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Fantasy गेंदामल हलवाई का चुदक्कड़ परिवार
#11
भाग - 11


अब राजू को चमेली की चूत का गुलाबी छेद बिल्कुल साफ़ दिखाई दे रहा था।

राजू ने अपने लण्ड के सुपारे को चमेली की चूत के छेद पर टिका कर उसकी कमर को दोनों तरफ से पकड़ कर धीरे-धीरे अपने लण्ड के सुपारे को अन्दर पेलना शुरू किया।

चमेली की आंखें फिर से मस्ती में बंद हो गईं।

राजू के लण्ड के गरम सुपारे ने एक बार फिर चमेली की चूत की दीवारों को रगड़ कर उसे गरम कर दिया।

‘ऊंह हाआअँ.. बेटा बहुत अच्छे बेटा हाआआं और घुसाओ… उफ़फ्फ़ ऊंह..’

ये कहते हुए चमेली ने अपनी चूतड़ों को पीछे की तरफ धकेला।

राजू का लण्ड चमेली की चूत की दीवारों से रगड़ ख़ाता हुआ आधे से ज्यादा अन्दर घुस गया।

‘सुन बेटा तेरा लण्ड बहुत मोटा है.. पर तुझे अपनी काकी पर तरस खाने के कोई ज़रूरत नहीं है… चोद मुझे कुतिया की तरह.. रगड़ कर चोद.. ज़ोर-ज़ोर से पेल अपना लण्ड.. मेरी फुद्दी में.. तेरे मोटे लण्ड को चूत में लेने के लिए मैं कुछ भी सह लूँगी..’

राजू ने चमेली के दोनों चूतड़ों को फैला कर अपनी कमर को थोड़ा सा पीछे किया और फिर साँस रोक कर जोरदार धक्का मारा।

राजू का लण्ड चमेली की चूत की दीवारों को बुरी तरह फ़ैलाता हुआ एक ही बार में पूरा अन्दर घुस गया।

चमेली- ओह.. राजू मार दिया रे हरामी.. सालेए.. उफफफ्फ़ फाड़ दी मेरी चूत… ओह्ह..

राजू- तूने ही तो बोला था काकी.. कि कस-कस के चोदूँ।

चमेली- हाँ बोला था.. हरामी साले.. पर तेरा ये मोटा लण्ड उफफफ्फ़.. अब रुक क्यों गया है?

राजू ने मुस्कुराते हुए चमेली के चूतड़ों को दबोच कर एक के बाद एक जोरदार धक्के लगाने चालू कर दिए, राजू की जाँघें बार-बार चमेली के चूतड़ों से टकरा कर आवाज़ कर रही थीं।

चमेली इस कदर मस्त हो गई कि उससे ये भी ध्यान नहीं रहा कि उसकी उँची हो रही कामुक सिसकारियों को कोई भी सुन सकता है।

चमेली- हाँ चोद बेटा.. ओह… चोद अपनी काकीईईईईई की फुद्दी फाड़ दे.. ओह्ह आह्ह.. ह आह ओह धीरे.. ज़ोर से.. ओह..

राजू अपना लण्ड चमेली की चूत में जड़ तक पेलते हुए- क्या काकी कभी कहती हो धीरे. और कभी कहती हो ज़ोर से फुद्दी मारूं.. एक बात बोलो..

चमेली- आह्ह.. ह.. बेटा तुम मेरी बात मत सुनो.. ओह बस अपने इस मूसल छाप लण्ड से मेरीईई चूततत फाड़ देए ओह्ह..

राजू की मस्ती का कोई ठिकाना नहीं था।

उसने आगे झुक कर चमेली की चूचियों को अपने हाथों में दबोच लिया और उनको अपनी तरफ खींचते हुए ताबड़तोड़ धक्के लगाने लगा।
चमेली की चूत एक बार फिर झड़ने के कगार पर थी।

उसने भी अपनी गाण्ड को पीछे की तरफ उछालना शुरू कर दिया।

‘ओह बेटा बस थोड़ी देर और ओह… मेरा होने वाला है।’

राजू अब होश खो बैठा था और अपने आँखें बंद किए हुए, तेज़ी से धक्के लगा रहा था।

‘काकी ओह.. मेरा भी होने वाला है…ओह्ह काकी।’

और फिर जैसे राजू के लण्ड से वीर्य का सैलाब निकल कर चमेली की चूत की दीवारों को भिगोने लगा।

राजू के वीर्य को अपनी चूत की दीवारों पर महसूस करते ही चमेली ने भी अपनी गाण्ड को तेज़ी से राजू के लण्ड पर पटकना चालू कर दिया।

चमेली- रुक जाआअ बेटा.. बस तेरी ये काकी की फुद्दी भी रसधार बहाने वाली है… ओह आह आह आह्ह..

