21-02-2025, 10:30 AM
अगलो दीन मै रेज की तरहा सुबह जल्दी ऊटकर नाहा दोकर तयार होके नाश्ता को लीए आया तो मैने दोखा नेहा मुझसे अब भी नाराज लग रही थी, मैने चुप चाप नाश्ता करके अपने कामपर नीकल गया। जब मै शामको घर आया ते देखा चाचाजी सेफेपर बैटकर कराह रहे थो ओर नेहा ऊनके पैर की मालीश कर रही थी। मैने चाचाजी से पुछा, "अरे चाचाजी क्या हुवा?" तब चाचाजी ने कहा, "अरे कुछ नही अमित बेटा वो बाथरुंम मै मेरा पैर फीसल गया ओर मोछ आ गयी"। मैने कहा, "चलीए चाचाजी हम डाक्टर को पास चलते है", तब चाचाजी ने कहा, "अरे बेटा बहुने मुझे डाक्टर को पास लो गयी थी। डाक्टर नो ए तेल दीया है ओर कहा है सीर्फ मोछ है, ओर कहा है दो दीन ऎ तेल लगाको मालीश करनेको कहा है, ओर कहा है ठीक हो जायेगा। मै खुद सो तेल लगाको अछेसे मालीश नही कर पा रहाथा तो बहु ने कहा वे कर देगी ओर मेरे पैर की मालीश कर रही थी। बहुत ही सुसील ओर गुणी बहु है मेरी। दोख तो कोसे अपने चाचाजी की सेवा कर रही है", ऎसा कहतो हुए चाचाजी ने मेरी तरफ दोख के मुझे आंख मारदी। तो मैने नेहा को कहा चाचाजी को पैर की अछेसे मालीश करदे, ओर मै फ्रेश होने अपने रुंम मे चला गया। जब मै फ्रेश हेके आया तो नेहा चाचाजी की मालीश खतम कर कीचन मै खान लगा रहीथी। हम सबने साथ खाना खाया ओर हम सब अपने अपने रुम सेने चले गये। आज मैने नोटीस कीया की नेहा आज चाचाजी से ज्याद बात नही कर रही थी ओर ऊनसे आंख भी चुरा रही थी, मुझे लगा कही जल्दबाजी मे चाचाजी ने कुछ गडबड तो नही कर दी? बस यही सब सोचते हुये मेरी आंख लग गयी। फीर मै सुबह मै तैयार होके कामपर जानेसे पहले नेहा से चाचाजी का अछेसे खयाल रखनेको कहकर अपने कामपर नीकल गया। आफीस मे मै दीनभर फीर कल रात की बात ही सेचने लगा की चाचाजी ने क्या गडबड की होगी की नेहा ऊनसे आंख चुरा रही थी। मैने आफीस से घर पे काल कीया तो नेहा ने फेन उटाया, मैने नेहासे चाचाजी के तबीयत को बारेमे पुछा तो ऊसने बताया की, "अब ऊनके पैर काफी हदतक ठीक है, पर ऊनको चलने मे थोडी दीक्कत हो रही है सहार लोके चलना पड रहा है"। तभी चाचाजी ने नेहा को आवाज दी तो नेहा ने कहा, "सुने चाचाजी मुझे बुला रहे है मै फेन रखती हु", यह कहकर नेहा ने फेन रख दीया। नेहा की बात सुनकर मुझे लगा अब सब नारमल है तो मै फीरसे अपने काम मे लग गया। जब मै शाम को घर वापीस आया तो देखा की चाचाजी ओर नेहा दोने हाल मे बैटकर टीवी देखते हुये गपे लडाते हुये हसी मजाक कर रहेथे, ओर नेहा ऊनके पैर की मालीश कर रही थी। आज मैने देखा की नेहा चाचाजी से आंख भी नही चुरा रही थी, ओर आरम से ऊनके पैर की मालीश कर रही थी। पैर क्या आज तो