22-02-2025, 03:11 PM
उस वक़्त जून का महीना चल रहा था इसलिए गर्मी भी अपने चरम पर थी.
आपको तो पता ही होगा कि बाथरूम में नहाने से उमस सी हो जाती है.
वे सब नहा चुके थे और शायद नाश्ता खाने की तैयारी चल रही थी तो मैं आदतन बिना कुण्डी लगाए शॉवर से नहा रहा था और साबुन लगा कर अपने आंड और लंड को साफ कर रहा था.
तभी मेरी सहलज वहां अपने पुराने कपड़े लेने आई और उसने मेरे लंड को पहली बार देखा.
वह लंड देख कर ठिठक गई.
मैं बाकियों की तरह यह नहीं कहना चाहता कि मेरा लंड दस इंच का है, ना ही मैंने कभी उसे नापा है.
पर जितना भी था, उसके पति से काफ़ी बड़ा था और थोड़ा मोटा भी.
हालांकि मेरा लंड अभी अर्ध जागृत अवस्था में था, पर साले की खड़े लंड से काफ़ी बड़ा ही था.
बीस सेकेंड के बाद मुझे अहसास हुआ कि कोई मुझे देख रहा है.
तो मैंने लंड धोना बंद करके बाहर देखा.
बाहर मानसी खड़ी थी और उसकी आंखें भी मुझसे मिलीं.
तो जरा सी झेंप कर वह बाहर चली गई.
मैं समझ गया कि इसने इतना बड़ा लंड पहले नहीं दखा होगा.
और मैं जानता हूँ कि गर्ल लाइक बिग डिक साइज़!
फिर मैं भी जल्दी से नहा कर कपड़े पहन कर बाहर आया तो देखा कि सबने नाश्ता नहीं किया था.
साले ने कहा कि सब साथ में करेंगे, इसलिए वे सब रुक गए थे.
फिर हम सबने नाश्ता किया.
लेकिन मैंने गौर किया कि मानसी काफ़ी सामान्य थी और ऐसे बिहेव कर रही थी जैसे कुछ हुआ ही ना हो.
वह जैसे बाकी टाइम बात करती थी, वैसे ही कर रही थी.
इस बात पर मैंने भी ज़्यादा ध्यान नहीं दिया और बात आई गई हो गई.
फ़िर मेरी बीवी बच्चे मानसी और उसकी बेटी सब मेरे कमरे में बैठ कर बातें करने लगे.
इधर मैं और मेरा साला दीपेश मार्केट चले गए.
उसे कुछ खरीददारी करनी थी.
चूंकि उस दिन संडे था तो मेरी भी छुट्टी थी और ऑफिस जाने की कोई टेंशन नहीं थी.
मार्केट में दो तीन घंटे के बाद हम लंच पार्सल लेकर घर आ गए.
मेरी माताजी अपने कमरे में सो गई थीं और वे दोनों ननद भाभी गप्पें मार रही थीं.
बच्चे खेल रहे थे.
फिर सबने खाना खाया और बाकी का पूरा दिन आराम से सामान्य तरीके से बीता.
माताजी को ज़्यादा ठंडक पसंद नहीं इसलिए वे ए सी को 28 पर करके सोती हैं.
जबकि हम सबको 20-22 तक करके सोने की आदत है, तो बाकी मेरे कमरे में गद्दा बिछा कर सो गए.
अगले दिन सुबह उठने के पहले जब मर्दों का लंड अपने तनाव पर होता है.
तब मुझे लगा कि किसी ने मेरे लंड पर जोर से चपत लगाई है.
मैंने आस पास देखा, पर कोई ना था.
उठने के बाद गौर किया कि मानसी मुझसे बात तो सामान्य कर रही थी पर स्माइल ज़्यादा दे रही थी.
क्योंकि उनको अभी अपने शहर जाना था इसलिए ज़्यादा बात नहीं हो पाई और वे लोग दो घंटे बाद ट्रेन से चले गए और बात खत्म हो गई.
