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इसे ईंगलिश में वैजायना, पूसी या कंट कहते हैं और हिंदी में चूत कहते हैं।“
#16
एक दिन अच्छी खासी बारिश हो रही थी। एस-के भी नहीं आ सका था और अशफाक हमेशा की तरह कहीं बाहर टूर पे गये हुए थे। सलमा आँटी भी कहीं मसरूफ थीं। दो दिन से चुदाई नहीं हुई थी तो मैं थोड़ा सा उदास थी और मौसम भी ऐसा ही था कि

मेक-अप किया और हाई-हील सैंडल पहने और एस-के को याद करते हुए नशे में अपनी चूत को एक केले से खूब चोदा। थोड़ी देर बाद, शाम के वक़्त जब डॉली ने बेल बजायी तो मैंने फटाफट एक नाईटी और उसके ऊपर गाऊन पहन लिया और डोर खोला। वो अच्छी खासी भीग चुकी थी। मैंने कहा कि “अरे डॉली.... तुम तो भीग चुकी हो.... चलो अंदर, मैं तुम्हें टॉवल देती हूँ... अपने जिस्म ड्राई कर लो और तुमको इतनी बारिश में आने की क्या ज़रूरत थी.... कल आ जाती ना!” उसने कहा, “नहीं आँटी मुझे कुछ आप से समझना था.... कल हमारी क्लास में सायंस का टेस्ट है.... इसी लिये आना ज़रूरी था”, तो मैंने कहा, “ठीक है पहले तुम चलो और अपना जिस्म पौंछ लो.... फिर पढ़ लेना।“ मैं डॉली को लेकर अपने रूम में आ गयी और उसको बड़ा सा टॉवल दिया और कहा कि “तुम अपने कपड़े उतार दो और ये टॉवल लपेट लो.... कपड़े जब सूख जायें तो पहन लेना।“ तो उसने कहा, “ठीक है आँटी!” डॉली कुछ हिचकिचा कर रही थी कपड़े चेंज करने के लिये क्योंकि मैं कमरे में ही थी लेकिन मैंने कोई खास ध्यान नहीं दिया। मैं समझ रही थी कि वो कपड़े चेंज कर लेगी पर उसने नहीं किये तो मैंने पूछा “क्या हुआ? तुमने चेंज नहीं किया?” वो थोड़ा शर्मायी तो मैं समझ गयी कि शायद मेरे सामने चेंज नहीं करना चाह रही है तो मैंने हँस कर कहा, “अरे डॉली हम दोनों ही फीमेल हैं और पता है लड़कियाँ हमेशा एक दूसरे के सामने कपड़े चेंज करने में शर्माती नहीं.... चलो बदल लो।“ फिर मैंने कहा कि “अच्छा चलो.... मैं भी तुम्हारे सामने ही अपने कपड़े चेंज कर लेती हूँ ताकि तुमको अगली बार शरम नहीं आये” और मैंने अपनी नाइटी और गाऊन उतार दिये। मैं अब उसके सामने बिल्कुल नंगी थी। सिर्फ हाई-हील सैंडल पहने हुए थे। एक-दो मिनट मैं ऐसे नंगी हालत में ही अलमारी में कपड़े टटोलती रही और फिर बिना पैंटी और ब्रेज़ियर के एक पतली सी झीनी नाइटी पहन ली। इतनी देर तक डॉली मेरे जिस्म को गौर से देखती रही। फिर डॉली ने भी अपने कपड़े उतारने शुरू कर दिये और शर्मा कर मेरी तरफ़ देखने लगी। मैंने देखा कि उसकी चूचियाँ तो अच्छी खासी हैं। बड़ी मस्त लग रही थी डॉली.... नंगी खड़ी हुई। उसने भी सैंडल पहने हुए थे पर उसकी हील मेरे सैंडल जैसी ऊँची नहीं थी, ढाई-तीन इंच ऊँची ही रही होगी। उसकी चूचियों भी अच्छी खासी थीं, ऐसा लगाता था के जब चूचियाँ कुछ और बड़ी हो जायेंगी तो इस शेप में आ जायेंगी। मैंने देखा कि डॉली ने स्कर्ट के अंदर पैंटी पहनी हुई थी और पैंटी भी भीग चुकी थी और उसकी गोरी-गोरी बगैर बालों की चूत साफ़ नज़र आ रही थी। वो पैंटी नहीं उतार रही थी। मैंने कहा कि “डॉली, पैंटी भी उतार दो.... ये गीली रहेगी तो तुम्हें सर्दी लगेगी!” तो उसने शर्माते हुए पैंटी भी उतार दी और पूरी नंगी हो गयी। मैंने गौर से देखा तो वो आसमान से उतरी हुई कोई हूर लग रही थी और इतना पर्फ़ेक्ट जिस्म किसी तराशी हुई मूर्ती में ही दिख सकता था।

