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मुंबई से गोवा तक मेरी चुदाई होती रही
#2
[Image: 9k6wux.gif]banghead:
मैं बोली- काश मैं भी टेक्सी से जा पाती! लेकिन इतना लम्बा सफर अकेले तय करना मेरे बस में नहीं है.
वह लड़का बोला- अरे आप मेरे साथ चलो, कोई परेशानी नहीं होगी. आपको किराया भी नहीं देना पड़ेगा.

मुफ्त में गोवा जाने की बात पर मेरे मन में लालच आ गया और मैं राजी हो गई.
उस लड़के ने टैक्सी बुक की और जब हम लोग टैक्सी तक पहुंचे तो उसने मुस्कुराते हुए कहा- हेलो, मेरा नाम शेखर है.
मैंने भी मुस्कुराते हुए कहा- लो, मैंने तो आपका नाम भी नहीं पूछा था. मेरा नाम शबनम है.

अब हम दोनों अपना सामान चढ़ा कर टैक्सी में बैठ गए और टैक्सी गोवा की तरफ चल पड़ी.
शेखर बहुत मस्त दिखता था इसलिए मेरी नजर बार बार उसकी तरफ उठ जाती थी.
मैं बार बार सोच रही थी कि काश ये मेरा बॉयफ्रेंड होता.

तभी शेखर बोला- शबनम, तुम्हारा कोई बॉयफ्रेंड है क्या?
मैं बोली- नहीं तो.

शेखर बोला- ऐसा कैसे हो सकता है? तुम तो इतनी स्मार्ट और सुन्दर हो, फिर तुम्हारा बॉयफ्रेंड कैसे नहीं है?
मैंने कहा- मैं लड़कियों के कॉलेज में पढ़ती थी और इसी साल कॉलेज में आई हूँ इसलिए कभी लड़कों से घुलने मिलने का समय ही नहीं मिला.

फिर मैंने पूछा- क्या आपकी कोई गर्लफ्रेंड है?
शेखर बोला- आज तक तुम्हारे जैसी खूबसूरत कोई मिली नहीं, इसलिए कोई गर्लफ्रेंड बनी नहीं. 

यह सुन कर शर्म के मारे मेरे गाल लाल हो गए और मैंने अपनी नजरें झुका लीं.
कुछ देर में बात करते करते शेखर का हाथ मेरे हाथ को छूने लगा.
मुझे भी अच्छा लग रहा था तो मैंने कोई आपत्ति नहीं की.
बल्कि मैं भी अपना हाथ शेखर की तरफ बढ़ाने लगी.

कुछ देर में ही मेरा हाथ शेखर के हाथ में था.
शेखर ने पूछा- तुम मुझे बहुत पसंद हो, क्या मेरी गर्लफ्रेंड बनोगी?
मैंने कहा- हाँ शेखर, तुम भी मुझे बहुत पसंद हो.

यह सुनकर शेखर ने मेरा हाथ चूम लिया और मैं खिसक कर शेखर के करीब आ गई.
मैंने अपना सर शेखर के कंधे पर रख लिया और हसीं सपनों में खो गई.
शेखर भी बड़े प्यार से मेरे बाल सहलाता रहा.

थोड़ी देर में मुझे महसूस हुआ कि शेखर के हाथ मेरे स्तनों तक पहुँच गए हैं; शेखर बड़े ही प्यार से मेरे स्तन सहला रहा था.
यह पहली बार था जब कोई मेरे दूध दबा रहा था तो मुझे बहुत ही अजीब सा मजा आ रहा था.

मैंने भी बड़े प्यार से शेखर के सीने पर हाथ फेरना शुरू कर दिया.
अब शेखर का एक हाथ मेरी जांघ पर आ गया और शेखर मेरी जांघों पर हाथ फेरने लगा.

