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इसे ईंगलिश में वैजायना, पूसी या कंट कहते हैं और हिंदी में चूत कहते हैं।“
#7
आँटी अपनी कुर्सी घुमा के मेरी तरफ मुँह करके बैठ गयीं और बीच-बीच में मेरा हाथ अपने हाथ में लेकर मसल रही थीं और अपनी टाँग बढ़ा कर मेरी सलवार ऊपर खिसकाते हुए अपने सैंडल को मेरी मेरी टाँगों पर हल्के-हल्के फिरा रही थीं और मेरे जिस्म में गर्मी आ रही थी। फ्लैट आठवीं मंज़िल पर होने की वजह से कोई हमें सड़क से देख नहीं सकता था और वैसे भी सड़क इतनी बारिश की वजह से सुनसान ही थी। वैसे मैं इस वक्त थोड़े नशे में थी और इतनी मस्त हो चुकी थी कि मुझे किसी बात का खयाल भी नहीं था। ऊपर से अपनी टाँगों पर उनके सैंडल का प्यारा सा लम्स और बाहर का ठंडा मौसम। फिर आँटी ने सुहाग रात की और अपनी चुदाई की दास्तान शुरू करके मेरे जिस्म में फिर से आग लगा दी थी।

मुझे सुहैल से चुदवाई हुई वो रातें याद आ रही थी जब मेरी चूत में सुहैल का लंबा मोटा लंड घुस के धूम मचा देता था और चूत-फाड़ झटके मार-मार के मेरी चूत को निचोड़ के अपने लंड का सारा रस मेरी चूत के अंदर छोड़ के कैसे मज़ा देता था। मेरा पूरा दिल और दिमाग सुहैल की चुदाई में था। मुझे पता ही नहीं चला के कब आँटी का पैर मेरी सलवार के ऊपर से जाँघों पे फिसलने लगा और मेरे सारे जिस्म में एक मस्ती का एहसास छाने लगा और बे-साख्ता मेरी टाँगें खुल गयीं और मैंने महसूस किया के आँटी का हाई-हील वाला सैंडल मेरी जाँघ से फिसल के टाँगों के बीच सलवार के ऊफर से चूत पे टिक गया और वो चूत का धीरे-धीरे मसाज करने लगी और मुझे मज़ा आने लगा।

मेरी प्यासी चूत पे आँटी के सैंडल के लम्स और मसाज से मुझे अपने कॉलेज का एक किस्सा याद आ गया। हम उन दिनो ग्यारहवीं क्लास में थे। सुहैल से चुदाई से पहले की बात है। हुआ ये था कि मेरी क्लासमेट, ताहिरा, मेरे पड़ोस में ही रहती थी और कभी वो मेरे घर आ जाती और हम दोनों मिल कर रात में पढ़ाई करते और एक ही बेड में सो जाते। कभी मैं उसके घर चली जाती और साथ पढ़ाई करते और मैं वहीं उसके साथ उसके बेड में ही सो जाती। एक रात वो मेरे घर आयी हुई थी और हम रात को पढ़ाई कर के मेरे बेड पे लेट गये। मेरा रूम घर में ऊपर के फ़्लोर पे था और मम्मी और डैडी का नीचे। मैं ऊपर अकेली ही रहती थी तो हमें अच्छी खासी प्राईवेसी मिल जाती थी। दोनों पढ़ाई खतम कर के सोने के लिये लेट गये। ताहिरा बहुत ही शरारती थी। उसने अपने मम्मी डैडी को चोदते हुए भी कई बार देखा था। कभी सोने का बहाना कर के कभी विंडो में से झाँक कर और फिर मुझे बताती थी कि कैसे उसके डैडी नंगे हो कर उसकी मम्मी को नंगा कर के चोदते हैं, कभी लाईट खुली रख के तो कभी लाईट बंद कर के। वो चुदाई देखती रहती थी और मुझे बता देती थी कि उसके डैडी ने आज उसकी मम्मी को कैसे चोदा और ये भी बताती कि उसकी मम्मी ने कैसे उसके डैडी के लंड को चूसा और सारी मलाई खा गयी।