वो चाचाजी को जांघेः की मालीश कर रही थी ओर चाचाजी ने ऊनकी धेति अपने कमर तक्क ऊठा रखी थी। जब मै अंदर आया तो चाचाजी ने मुझो देखकर कहा, "अरे अमित बेटा आगये तुम आज तो बडी देर करदी आनो मे" ओर ऊन्हेने अपनी धेति नीचे करली। तब नेहा भी अपना हात चाचाजी को जांघेः से हटा कर वापीस ऊनके पैर की मालीश करने लगी। मैने नारमल बरताव करते हुए ऊन दोने को ऎसे दीखाया की मैने ऊनको नही दोखा ओर कहा, "हा चाचाजी आज काम ज्यादा था बहुत थक गया आजते" ओर नेहा को जल्दी खान लगाने कहा। आज नेहा काफी खुश दीख रहीथी, मै फ्रेश होने अपने रुंम मे चला गया। जब मै फ्रेश हेके आया तो नेहा कीचन मै खान लगा रहीथी। हम सबने साथ खाना खाया खाने को बाद नेहा ओर चाचाजी साथ बैटकर टीवी देखने लगे ओर गप्पे हाकने लगे। ओर मै अपने रुम सेने चले गये, मै रुम मे अकर सोगया ओर मुझे नींद आगयी।
दुसरे दीन मैं सुबह जल्दी ऊटकर देखा ते नेहा मेरे बगल मै नही थी, मै जल्दी नाहा दोकर बाहर आया ते दोखा नेहा जल्दी ऊटकर कीचन मे मेरे लीए नाश्ता बनारही थी। फीर मेने नाश्ता कीया ओर मैने नेहा से कहा, "नेहा आज आफीस मे काम ज्यादा है तो मुझे आनो मे देर हो जायेगा", ऎसा बेलकर मै कामपर नीकल गया। जब मै शामको घर आया ते देखा चाचाजी हाल मे सेफेपर बैटकर टीवी देख रहे थे, पर नेहा कही नही दीख रही थी। जब मै अंदर आया तो चाचाजी मुझो देखकर मुस्कुरादीए ओर मुझे थंम्बसप का ईशारा कर दीया। मै कुछ समझ नही पाया ओर चाचाजी से पुछा की, "चाचाजी नेहा कहा है, दीखाई नही पडरही?"। तो चाचाजी ने कहा, "कुछ नही अमित बेटा वो दुपहर को बहु की तबीयत अचानक बीगड गयी ओर ऊसे तेज बुखार आगया, तो मै ऊसे डाक्टर को पास लो गया। डाक्टर नो दवई ओर ईंन्जक्शन दीया है ओर दो दीन आराम करनेको कहा है, वो अंदर अपने कमरेमे सो रही है"। जब मै कमरे मे जाकर देखा तो नेहा सो रही थी, जब मैंने उसके पासा जाको चेक्क कीया तो ऊसका बदन बुखार से तप रहा था। तब नेहा जाग गयी ओर मुझे दोख कर कहा, "अमित अब मै थोडा ठीक महसुस कर रही हु तुम चींता मत करो, तुम ओर चाचाजी बाहर से खान मंगाकर खालो"। मैने ऊसे ठीक है कहकर जब मै फ्रेश हेके बाहर आया तो चाचाजी ने कहा, "अरे अमित बेटा मैंने हमारे लीए बाहर से खान मंगा लीया है चले खान खा लो, ओर फिर बहु को सुप पीला दोना मैंने उसके लीए सुप मंगाया है"। फीर हम दोने नो साथ खाना खाया ओर खाने को बाद मै नेहाके लीए सुप लोके अपने कमरेमे मे आगया, चाचाजी भी अपने कमरेमे मे सेने चले गये। मैने नेहा को ऊठाकर ऊसे सुप पीला नो लगा, जब मै ऊसे सुप पीला रहा था तो मैने ऊसकि आंखोमे पानी दोखा। जब मैने उससे पुछा की वो रूक्यु