात करने के बाद मानसी ने कुछ यूं बताया कि दीदी यानि मेरी बीवी मुझसे परेशान है.
मैंने पूछा- क्यों?
तो उसने कहा कि आप उन्हें रात को बहुत तंग करते हो, इस वजह से!
दरअसल मेरी बीवी को सेक्स में कोई खास रूचि नहीं है.
रात को भी जब मैं उसे छेड़ कर उसका मूड बनाता हूँ तब वह कुछ करती है.
उस पर भी वह दस पंद्रह मिनट के बाद जैसे ही उसका हो जाता है तो वह मुझे भी जल्दी झड़ने का बोल कर ज़्यादा कुछ करने का अवसर नहीं देती क्योंकि उसे नीचे जलन होने लगती है.
फिर और चाहे जो भी हो, आप किसी के साथ जबरदस्ती सेक्स नहीं कर सकते … और मुझे तो ऐसा सेक्स चाहिए था जो दोनों की सहमति से, दोनों की पहल से, दोनों के तृप्त होने तक थोड़ा जोरदार चुदाई दमदार तरीके से हो.
खैर … जब मानसी ने मुझे यह बताया तब मैंने कहा- हां रश्मि (मेरी बीवी) मुझे पूरा सहयोग नहीं करती है, काफ़ी जल्दी उसका हो जाता है!
तब मानसी ने मुझे छेड़ते हुए पूछा- अच्छा तो कितने देर तक टिकने वाली चाहिए आपको?
मैंने भी बिंदास बोल दिया- जब तक दोनों तृप्त होकर थक ना जाएं, तब तक तो होना ही चाहिए!
यह सुन कर मानसी ने भारी मन से कहा- सही बोल रहे हो तुम!
आज यह पहली बार था, जब उसने मुझे तुम कहा और यह भी बोला कि दीपेश का भी यही हाल है, बहुत जल्द ही अपना करके शांत हो जाता है!
तब हम दोनों को ये समझ आया कि सेक्स में रूचि ना होना शायद मेरी बीवी और साले के खून में है.
फिर मानसी ने कहा- अगर कोई लंबा टिकने वाली मिल गई तो क्या संभाल पाओगे उसे!
मैंने भी कह दिया- जब तक दोनों तृप्त ना हों, तब तक सेक्स का मज़ा कहां है!
यह सुनकर वह मुस्कुरा दी और उसने कहा कि भगवान ने चाहा तो जल्द ही दोनों को उनके हिसाब से तृप्त करने वाला मिल जाएगा!
फिर उसे कुछ अर्जेंट काम आ गया और उसने बाइ बोल कर फोन रख दिया.
उसके बाद मेरे मन में उथल-पुथल मच गई कि यह ऐसे क्यों बात कर रही थी … इसके दिल में क्या है?
फिर दिन गुजरा और रात को खा पी कर हम सब सोने चले गए.
क्योंकि बीवी के साथ एक रात चुदाई कर लो, तो दस बारह दिन की छुट्टी हो जाती थी और अभी छह दिन पहले ही सेक्स हुआ था, तो कुछ होना तो था नहीं, पर मानसी की बात सोच सोच कर लंड महाराज अपने उफान पर थे.
ऐसे ही रात के साढ़े ग्यारह हो गए थे कि तभी मानसी का मैसेज आया- सो गए क्या?
मैंने खुश होकर तुरंत रिप्लाइ किया- नहीं, तुम्हारे मैसेज का इंतजार कर रहा था!
उसने तुनक कर कहा- अगर ऐसा होता तो खुद ही पहले मैसेज या कॉल करते!
मैंने कहा- अगर पहले कॉल करता तो कहीं तुम ग़लत ना समझ बैठतीं?
मानसी बोली- घबराओ मत, तुम्हारा अब मुझे कुछ बोलना या करना ग़लत नहीं लगेगा!
यह सुनकर मुझे पक्का यकीन हो गया कि हम दोनों ही मिल कर एक दूसरे की प्यास को अच्छे से बुझा सकते हैं.
उसके बाद मैंने उसे वाय्स कॉल करने को कहा, तो मानसी ने रूम से निकल कर तुरंत कॉल कर दिया.
तब तक मैं भी कमरे से बाहर निकल चुका था और छत की तरफ जा रहा था.
तब मैंने मानसी से पूछा- अचानक तुम मेरे साथ इतना खुल कैसे गई हो?
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
