31-12-2018, 12:16 PM
भाग - 14
चमेली एकदम से सिसक उठी।
पेशाब तो वो कर चुकी थी, बस अपनी गाण्ड और चूत दिखा कर राजू को तड़फा रही थी.
‘उफफ्फ़ हट हरामीई ओह.. राजू बेटा.. ये जगह ठीक नहीं है ओह राजू..’
इससे पहले कि चमेली कुछ और बोल पाती, राजू ने अपनी दो उँगलियों को एक साथ चमेली की चूत में पेल दिया।
चमेली बुरी तरह छटपटाते हुए खड़ी हो गई, पर राजू अपनी उँगलियों को तेज़ी से चमेली की चूत में अन्दर-बाहर करने लगा।
राजू भी खड़ा हो गया और एक हाथ से चमेली के गदराए हुए पेट को पकड़ कर दूसरे हाथ को पीछे से उसकी चूत में डाल कर उँगलियों को अन्दर-बाहर कर रहा था।
चमेली राजू छूटने की कोशिश कर रही थी, जिससे वो आगे की ओर झुकने लगी और उसकी गाण्ड पीछे से और बाहर को आ गई।
चमेली- ओह्ह.. रुक जा रे छोरे.. क्या कर रहा हाईईईई ओह माआआ रुक आह्ह.. आह्ह… सुन नाअ.. चल घर चलते हैं.. यहाँ कोई देख लेगा बेटा।
राजू चमेली की बात सुन कर खुश हो गया और उसने चमेली की चूत में से अपनी ऊँगलियाँ निकाल लीं।
जैसे ही चमेली राजू के गिरफ़्त से बाहर हुई, वो हँसती हुई आगे भाग गई।
‘तू अब जा अपनी मालकिन के पैर दबा..’ चमेली ने हँसते हुए कहा और आगे बढ़ने लगी।
राजू का पारा सातवें आसमान पर जा पहुँचा.. और तेज़ी से भाग कर चमेली को पीछे से पकड़ लिया।
राजू- ओह्ह.. तो अच्छा ये बात है, तुम्हें मालकिन से जलन हो रही है ना।
चमेली- जले मेरे जूती.. तू जा यहाँ से..
राजू ने चमेली को पीछे से बाँहों में भर लिया और उसके पेट को सहलाते हुए उसके पीठ पर अपने होंठों को रगड़ने लगा, चमेली के बदन में मस्ती की लहर दौड़ गई, पर फिर भी अपने पर काबू करते हुए बोली- नहीं.. यहाँ नहीं.. तू जा अभी.. मुझे घर जाने दे, मुझे अभी बहुत काम हैं..
राजू- अब गुस्सा छोड़ो भी काकी.. मैं भी तो तुम्हारी तरह नौकर हूँ और उनकी बात ना आप टाल सकती हैं और ना ही मैं… इसमें मेरी क्या ग़लती है?
यह कहते हुए राजू के हाथ चमेली की चूचियों पर पहुँच चुके थे और उसने धीरे-धीरे चमेली की चूचियों को दबाना चालू कर दिया।
चमेली की आँखें मस्ती में धीरे-धीरे बंद होने लगीं।
राजू ने चमेली को अपनी तरफ घुमाया और उसकी आँखों में देखते हुए बोला- अब और मत तड़पाओ काकी.. यह देखो मेरे लण्ड कैसे तेरी फुद्दी में जाने के लिए तरस रहा है..
यह कह कर राजू ने चमेली का हाथ पकड़ कर अपने लण्ड पर रख दिया और फिर राजू ने अपना हाथ चमेली के जाँघों के बीच घुसा दिया।
चमेली अपनी अधखुली मस्ती से भरी आँखों से राजू की तरफ देखते हुए बोली- अगर कोई आ गया तो?
राजू ने चमेली की चूत की फांकों में अपनी उँगलियों को फिराया और फिर चमेली की चूत के दाने को अपनी उँगलियों के नीचे दबा कर मसलना चालू कर दिया।
‘कोई नहीं आएगा काकी..’