रही है तो ऊसने कहा की तेज बुखार की वझेसे ऊसकी आंखोसे पानी आ रहा है। तब मै समझ गया की चाचाजीने नेहा का काम तमाम कर दीया है, ओर ईसीलीए ऊसे तेज बुखार आया है। ओर नेहाने मुझे धोका दीया है ए सोचकर ऊस गील्ट मे वो रो क्यु रही थी। नेहाकी हालत देखकर एक ओर मुझे ऊसपर तरस आ रहा था, मगर दुसरी तरफ मै अंदर ही अंदर बहुत खुश भी हो रहा था की आखीरकार नेहा चाचाजी से चुद ही गयी। मै तो हैरान था की कैसे चाचाजीने एक ही हफ्तो मे नेहा को पटाकर चोद भी दीया? यही सब सोचतो सोचतो मै सोगया ओर मुझे कब नींद आगयी मुझे पता भी नही लगा। अगलो दीन शनीवार था मेरी छुटी थी तो मै थोडा देरीसे ऊटकर देखा ते नेहा मेरे बगल मै सो रही थी। मै ऊटकर कीचन मे गया ओर सब को लीए चाय नाश्टा बनाया। तब तक चाचाजी भी ऊठकर बाहर आ गये ओर मुझसे पुछा, "अमित बेटा वो बहु की तबीयत कैसी है अब?", मैने कहा, "वे अभी सो रही है ऊठने के बाद पता चलोगा"। ऊसको बाद मै घरका काम करने लगा तो चाचाजी नो भी मेरी मदत करी सारे काम करने मे। फीर हमने बाहर से खान मंगा लीया ओर नेहाके लीए सुप मंगाया। जब नेहा ऊठी तो वे ठीक से चल भी नही पारही थी, तो मैने ऊसे सहारा देकर बाथरूम लो गया। ओर जब वे फ्रेश हेके बाहर आयी तो मैने ऊसे सुप पीला कर डाक्टर की दवई खीला वापस ऊसे सुला दीया। फीर मै ओर चाचाजी दोने नो साथ खाना खाया ओर खाने को बाद मैने चाचाजी से पुछा, "चाचाजी आपने ये नेहा के साथ क्या कीया की ऊसकी हालत ईतनी खरब हो गयी?", तो चाचाजी ने कहा, "अरे अमित बेटा कुछ नही मेरे साथ ओरतोका पहली बार मे ऐसी हालत हो जाती है, तुम फीक्र मत करे बहु एक दो दीन मे बीलकुल ठीक हो जायेगी। ओर तुम चींता मत करे सही समय आनोपर मै तुम्हो सब बत्तादुंगा"। इतना कहकर चाचाजी चुप हो गये, मैने भी फीर ऊन्से ईस बारेमे ओर ज्यादा सवाल नही पुछा। अगलो दीन रवीवार की छुटी थी तो आज भी कल की तरहा मैने ओर चाचाजी नो घरका सारा काम कीया, ओर बाहर से ही खान भी मंगा लीया। मै पुरे दो दीन नेहा की अछ्छेसे देखभाल की ओर ऊसकी तबीयत ठीक हो गई। अगलो दीन सो मुझे वापीस कामपर जान था तो मैने नेहा से कहा, "नेहा आज मै आफीस से छुटी लो लोता हु मुझे अभी तुम्हारी तबीयत ठीक नही लग रही है?", तो नेहा ने कहा, "नही मै अब ठीक हु, ओर कुछ चाहीये होगा तो चाचाजी हैना मेरा खयाल रखने के लीए"। तो चाचाजी ने भी कहा, "अमित बेटा मै हुना तुम चींता मतकरे मै बहु का खयाल अछ्छेसे रखुंगा, ओर ईस बार ऊसे जराभी तकलीफ नही होने दुंगा"। ऊन दोनेकी बाते सुनकर मुझे एसा लगा की दोने मुझसे कह रहेहो की तुम जाव काम पे, तो मै भी तयार होके अपने कामपर नीकल गया। जब मै