05-02-2025, 02:38 PM
मैं समझ गई कि अभी दोनों चुदाई करके ही सो रहे थे. ये समझते ही मैं विवेक की ओर देखकर मुस्कुरा दी.
मैंने बोला कि आज ज्यादा ही मस्ती नहीं हो गई?
तो विवेक ने बोला- आज कुछ बीयर ज्यादा हो गई और ऐसे मौके भी नहीं मिल पाते … कभी जगह नहीं मिल पाती … तो कभी कुछ नहीं मिल पाता. अब आज दोनों चीजें सामने हैं … तो मस्ती तो बनती ही है.
अब मैं अल्पना के बगल में लेट गई. मैं कुछ ऐसी लेटी थी, जिसमें मैं आधी लेटी और आधी बैठी हुई थी. मैंने अपना एक हाथ अल्पना के मम्मों पर रख लिया और एक हाथ नीचे ले जाकर उसकी चूत पर लगा दिया.
उसकी चुत पर हाथ लगाते ही मेरा हाथ वीर्य से चिपचिपा हो गया. उसकी चूत पर विवेक का बहुत सारा माल लगा था, जिससे मुझे हल्का सा गुस्सा आ गया कि मेरा हाथ खराब हो गया.
मैं गुस्से में विवेक से बोली कि कम से कम साफ तो कर देते, देखो मेरा पूरा हाथ खराब हो गया.
तो उसने बोला- तुमने अपना हाथ ऐसी जगह रखा ही क्यों?
इस पर मैंने इतना ही बोला कि मुझे क्या पता था कि वहां ये सब गंदा होगा.
अल्पना अभी भी सो ही रही थी और शायद वो कुछ टाइम तक उठने वाली भी नहीं थी.
मेरी बात को बदलते हुए विवेक बोला कि उसे सोने दो … बहुत थक गई है बेचारी … अब कहीं और हाथ मत लगा देना … वरना फिर से गंदा हो जाएगा.
मैं उसका मतलब समझ गई थी कि ये अपने लंड पर हाथ लगाने के लिए मना कर रहा है.
मैं अपने हाथ पर लगे वीर्य को धोना चाहती थी … क्योंकि मुझे ये पसंद नहीं था. इसलिए मैं उठकर बाथरूम की तरफ चल दी. मैंने अन्दर जाकर डोर लॉक नहीं किया … क्योंकि मुझे हाथ तो सिर्फ धोने थे … लेकिन मुझे क्या पता था कि विवेक अन्दर आ जाएगा.
मेरे घुसने के कुछ बाद ही जैसे ही विवेक अन्दर आया … उसने गेट लगाकर लॉक कर दिया. पहले तो मैं डर गई लेकिन फिर नॉर्मल हो गई … क्योंकि मैं खुद यही चाहती थी कि कोई तो हो, जो टूर पर मुझे प्यार करे.
मैं पहले भी विवेक के साथ चुदाई कर चुकी थी. हालांकि उसके साथ सेक्स करने के लिए मेरी और उसकी यह डील रही थी कि हम इस बात को किसी भी स्थिति में ओपन नहीं होने देंगे और हमेशा दूसरों के सामने सिर्फ एक दोस्त जैसा ही रिएक्ट करेंगे.
विवेक ने मुझे पीछे से पकड़ा और मुझे गर्दन पर किस करने लगा. मैं उसे रोकने का भरसक प्रयास कर रही थी लेकिन उस पर मेरी एक ना चली. अब वो मेरे मम्मों को दबाने लगा.
फिर मैंने थोड़ी देर और प्रयास किया और उसकी पकड़ से छूट गई. चूंकि मैं वहां चिल्ला नहीं सकती थी, इसलिए मैं गेट की तरफ आई और लॉक खोल लिया.
फिर मैंने विवेक को इशारे में बोला- रूम में अल्पना है … इसलिए मैं यहां कुछ नहीं करने दूंगी.
मैं बाथरूम से बाहर निकलने को ही थी कि फिर से पकड़ ली गई. लेकिन इस बार में बाथरूम के बाहर ही थी, जिससे मैं अल्पना को देख सकती थी.
फिर मैंने धीरे से विवेक को बोला कि मान जा यार … अल्पना है, अगर वो जग गई, तो हम दोनों को प्रॉब्लम हो जाएगी.
इस पर उसने मुझसे कान में बोला- वो नहीं जागेगी … उसे बहुत थकान है. उसने मुझे दूसरी बार भी नहीं करने दिया था … प्लीज मान जाओ.
फिर मैंने भी अपने मन को काबू में नहीं रख पाई और उसे मौन स्वकृति दे दी. लेकिन मैंने बोला- वहीं पास में चलो, जिससे हम उस पर नजर रख सकें.
