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Thriller दरवाजा खुला रह गया
#14
इस पर वो खुशी से सहमती जाहिर करती है। रूशाली को देख कर लगता था, जैसे मैं फिर से अपने यौवन को देख रही थी। उसका शरीर काफी सुंदर,‌ सुडोल और मदमस्त था। उसके होंठ गुलाबी थे और इतनी सुंदर थी, कि कोई भी मोहित हो जाए। एक पल के लिए तो मैं भी उस पर आकर्षित हो गई थी।

रूशाली बहुत अच्छा काम करना सीख गई थी, और वह मेरे बच्चों का भी अच्छे से ध्यान रख रही थी। रूशाली से अब मेरी बातें होने लगी, और उससे बात करते-करते एक दोस्ताना सा कायम हो गया था। अब हम लोग खुल कर कोई भी बात कर लेते थे।

1 दिन उसने मजाक-मजाक में पूछ लिया: मालकिन आप बिना चुदे कैसे रह सकती है? चुदाई तो एक आवश्यक चीज है।

मैं शर्मा गई और बोली: धत, पागल है तू। इस पर रुशाली बोली: मैं पागल नहीं हूं। मैंने आपको तड़पते देखा है। मैंने आपको बाथरूम में अपने हुस्न के साथ खेलते देखा।

मैं “धत झूठी” बोल‌ कर चल दी वहां से। लेकिन रुशाली के मन में कुछ और चल रहा था। उसने एक लेस्बियन सेक्स की क्लिप दिखा दी थी, जिसे देख मैं मदहोश हो गई। मुझे रुशाली से लेस्बियन सेक्स करने का मन करने लगा।मैंने प्लान बनाया की कैसे में अपनी नौकरानी को सेड्यूस करु कि वह मुझसे सेक्स करने के लिए आतुर हो जाए।

मैंने पहले बच्चों को सुला दिया, और नौकरानी से कहा: आज मेरे बदन में काफी दर्द है। क्या तुम मेरी मदद कर सकती हैं?
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: दरवाजा खुला रह गया - by neerathemall - 19-02-2025, 03:33 PM



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