02-02-2025, 03:36 PM
नवीन जी मेरी गांड में लंड डालने की बहुत कोशिश कर रहे थे, लेकिन मैं उन्हे गांड में लंड नहीं घुसाने दे रही थी। फिर नवीन जी ने कहा “यार भाभी जी गांड में नहीं तो कोई बात नहीं। लेकिन घोड़ी तो बनो।”
“हां आप घोड़ी बना कर ही बजा लो।”
तभी मैं घोड़ी बन गई। अब नवीन जी ने मेरी चूत में लंड टिकाया, और फिर मेरे बालो को चोटी बना कर मुझे पेलने लग गई।
“आहा आहा आईईईई ऊंह आहा आईईईई सिसससस आहा आहा।”
“ओह्ह्ह मेरी जान आहा बहुत मजा आ रहा है उन्ह्ह्ह।”
“ओह्ह्ह्ह आहा आहा आईईईई उन्ह्ह्ह ओह्ह्ह मेरे सैया।”
“आह आहा ओह्ह्ह्ह मेरी रानी।”
“आह आईईईई आईईईई उन्ह्ह्ह्ह।”
नवीन जी मेरी चोटी को पकड़ कर मुझे दे दना-दन चोद रहे थे। मैं ऊपर की तरफ़ मुंह करके चुद रही थी। नवीन जी के लंड को तगड़ी ठुकाई से मुझे छत का पंखा नज़र आ रहा था।
“आहा आहा आईईईई उन्ह्ह्ह्ह आहा सिस्सस्स उन्ह्ह्ह्ह।”
“ओह्ह्ह मेरी रानी। आहा आहा।”
“चोद ले मेरे सैया। आहा आहा। खूब चोद तेरी रानी को। आह आह।”
“हां मेरी रानी।”
अब नवीन जी मेरी चोटी छोड़ दी और हाथ नीचे ले जाकर मेरे बूब्स पकड़ लिए। अब नवीन जी मेरे बूब्स को दबा कर मुझे घोड़ी बना कर पेल रहे थे।
“आहा मेरी रानी। क्या माल है तू।”
“आह आहा आईईईई आईईईई उन्ह्ह्ह्ह पेले जाओ इस रानी को।”
“हां मेरी रानी। आहा ओह्ह्ह्ह।”
नवीन जी मेरी चूत को ताबड़तोड़ तरीके से चोद रहे थे। नवीन जी के धक्के मुझे बेड से चिपका चुके थे। तभी नवीन जी के लंड ने मेरा पानी निकाल दिया।
“ओह्ह्ह नवीन जी, उन्ह्ह्ह।”
फिर नवीन जी ने मुझे बजा कर बेड पर पटक दिया और मेरे बूब्स को फिर से चूसने लगे।
“ओह्ह्ह नवीन जी। उन्ह्ह्ह।”
वो जल्दी-जल्दी मेरे बूब्स को निचोड़ रहे थे। आज तो नवीन जी ने मेरे बूब्स का नजारा ही बदल दिया था। उनका तो मेरे बूब्स चूसने से मन ही नहीं भर रहा था।
“उन्ह्ह्ह सिस्सस्सस।”
फिर नवीन जी ने फटाफट से मेरे बूब्स को चूसा और झट से मेरे भोसड़े में लंड सेट कर दिया। आज पहली बार की ठुकाई में नवीन जी मेरी चूत का भोसड़ा बना चुके थे। अब वो मेरी फिर से लेने लगे।
“आहा आह सिस आहा आईईईई ऊंह उह्ह्ह्ह सिसस्सस।”
“ओह्ह्ह्ह भाभी जी। मजा आ गया आज तो, आहा।”
“हां नवीन जी। मैं तो आपके लंड की दीवानी हो गई। आह आहा आईईईई।”
“मैं भी आपके बदन का गुलाम हो गया भाभी जी।”
“अहाह आईईईई सिस्सस्स।”
तभी नवीन जी अकड़ने लगे और उनका लंड पानी-पानी हो गया। अब नवीन जी ने मेरे भोसड़े में उनके लंड का पानी भर दिया और मेरे नंगे जिस्म से लिपट गए।
“ओह्ह्ह भाभी जी।”
अब मैंने नवीन जी को मेरी बाहों में कस लिया। अब हम दोनों जिस्म मेरे बेडरूम में नंगे पड़े थे। आज मैं पहली बार किसी गैर मर्द से चुदी थी। लेकिन चुदने में मेरे जिस्म का पुर्जा-पुर्जा ढीला हो गया था। अब तो मेरे उठने की भी बस की बात नहीं थी। नवीन जी ने आज मुझे खूब बजाया था। मैं नवीन जी का लंड लेकर बहुत खुश थी। फिर बहुत देर बाद हम दोनों उठे और हमने कपड़े पहन लिए। अब नवीन जी उनके कमरे में चले गए और मैं थक हार कर मेरे बेड पर पड़ गई।