हम दोनों बेड के पास आ गए. मेरे बगल में अल्पना सो रही थी और उसके बिल्कुल पास में ही हम दोनों अपनी रास लीला शुरू करने वाले थे.
फिर उसने मुझे पकड़ कर किस चालू कर दिया. अब मैं उसका साथ दे रही थी, बस मुझे थोड़ा डर लग रहा था कि कहीं अल्पना न जाग जाए.
किस करते करते उसने मेरे कपड़े उतारने की कोशिश की, लेकिन मैंने उसे रोक दिया और इशारे में बोल दिया कि जो करना है, ऐसे ही कर लो.
उसने एक हाथ पेट से ऊपर ले जाकर मेरे मम्मों को पकड़ा और दबाने लगा. कुछ ही टाइम में ही उसने अपना हाथ मेरी पैंटी में डाल कर मेरी चूत पर उंगली चलाने लगा. चूंकि मुझे डर लग रहा था … इसलिए मैंने जल्दी करना ही ठीक समझा और अपने पैंटी को नीचे खिसका कर सीधे उससे लंड चूत में डालने को बोल दिया.
उसने भी अपना बड़ा लंड निकाल कर मेरी चूत पर लगा दिया और एक धक्के में ही अन्दर कर दिया. मेरी चीख निकलते निकलते रह गई.
अब वह पूरा लंड पेल कर पीछे से आराम से धक्के लगा रहा था और मैं मजे ले रही थी. करीब 10-12 मिनट तक चली इस चुदाई में अजीब सा मज़ा था … और मजे के साथ डर भी लग रहा था कि कहीं अल्पना जाग न जाए.
चुदाई खत्म हुई और मैंने अपने पैंटी को ऊपर कर लिया. हम दोनों बाथरूम में चले गए. वहां उसने फिर से मुझे पकड़ लिया.
मैंने उससे बोला कि अब क्यों पकड़ रहे हो?
तो उसने कुछ नहीं बोला और मेरी पैंटी उतार कर मेरी चूत पर अपना मुँह रख दिया. मैं एकदम से गनगना उठी. वो करीब 5 मिनट तक मेरी चूत चाटता रहा. मैं फिर से गरम हुई और कुछ ही समय में मेरा फिर से पानी निकल गया.
फिर हम दोनों बाथरूम से कमरे में आए. अब मैंने जाना ठीक नहीं समझा और वहीं अल्पना के पास जाकर लेट गई.
आज चुदाई होने से मुझे अपनी चुत में कुछ शान्ति सी महसूस हो रही थी.
मैंने बोला कि आज ज्यादा ही मस्ती नहीं हो गई?
तो विवेक ने बोला- आज कुछ बीयर ज्यादा हो गई और ऐसे मौके भी नहीं मिल पाते … कभी जगह नहीं मिल पाती … तो कभी कुछ नहीं मिल पाता. अब आज दोनों चीजें सामने हैं … तो मस्ती तो बनती ही है.
अब मैं अल्पना के बगल में लेट गई. मैं कुछ ऐसी लेटी थी, जिसमें मैं आधी लेटी और आधी बैठी हुई थी. मैंने अपना एक हाथ अल्पना के मम्मों पर रख लिया और एक हाथ नीचे ले जाकर उसकी चूत पर लगा दिया.
उसकी चुत पर हाथ लगाते ही मेरा हाथ वीर्य से चिपचिपा हो गया. उसकी चूत पर विवेक का बहुत सारा माल लगा था, जिससे मुझे हल्का सा गुस्सा आ गया कि मेरा हाथ खराब हो गया.
मैं गुस्से में विवेक से बोली कि कम से कम साफ तो कर देते, देखो मेरा पूरा हाथ खराब हो गया.
तो उसने बोला- तुमने अपना हाथ ऐसी जगह रखा ही क्यों?
इस पर मैंने इतना ही बोला कि मुझे क्या पता था कि वहां ये सब गंदा होगा.
अल्पना अभी भी सो ही रही थी और शायद वो कुछ टाइम तक उठने वाली भी नहीं थी.
मेरी बात को बदलते हुए विवेक बोला कि उसे सोने दो … बहुत थक गई है बेचारी … अब कहीं और हाथ मत लगा देना … वरना फिर से गंदा हो जाएगा.
मैं उसका मतलब समझ गई थी कि ये अपने लंड पर हाथ लगाने के लिए मना कर रहा है.
मैं अपने हाथ पर लगे वीर्य को धोना चाहती थी … क्योंकि मुझे ये पसंद नहीं था. इसलिए मैं उठकर बाथरूम की तरफ चल दी. मैंने अन्दर जाकर डोर लॉक नहीं किया … क्योंकि मुझे हाथ तो सिर्फ धोने थे … लेकिन मुझे क्या पता था कि विवेक अन्दर आ जाएगा.