शाम को घर आया तो देखा की चाचाजी ओर नेहा हाल मे बैटकर गपे लडाते हुये हसी मजाक कर रहेथे, ओर नेहा आज बहुत खुश भी लग रही थी। मेरे आते ही नेहा खाना परोसने कीचन चली गयी, ओर मै कमरे मे जाकर फ्रेश होकर आया। नेहा कीचन से खाना लाकर सबको परोसने लगी जब हम खाना खा रहे थे तब मैने नेहा से कहा की अभि भी ऊसकी तबीयत ठीक नही लग रही है ओर वे अभी लंगडाकर चल रही है? तो नेहा ने कहा, "एसा कुछ नही है वे बुखार की वझसे थेडी कमजेरी है बस"। मैने खाना खाया ओर अपने कमरे मे अकर सोगया। चाचाजी ओर नेहा खाने को बाद साथ बैटकर टीवी देखने लगे ओर गप्पे हाकने लगे। अगले तीन दीन यही चलता रहा, मै रेज अपने कामपर नीकल जाताथा ओर रात को देर से वापीस आता था। दीनभर नेहा ओर चाचाजी घरपर अकेले रहतेथे, अब दोने मे दोस्ती ओर भी अच्छी हो गयी थी। अब जब मै घरपर था तो देखता था की चाचाजी ओर नेहा दोने हाल मे बैटकर टीवी देखते गपे लडाते हुये हसी मजाक करते हुये एक दुसरेको छुने भी लगे थे, पर मैरे सामने नारमल बीहेव करते थे। फीर शुक्रवार के दीन चाचाजी मुझे दुपहर को फेन करके आज शाम को मेरे घरके पास वालो काफी शाप मे आनेको कहा ते मैंने हा कहदी। जब मै शामको काफी शाप मे गया तो चाचाजी वहा कार्नर टेबलपर मेरा पहलोसे वहा ईंतजार कर रहे थे। मेरे जाते ही चाचाजी ने मुझसे कहा, "अमित बेटा तुम तो देखी रहे हो की बहु अब कीतनी खुश रेहने लगीहै"। तो मैने कहा, "हा चाचाजी ए सब आपकी ही बझेसे होपाया, ओर मै नेहा को हमेशा एसे ही खुश दोखना चाहता हुः"। तब चाचाजी ने मुझसे कहा, "अगर तुम ऊसे हमेशा एसे ही खुश दोखना चाहते हो तो तुम्हे एक ओर काम करना होगा"। तो मैने कहा, "हा बेलीयेना चाचाजी मैं नेहा को एसे खुश दोखने के लीए कुछ भी करुंगा"। तो चाचाजी ने कहा, "अमित बेटा तो तुम्हे एक हफ्ते के लीए हम दोनेको अकोले छेडना होगा, क्यु की तुम्हारे घरपर रेहनेकी वझेसे बहु मेरे साथ ज्यादा खुल नही पारही। अगर तुम एक हफ्ते के लीए घरपर नही रहोगे तो वे मेरे साथ ज्यादा खुल जायेगी"। चाचाजी की बात मुझे भी सही लगी ओर मैने एक हफ्ते के लीए आफीस टुर का बहाना बनाको घरसे दुर रहनेका प्लान बनाया। फीर मै जब घर आया तो नेहाने पुछा की आज मै जल्दी कैसे आ गया? तो मैने नेहा से कहा, "नेहा कल मुझे आफीस के काम से एक हफ्ते के लीए बाहर जाना है तो ऊसीके पाकिंग करने मुझे आज घर जल्दी आना पडा"। ऎसा बेलकर मैं कमरे मे चला गया ओर अपने कपडे पाकिंग करने लगा नेहाने भी पाकिंग मे मेरी मदत की। फीर थेडी देर बाद जब चाचाजी जब घर आया, तो हम सबने खाना खाया। खानेके बाद सब साथ बैटकर टीवी देखने लगे तब मैंने नारमल बरताव