22-01-2025, 04:32 PM
Update - 7
ज्योति अभी जो कुछ भी हुआ उसके लिए बहुत खुद को दोषी महसूस कर रही थी। वह जानती थी कि यह गलत किया था उसने, लेकिन साथ ही, वह इस कृत्य के दौरान महसूस किए गए आनंद को नकार नहीं सकती थी। वह एक अजनबी, और वह भी एक ***** अजनबी के साथ इस तरह के अंतरंग कृत्य का आनंद लेने के लिए एक भयानक सजा के लिए खुद को तैयार होता महसूस कर रही थी।
उसकी बातें सुनकर ज्योति की अंदर की वासना अब धीरे से भड़क भी रही थी। ज्योति ने फिर से अपने ब्लाउज के बटन खोले और धीरे से नीचे झुककर उसके काले कठोर लण्ड को अपने कोमल गोरे हाथों से पकड़ा। ज्योति को बहुत गंदा महसूस हो रहा था। एक तो बहुत बदबू आ रही थी ऊपर से उसके लण्ड पर इतने ज्यादा गंदे बाल थी कि देख कर हे उसको वॉमिट आए ऐसा हो रहा था। ज्योति को सेल्फ हाइजिन और साफ सफाई पसंद थी। पर यहां तो सब उसका विपरीत और ज्यादा गंदा था। अब ज्योति ना चाहते हुए भी उसके बड़े काले मोटे लण्ड के पास अपने मुंह को ले आई। ज्योति को एक अजीब सी गंध और बदबू आई, जिससे उसकी वासना अब थोड़ी भड़कने लगी। पर ज्योति की हिम्मत नहीं हो रही थी कि वो अब्दुल का मोटा काला बालों से भरा गंदा लण्ड पकड़े।
भिखारी अब्दुल – अरे जान देख क्या रही है। इसको अपने हाथों से कस कर पकड़ ओर मुंह में डाल चल।
ज्योति ने उसका लण्ड अपने सॉफ्ट होठों से मुंह में ले लिया। यह पहली बार था कि ज्योति किसी का लण्ड अपने मुंह में ले रही थी, वो भी एक भिखारी का जिसका बड़ा लण्ड बालों से भरा हुआ था, गन्दा और बिल्कुल काला भी।
जैसे ही ज्योति के होठों से होते हुए मुंह में अब्दुल का लण्ड गया तो उसकी गंदी पिशाब की बदबू और गंदे स्वाद की वजह से ज्योति को उबकारी वॉमिट आने जैसा लगा तो जैसे ही वो अब्दुल का लण्ड अपने मुंह से निकालने गई तो अब्दुल ने उसका सर पकड़ लिया। अपने लण्ड को ज्योति के मुंह में हे रहने दिया। अब तो अब्दुल ने अपना पूरा लण्ड हे ज्योति के मुंह में डाल कर उसके गले तक उतार दिया था।
ज्योति के लिए यह एक अजीब और कष्ठ भरी अनुभूति थी। पहले तो उसे अपने मुँह में लेने के लिए खुद को मजबूरन तैयार करना पड़ा, लेकिन धीरे-धीरे उसे अब मज़ा आने लगा। ज्योति ने अपनी आँखें बंद कर लीं और अपनी जीभ को उसके लण्ड पर फिराने लगी, ताकि उसे संतुष्टि का एहसास हो।
बाहर, ट्रेन पटरियों पर गड़गड़ाहट के साथ चल रही थी, हवा उसके अंतराल से सीटी बजा रही थी। ट्रेन के अंधेरे गलियारों में लाइटें जल-बुझ रही थीं और ट्रेन आगे-पीछे हिल रही थी। लेकिन उनके डिब्बे के अंदर, यह एक पूरी तरह से अलग दुनिया थी।
अब भिखारी अब्दुल ज्योति का मुंह छोड़ देता है फिर ज्योति उसके लण्ड को अपने मुंह से निकाल कर खाने लगती है फिर
ज्योति उसकी आँखों में देख रही थी। अब वापस ज्योति उसके लण्ड को पकड़ कर एक छोटी बच्ची की तरह उसके लण्ड को लॉलीपॉप की तरह चूस रही थी।
जब ज्योति ने उसका लण्ड अपने मुंह में लिया तो उसे एक गंदा नमकीन और पेशाब का स्वाद वापस उसे महसूस हुआ। ज्योति को एहसास हुआ कि वह एक औरत है।
वह अब उसे अनदेखा नहीं कर सकती थी। उसने सोचा, मुझे आज तो यह करना ही होगा।
ज्योति ने अपनी आँखें बंद कर लीं और उसका पूरा लण्ड अपने मुँह में ले लिया, जो कि कठोर और लंबा था।
ज्योति ने उसे धीरे से चूसा, और अब्दुल की पकड़ ज्योति पर ओर मजबूत हो गई। ज्योति ने अपनी आँखें बंद कर लीं और एक धीमी कराह निकाली।
ज्योति ने ओर जोर से चूसा, और अब्दुल अब खुद को झड़ने से रोक नहीं सका।
अब्दुल ने ज्योति के सिर के बाल पकड़ लिए और अपना लण्ड ज्योति के मुँह में अन्दर बाहर करने लगा। ज्योति भी अपने मुंह को धीरे से आगे पीछे करने लगी।
वह अपने मुँह में उसके लण्ड की गर्मी महसूस कर सकती थी, और उसे अपनी टांगों के बीच एक अजीब तरह का गीलापन महसूस होने लगा।
ज्योति को यकीन नहीं हो रहा था कि वो क्या कर रही है। वो एक शादीशुदा महिला थी, 8 महीने की बच्ची की माँ थी और वो चलती ट्रेन में एक ***** भिखारी का लण्ड चूस रही थी।
काफी देर तक अब्दुल द्वारा ज्योति के नाजुक और कोमल मुंह में अपने बालों से भरे कठोर काले लण्ड को अंदर बाहर करने के बाद अब्दुल का वीर्य ज्योति के मुँह में निकल गया. उसने ढेर सारा वीर्य ज्योति के मुँह में छोड़ दिया.
