22-01-2025, 09:56 AM
मैंने मस्ती में मदमस्त होके आयशा के मुम्मे को जोर से काट लिया।
"हाय भईय्या", आयेशा की आखें मस्ती और दर्द से उबल पड़ी और ऊपर की तरफ हो गयी।
सेक्स के नशे में आयेशा कोई चरसी लड़की की तरह मस्त हो रही थी।
आयेशा: "अब मैं तुम्हारे काटने का बदला लूंगी"
आयेशा ने मस्ती में कहा।
छोटी सी बहिन क्या बदला लेगी, मैं सोच रहा था।
तभी आयेशा ने अपनी पूरी ऊँगली मेरी नंगी गांड के छेद में अंदर तक डाल दी, और मैं दर्द और मस्ती में बिलबिला उठा।
आयेशा हंस पड़ीं, और सॉरी बोलने लगी।
मैं: "नहीं पगली, बहुत मज़ा आया "
मैंने हाँफते हुए कहा।
आयेशा ने अपनी गन्दी हो चुकी ऊँगली पहले खुद सूंघी, फिर मुझे सूंघने को भी दी।
मैं: "उफ़, मुझे पता नहीं था, की यह गांड की बदबू कितनी नशीली है "
आयेशा मस्त होकर अश्लील तरह से हंसी, फिर वो गांड की बदबू वाली गन्दी ऊँगली चाटने लगी।
मैंने छोटी सी बहिन की ये वेह्शी करामात देखी तो मैं वासना से पागल हो उठा।
मैंने अपना नंगा लँड अपने हाथ में लिया और आयेशा के खूबसूरत आलिया जैसे चेहरे और होंटो से मस्त होकर रगड़ने लगा।
आयेशा गरम लँड की मस्ती से और गरम हो गयी और वासना में अजीब अजीब कुतिया वाली आवाज़ें निकलने लगी।
मैं: "चुप पगली, अम्मी आ जाएगी "
मैंने कहा और आयेशा का गला जोर से दबा दिया और एक हलकी सी चपत उसके गीले मुँह पर मार दी ।
आयेशा: "बहुत मज़ा आया भाई, फिर से अपना नंगा लँड मेरे मुँह पर रगड़ो और मेरी गर्दन जोर से दबाओ "
मैंने मस्ती में आकर आयेशा की सुराहीदार गर्दन पकड़ी और धीरे धीरे दबाने लगा। एक दो प्यारी सी चपत उसके कोमल गालों पर लगा दी।
सेक्स के नशे और दर्द मस्ती में आयशा की आखें उबल कर ऊपर की और जाने लगी।
थोड़ी देर ऐसे ही गर्दन दबाने के बाद मैंने उसे छोड़ दिया तो आयेशा हांफने लगी।
"उफ़ भाई, क्या मस्ती थी गर्दन पिसवाने में", आयेशा ने पसीने से तरबतर होके कहा।
ऐसे ही आयशा मदमस्त होकर बिस्तर पर लोटती रही और अपने भाई के हाथों अपने नाजुक कोमल जवान बदन को अश्लीलता से पिसवाती रही।
करीब पंद्रह मिनट के बाद हम ने सांस लेने के लिए ब्रेक लिया, और मैंने अश्लील भावो से भरे आयशा की प्यारे मुँह को चूमा और उसके होंटो को वीभत्स तरीके से काटा।
आयेशा: "लव यू भाई"
आयेशा ने मेरी चुम्मी का चुम्मी से जवाब दिया और उसने मेरे होंटो को भी जोर से काट लिया।
हम दोनों के अश्लील सेक्स में प्यार और दर्द दोनों जी भरके था।
"तुम्हारे छोटे छोटे स्तन कमाल के हैं आयेशा", मैंने जोर जोर से दबाते हुए कहा।
आयेशा: "भाई आप ऐसे ही मेरे मुम्मे दबाते रहेंगे तो मेरे मुम्मे अम्मी जितने चालीस इंच के हो जायेंगे"
आयशा ने मस्ती से कहा।