करते हुए चाचाजीसे कहा, "चाचाजी कल मुझे आफीस के काम से एक हफ्ते के लीए बाहर जाना है तो आप प्लीझ नेहा का खयाल रखीयेगा"। तो चाचाजी ने कहा, "अमित बेटा तुम चींता मत करो मै हुना मै बहु का अछ्छेसे खयाल रखुंगा, ओर ऊसे तुम्हारी कमी बील्कुल नही होने दुंगा"। चाचाजी की ए बात सुनकर नेहा काफी खुश हुई, मै सुबह जल्दी जानेका बहाना बनकर सोने चला गया।
दुसरे दीन मैं सुबह जल्दी ऊटकर देखा ते नेहा मेरे बगल मै नही थी, मै जल्दी नाहा दोकर बाहर आया ते दोखा नेहा जल्दी ऊटकर कीचन मे मेरे लीए नाश्ता बनारही थी। फीर मेने नाश्ता कीया ओर मैने नेहा से कहा, "नेहा आज आफीस मे काम ज्यादा है तो मुझे आनो मे देर हो जायेगा", ऎसा बेलकर मै कामपर नीकल गया। जब मै शामको घर आया ते देखा चाचाजी हाल मे सेफेपर बैटकर टीवी देख रहे थे, पर नेहा कही नही दीख रही थी। जब मै अंदर आया तो चाचाजी मुझो देखकर मुस्कुरादीए ओर मुझे थंम्बसप का ईशारा कर दीया। मै कुछ समझ नही पाया ओर चाचाजी से पुछा की, "चाचाजी नेहा कहा है, दीखाई नही पडरही?"। तो चाचाजी ने कहा, "कुछ नही अमित बेटा वो दुपहर को बहु की तबीयत अचानक बीगड गयी ओर ऊसे तेज बुखार आगया, तो मै ऊसे डाक्टर को पास लो गया। डाक्टर नो दवई ओर ईंन्जक्शन दीया है ओर दो दीन आराम करनेको कहा है, वो अंदर अपने कमरेमे सो रही है"। जब मै कमरे मे जाकर देखा तो नेहा सो रही थी, जब मैंने उसके पासा जाको चेक्क कीया तो ऊसका बदन बुखार से तप रहा था। तब नेहा जाग गयी ओर मुझे दोख कर कहा, "अमित अब मै थोडा ठीक महसुस कर रही हु तुम चींता मत करो, तुम ओर चाचाजी बाहर से खान मंगाकर खालो"। मैने ऊसे ठीक है कहकर जब मै फ्रेश हेके बाहर आया तो चाचाजी ने कहा, "अरे अमित बेटा मैंने हमारे लीए बाहर से खान मंगा लीया है चले खान खा लो, ओर फिर बहु को सुप पीला दोना मैंने उसके लीए सुप मंगाया है"। फीर हम दोने नो साथ खाना खाया ओर खाने को बाद मै नेहाके लीए सुप लोके अपने कमरेमे मे आगया, चाचाजी भी अपने कमरेमे मे सेने चले गये। मैने नेहा को ऊठाकर ऊसे सुप पीला नो लगा, जब मै ऊसे सुप पीला रहा था तो मैने ऊसकि आंखोमे पानी दोखा। जब मैने उससे पुछा की वो रूक्यु रही है तो ऊसने कहा की तेज बुखार की वझेसे ऊसकी आंखोसे पानी आ रहा है। तब मै समझ गया की चाचाजीने नेहा का काम तमाम कर दीया है, ओर ईसीलीए ऊसे तेज बुखार आया है। ओर नेहाने मुझे धोका दीया है ए सोचकर ऊस गील्ट मे वो रो क्यु रही थी। नेहाकी हालत देखकर एक ओर मुझे ऊसपर तरस आ रहा था, मगर दुसरी तरफ मै अंदर ही अंदर बहुत खुश भी हो रहा था की आखीरकार नेहा चाचाजी से चुद ही गयी। मै तो हैरान था की कैसे चाचाजीने एक ही