मेरे घुसने के कुछ बाद ही जैसे ही विवेक अन्दर आया … उसने गेट लगाकर लॉक कर दिया. पहले तो मैं डर गई लेकिन फिर नॉर्मल हो गई … क्योंकि मैं खुद यही चाहती थी कि कोई तो हो, जो टूर पर मुझे प्यार करे.
मैं पहले भी विवेक के साथ चुदाई कर चुकी थी. हालांकि उसके साथ सेक्स करने के लिए मेरी और उसकी यह डील रही थी कि हम इस बात को किसी भी स्थिति में ओपन नहीं होने देंगे और हमेशा दूसरों के सामने सिर्फ एक दोस्त जैसा ही रिएक्ट करेंगे.
विवेक ने मुझे पीछे से पकड़ा और मुझे गर्दन पर किस करने लगा. मैं उसे रोकने का भरसक प्रयास कर रही थी लेकिन उस पर मेरी एक ना चली. अब वो मेरे मम्मों को दबाने लगा.
फिर मैंने थोड़ी देर और प्रयास किया और उसकी पकड़ से छूट गई. चूंकि मैं वहां चिल्ला नहीं सकती थी, इसलिए मैं गेट की तरफ आई और लॉक खोल लिया.
फिर मैंने विवेक को इशारे में बोला- रूम में अल्पना है … इसलिए मैं यहां कुछ नहीं करने दूंगी.
मैं बाथरूम से बाहर निकलने को ही थी कि फिर से पकड़ ली गई. लेकिन इस बार में बाथरूम के बाहर ही थी, जिससे मैं अल्पना को देख सकती थी.
फिर मैंने धीरे से विवेक को बोला कि मान जा यार … अल्पना है, अगर वो जग गई, तो हम दोनों को प्रॉब्लम हो जाएगी.
इस पर उसने मुझसे कान में बोला- वो नहीं जागेगी … उसे बहुत थकान है. उसने मुझे दूसरी बार भी नहीं करने दिया था … प्लीज मान जाओ.
फिर मैंने भी अपने मन को काबू में नहीं रख पाई और उसे मौन स्वकृति दे दी. लेकिन मैंने बोला- वहीं पास में चलो, जिससे हम उस पर नजर रख सकें.
हम दोनों बेड के पास आ गए. मेरे बगल में अल्पना सो रही थी और उसके बिल्कुल पास में ही हम दोनों अपनी रास लीला शुरू करने वाले थे.
फिर उसने मुझे पकड़ कर किस चालू कर दिया. अब मैं उसका साथ दे रही थी, बस मुझे थोड़ा डर लग रहा था कि कहीं अल्पना न जाग जाए.
किस करते करते उसने मेरे कपड़े उतारने की कोशिश की, लेकिन मैंने उसे रोक दिया और इशारे में बोल दिया कि जो करना है, ऐसे ही कर लो.
उसने एक हाथ पेट से ऊपर ले जाकर मेरे मम्मों को पकड़ा और दबाने लगा. कुछ ही टाइम में ही उसने अपना हाथ मेरी पैंटी में डाल कर मेरी चूत पर उंगली चलाने लगा. चूंकि मुझे डर लग रहा था … इसलिए मैंने जल्दी करना ही ठीक समझा और अपने पैंटी को नीचे खिसका कर सीधे उससे लंड चूत में डालने को बोल दिया.
उसने भी अपना बड़ा लंड निकाल कर मेरी चूत पर लगा दिया और एक धक्के में ही अन्दर कर दिया. मेरी चीख निकलते निकलते रह गई.
अब वह पूरा लंड पेल कर पीछे से आराम से धक्के लगा रहा था और मैं मजे ले रही थी. करीब 10-12 मिनट तक चली इस चुदाई में अजीब सा मज़ा था … और मजे के साथ डर भी लग रहा था कि कहीं अल्पना जाग न जाए.
चुदाई खत्म हुई और मैंने अपने पैंटी को ऊपर कर लिया. हम दोनों बाथरूम में चले गए. वहां उसने फिर से मुझे पकड़ लिया.
मैंने उससे बोला कि अब क्यों पकड़ रहे हो?
तो उसने कुछ नहीं बोला और मेरी पैंटी उतार कर मेरी चूत पर अपना मुँह रख दिया. मैं एकदम से गनगना उठी. वो करीब 5 मिनट तक मेरी चूत चाटता रहा. मैं फिर से गरम हुई और कुछ ही समय में मेरा फिर से पानी निकल गया.
फिर हम दोनों बाथरूम से कमरे में आए. अब मैंने जाना ठीक नहीं समझा और वहीं अल्पना के पास जाकर लेट गई.
आज चुदाई होने से मुझे अपनी चुत में कुछ शान्ति सी महसूस हो रही थी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
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