25-01-2025, 02:58 PM
मैंने आँटी को आँख मार कर पूछा कि, “आँटी! क्या कुछ खाने को मिला या मायके से भूखी ही वापस आयी हो” तो वो हंसने लगी। कुछ बताया नहीं और इतना कहा कि “तुम्हारी बहुत याद आती थी।“ मैंने भी कहा कि “हाँ, मुझे भी आपकी बहुत याद आती थी” जबकि हक़ीकत तो ये थी कि एस-के के साथ रहते हुए मुझे आँटी की इतनी ज्यादा भी याद नहीं आयी। फिर जब थोड़ा नशा सवार हुआ तो हमने वही सिक्स्टी-नाईन वाले स्टाईल में एक दूसरे की चूतों को चूसा और अपनी चूतों की प्यास बुझायी। आँटी की चूत में से ढेर सारा जूस निकला तो मैंने हँस के कहा कि, “वॉव आँटी! इतना ढेर सारा जूस.... लगाता है कोई मिला नहीं” तो फिर वो हंसने लगी। मैं भी अकेली थी इसी लिये आँटी देर रात तक मेरे साथ ही रही और रात में जाते-जाते भी एक बार और हमने अपनी चूतें आपस में एक दूसरे से रगड़ी और फिर चूस कर एक दूसरे का जूस पिया और आँटी के चले जाने के बाद मैं अपने रूम में सोने चली गयी।
दूसरे दिन जब सलमा आँटी आयी तो उनके साथ एक लड़की भी थी। होगी कोई तकरीबन सत्रह या अठारह साल की। काफी खूबसूरत थी। मैंने दोनों को अंदर आने के लिये कहा। मैंने अपने और आँटी के लिये पैग बनाये और उस लड़की के लिये कॉफी बनाने किचन में चली गयी। आँटी तो मेरे साथ फ्री थी ही.... वो भी किचन में आ गयी तो उनके साथ ही वो लड़की भी आ गयी। हम व्हिस्की पीते हुए बातें करने लगीं। आँटी ने बताया कि “इस लड़की का नाम डॉली है... इसके पेरेंट्स भी उनके साथ वाली बिल्डिंग में ही रहते हैं। इसकी मम्मी सायरा और डैडी जॉन, दोनों रेलवे में काम करते हैं। इसके डैडी एंगलो-इंडियन क्रिसचन हैं लेकिन मम्मी ,., हैं।“ उनकी लव मैरिज थी ये मुझे बाद में पता चला। खैर, आँटी को डॉली की मम्मी ने बोला था कि मुझसे पूछें कि क्या मैं डॉली को उसके बारहवीं के इग्ज़ैम के लिये कुछ मदद कर सकती हूँ। मैंने कहा कि, “आँटी आप को पता नहीं कि अब मैं जॉब करने लगी हूँ और ऑफिस से काम घर में ला कर यहीं पे डेटा एंट्री करती हूँ जिसके लिये ऑफिस से मेरे घर में एक कंप्यूटर भी आ गया है और मैं उसको फ़ुल टाईम नहीं दे सकती.... बस इतना कर सकती हूँ कि उसको थोड़ा सा गाईड कर सकती हूँ और उसके होमवर्क में या कोई मुश्किल हो तो समझा सकती हूँ पर फ़ुल टाईम नहीं पढ़ा सकती।“
सलमा आँटी ने कहा कि “ठीक है, ये कल से तुम्हारे पास आ जायेगी इसको इसके इग्ज़ैम तक ही मदद कर दो... बारहवीं का इंपोर्टेंट साल है।“ मैंने कहा कि “कोई बात नहीं.... ये कल शाम से आ जाये....” सुबह का टाईम मैं एस-के के लिये फ्री रखना चाहती थी। डॉली बहुत ही खूबसूरत लड़की थी, एक दम से गुड़िया जैसी। शायद इसका नाम इसी लिये डॉली रखा होगा। अभी जवानी की दहलीज पर कदम रख रही थी। क्रीम जैसा गोरा रंग, लाईट ब्राऊन कलर के बालों की पोनी टेल जो उसके सर से लटकती हुई बहुत अच्छी लग रही थी। जैसे इस उम्र की लड़कियों में सजने-संवरने क नया जोश होता है वैसे ही उसने मेक-अप वगैरह किया हुआ था। नये स्टाईल का शॉर्ट स्कर्ट और ब्लाऊज़ पहना हुआ था। नाखुनों पे नेल-पॉलिश, होंठों पर लिपस्टिक और पैरों में स्ट्रैपी सैंडल। चूचियाँ थोड़ी छोटी ही थी, संतरे जितनी होंगी। उसके ब्लाऊज़ में से उसके निप्पलों का छोटा सा उभार साफ़ नज़र आ रहा था। मीडियम-बिल्ट थी उसकी लेकिन सब मिलकर वो एक बे-इंतहा खूबसूरत डॉल जैसी थी और मुझे पक्का यकीन था कि रास्ते चलते कितने लोग उसको देख के अपने पैंट मैं ही झड़ जाते होंगे। डॉली डाँस क्लास भी अटेंड करती थी। इसी लिये उसकी टाँगें और जाँघें भी बहुत ही शेप में थीं और जब वो मुस्कुराती तो उसके गालों में छोटे-छोटे डिंपल पड़ते बहुत ही मस्त दिखायी देते थे।
एक हफ्ता आँटी तकरीबन रोज़ाना आती रहीं और हम मिलकर घंटों लेस्बियन-चुदाई करते। बाद में सुबह एस-के आ जाता और एक-दो पैग पी कर फिर हम दो या तीन रॉऊँड मस्त चुदाई करते और फिर वो ऑफिस चला जाता। कभी तो डायरेक्ट लंच से थोड़ा पहले आता और चुदाई के बाद लंच करके चला जाता। डॉली तकरीबन डेली शाम को पाँच बजे के करीब आ जाती और अपना काम करती रहती। कभी उसे कुछ पूछना होता तो मैं उसको समझा देती.... कभी मैथ तो कभी सायंस। डॉली एक एवरेज स्टूडेंट थी लेकिन समझाने पर जल्दी ही समझ जाती। मैं उसको अक्सर देखती रहती थी.... वो थी ही इतनी खूबसूरत।
दूसरे दिन जब सलमा आँटी आयी तो उनके साथ एक लड़की भी थी। होगी कोई तकरीबन सत्रह या अठारह साल की। काफी खूबसूरत थी। मैंने दोनों को अंदर आने के लिये कहा। मैंने अपने और आँटी के लिये पैग बनाये और उस लड़की के लिये कॉफी बनाने किचन में चली गयी। आँटी तो मेरे साथ फ्री थी ही.... वो भी किचन में आ गयी तो उनके साथ ही वो लड़की भी आ गयी। हम व्हिस्की पीते हुए बातें करने लगीं। आँटी ने बताया कि “इस लड़की का नाम डॉली है... इसके पेरेंट्स भी उनके साथ वाली बिल्डिंग में ही रहते हैं। इसकी मम्मी सायरा और डैडी जॉन, दोनों रेलवे में काम करते हैं। इसके डैडी एंगलो-इंडियन क्रिसचन हैं लेकिन मम्मी ,., हैं।“ उनकी लव मैरिज थी ये मुझे बाद में पता चला। खैर, आँटी को डॉली की मम्मी ने बोला था कि मुझसे पूछें कि क्या मैं डॉली को उसके बारहवीं के इग्ज़ैम के लिये कुछ मदद कर सकती हूँ। मैंने कहा कि, “आँटी आप को पता नहीं कि अब मैं जॉब करने लगी हूँ और ऑफिस से काम घर में ला कर यहीं पे डेटा एंट्री करती हूँ जिसके लिये ऑफिस से मेरे घर में एक कंप्यूटर भी आ गया है और मैं उसको फ़ुल टाईम नहीं दे सकती.... बस इतना कर सकती हूँ कि उसको थोड़ा सा गाईड कर सकती हूँ और उसके होमवर्क में या कोई मुश्किल हो तो समझा सकती हूँ पर फ़ुल टाईम नहीं पढ़ा सकती।“
सलमा आँटी ने कहा कि “ठीक है, ये कल से तुम्हारे पास आ जायेगी इसको इसके इग्ज़ैम तक ही मदद कर दो... बारहवीं का इंपोर्टेंट साल है।“ मैंने कहा कि “कोई बात नहीं.... ये कल शाम से आ जाये....” सुबह का टाईम मैं एस-के के लिये फ्री रखना चाहती थी। डॉली बहुत ही खूबसूरत लड़की थी, एक दम से गुड़िया जैसी। शायद इसका नाम इसी लिये डॉली रखा होगा। अभी जवानी की दहलीज पर कदम रख रही थी। क्रीम जैसा गोरा रंग, लाईट ब्राऊन कलर के बालों की पोनी टेल जो उसके सर से लटकती हुई बहुत अच्छी लग रही थी। जैसे इस उम्र की लड़कियों में सजने-संवरने क नया जोश होता है वैसे ही उसने मेक-अप वगैरह किया हुआ था। नये स्टाईल का शॉर्ट स्कर्ट और ब्लाऊज़ पहना हुआ था। नाखुनों पे नेल-पॉलिश, होंठों पर लिपस्टिक और पैरों में स्ट्रैपी सैंडल। चूचियाँ थोड़ी छोटी ही थी, संतरे जितनी होंगी। उसके ब्लाऊज़ में से उसके निप्पलों का छोटा सा उभार साफ़ नज़र आ रहा था। मीडियम-बिल्ट थी उसकी लेकिन सब मिलकर वो एक बे-इंतहा खूबसूरत डॉल जैसी थी और मुझे पक्का यकीन था कि रास्ते चलते कितने लोग उसको देख के अपने पैंट मैं ही झड़ जाते होंगे। डॉली डाँस क्लास भी अटेंड करती थी। इसी लिये उसकी टाँगें और जाँघें भी बहुत ही शेप में थीं और जब वो मुस्कुराती तो उसके गालों में छोटे-छोटे डिंपल पड़ते बहुत ही मस्त दिखायी देते थे।
एक हफ्ता आँटी तकरीबन रोज़ाना आती रहीं और हम मिलकर घंटों लेस्बियन-चुदाई करते। बाद में सुबह एस-के आ जाता और एक-दो पैग पी कर फिर हम दो या तीन रॉऊँड मस्त चुदाई करते और फिर वो ऑफिस चला जाता। कभी तो डायरेक्ट लंच से थोड़ा पहले आता और चुदाई के बाद लंच करके चला जाता। डॉली तकरीबन डेली शाम को पाँच बजे के करीब आ जाती और अपना काम करती रहती। कभी उसे कुछ पूछना होता तो मैं उसको समझा देती.... कभी मैथ तो कभी सायंस। डॉली एक एवरेज स्टूडेंट थी लेकिन समझाने पर जल्दी ही समझ जाती। मैं उसको अक्सर देखती रहती थी.... वो थी ही इतनी खूबसूरत।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