ज्योति को पहले तो झटका लगा लेकिन फिर उसने सारा वीर्य थूकना शुरू कर दिया। पर अब्दुल उसकी ओर गुस्से से देखने लगा। पर ज्योति ने इससे पहले ऐसा कुछ नहीं किया था इसलिए उसका यहां तक आना भी बड़ी बात थी।
क्या अब ज्योति को भिखारी अब्दुल से छुटकारा मिलेगा?
अपडेट 8
वह इतनी दूर आकर कोई तमाशा नहीं करना चाहती थी। स्वाद अजीब था और ऐसा कुछ जिसकी उसने पहले कभी कल्पना भी नहीं की थी, लेकिन ज्योति ने उसे थूक दिया।
अब्दुल की तो आज लॉटरी ही लग गई थी। पर वो पूरा संतुष्ट नहीं हुआ था, उसने ज्योति के मुँह से अपना लण्ड बाहर निकाल लिया था पर उसको अब ओर भी कुछ करने की इच्छा थी यही सोचते हुए वी ज्योति को देखकर मुस्कुराया। ज्योति ने जल्दी से अपने रूमाल से अपना मुँह पोंछा, उसकी नज़रों से बचते हुए। उसे लगा कि उसके साथ ये गलत हुआ है और उसका इस्तेमाल किया गया है, लेकिन साथ ही, वह अपनी नसों में उत्तेजना की एक अजीब सी बैचेनी वाली भावना को महसूस करने से खुद को नहीं रोक पाई।
ज्योति ने पहले कभी ऐसा अनुभव नहीं किया था, और हालांकि यह गलत था, वह उस रोमांच को नकार नहीं सकती थी जो उसे तब महसूस होता था जब भी अब्दुल के कठोर हाथ उसकी कोमल त्वचा को छूते थे, या जब भी वह उसमे ऐसे तरीके से प्रवेश करता था जिसके बारे में उसके पति ने कभी सोचा भी नहीं था।
उधर ज्योति को फिर अपनी हदें याद आ गईं और ज्योति ने उससे कहा कि - ये सब बहुत गलत है और उसे अभी यहाँ से चले जाना चाहिए।
तब भिखारी अब्दुल बोला – ज्योति डार्लिंग, अब मुझे भी अपनी चूत देखने दो। ज्योति समझ गई कि अगर वो आगे बढ़ी तो वो उसे चोद कर ही मानेगा।
वह स्पष्ट थी कि अब तक जो कुछ भी हुआ है, वह इससे आगे नहीं बढ़ना चाहिए। वह सोचने लगी कि उसे आने वाले स्टेशन पर ट्रेन से कैसे उतारा जाए। उसने अपनी घड़ी देखी, ट्रेन के अगले स्टेशन पर आने में 20 मिनट बाकी थे।
ज्योति ने कुछ सोचते हुए कहा, “देखो अब्दुल, तुमने आज मुझसे बहुत कुछ मांगा है, कुछ काम भी हो गया है
अब्दुल – हां जान तो अब मेरी मांग पूरी कर दो।
ज्योति – नही मतलब नहीं।
अब्दुल – सोच ले मेरी जान में जबरदस्ती भी निकाल सकता हु तेरी साड़ी को। अभी तो दिखाने का बोल रहा हु बाद में तो तेरी ले ही लूंगा।
ज्योति ने उसे मना किया, लेकिन वह अड़ा रहा।
पर अब ज्योति भी थोड़ी खुल गई थी अब्दुल के साथ। इसलिए ज्यादा देर वो ना नही बोल पाई और उसको डर भी था की अगला स्टेशन आने वाला है कही ये सही में चिल्लाना शुरू नही कर दे। जबरदस्ती ना करे।
फिर ज्योति ने कहा – चलो, मैं तुम्हें एक बार दिखाती हूं, आगे तुम कुछ नहीं करोगे।
भिखारी- हाँ, ठीक है।
फिर ज्योति ने अपना पेटीकोट उठाया और उसे अपनी साफ़-सुथरी चिकनी चूत दिखाई।
उसे देखते ही वह बोला – वाह जान, यह तो बहुत सुन्दर है, मैने आजतक इतनी खूबसूरत साफ चूत नही देखी।
क्या मैं उसे एक बार चूस लूँ?