हाँ तो वो मेरे साथ बेड मैं थी। हम ऐसे ही बातें कर रहे थे। वो अपने मम्मी और डैडी के चुदाई के किस्से सुना रही थी और अचानक उसने पूछा, “किरन तेरा साईज़ क्या है?” मैंने पूछा, “कौन सा साईज़?”, तो उसने मेरी चूचियों को हाथ में पकड़ लिया और पूछा “अरे पागल इसका!” और हँसने लगी। उसका हाथ मेरे बूब्स पे अच्छा लग रहा था और उसने भी अपना हाथ नहीं हटाया और मैंने भी उससे हाथ निकालने को नहीं कहा और वो ऐसे ही मेरी चूचियों को दबाने लगी। रात तो थी ही और हम ब्लैंकेट ओढ़े हुए थे और लाईट बंद थी। ऐसे में मुझे उसका मेरी चूचियों को दबाना अच्छा लग रहा था। मैंने उसका हाथ नहीं हटाया। मैंने बोला कि “मुझे क्या मालूम!”, तो उसने कहा “ठहर मैं बताती हूँ तेरा क्या साईज़ है!” मैंने बोला, “तुझे कैसे मालूम?” तो वो हँसने लगी और बोली “मुझे सब पता है”, और वो मेरे ऊपर उछल के बैठ गयी। मैं सीधे ही लेटी थी और वो मेरे ऊपर बैठ कर मेरे बूब्स को मसल रही थी। अब उसने मेरी शर्ट के अंदर हाथ डाल के मसलना शुरू कर दिया तो मुझे और मज़ा आने लगा। मैंने बोला, “हाय ताहिरा, ये क्या कर रही है?” तो वो बोली कि “मेरे अब्बू भी तो ऐसे ही करते हैं मेरी अम्मी के साथ.... मैंने देखा है जब अब्बू ऐसे करते हैं तो अम्मी को बहुत मज़ा आता है..... बोल तुझे भी आ रहा है या नहीं?” मैंने कहा, “हाँ मज़ा तो आ रहा है...!” तो उसने कहा कि “बस तो ठीक है, ऐसे ही लेटी रह ना, मज़ा ले बस”, और वो ज़ोर ज़ोर से मेरी चूचियों को मसलाने लगी।

मेरे ऊपर बैठे-बैठे ही उसने अपनी शर्ट भी उतार दी और मुझसे बोली कि मैं भी उसके बूब्स को दबाऊँ तो मैं भी हाथ बढ़ा के उसके बूब्स को अपने हाथ में लेकर मसलने लगी। ताहिरा की चूचियाँ मेरी चूचियों से थोड़ी सी बड़ी थीं। लाईट बंद होने से कुछ दिखायी नहीं दे रहा था, बस दोनों एक दूसरे की चूचियों को दबा रहे थे। ऐसे ही दबाते-दबाते वो मेरी टाँगों पे आगे पीछे होने लगी। हमारी चूतें एक दूसरे से मिल रही थीं और एक अजीब सा मज़ा चूत में आने लगा। अब वो मेरे ऊपर लेट गयी और मेरी चूँची को चूसने लगी। मेरे मुँह से “आआआआआहहहहह” निकल गयी और मैं उसके सर को पकड़ के अपनी चूचियों में घुसाने लगी। थोड़ी देर ऐसे ही चूसने के बाद वो थोड़ा आगे हटी और अपनी चूँची मेरे मुँह में घुसेड़ डाली और मैं चूसने लगी। वो भी “आआआआहहहह” की आवाज़ें निकाल-निकाल के मज़े लेने लगी।

अब हम दोनों मस्त हो चुके थे। वो थोड़ा सा पीछे खिसक गयी और मेरी चूत पे हाथ रख दिया तो मेरी गाँड अपने आप ही ऊपर उठ गयी। हम अब कोई बात नहीं कर रहे थे बस एक दूसरे से मज़े ले रहे थे। उसने मेरी सलवार का नाड़ा खोल दिया और साथ में अपना भी और खुद अपने घुटनों पे खड़ी हो के अपनी सलवार निकाल दी और नंगी हो गयी और मेरी सलवार को भी पकड़ के नीचे खिसका दिया। मैंने भी अपनी गाँड उठा के उसको निकालने में मदद की। अब हम दोनों नंगे थे। अभी हमारी चूतों पे ठीक से बाल आने भी नहीं शुरू हुए थे। एक दम से चिकनी चूतें थीं हम दोनों की। अब फिर से वो ऐसे बैठ गयी जिससे हम दोनों की चूतें टच हो रही थी। वो आगे पीछे होने लगी और बताया कि “मेरी अम्मी जब अब्बू के ऊपर बैठती है तो ऐसे ही हिलती रहती है।“
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: इसे ईंगलिश में वैजायना, पूसी या कंट कहते हैं और हिंदी में चूत कहते हैं।“ - by neerathemall - 25-01-2025, 02:36 PM



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