जांघों पर हाथ फेरते फेरते शेखर का हाथ मेरी चूत तक आ गया और वो सलवार के ऊपर से ही मेरी चूत सहलाने लगा.
शेखर ने मेरा हाथ पकड़ा और अपने लंड पर रख दिया.
मैंने शेखर का लंड उसके पेंट के ऊपर से ही सहलाना शुरू कर दिया.

तभी शेखर ने अपने पेंट की ज़िप खोल दी और उसका बड़ा सा लंड मेरी आँखों के सामने नाचने लगा.
मुझे लंड छूने का अनुभव नहीं था फिर भी ऐसे माहौल में लंड पकड़ने पर मुझे कोई परेशानी नहीं हुई. 

मेरे अंदर हवस उठने लगी तो मैंने भी अपनी सलवार खोल दी और शेखर ने अपना हाथ अंदर डाल दिया.
शेखर ने मेरी चूत में अपनी एक उंगली डाल दी और अंदर बाहर करने लगा.

मेरे अंदर आग भड़कने लगी जिसको शांत करने के लिए मेरी चूत से पानी निकलने लगा.
शेखर मेरी चूत को उंगली से चोद रहा था और मेरे अंदर ऊँची ऊँची लहरें उठ रही थीं.
अचानक मेरा शरीर अकड़ने लगा, मेरी चूत कटी मुर्गी की तरह फड़फड़ाने लगी और अचानक उसने ढेर सारा पानी छोड दिया.
इसी के साथ मैं ठंडी पड़ गई.

मैं चरम सुख का मजा ले चुकी थी किन्तु शेखर अभी भी प्यासा था तो मैं हाथ से उसका लंड हिलाने लगी.
कुछ ही देर में शेखर का शरीर अकड़ने लगा और तभी उसके लंड ने पिचकारियां छोड दी.
सामने वाली सीट पर उसका वीर्य उछल कर फ़ैल गया और शेखर भी ठंडा पड़ गया.

हम लोगों ने खिड़की के बाहर देखा तो अँधेरा हो चुका था और हमारी टेक्सी जंगल के बीच से गुजर रही थी.
अभी हमारी आँख लगी ही थी कि एक झटके से हमारी नींद खुल गई.
हमने देखा कि टेक्सी एक पत्थर से टकरा गई थी और बंद पड़ गई थी.

ड्राइवर ने टेक्सी से उतर कर देखा तो परेशान होकर बोला- लगता है पाइप फट गया है, मैकेनिक को बुलाना पड़ेगा.
हम लोग भी परेशान हो गए तो ड्राइवर बोला- घबराइए नहीं, पीछे एक किलोमीटर पर गाँव में एक मैकेनिक की दूकान थी. मैं आधे घंटे में उसको लेकर आता हूँ तब तक आप लोग टेक्सी के अंदर आराम करिये.
ड्राइवर पैदल चला गया तो मैं और शेखर जंगल में घूमने लगे.
चांदनी रात थी और चारों तरफ चन्द्रमा की दूधिया रोशनी फैली थी.
मैं और शेखर एक दूसरे को साफ़ साफ़ देख पा रहे थे. 

तभी शेखर ने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे अपनी तरफ खींचा और मेरे होठों पर अपने होंठ रख दिए.
मैं भी शेखर के चौड़े सीने से लिपट गई और उसके होंठ चूसने लगी.

अब मैं कुछ ज्यादा ही गरम होने लगी थी तो मैंने शेखर की शर्ट उतार दी और उसके बदन को चूमने लगी.
शेखर ने भी मेरी कुर्ती उतार दी और मेरे बदन से खेलने लगा.

अब शेखर ने अपनी पैन्ट उतार दी और मेरी सलवार का नाड़ा भी खोल दिया.
अपने हाथ मेरी पीठ पर ले जाकर शेखर ने मेरी ब्रा का हुक खोल दिया और मेरे स्तनों को कैद से आजाद कर दिया.

मेरी महकती जवानी देखकर शेखर पागल हो उठा और मेरे दूध पीने लगा.
मैं भी साथ देते हुए उसके बदन से खेलती रही.