ज्योति का चेहरा लाल पड़ गया यह सुन कर पर उसने शरमाते हुए बोला - हाँ चूसो इसे।
अब्दुल का चेहरा उत्तेजना से चमक उठा और वह ज्योति की चूत के और करीब झुक गया। ज्योति ने अपनी आँखें बंद कर लीं और जो होने वाला था उसके लिए खुद को तैयार कर लिया। उसने पहले कभी ऐसा कुछ नहीं किया था और वह डरी हुई और उत्तेजित दोनों थी।
अब्दुल ने ज्योति की चूत को चूमना और चाटना शुरू कर दिया और ज्योति ने हल्की सी कराह निकाली। यह एक अजीब और अपरिचित अनुभूति थी, लेकिन ज्योति को अच्छा लगा।
ज्योति ने पहले भी ओरल सेक्स के बारे में सुना था, लेकिन उसने कभी नहीं सोचा था कि वह इसका अनुभव करेगी, वह भी एक अजनबी भिखारी के साथ।
अब्दुल की जीभ ज्योति की चूत को छूते ही ज्योति का दिल धड़क रहा था। वह महसूस कर सकती थी कि हर सेकंड के साथ उसकी चूत गीली होती जा रही है। अब्दुल ने जब अपनी उंगली उसके अंदर डाली तो वह हल्की सी आह भरकर बोली।
ज्योति को पहले से ही अपनी नसों में एक चरम उत्तेजना महसूस हो रही थी, और अब्दुल की उंगलियां उसके अंदर ऐसा महसूस कर रही थीं जैसे वे उसके लिए ही बनी हों।
फिर उसने अपनी एक उंगली ज्योति की चूत में डाल दी और अपना मुँह उस पर रख कर चूसने लगा। भिखारी अब्दुल की जीभ के साथ-साथ अब्दुल की गन्दगी भरी हुई दाढ़ी भी ज्योति की चूत को छू रही थी और ज्योति को मजे के साथ-साथ दर्द भी हो रहा था। अब जैसे जैसे अब्दुल के हाथ ज्योति की चूत और जांघो पर गुम रहे थे ज्योति की उत्तेजना भी बढ़ती जा रही थी पर साथ ही उसे डर था की अब अब्दुल यहां से आगे ना बढ़ जाए। कही मजा सजा मे ना बदल जाए।
उसने अब्दुल को धक्का देकर दूर कर दिया और बोली – अब्दुल, बहुत हो गया। पहले अपनी दाढ़ी हटाओ, क्योंकि तुम्हारी दाढ़ी मुझे दर्द दे रही है।
अब्दुल समझ गया और उसने अपनी दाढ़ी हटाई और ज्योति की जांघों को फिर से चूमना शुरू कर दिया। ज्योति को आश्चर्य हुआ जब अब्दुल ने उसकी जांघों को और भी धीरे से चाटना शुरू कर दिया। उसने ज्योति को फिर से कराहने पर मजबूर कर दिया, लेकिन इस बार ज्योति आनंद में खो गई थी और उसने जोर से कराहना शुरू कर दिया।
तब ज्योति ने कहा – बस बहुत हो गया। तब ज्योति ने उसके हाथ की उंगली और जीभ बाहर निकाली।
क्योंकि ज्योति जानती थी कि अगर उसने उसे इससे आगे कुछ करने दिया तो वह अपना कठोर लण्ड उसकी चूत में जरूर डाल देगा। सेक्स करने की पूरी कोशिश करेगा। फिर उसके लिए अब्दुल को रोकना मुश्किल हो जाएगा।
ज्योति के पास उस समय कंडोम भी नहीं था और वह किसी ***** व्यक्ति के साथ सेक्स करना बिल्कुल भी नहीं चाहती थी।
इसलिए उसने अब्दुल को वहीं रोक दिया, अपनी जांघें उसके हाथों पर रख दीं, और कहा, “बस, बहुत हो गया अब्दुल।
अब्दुल, जो इस पल का आनंद ले रहा था, तुरंत रुक गया, और ज्योति ने अपने कपड़े ठीक किए। उसे राहत महसूस हुई कि उसने उसे समय रहते रोक दिया, लेकिन साथ ही, उसे अपनी योनि दिखाने और उसे छूने देने का पछतावा भी हुआ।
ज्योति ने सामने वाली बर्थ पर बैठे अब्दुल को देखा, जो उसके चेहरे पर कामुक मुस्कान लिए उसे घूर रहा था। उसे लगा कि उसके ऊपर घृणा की लहर दौड़ गई है, लेकिन वह अपनी नज़र उससे हटा नहीं पा रही थी। वह सोच रही थी कि अगर उसके पति या उसके परिवार को उसके किए के बारे में पता चल गया तो क्या होगा?