हफ्तो मे नेहा को पटाकर चोद भी दीया? यही सब सोचतो सोचतो मै सोगया ओर मुझे कब नींद आगयी मुझे पता भी नही लगा। अगलो दीन शनीवार था मेरी छुटी थी तो मै थोडा देरीसे ऊटकर देखा ते नेहा मेरे बगल मै सो रही थी। मै ऊटकर कीचन मे गया ओर सब को लीए चाय नाश्टा बनाया। तब तक चाचाजी भी ऊठकर बाहर आ गये ओर मुझसे पुछा, "अमित बेटा वो बहु की तबीयत कैसी है अब?", मैने कहा, "वे अभी सो रही है ऊठने के बाद पता चलोगा"। ऊसको बाद मै घरका काम करने लगा तो चाचाजी नो भी मेरी मदत करी सारे काम करने मे। फीर हमने बाहर से खान मंगा लीया ओर नेहाके लीए सुप मंगाया। जब नेहा ऊठी तो वे ठीक से चल भी नही पारही थी, तो मैने ऊसे सहारा देकर बाथरूम लो गया। ओर जब वे फ्रेश हेके बाहर आयी तो मैने ऊसे सुप पीला कर डाक्टर की दवई खीला वापस ऊसे सुला दीया। फीर मै ओर चाचाजी दोने नो साथ खाना खाया ओर खाने को बाद मैने चाचाजी से पुछा, "चाचाजी आपने ये नेहा के साथ क्या कीया की ऊसकी हालत ईतनी खरब हो गयी?", तो चाचाजी ने कहा, "अरे अमित बेटा कुछ नही मेरे साथ ओरतोका पहली बार मे ऐसी हालत हो जाती है, तुम फीक्र मत करे बहु एक दो दीन मे बीलकुल ठीक हो जायेगी। ओर तुम चींता मत करे सही समय आनोपर मै तुम्हो सब बत्तादुंगा"। इतना कहकर चाचाजी चुप हो गये, मैने भी फीर ऊन्से ईस बारेमे ओर ज्यादा सवाल नही पुछा। अगलो दीन रवीवार की छुटी थी तो आज भी कल की तरहा मैने ओर चाचाजी नो घरका सारा काम कीया, ओर बाहर से ही खान भी मंगा लीया। मै पुरे दो दीन नेहा की अछ्छेसे देखभाल की ओर ऊसकी तबीयत ठीक हो गई। अगलो दीन सो मुझे वापीस कामपर जान था तो मैने नेहा से कहा, "नेहा आज मै आफीस से छुटी लो लोता हु मुझे अभी तुम्हारी तबीयत ठीक नही लग रही है?", तो नेहा ने कहा, "नही मै अब ठीक हु, ओर कुछ चाहीये होगा तो चाचाजी हैना मेरा खयाल रखने के लीए"। तो चाचाजी ने भी कहा, "अमित बेटा मै हुना तुम चींता मतकरे मै बहु का खयाल अछ्छेसे रखुंगा, ओर ईस बार ऊसे जराभी तकलीफ नही होने दुंगा"। ऊन दोनेकी बाते सुनकर मुझे एसा लगा की दोने मुझसे कह रहेहो की तुम जाव काम पे, तो मै भी तयार होके अपने कामपर नीकल गया। जब मै शाम को घर आया तो देखा की चाचाजी ओर नेहा हाल मे बैटकर गपे लडाते हुये हसी मजाक कर रहेथे, ओर नेहा आज बहुत खुश भी लग रही थी। मेरे आते ही नेहा खाना परोसने कीचन चली गयी, ओर मै कमरे मे जाकर फ्रेश होकर आया। नेहा कीचन से खाना लाकर सबको परोसने लगी जब हम खाना खा रहे थे तब मैने नेहा से कहा की अभि भी ऊसकी तबीयत ठीक नही लग रही है ओर वे अभी लंगडाकर चल रही है? तो नेहा ने कहा, "एसा कुछ नही है वे बुखार की वझसे