चमेली छटपटाते हुए राजू से लिपट गई और राजू के लण्ड को पजामे के ऊपर से तेज़ी से हिलाने लगी।
राजू ने चमेली के होंठों को अपने होंठों में भर कर चूसना चालू कर दिया और चमेली ने राजू के पजामे का नाड़ा खोल दिया।
राजू का पजामा उसकी जाँघों में आकर अटक गया।
चमेली ने अपनी कामुक नज़रों से एक बार राजू के तने हुए 8 इंच लंबे लण्ड की ओर देखा और बोली- तेरा ये मूसल सा लौड़ा मेरे दिमाग़ पर ऐसा छाया हुआ है कि मैं तो इससे चाह कर भी भूल नहीं सकती।
राजू ने चमेली के आँखों में देखा और फिर से उसके होंठों पर होंठों को रख दिया।
चमेली ने अपनी आँखें बंद कर लीं..दोनों एक-दूसरे को पागलों की तरह चूम रहे थे।
राजू ने अपनी जीभ चमेली के होंठों में पेल दी और चमेली उसकी जीभ ऐसे चाटने लगी, जैसे कोई कुल्फी हो।
फिर अचानक चमेली ने अपने होंठों को राजू के होंठों से अलग किया और अपने लहँगे का नाड़ा खोल दिया, जो कि उसकी चूचियों पर बँधा हुआ था।
नाड़ा खुलते ही चमेली के पैरों मैं आ गिरा, चमेली ने उस लहँगे को उठाया और एक बड़े से पेड़ की तरफ बढ़ी और फिर उसने लहँगे को पेड़ के नीचे रख दिया और राजू को उसके ऊपर बैठने को कहा।
राजू भी अपना पज़ामा संभालते हुए उस पेड़ के नीचे आकर लहँगे के ऊपर बैठ गया।
उसने अपनी पीठ को पेड़ के तने से टिका लिया, उसने अपने पैरों को लंबा करके पहला रखा था।
चमेली उसके पैरों के दोनों तरफ टाँगें करके खड़ी हो गई और फिर नीचे बैठते हुए राजू के लण्ड को पकड़ कर अपनी चूत के छेद पर लगा कर धीरे-धीरे अपनी चूत को राजू के लण्ड के सुपारे के ऊपर दबाने लगी।
राजू के लण्ड का मोटा सुपारा चमेली की चूत के छेद को फ़ैलाता हुआ अन्दर जाने लगा।
चमेली अपनी चूत के छेद पर राजू के लण्ड के गरम सुपारे का अहसास पाते ही सिसयाने लगी- ओह सीईईईई.. राजू तू मुझे पागल बना कर छोड़ेगा ओह.. कितना मोटा है.. रे.. तेराअ…
जैसे ही सुपारा चमेली की चूत में घुसा.. राजू ने चमेली की कमर को दोनों तरफ से पकड़ कर नीचे की तरफ दबा दिया।
चमेली की गीली हो चुकी चूत में राजू का लण्ड फिसलता हुआ अन्दर जा घुसा।
‘ओह्ह छोरे.. क्या कर रहा है, ज़रा भी सबर नहीं है.. ओह मार दियाआ रेए… ओह रुक जा ओह आह्ह.. ओह!’
राजू नीचे से लगातार अपनी कमर को हिलाते हुए चमेली की चूत में अपना लण्ड अन्दर-बाहर करने लगा।
उसके लण्ड ने चमेली की चूत के छेद को बुरी तरह फैलाया हुआ था।
चमेली की आँखें मस्ती में बंद हो गई, राजू ने उसके ऊपर-नीचे हो रही चूचियों में से एक को मुँह में भर लिया और ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगा।
चमेली एकदम से सिसक उठी।
पेशाब तो वो कर चुकी थी, बस अपनी गाण्ड और चूत दिखा कर राजू को तड़फा रही थी.
‘उफफ्फ़ हट हरामीई ओह.. राजू बेटा.. ये जगह ठीक नहीं है ओह राजू..’
इससे पहले कि चमेली कुछ और बोल पाती, राजू ने अपनी दो उँगलियों को एक साथ चमेली की चूत में पेल दिया।
चमेली बुरी तरह छटपटाते हुए खड़ी हो गई, पर राजू अपनी उँगलियों को तेज़ी से चमेली की चूत में अन्दर-बाहर करने लगा।
राजू भी खड़ा हो गया और एक हाथ से चमेली के गदराए हुए पेट को पकड़ कर दूसरे हाथ को पीछे से उसकी चूत में डाल कर उँगलियों को अन्दर-बाहर कर रहा था।
चमेली राजू छूटने की कोशिश कर रही थी, जिससे वो आगे की ओर झुकने लगी और उसकी गाण्ड पीछे से और बाहर को आ गई।
चमेली- ओह्ह.. रुक जा रे छोरे.. क्या कर रहा हाईईईई ओह माआआ रुक आह्ह.. आह्ह… सुन नाअ.. चल घर चलते हैं.. यहाँ कोई देख लेगा बेटा।
राजू चमेली की बात सुन कर खुश हो गया और उसने चमेली की चूत में से अपनी ऊँगलियाँ निकाल लीं।
जैसे ही चमेली राजू के गिरफ़्त से बाहर हुई, वो हँसती हुई आगे भाग गई।
‘तू अब जा अपनी मालकिन के पैर दबा..’ चमेली ने हँसते हुए कहा और आगे बढ़ने लगी।
राजू का पारा सातवें आसमान पर जा पहुँचा.. और तेज़ी से भाग कर चमेली को पीछे से पकड़ लिया।
राजू- ओह्ह.. तो अच्छा ये बात है, तुम्हें मालकिन से जलन हो रही है ना।
चमेली- जले मेरे जूती.. तू जा यहाँ से..
राजू ने चमेली को पीछे से बाँहों में भर लिया और उसके पेट को सहलाते हुए उसके पीठ पर अपने होंठों को रगड़ने लगा, चमेली के बदन में मस्ती की लहर दौड़ गई, पर फिर भी अपने पर काबू करते हुए बोली- नहीं.. यहाँ नहीं.. तू जा अभी.. मुझे घर जाने दे, मुझे अभी बहुत काम हैं..