ट्रेन अचानक झटका खाकर रुकी जिससे ज्योति को वास्तविकता का अहसास हुआ।
तब ज्योति ने कहा – बस जाओ और यह बात किसी को मत बताना। जल्दी जाओ।
अब्दुल हसता हुआ बोला – वाह मेरी जान आज तो मजा ही आ गया। पर तेरी चुदाई नही कर पाया इसका दुख रहेगा।
ज्योति उसको गुस्से से देखती है।
फिर अब्दुल ज्योति की और गंदी हसी निकालते हुए बोलता है – जान जा रहा है पर तेरा नंबर तो दे दे। तेरी याद आयेगी तो फोन करुगा।
ज्योति – जाओ यहां से। वैसे तुम तो भिखारी हो। तुमारे पास मोबाइल कहा से आया।
अब्दुल – जान मेरे दोस्त के पास है। उसके फोन से करूंगा।
ज्योति – जाओ यह से में नम्बर नहीं देने वाली।
अब्दुल ने ज्योति को गुस्से और गंदे भाव से देखा लेकिन फिर ज्योति ने धीरे-धीरे खुद को संभाला।
तभी उसी समय ट्रेन एक स्टेशन पर रुकी और कुछ यात्री तथा ट्रेन के गार्ड बोगी में चढ़ने लगे। उन्हें देखकर अब्दुल भिखारी डर गया और ज्योति को देखकर वह ट्रेन से निकल गया।
ज्योति को राहत महसूस हुई और वह अपनी सीट पर वापस बैठ गई। लेकिन गहरी सांस लेने के बावजूद भी वह उस उत्साह को दबा नहीं पाई जो उसने अभी-अभी महसूस किया था।
ज्योति ने खिड़की से बाहर देखा, जैसे ही ट्रेन फिर से चलने लगी। उसे ग्रामीण शहर का अंधेरा से भरा नज़ारा दिखाई दे रहा था और वह सोच रही थी कि अगर उसने अब्दुल को सिर्फ़ चूमने और चूत चाटने के अलावा कुछ और करने दिया होता, तो क्या होता।
उसे अपनी योनि में एक अजीब सी सनसनी महसूस हुई और अनायास ही उसके मुंह से एक हल्की कराह निकल गई।
उस रात ज्योति 4 घंटे तक सो नहीं पाई, वह सारी रात उस ***** भिखारी के बारे में सोचती रही। सुबह वह अपने स्टेशन पर पहुंच गई।
उसके भाई ने उसे ट्रेन स्टेशन से लेने के लिए एक कार भेजी थी। जैसे ही वह कार में बैठी, वह खुद को दोषी महसूस करने से नहीं रोक पाई। उसका दिमाग पिछली रात की घटनाओं को बार-बार दोहराता रहा, और उसे अचानक घृणा और शर्म का एहसास हुआ।
ज्योति का पति सुरेश एक सफल व्यवसायी थे, जो हमेशा अपने काम में व्यस्त रहते थे। ज्योति को ज़्यादातर समय अपनी बेटी और सास ससुर के साथ अकेले रहने की आदत थी। अपने जीवन में साथी और अंतरंगता की कमी ने उसे अपनी कामुकता को ऐसे तरीकों से तलाशने के लिए प्रेरित किया, जिसकी उसने पहले कभी कल्पना भी नहीं की थी।
लेकिन माँ के घर आने के बाद भी ज्योति रात को सोते समय ट्रेन के सफ़र की उस रात को नहीं भूल पाई। ज्योति के मन में एक इच्छा ज़रूर थी कि काश उस रात उसने भी अब्दुल नाम के उस ***** भिखारी के साथ सेक्स किया होता।
आखिर उसने तो उसके लण्ड को चूमा और चूसा था, फिर अगर उसने उसे अपने साथ सेक्स करने की इजाजत भी दे दी होती तो क्या बुराई थी।
ज्योति को पापी जैसा महसूस हो रहा था, लेकिन साथ ही उसे एक अजीब तरह की उत्तेजना भी महसूस हो रही थी।
ज्योति अपनी मायके के घर में बिस्तर पर लेटी हुई थी और उसने अपनी आँखें बंद कर ली थीं। वह महसूस कर सकती थी कि अब्दुल के स्पर्श की याद में उसका शरीर प्रतिक्रिया कर रहा था। उसके निप्पल सख्त हो गए थे और उसे अपने शरीर में गर्मी फैलती हुई महसूस हो रही थी।
अपनी शंकाओं के बावजूद उसने अपनी आँखें बंद कर लीं और उस अनुभूति में झुक गई। ज्योति को पता नही चला की कब उसके हाथो की उंगली उसकी चूत में चली गई और ज्योति ने उस रात मास्टरबेट किया और सो गई।
क्या ज्योति का अनोखा हवस भरा सफर यही रुक जायेगा?