मैंने डॉली की स्कर्ट, ब्लाऊज़, ब्रा और पैंटी लेकर बालकोनी में सूखने के लिये फैला दिये। मैंने कहा कि “तुम मेरे बाथरूम में जा के गरम पानी से शॉवर लेकर आ जाओ और टॉवल लपेट लो और हाँ अंदर से लॉक नहीं करना क्योंकि शायद अंदर से तुमसे ना खुले.... उसका बोल्ट कुछ टाइट है।“ मैं उसके साथ बाथरूम में आ गयी। मेरे बाथरूम में बड़े साईज़ का बाथ टब है जिसमें कभी मैं ड्रेन होल को बंद करके गरम पानी भर करके उसमें कोई पर्फयूम डाल कर बैठ जाती हूँ और बाथ टब में जकूज़ी भी लगा हुआ है जिसके बुलबुलों से मेरा जिस्म रिलैक्स हो जाता है और जिस्म में पर्फयूम की महक भी आ जाती है। मैंने ऐसा ही उसके लिये भी किया और बाथ टब में गरम और ठंडा पानी मिक्स करके डाल दिया और थोड़ा सा पर्फयूम भी डाल दिया और उसमें पानी उतना ही डाला जितना डॉली के जिस्म को बर्दाश्त हो सके और डॉली से कहा कि थोड़ी देर वो इसमें ऐसे ही बैठ जाये... उसके बाद ड्रेन होल खोल दे तो सारा पानी निकल जायेगा और फिर बाहर आ जाये। उसने ऐसा ही किया। वो सैंडल उतार कर बाथ टब में बैठ गयी। बाथरूम का डोर खुला हुआ था। मैं अपने रूम में आकर बिस्तर पर बैठ गयी। मेरा सिर नशे में हल्का महसूस हो रहा था और मेरा सारा ध्यान एस-के की तरफ़ था। वो दो दिनों से नहीं आ सका था। कुछ तो बारिश का असर था कुछ उसको काम भी ज़्यादा था। मैं यही सोच रही थी और फिर एक और पैग बना कर पीते हुए एस-के के साथ अपने न्यू-यॉर्क के ट्रिप के बारे में सोचने लगी और यही सोच-सोच कर मेरे होंठों पे मुस्कुरहाट भी आ रही थी।

बाथरूम से डॉली के चींखने की आवाज़ से मैं अपने न्यू-यॉर्क के ख्वाब से बाहर आ गयी और बाथरूम कि तरफ़ दौड़ के गयी तो देखा कि डॉली टब के बाहर के हिस्से में नीचे गिरी हुई है। उसने शायद टब से बाहर निकल कर सैंडल पहने होंगे और फर्श थोड़ा गीला होने से उसका पैर फिसल गया था। मैं उसको नंगी ही उठा कर सहारा देकर अपने बेडरूम में लेकर आ गयी और बेड पे बड़ा सा टॉवल बिछा कर वैसे ही उसको टॉवल पे लिटा दिया और उसके जिस्म को उसी टॉवल से सुखाते वक्त देखा कि उसकी चूत तो मक्खन जैसी चिकनी और मलाई जैसी गोरी है। उसकी बिना बालों वाली और मोटे लिप्स की चूत, जिसके दोनों लिप्स एक दूसरे से थोड़े से अलग हुए थे और अंदर से पिंक कलर, बहुत सैक्सी लग रही थी। मेरा दिल कर रहा था कि बस मैं इसकी चूत को चूम लूँ और अपनी ज़ुबान उसकी चूत के अंदर डाल के चाट डालूँ। मैंने उसके जिस्म को सुखा कर के ऐसे ही टॉवल से लपेट दिया और पूछा कि क्या हुआ तो वो बोली कि “आँटी, मैंने बाहर निकल कर सैंडल पहने ही थे कि मेरा पैर फिसल गया और मैं गिर गयी!” मैंने कहा कि “तुम फिक्र न करो मैं तुम्हारे जाँघों पे ऑलिव ऑयल कि मालिश कर दूँगी तो थोड़ी ही देर में तुम ठीक हो जाओगी!” तो उसने कहा “ठीक है आँटी” और बोली कि “यू आर सो स्वीट आँटी.... आप बहुत अच्छी हो.... कितना खयाल रखती हो मेरा.... मेरी मम्मी के पास तो मेरे लिये टाईम ही नहीं है।“ मैं अपनी तारीफ सुन कर थोड़ा सा शरमा गयी और कहा “नहीं डॉली, ऐसी बात नहीं.... तुम देखो कि तुम्हारे मम्मी और डैडी दोनों काम करते हैं, ताकि तुम को अच्छी तालीम दे सकें और तुम्हारी हर ख्वाहिश पूरी कर सकें।“ उसने कुछ कहा नहीं, बस अपना सिर हिला दिया।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: इसे ईंगलिश में वैजायना, पूसी या कंट कहते हैं और हिंदी में चूत कहते हैं।“ - by neerathemall - 25-01-2025, 03:02 PM



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