आपको तो पता ही होगा कि बाथरूम में नहाने से उमस सी हो जाती है.
वे सब नहा चुके थे और शायद नाश्ता खाने की तैयारी चल रही थी तो मैं आदतन बिना कुण्डी लगाए शॉवर से नहा रहा था और साबुन लगा कर अपने आंड और लंड को साफ कर रहा था.
तभी मेरी सहलज वहां अपने पुराने कपड़े लेने आई और उसने मेरे लंड को पहली बार देखा.
वह लंड देख कर ठिठक गई.
मैं बाकियों की तरह यह नहीं कहना चाहता कि मेरा लंड दस इंच का है, ना ही मैंने कभी उसे नापा है.
पर जितना भी था, उसके पति से काफ़ी बड़ा था और थोड़ा मोटा भी.
हालांकि मेरा लंड अभी अर्ध जागृत अवस्था में था, पर साले की खड़े लंड से काफ़ी बड़ा ही था.
बीस सेकेंड के बाद मुझे अहसास हुआ कि कोई मुझे देख रहा है.
तो मैंने लंड धोना बंद करके बाहर देखा.
बाहर मानसी खड़ी थी और उसकी आंखें भी मुझसे मिलीं.
तो जरा सी झेंप कर वह बाहर चली गई.
मैं समझ गया कि इसने इतना बड़ा लंड पहले नहीं दखा होगा.
और मैं जानता हूँ कि गर्ल लाइक बिग डिक साइज़!
फिर मैं भी जल्दी से नहा कर कपड़े पहन कर बाहर आया तो देखा कि सबने नाश्ता नहीं किया था.
साले ने कहा कि सब साथ में करेंगे, इसलिए वे सब रुक गए थे.
फिर हम सबने नाश्ता किया.
लेकिन मैंने गौर किया कि मानसी काफ़ी सामान्य थी और ऐसे बिहेव कर रही थी जैसे कुछ हुआ ही ना हो.
वह जैसे बाकी टाइम बात करती थी, वैसे ही कर रही थी.
इस बात पर मैंने भी ज़्यादा ध्यान नहीं दिया और बात आई गई हो गई.
फ़िर मेरी बीवी बच्चे मानसी और उसकी बेटी सब मेरे कमरे में बैठ कर बातें करने लगे.
इधर मैं और मेरा साला दीपेश मार्केट चले गए.
उसे कुछ खरीददारी करनी थी.
चूंकि उस दिन संडे था तो मेरी भी छुट्टी थी और ऑफिस जाने की कोई टेंशन नहीं थी.
मार्केट में दो तीन घंटे के बाद हम लंच पार्सल लेकर घर आ गए.
मेरी माताजी अपने कमरे में सो गई थीं और वे दोनों ननद भाभी गप्पें मार रही थीं.
बच्चे खेल रहे थे.
फिर सबने खाना खाया और बाकी का पूरा दिन आराम से सामान्य तरीके से बीता.
माताजी को ज़्यादा ठंडक पसंद नहीं इसलिए वे ए सी को 28 पर करके सोती हैं.
जबकि हम सबको 20-22 तक करके सोने की आदत है, तो बाकी मेरे कमरे में गद्दा बिछा कर सो गए.
अगले दिन सुबह उठने के पहले जब मर्दों का लंड अपने तनाव पर होता है.
तब मुझे लगा कि किसी ने मेरे लंड पर जोर से चपत लगाई है.
मैंने आस पास देखा, पर कोई ना था.
उठने के बाद गौर किया कि मानसी मुझसे बात तो सामान्य कर रही थी पर स्माइल ज़्यादा दे रही थी.
क्योंकि उनको अभी अपने शहर जाना था इसलिए ज़्यादा बात नहीं हो पाई और वे लोग दो घंटे बाद ट्रेन से चले गए और बात खत्म हो गई.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