ज्योति अभी जो कुछ भी हुआ उसके लिए बहुत खुद को दोषी महसूस कर रही थी। वह जानती थी कि यह गलत किया था उसने, लेकिन साथ ही, वह इस कृत्य के दौरान महसूस किए गए आनंद को नकार नहीं सकती थी। वह एक अजनबी, और वह भी एक ***** अजनबी के साथ इस तरह के अंतरंग कृत्य का आनंद लेने के लिए एक भयानक सजा के लिए खुद को तैयार होता महसूस कर रही थी।
उसकी बातें सुनकर ज्योति की अंदर की वासना अब धीरे से भड़क भी रही थी। ज्योति ने फिर से अपने ब्लाउज के बटन खोले और धीरे से नीचे झुककर उसके काले कठोर लण्ड को अपने कोमल गोरे हाथों से पकड़ा। ज्योति को बहुत गंदा महसूस हो रहा था। एक तो बहुत बदबू आ रही थी ऊपर से उसके लण्ड पर इतने ज्यादा गंदे बाल थी कि देख कर हे उसको वॉमिट आए ऐसा हो रहा था। ज्योति को सेल्फ हाइजिन और साफ सफाई पसंद थी। पर यहां तो सब उसका विपरीत और ज्यादा गंदा था। अब ज्योति ना चाहते हुए भी उसके बड़े काले मोटे लण्ड के पास अपने मुंह को ले आई। ज्योति को एक अजीब सी गंध और बदबू आई, जिससे उसकी वासना अब थोड़ी भड़कने लगी। पर ज्योति की हिम्मत नहीं हो रही थी कि वो अब्दुल का मोटा काला बालों से भरा गंदा लण्ड पकड़े।
भिखारी अब्दुल – अरे जान देख क्या रही है। इसको अपने हाथों से कस कर पकड़ ओर मुंह में डाल चल।
ज्योति ने उसका लण्ड अपने सॉफ्ट होठों से मुंह में ले लिया। यह पहली बार था कि ज्योति किसी का लण्ड अपने मुंह में ले रही थी, वो भी एक भिखारी का जिसका बड़ा लण्ड बालों से भरा हुआ था, गन्दा और बिल्कुल काला भी।
जैसे ही ज्योति के होठों से होते हुए मुंह में अब्दुल का लण्ड गया तो उसकी गंदी पिशाब की बदबू और गंदे स्वाद की वजह से ज्योति को उबकारी वॉमिट आने जैसा लगा तो जैसे ही वो अब्दुल का लण्ड अपने मुंह से निकालने गई तो अब्दुल ने उसका सर पकड़ लिया। अपने लण्ड को ज्योति के मुंह में हे रहने दिया। अब तो अब्दुल ने अपना पूरा लण्ड हे ज्योति के मुंह में डाल कर उसके गले तक उतार दिया था।
ज्योति के लिए यह एक अजीब और कष्ठ भरी अनुभूति थी। पहले तो उसे अपने मुँह में लेने के लिए खुद को मजबूरन तैयार करना पड़ा, लेकिन धीरे-धीरे उसे अब मज़ा आने लगा। ज्योति ने अपनी आँखें बंद कर लीं और अपनी जीभ को उसके लण्ड पर फिराने लगी, ताकि उसे संतुष्टि का एहसास हो।
बाहर, ट्रेन पटरियों पर गड़गड़ाहट के साथ चल रही थी, हवा उसके अंतराल से सीटी बजा रही थी। ट्रेन के अंधेरे गलियारों में लाइटें जल-बुझ रही थीं और ट्रेन आगे-पीछे हिल रही थी। लेकिन उनके डिब्बे के अंदर, यह एक पूरी तरह से अलग दुनिया थी।
अब भिखारी अब्दुल ज्योति का मुंह छोड़ देता है फिर ज्योति उसके लण्ड को अपने मुंह से निकाल कर खाने लगती है फिर
ज्योति उसकी आँखों में देख रही थी। अब वापस ज्योति उसके लण्ड को पकड़ कर एक छोटी बच्ची की तरह उसके लण्ड को लॉलीपॉप की तरह चूस रही थी।
जब ज्योति ने उसका लण्ड अपने मुंह में लिया तो उसे एक गंदा नमकीन और पेशाब का स्वाद वापस उसे महसूस हुआ। ज्योति को एहसास हुआ कि वह एक औरत है।
वह अब उसे अनदेखा नहीं कर सकती थी। उसने सोचा, मुझे आज तो यह करना ही होगा।
ज्योति ने अपनी आँखें बंद कर लीं और उसका पूरा लण्ड अपने मुँह में ले लिया, जो कि कठोर और लंबा था।
ज्योति ने उसे धीरे से चूसा, और अब्दुल की पकड़ ज्योति पर ओर मजबूत हो गई। ज्योति ने अपनी आँखें बंद कर लीं और एक धीमी कराह निकाली।
ज्योति ने ओर जोर से चूसा, और अब्दुल अब खुद को झड़ने से रोक नहीं सका।
अब्दुल ने ज्योति के सिर के बाल पकड़ लिए और अपना लण्ड ज्योति के मुँह में अन्दर बाहर करने लगा। ज्योति भी अपने मुंह को धीरे से आगे पीछे करने लगी।
वह अपने मुँह में उसके लण्ड की गर्मी महसूस कर सकती थी, और उसे अपनी टांगों के बीच एक अजीब तरह का गीलापन महसूस होने लगा।
ज्योति को यकीन नहीं हो रहा था कि वो क्या कर रही है। वो एक शादीशुदा महिला थी, 8 महीने की बच्ची की माँ थी और वो चलती ट्रेन में एक ***** भिखारी का लण्ड चूस रही थी।
काफी देर तक अब्दुल द्वारा ज्योति के नाजुक और कोमल मुंह में अपने बालों से भरे कठोर काले लण्ड को अंदर बाहर करने के बाद अब्दुल का वीर्य ज्योति के मुँह में निकल गया. उसने ढेर सारा वीर्य ज्योति के मुँह में छोड़ दिया.
ज्योति को पहले तो झटका लगा लेकिन फिर उसने सारा वीर्य थूकना शुरू कर दिया। पर अब्दुल उसकी ओर गुस्से से देखने लगा। पर ज्योति ने इससे पहले ऐसा कुछ नहीं किया था इसलिए उसका यहां तक आना भी बड़ी बात थी।
क्या अब ज्योति को भिखारी अब्दुल से छुटकारा मिलेगा?
अपडेट 8
वह इतनी दूर आकर कोई तमाशा नहीं करना चाहती थी। स्वाद अजीब था और ऐसा कुछ जिसकी उसने पहले कभी कल्पना भी नहीं की थी, लेकिन ज्योति ने उसे थूक दिया।
अब्दुल की तो आज लॉटरी ही लग गई थी। पर वो पूरा संतुष्ट नहीं हुआ था, उसने ज्योति के मुँह से अपना लण्ड बाहर निकाल लिया था पर उसको अब ओर भी कुछ करने की इच्छा थी यही सोचते हुए वी ज्योति को देखकर मुस्कुराया। ज्योति ने जल्दी से अपने रूमाल से अपना मुँह पोंछा, उसकी नज़रों से बचते हुए। उसे लगा कि उसके साथ ये गलत हुआ है और उसका इस्तेमाल किया गया है, लेकिन साथ ही, वह अपनी नसों में उत्तेजना की एक अजीब सी बैचेनी वाली भावना को महसूस करने से खुद को नहीं रोक पाई।
ज्योति ने पहले कभी ऐसा अनुभव नहीं किया था, और हालांकि यह गलत था, वह उस रोमांच को नकार नहीं सकती थी जो उसे तब महसूस होता था जब भी अब्दुल के कठोर हाथ उसकी कोमल त्वचा को छूते थे, या जब भी वह उसमे ऐसे तरीके से प्रवेश करता था जिसके बारे में उसके पति ने कभी सोचा भी नहीं था।
उधर ज्योति को फिर अपनी हदें याद आ गईं और ज्योति ने उससे कहा कि - ये सब बहुत गलत है और उसे अभी यहाँ से चले जाना चाहिए।
तब भिखारी अब्दुल बोला – ज्योति डार्लिंग, अब मुझे भी अपनी चूत देखने दो। ज्योति समझ गई कि अगर वो आगे बढ़ी तो वो उसे चोद कर ही मानेगा।
वह स्पष्ट थी कि अब तक जो कुछ भी हुआ है, वह इससे आगे नहीं बढ़ना चाहिए। वह सोचने लगी कि उसे आने वाले स्टेशन पर ट्रेन से कैसे उतारा जाए। उसने अपनी घड़ी देखी, ट्रेन के अगले स्टेशन पर आने में 20 मिनट बाकी थे।
ज्योति ने कुछ सोचते हुए कहा, “देखो अब्दुल, तुमने आज मुझसे बहुत कुछ मांगा है, कुछ काम भी हो गया है
अब्दुल – हां जान तो अब मेरी मांग पूरी कर दो।
ज्योति – नही मतलब नहीं।
अब्दुल – सोच ले मेरी जान में जबरदस्ती भी निकाल सकता हु तेरी साड़ी को। अभी तो दिखाने का बोल रहा हु बाद में तो तेरी ले ही लूंगा।
ज्योति ने उसे मना किया, लेकिन वह अड़ा रहा।
पर अब ज्योति भी थोड़ी खुल गई थी अब्दुल के साथ। इसलिए ज्यादा देर वो ना नही बोल पाई और उसको डर भी था की अगला स्टेशन आने वाला है कही ये सही में चिल्लाना शुरू नही कर दे। जबरदस्ती ना करे।
फिर ज्योति ने कहा – चलो, मैं तुम्हें एक बार दिखाती हूं, आगे तुम कुछ नहीं करोगे।
भिखारी- हाँ, ठीक है।
फिर ज्योति ने अपना पेटीकोट उठाया और उसे अपनी साफ़-सुथरी चिकनी चूत दिखाई।
उसे देखते ही वह बोला – वाह जान, यह तो बहुत सुन्दर है, मैने आजतक इतनी खूबसूरत साफ चूत नही देखी।
क्या मैं उसे एक बार चूस लूँ?