राजू- अब गुस्सा छोड़ो भी काकी.. मैं भी तो तुम्हारी तरह नौकर हूँ और उनकी बात ना आप टाल सकती हैं और ना ही मैं… इसमें मेरी क्या ग़लती है?
यह कहते हुए राजू के हाथ चमेली की चूचियों पर पहुँच चुके थे और उसने धीरे-धीरे चमेली की चूचियों को दबाना चालू कर दिया।
चमेली की आँखें मस्ती में धीरे-धीरे बंद होने लगीं।
राजू ने चमेली को अपनी तरफ घुमाया और उसकी आँखों में देखते हुए बोला- अब और मत तड़पाओ काकी.. यह देखो मेरे लण्ड कैसे तेरी फुद्दी में जाने के लिए तरस रहा है..
यह कह कर राजू ने चमेली का हाथ पकड़ कर अपने लण्ड पर रख दिया और फिर राजू ने अपना हाथ चमेली के जाँघों के बीच घुसा दिया।
चमेली अपनी अधखुली मस्ती से भरी आँखों से राजू की तरफ देखते हुए बोली- अगर कोई आ गया तो?
राजू ने चमेली की चूत की फांकों में अपनी उँगलियों को फिराया और फिर चमेली की चूत के दाने को अपनी उँगलियों के नीचे दबा कर मसलना चालू कर दिया।
‘कोई नहीं आएगा काकी..’
चमेली छटपटाते हुए राजू से लिपट गई और राजू के लण्ड को पजामे के ऊपर से तेज़ी से हिलाने लगी।
राजू ने चमेली के होंठों को अपने होंठों में भर कर चूसना चालू कर दिया और चमेली ने राजू के पजामे का नाड़ा खोल दिया।
राजू का पजामा उसकी जाँघों में आकर अटक गया।
चमेली ने अपनी कामुक नज़रों से एक बार राजू के तने हुए 8 इंच लंबे लण्ड की ओर देखा और बोली- तेरा ये मूसल सा लौड़ा मेरे दिमाग़ पर ऐसा छाया हुआ है कि मैं तो इससे चाह कर भी भूल नहीं सकती।
राजू ने चमेली के आँखों में देखा और फिर से उसके होंठों पर होंठों को रख दिया।
चमेली ने अपनी आँखें बंद कर लीं..दोनों एक-दूसरे को पागलों की तरह चूम रहे थे।
राजू ने अपनी जीभ चमेली के होंठों में पेल दी और चमेली उसकी जीभ ऐसे चाटने लगी, जैसे कोई कुल्फी हो।
फिर अचानक चमेली ने अपने होंठों को राजू के होंठों से अलग किया और अपने लहँगे का नाड़ा खोल दिया, जो कि उसकी चूचियों पर बँधा हुआ था।
नाड़ा खुलते ही चमेली के पैरों मैं आ गिरा, चमेली ने उस लहँगे को उठाया और एक बड़े से पेड़ की तरफ बढ़ी और फिर उसने लहँगे को पेड़ के नीचे रख दिया और राजू को उसके ऊपर बैठने को कहा।
राजू भी अपना पज़ामा संभालते हुए उस पेड़ के नीचे आकर लहँगे के ऊपर बैठ गया।
उसने अपनी पीठ को पेड़ के तने से टिका लिया, उसने अपने पैरों को लंबा करके पहला रखा था।
चमेली उसके पैरों के दोनों तरफ टाँगें करके खड़ी हो गई और फिर नीचे बैठते हुए राजू के लण्ड को पकड़ कर अपनी चूत के छेद पर लगा कर धीरे-धीरे अपनी चूत को राजू के लण्ड के सुपारे के ऊपर दबाने लगी।
राजू के लण्ड का मोटा सुपारा चमेली की चूत के छेद को फ़ैलाता हुआ अन्दर जाने लगा।
चमेली अपनी चूत के छेद पर राजू के लण्ड के गरम सुपारे का अहसास पाते ही सिसयाने लगी- ओह सीईईईई.. राजू तू मुझे पागल बना कर छोड़ेगा ओह.. कितना मोटा है.. रे.. तेराअ…
जैसे ही सुपारा चमेली की चूत में घुसा.. राजू ने चमेली की कमर को दोनों तरफ से पकड़ कर नीचे की तरफ दबा दिया।
चमेली की गीली हो चुकी चूत में राजू का लण्ड फिसलता हुआ अन्दर जा घुसा।
‘ओह्ह छोरे.. क्या कर रहा है, ज़रा भी सबर नहीं है.. ओह मार दियाआ रेए… ओह रुक जा ओह आह्ह.. ओह!’
राजू नीचे से लगातार अपनी कमर को हिलाते हुए चमेली की चूत में अपना लण्ड अन्दर-बाहर करने लगा।
उसके लण्ड ने चमेली की चूत के छेद को बुरी तरह फैलाया हुआ था।
चमेली की आँखें मस्ती में बंद हो गई, राजू ने उसके ऊपर-नीचे हो रही चूचियों में से एक को मुँह में भर लिया और ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगा।