25-01-2025, 02:57 PM
दूसरे दिन अशफाक और एस-के दोनों बाहर चले गये। मैं घर में अकेली रह गयी। मैं बहुत ही उदास थी। इतने में बेल बजी, डोर खोला तो देखा कि सलमा आँटी डोर पे खड़ी मुस्कुरा रही हैं। सलमा आँटी अपने मायके से आ गयी थी और मेरे पास मिलने आ गयी। एस-के के साथ इतना टाईम गुज़ारने के बाद मुझे सलमा आँटी कि ज्यादा याद भी नहीं आयी थी। अब उन्हें देखा तो मेरे चेहरे पे मुस्कुराहट आ गयी और मैंने दिल में सोचा कि चलो कुछ तो इंजॉय कर सकते हैं
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