ज्योति का चेहरा लाल पड़ गया यह सुन कर पर उसने शरमाते हुए बोला - हाँ चूसो इसे।
अब्दुल का चेहरा उत्तेजना से चमक उठा और वह ज्योति की चूत के और करीब झुक गया। ज्योति ने अपनी आँखें बंद कर लीं और जो होने वाला था उसके लिए खुद को तैयार कर लिया। उसने पहले कभी ऐसा कुछ नहीं किया था और वह डरी हुई और उत्तेजित दोनों थी।
अब्दुल ने ज्योति की चूत को चूमना और चाटना शुरू कर दिया और ज्योति ने हल्की सी कराह निकाली। यह एक अजीब और अपरिचित अनुभूति थी, लेकिन ज्योति को अच्छा लगा।
ज्योति ने पहले भी ओरल सेक्स के बारे में सुना था, लेकिन उसने कभी नहीं सोचा था कि वह इसका अनुभव करेगी, वह भी एक अजनबी भिखारी के साथ।
अब्दुल की जीभ ज्योति की चूत को छूते ही ज्योति का दिल धड़क रहा था। वह महसूस कर सकती थी कि हर सेकंड के साथ उसकी चूत गीली होती जा रही है। अब्दुल ने जब अपनी उंगली उसके अंदर डाली तो वह हल्की सी आह भरकर बोली।
ज्योति को पहले से ही अपनी नसों में एक चरम उत्तेजना महसूस हो रही थी, और अब्दुल की उंगलियां उसके अंदर ऐसा महसूस कर रही थीं जैसे वे उसके लिए ही बनी हों।
फिर उसने अपनी एक उंगली ज्योति की चूत में डाल दी और अपना मुँह उस पर रख कर चूसने लगा। भिखारी अब्दुल की जीभ के साथ-साथ अब्दुल की गन्दगी भरी हुई दाढ़ी भी ज्योति की चूत को छू रही थी और ज्योति को मजे के साथ-साथ दर्द भी हो रहा था। अब जैसे जैसे अब्दुल के हाथ ज्योति की चूत और जांघो पर गुम रहे थे ज्योति की उत्तेजना भी बढ़ती जा रही थी पर साथ ही उसे डर था की अब अब्दुल यहां से आगे ना बढ़ जाए। कही मजा सजा मे ना बदल जाए।
उसने अब्दुल को धक्का देकर दूर कर दिया और बोली – अब्दुल, बहुत हो गया। पहले अपनी दाढ़ी हटाओ, क्योंकि तुम्हारी दाढ़ी मुझे दर्द दे रही है।
अब्दुल समझ गया और उसने अपनी दाढ़ी हटाई और ज्योति की जांघों को फिर से चूमना शुरू कर दिया। ज्योति को आश्चर्य हुआ जब अब्दुल ने उसकी जांघों को और भी धीरे से चाटना शुरू कर दिया। उसने ज्योति को फिर से कराहने पर मजबूर कर दिया, लेकिन इस बार ज्योति आनंद में खो गई थी और उसने जोर से कराहना शुरू कर दिया।
तब ज्योति ने कहा – बस बहुत हो गया। तब ज्योति ने उसके हाथ की उंगली और जीभ बाहर निकाली।
क्योंकि ज्योति जानती थी कि अगर उसने उसे इससे आगे कुछ करने दिया तो वह अपना कठोर लण्ड उसकी चूत में जरूर डाल देगा। सेक्स करने की पूरी कोशिश करेगा। फिर उसके लिए अब्दुल को रोकना मुश्किल हो जाएगा।
ज्योति के पास उस समय कंडोम भी नहीं था और वह किसी ***** व्यक्ति के साथ सेक्स करना बिल्कुल भी नहीं चाहती थी।
इसलिए उसने अब्दुल को वहीं रोक दिया, अपनी जांघें उसके हाथों पर रख दीं, और कहा, “बस, बहुत हो गया अब्दुल।
अब्दुल, जो इस पल का आनंद ले रहा था, तुरंत रुक गया, और ज्योति ने अपने कपड़े ठीक किए। उसे राहत महसूस हुई कि उसने उसे समय रहते रोक दिया, लेकिन साथ ही, उसे अपनी योनि दिखाने और उसे छूने देने का पछतावा भी हुआ।
ज्योति ने सामने वाली बर्थ पर बैठे अब्दुल को देखा, जो उसके चेहरे पर कामुक मुस्कान लिए उसे घूर रहा था। उसे लगा कि उसके ऊपर घृणा की लहर दौड़ गई है, लेकिन वह अपनी नज़र उससे हटा नहीं पा रही थी। वह सोच रही थी कि अगर उसके पति या उसके परिवार को उसके किए के बारे में पता चल गया तो क्या होगा?
