25-01-2025, 02:34 PM
हम दोनों बालकोनी में आ गये। हमारा फ्लैट आठवीं मंज़िल पर बिल्डिंग का सबसे ऊपर वाला फ्लैट है और हमारी बिल्डिंग के सामने सड़क थी और दूसरी तरफ छोटी सी मार्केट थी जहाँ सब्ज़ी, दूध और तकरीबन डेली इस्तेमल की सभी चीज़ें मिल जाया करती थी। इतनी बारिश की वजह से सारा मार्केट सुना पड़ा हुआ था। कभी-कभी कोई इक्का दुक्का सायकल वाला या कोई आदमी बरसाती ओढ़े गुज़र जाता था। हम दोनों बालकोनी में रखी कुर्सियों पे बैठ गये और बाहर का सीन देखने लगे। कभी-कभी बारिश का थोड़ा सा पानी हमारे ऊपर भी गिर जाता था। मौसम ठंडा हो गया था और ऐसा अंधेरा था कि शाम के पाँच बजे ही ऐसा लग रहा था जैसे रात के आठ-नौ बज रहे हों। मैं चाय़ बनाने उठी तो आँटी ने कहा
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