“हां आप घोड़ी बना कर ही बजा लो।”
तभी मैं घोड़ी बन गई। अब नवीन जी ने मेरी चूत में लंड टिकाया, और फिर मेरे बालो को चोटी बना कर मुझे पेलने लग गई।
“आहा आहा आईईईई ऊंह आहा आईईईई सिसससस आहा आहा।”
“ओह्ह्ह मेरी जान आहा बहुत मजा आ रहा है उन्ह्ह्ह।”
“ओह्ह्ह्ह आहा आहा आईईईई उन्ह्ह्ह ओह्ह्ह मेरे सैया।”
“आह आहा ओह्ह्ह्ह मेरी रानी।”
“आह आईईईई आईईईई उन्ह्ह्ह्ह।”
नवीन जी मेरी चोटी को पकड़ कर मुझे दे दना-दन चोद रहे थे। मैं ऊपर की तरफ़ मुंह करके चुद रही थी। नवीन जी के लंड को तगड़ी ठुकाई से मुझे छत का पंखा नज़र आ रहा था।
“आहा आहा आईईईई उन्ह्ह्ह्ह आहा सिस्सस्स उन्ह्ह्ह्ह।”
“ओह्ह्ह मेरी रानी। आहा आहा।”
“चोद ले मेरे सैया। आहा आहा। खूब चोद तेरी रानी को। आह आह।”
“हां मेरी रानी।”
अब नवीन जी मेरी चोटी छोड़ दी और हाथ नीचे ले जाकर मेरे बूब्स पकड़ लिए। अब नवीन जी मेरे बूब्स को दबा कर मुझे घोड़ी बना कर पेल रहे थे।
“आहा मेरी रानी। क्या माल है तू।”
“आह आहा आईईईई आईईईई उन्ह्ह्ह्ह पेले जाओ इस रानी को।”
“हां मेरी रानी। आहा ओह्ह्ह्ह।”
नवीन जी मेरी चूत को ताबड़तोड़ तरीके से चोद रहे थे। नवीन जी के धक्के मुझे बेड से चिपका चुके थे। तभी नवीन जी के लंड ने मेरा पानी निकाल दिया।
“ओह्ह्ह नवीन जी, उन्ह्ह्ह।”
फिर नवीन जी ने मुझे बजा कर बेड पर पटक दिया और मेरे बूब्स को फिर से चूसने लगे।
“ओह्ह्ह नवीन जी। उन्ह्ह्ह।”
वो जल्दी-जल्दी मेरे बूब्स को निचोड़ रहे थे। आज तो नवीन जी ने मेरे बूब्स का नजारा ही बदल दिया था। उनका तो मेरे बूब्स चूसने से मन ही नहीं भर रहा था।
“उन्ह्ह्ह सिस्सस्सस।”
फिर नवीन जी ने फटाफट से मेरे बूब्स को चूसा और झट से मेरे भोसड़े में लंड सेट कर दिया। आज पहली बार की ठुकाई में नवीन जी मेरी चूत का भोसड़ा बना चुके थे। अब वो मेरी फिर से लेने लगे।
“आहा आह सिस आहा आईईईई ऊंह उह्ह्ह्ह सिसस्सस।”
“ओह्ह्ह्ह भाभी जी। मजा आ गया आज तो, आहा।”
“हां नवीन जी। मैं तो आपके लंड की दीवानी हो गई। आह आहा आईईईई।”
“मैं भी आपके बदन का गुलाम हो गया भाभी जी।”
“अहाह आईईईई सिस्सस्स।”
तभी नवीन जी अकड़ने लगे और उनका लंड पानी-पानी हो गया। अब नवीन जी ने मेरे भोसड़े में उनके लंड का पानी भर दिया और मेरे नंगे जिस्म से लिपट गए।
“ओह्ह्ह भाभी जी।”
अब मैंने नवीन जी को मेरी बाहों में कस लिया। अब हम दोनों जिस्म मेरे बेडरूम में नंगे पड़े थे। आज मैं पहली बार किसी गैर मर्द से चुदी थी। लेकिन चुदने में मेरे जिस्म का पुर्जा-पुर्जा ढीला हो गया था। अब तो मेरे उठने की भी बस की बात नहीं थी। नवीन जी ने आज मुझे खूब बजाया था। मैं नवीन जी का लंड लेकर बहुत खुश थी। फिर बहुत देर बाद हम दोनों उठे और हमने कपड़े पहन लिए। अब नवीन जी उनके कमरे में चले गए और मैं थक हार कर मेरे बेड पर पड़ गई।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