थेडी कमजेरी है बस"। मैने खाना खाया ओर अपने कमरे मे अकर सोगया। चाचाजी ओर नेहा खाने को बाद साथ बैटकर टीवी देखने लगे ओर गप्पे हाकने लगे। अगले तीन दीन यही चलता रहा, मै रेज अपने कामपर नीकल जाताथा ओर रात को देर से वापीस आता था। दीनभर नेहा ओर चाचाजी घरपर अकेले रहतेथे, अब दोने मे दोस्ती ओर भी अच्छी हो गयी थी। अब जब मै घरपर था तो देखता था की चाचाजी ओर नेहा दोने हाल मे बैटकर टीवी देखते गपे लडाते हुये हसी मजाक करते हुये एक दुसरेको छुने भी लगे थे, पर मैरे सामने नारमल बीहेव करते थे। फीर शुक्रवार के दीन चाचाजी मुझे दुपहर को फेन करके आज शाम को मेरे घरके पास वालो काफी शाप मे आनेको कहा ते मैंने हा कहदी। जब मै शामको काफी शाप मे गया तो चाचाजी वहा कार्नर टेबलपर मेरा पहलोसे वहा ईंतजार कर रहे थे। मेरे जाते ही चाचाजी ने मुझसे कहा, "अमित बेटा तुम तो देखी रहे हो की बहु अब कीतनी खुश रेहने लगीहै"। तो मैने कहा, "हा चाचाजी ए सब आपकी ही बझेसे होपाया, ओर मै नेहा को हमेशा एसे ही खुश दोखना चाहता हुः"। तब चाचाजी ने मुझसे कहा, "अगर तुम ऊसे हमेशा एसे ही खुश दोखना चाहते हो तो तुम्हे एक ओर काम करना होगा"। तो मैने कहा, "हा बेलीयेना चाचाजी मैं नेहा को एसे खुश दोखने के लीए कुछ भी करुंगा"। तो चाचाजी ने कहा, "अमित बेटा तो तुम्हे एक हफ्ते के लीए हम दोनेको अकोले छेडना होगा, क्यु की तुम्हारे घरपर रेहनेकी वझेसे बहु मेरे साथ ज्यादा खुल नही पारही। अगर तुम एक हफ्ते के लीए घरपर नही रहोगे तो वे मेरे साथ ज्यादा खुल जायेगी"। चाचाजी की बात मुझे भी सही लगी ओर मैने एक हफ्ते के लीए आफीस टुर का बहाना बनाको घरसे दुर रहनेका प्लान बनाया। फीर मै जब घर आया तो नेहाने पुछा की आज मै जल्दी कैसे आ गया? तो मैने नेहा से कहा, "नेहा कल मुझे आफीस के काम से एक हफ्ते के लीए बाहर जाना है तो ऊसीके पाकिंग करने मुझे आज घर जल्दी आना पडा"। ऎसा बेलकर मैं कमरे मे चला गया ओर अपने कपडे पाकिंग करने लगा नेहाने भी पाकिंग मे मेरी मदत की। फीर थेडी देर बाद जब चाचाजी जब घर आया, तो हम सबने खाना खाया। खानेके बाद सब साथ बैटकर टीवी देखने लगे तब मैंने नारमल बरताव करते हुए चाचाजीसे कहा, "चाचाजी कल मुझे आफीस के काम से एक हफ्ते के लीए बाहर जाना है तो आप प्लीझ नेहा का खयाल रखीयेगा"। तो चाचाजी ने कहा, "अमित बेटा तुम चींता मत करो मै हुना मै बहु का अछ्छेसे खयाल रखुंगा, ओर ऊसे तुम्हारी कमी बील्कुल नही होने दुंगा"। चाचाजी की ए बात सुनकर नेहा काफी खुश हुई, मै सुबह जल्दी जानेका बहाना बनकर सोने चला गया।
ಇ೦ತಿ ನಿಮ್ಮ,
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