फिर चमेली भी शांत पड़ गई और आगे के तरफ लुढ़क गई।

राजू का लण्ड जो की बिल्कुल सना हुआ था.. चमेली की चूत से बाहर आ गया।

चमेली की चूत से कुछ वीर्य निकल कर बाहर बिस्तर पर गिर गया।

चमेली पेट के बल लेट गई, उसकी आँखें मस्ती में बन्द थीं और होंठों पर मुस्कान फैली हुई थी।

चमेली आँखें बंद किए हुए- तूने तो कमाल कर दिया छोरे… एक ही बार में दो बार मेरी चूत का पानी निकाल दिया.. तेरे इस लण्ड ने मेरी चूत को खोद-खोद कर झाड़ दिया।

राजू- काकी आप कहो, तो एक बार और निकाल देता हूँ।

चमेली- नहीं आज इतना बहुत है..बहुत देर रही है। अब सेठ के घर भी जाना है, चल जल्दी कर कपड़े पहन ले, कहीं रज्जो ना आ जाए।

चमेली की बात सुन कर राजू अपना पज़ामा पहनने लगा, चमेली ने भी अपने कपड़े पहने और बिस्तर को ठीक करके रख दिया।

उसके बाद दोनों सेठ के घर आ गए।

अभी दोपहर के 12 बज रहे थे.. जब दोनों सेठ के घर पहुँचे तो पता चला कि सेठ गेंदामल घर पर था।

वो उसकी नई पत्नी सीमा और दीपा तीनों कहीं जाने के लिए तैयार थे।

कुसुम ने चमेली को बताया कि गेंदामल सीमा को लेकर एक-दो दिन के लिए उसके मायके जा रहा था और साथ में दीपा भी जा रही है।

कुसुम इस बात से बहुत खुश थी।

अब घर पर सिर्फ़ चमेली और राजू ही उसके साथ थे।

बाहर तांगे वाला खड़ा था, तीनों उस पर सवार होकर शहर स्टेशन की ओर निकल लिए।

चमेली को अब सिर्फ़ अपने राजू और कुसुम के लिए ही खाना बनाना था।

आज चमेली के चेहरा खिला हुआ था।

जो बयान कर रहा था कि कुछ समय पहले उसकी ज़बरदस्त चुदाई हुई है, इस बात का अंदाज़ा कुसुम मन ही मन लगा रही थी, क्योंकि दोनों काफ़ी देर से गायब थे।

खाना खाने के बाद राजू अपने कमरे में चला गया।

अब उसे भी कोई काम नहीं था।

रज्जो भी खाना खा कर घर जा चुकी थी।

चमेली ने बर्तन साफ़ किए और घर जाने के निकली, उसे आज बहुत मीठी-मीठी नींद आ रही थी, पर उसे कुसुम ने आवाज़ लगा कर रोक लिया।

‘अए सुन तो चमेली.. कहाँ थी इतनी देर.. उस छोरे के साथ?’

कुसुम ने ज़रा कड़क आवाज़ में पूछा।

चमेली ने हड़बड़ाते हुए कहा- वो मालिकन.. नहाने नदी पर गई थी।

कुसुम- अच्छा.. आज-कल नदी पर बहुत जा रही हो तुम.. वैसे मुझे लगता है कि आज तुम कुछ और नहाई हो, देख कैसे बाल बिखरे हुए हैं तेरे…

चमेली कुसुम की बात सुन कर एकदम से सकपका गई- वो क्या था ना दीदी.. आज बहुत सर्दी थी, जिसकी वजह से नहीं नहाया।

कुसुम- तो फिर तेरे को इतने देर कैसे लगी?

चमेली- वो दीदी वो वहाँ कपड़े धोने के कारण देर हो गई।

कुसुम को चमेली की बातों से शक तो हो रहा था पर उससे पूरा यकीन नहीं था।

‘अच्छा चल ठीक है.. चल मेरे कमरे में आज बहुत खुजली हो रही है.. ज़रा मालिश तो कर दे।’

चमेली- दीदी आज… पर दीदी मुझे घर पर बहुत काम है।

चमेली का मन अब कुछ भी करने को नहीं था।

कुसुम- चलती है कि नहीं.. कि दूँ.. दो कान के नीचे..!

चमेली फिर चुपचाप कुसुम के कमरे में आ गई।

कुसुम ने अपने कमरे को अन्दर से बंद किया और अपने कपड़े निकालने लगी।

‘दीदी शाम को अच्छे से कर दूँगी.. अभी मेरे तबियत ठीक नहीं है।’

चमेली ने मुँह बनाते हुए कहा।

‘क्यों क्या हुआ तेरे को? चल इधर आ तेरी तबियत आज मैं हरी कर देती हूँ।’

यह कह कर कुसुम ने चमेली को धक्का देकर बिस्तर पर गिरा दिया और उसके लहँगे को एक झटके में उसकी कमर तक चढ़ा दिया।

‘हाय दीदी.. क्या कर रही हैं आप?’ चमेली ने खीजते हुए कुसुम से पूछा, पर कुसुम ने बिना कुछ बोले.. अपनी ऊँगली को चमेली की चूत में पेल दिया।

कुसुम की ऊँगली चमेली की गीली चूत में फिसलती हुई अन्दर चली गई।

‘आह दीदी ये ईए.. ओह…’

कुसुम ने दो-चार बार अपनी ऊँगली चमेली की चूत के अन्दर-बाहर की और फिर अपनी ऊँगली निकाल कर देखने लगी।

उसकी ऊँगली चमेली की चूत और राजू के कामरस से भीगी हुई थी, कुसुम का शक और बढ़ गया।

कुसुम- ये क्या है.. रांड.. बोल क्या किया तूने उस छोरे के साथ? उसका लण्ड अपनी चूत में लेकर अब तेरा भोसड़ा ठंड हो गया हो गया ना?

चमेली- ये.. ये.. क्या कह रही हैं दीदी आप.. वो तो मेरे बेटे की उम्र का है।
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RE: गेंदामल हलवाई का चुदक्कड़ परिवार - by Starocks - 31-12-2018, 12:12 PM



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