अब शेखर घुटनों पर आया और उसने मेरी चड्डी उतार दी.
मेरी चड्डी उतार कर वो मेरी पनियाई हुई चूत को चाटने लगा.

मुझे बहुत मजा आ रहा था और मैं जोर जोर से सिसकारियां ले रही थी.
इस घने जंगल में हमारी आवाज सुनने वाला कोई नहीं था तो मुझे आवाजें निकालने में कोई डर भी नहीं था.
मेरी चूत की जीभ से सफाई कर के शेखर उठा तो मैं घुटने पर आ गई और शेखर की चड्डी उतारने लगी.
जैसे ही मैंने चड्डी उतारी तो शेखर का बड़ा सा लंड मेरे मुंह से टकरा गया.
शेखर ने मेरा सर पकड़ा और अपना लंड मेरे मुंह में घुसाने लगा.

मैं रोकने का प्रयास कर रही थी फिर भी जैसे तैसे शेखर ने अपना सुपारा मेरे मुंह में पेल दिया.
मुझे कुछ गन्दा सा लग रहा था फिर भी वासना में मैं शेखर के लंड को चूसने लगी.
कुछ देर चूसने पर मुझे मजा आने लगा और मैं जोर जोर से लंड अपने मुंह में अंदर बाहर करने लगी.
लंड चूसते समय मेरी चूत में अजीब सी सिहरन हो रही थी तो मैं शेखर से बोली- मेरी चूत में अजीब सी चूल उठ रही है, प्लीज इसको शांत करो.
यह सुनकर शेखर ने टेक्सी में से एक मोटा कम्बल निकाल कर घास पर बिछाया और मुझे लेटा दिया.
अब शेखर मेरे ऊपर आ गया और उसने अपना लंड मेरी चूत की दरार पर रख दिया.
शेखर ने हौले से धक्का लगाया तो उसका लंड थोड़ा सा मेरे अंदर घुस गया. 

मेरी चीख निकल गई- हाय अम्मी, बाहर निकालो, दुःख रहा है.
लेकिन शेखर ने मेरी बात नहीं सुनी और एक जोर का झटका देकर अपना सारा लंड मेरी चूत में पेल दिया.
दर्द के मारे मेरा बुरा हाल हो गया था और मेरे आंसू निकल आये थे.
शेखर ने अपना लंड आगे पीछे करना शुरू किया और मेरी चीखें निकाल डालीं.
वो धक्के मार रहा था और मैं चिल्ला रही थी- रुक जाओ प्लीज, मेरी बुर फट रही है. प्लीज थोड़ा धीरे चोद लो.

लेकिन इस हवस के मारे आदमी पर कोई असर नहीं हो रहा था; वो बिना रुके मुझे पेले जा रहा था.
कुछ देर में मेरी चूत की नसें ढीली हुईं तो मेरा दर्द कुछ कम हुआ.
अब मैं भी मजे लेने लगी और अपनी गांड उछालने लगी.

शेखर के होंठ मेरे होंठों पर थे, जीभ मेरे मुंह के अंदर थी और हाथ मेरे दोनों स्तनों पर थे.
मेरे हाथ शेखर की पीठ पर थे.

अब शेखर की स्पीड तेज होने लगी और उत्तेजना के मारे मेरे हाथ भी शेखर के चारों तरफ कसने लगे.
जंगल की इस शांति में बस मेरी आहें गूँज रही थी और साथ में शेखर के धक्कों के साथ साथ फट्ट फट्ट की आवाजें गूँज रही थीं.
शेखर गुर्राते हुए पूरी ताकत से धक्के मार रहा था मानो आज मुझे जमीन में ही धंसा देगा.
मैं भी हर तरीके से उसका साथ दे रही थी.



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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: Biwi ka gangbang kiya gundo nay mere samnay - Completed - by neerathemall - 28-01-2025, 03:43 PM



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