ट्रेन अचानक झटका खाकर रुकी जिससे ज्योति को वास्तविकता का अहसास हुआ।
तब ज्योति ने कहा – बस जाओ और यह बात किसी को मत बताना। जल्दी जाओ।
अब्दुल हसता हुआ बोला – वाह मेरी जान आज तो मजा ही आ गया। पर तेरी चुदाई नही कर पाया इसका दुख रहेगा।
ज्योति उसको गुस्से से देखती है।
फिर अब्दुल ज्योति की और गंदी हसी निकालते हुए बोलता है – जान जा रहा है पर तेरा नंबर तो दे दे। तेरी याद आयेगी तो फोन करुगा।
ज्योति – जाओ यहां से। वैसे तुम तो भिखारी हो। तुमारे पास मोबाइल कहा से आया।
अब्दुल – जान मेरे दोस्त के पास है। उसके फोन से करूंगा।
ज्योति – जाओ यह से में नम्बर नहीं देने वाली।
अब्दुल ने ज्योति को गुस्से और गंदे भाव से देखा लेकिन फिर ज्योति ने धीरे-धीरे खुद को संभाला।
तभी उसी समय ट्रेन एक स्टेशन पर रुकी और कुछ यात्री तथा ट्रेन के गार्ड बोगी में चढ़ने लगे। उन्हें देखकर अब्दुल भिखारी डर गया और ज्योति को देखकर वह ट्रेन से निकल गया।
ज्योति को राहत महसूस हुई और वह अपनी सीट पर वापस बैठ गई। लेकिन गहरी सांस लेने के बावजूद भी वह उस उत्साह को दबा नहीं पाई जो उसने अभी-अभी महसूस किया था।
ज्योति ने खिड़की से बाहर देखा, जैसे ही ट्रेन फिर से चलने लगी। उसे ग्रामीण शहर का अंधेरा से भरा नज़ारा दिखाई दे रहा था और वह सोच रही थी कि अगर उसने अब्दुल को सिर्फ़ चूमने और चूत चाटने के अलावा कुछ और करने दिया होता, तो क्या होता।
उसे अपनी योनि में एक अजीब सी सनसनी महसूस हुई और अनायास ही उसके मुंह से एक हल्की कराह निकल गई।
उस रात ज्योति 4 घंटे तक सो नहीं पाई, वह सारी रात उस ***** भिखारी के बारे में सोचती रही। सुबह वह अपने स्टेशन पर पहुंच गई।
उसके भाई ने उसे ट्रेन स्टेशन से लेने के लिए एक कार भेजी थी। जैसे ही वह कार में बैठी, वह खुद को दोषी महसूस करने से नहीं रोक पाई। उसका दिमाग पिछली रात की घटनाओं को बार-बार दोहराता रहा, और उसे अचानक घृणा और शर्म का एहसास हुआ।
ज्योति का पति सुरेश एक सफल व्यवसायी थे, जो हमेशा अपने काम में व्यस्त रहते थे। ज्योति को ज़्यादातर समय अपनी बेटी और सास ससुर के साथ अकेले रहने की आदत थी। अपने जीवन में साथी और अंतरंगता की कमी ने उसे अपनी कामुकता को ऐसे तरीकों से तलाशने के लिए प्रेरित किया, जिसकी उसने पहले कभी कल्पना भी नहीं की थी।
लेकिन माँ के घर आने के बाद भी ज्योति रात को सोते समय ट्रेन के सफ़र की उस रात को नहीं भूल पाई। ज्योति के मन में एक इच्छा ज़रूर थी कि काश उस रात उसने भी अब्दुल नाम के उस ***** भिखारी के साथ सेक्स किया होता।
आखिर उसने तो उसके लण्ड को चूमा और चूसा था, फिर अगर उसने उसे अपने साथ सेक्स करने की इजाजत भी दे दी होती तो क्या बुराई थी।
ज्योति को पापी जैसा महसूस हो रहा था, लेकिन साथ ही उसे एक अजीब तरह की उत्तेजना भी महसूस हो रही थी।
ज्योति अपनी मायके के घर में बिस्तर पर लेटी हुई थी और उसने अपनी आँखें बंद कर ली थीं। वह महसूस कर सकती थी कि अब्दुल के स्पर्श की याद में उसका शरीर प्रतिक्रिया कर रहा था। उसके निप्पल सख्त हो गए थे और उसे अपने शरीर में गर्मी फैलती हुई महसूस हो रही थी।
अपनी शंकाओं के बावजूद उसने अपनी आँखें बंद कर लीं और उस अनुभूति में झुक गई। ज्योति को पता नही चला की कब उसके हाथो की उंगली उसकी चूत में चली गई और ज्योति ने उस रात मास्टरबेट किया और सो गई।
क्या ज्योति का अनोखा हवस भरा सफर यही रुक जायेगा?
Written By Mohik