मैं: "उफ़, ये मस्त मुम्मे कितने छोटे हैं फिर भी बहुत कमाल के हैं आयेशा",
मैंने जी भर कर छोटे छोटे टमाटर जैसे मुम्मे को जीभ से चाटा और दाँतों से काटने लगा।
आयेशा: "आराम से भाई"
आयेशा दर्द और सेक्स मस्ती से कराहते हुए बोली।
मैंने आयेशा के कपड़ों को ऊपर ही उसके मासूम बदन को जी भरके दबाया और निचोड़ा। फिर उसे पलंग पर उलटी लेटा कर मैंने उसके मादक नितम्बो को भी खूब मसला, काटा, हाथ से जोर जोर से मारा और जी भर के अपनी सालों की प्यास बुझाई।
मेरा मन कर रहा था की मैं उसकी चड्डी उतर कर उसके छोटी सी गांड में छेद में अपनी जीभ अंदर तक डाल दूँ और चूसता रहूँ।
आयेशा कराह कराह कर मुझे उकसाती रही और अपनी नशीली आँखों से मुझे हवस का कुत्ता बनाती रही।
आयशा ने मेरी हर गन्दी हरकतों का बहुत मज़ा लिया, और मुझे वासना का पागल कुत्ता बनते देख हंसती रही।
वो शायद चाहती थी की मैं उसे नंगी करके रात भर चोदू और पूरी औरत बना दूँ, पर मैं अम्मी से डरता था।
मैं: "तुम्हारे इस कमसिन अनछुए बदन को बेदर्दी से पीसने में कितना नशा है आएशा"।
आएशा: "ये बदन किसी ने पहले भी छुआ है भाई"
मैं: "किसने? "
मैं जलन से भर उठा।
आएशा: "मैथ्स वाले शर्मा सर ने"
"हाय भईय्या", आयेशा की आखें मस्ती और दर्द से उबल पड़ी और ऊपर की तरफ हो गयी।
सेक्स के नशे में आयेशा कोई चरसी लड़की की तरह मस्त हो रही थी।
आयेशा: "अब मैं तुम्हारे काटने का बदला लूंगी"
आयेशा ने मस्ती में कहा।
छोटी सी बहिन क्या बदला लेगी, मैं सोच रहा था।
तभी आयेशा ने अपनी पूरी ऊँगली मेरी नंगी गांड के छेद में अंदर तक डाल दी, और मैं दर्द और मस्ती में बिलबिला उठा।
आयेशा हंस पड़ीं, और सॉरी बोलने लगी।
मैं: "नहीं पगली, बहुत मज़ा आया "
मैंने हाँफते हुए कहा।
आयेशा ने अपनी गन्दी हो चुकी ऊँगली पहले खुद सूंघी, फिर मुझे सूंघने को भी दी।
मैं: "उफ़, मुझे पता नहीं था, की यह गांड की बदबू कितनी नशीली है "
आयेशा मस्त होकर अश्लील तरह से हंसी, फिर वो गांड की बदबू वाली गन्दी ऊँगली चाटने लगी।
मैंने छोटी सी बहिन की ये वेह्शी करामात देखी तो मैं वासना से पागल हो उठा।
मैंने अपना नंगा लँड अपने हाथ में लिया और आयेशा के खूबसूरत आलिया जैसे चेहरे और होंटो से मस्त होकर रगड़ने लगा।
आयेशा गरम लँड की मस्ती से और गरम हो गयी और वासना में अजीब अजीब कुतिया वाली आवाज़ें निकलने लगी।
मैं: "चुप पगली, अम्मी आ जाएगी "
मैंने कहा और आयेशा का गला जोर से दबा दिया और एक हलकी सी चपत उसके गीले मुँह पर मार दी ।
आयेशा: "बहुत मज़ा आया भाई, फिर से अपना नंगा लँड मेरे मुँह पर रगड़ो और मेरी गर्दन जोर से दबाओ "
मैंने मस्ती में आकर आयेशा की सुराहीदार गर्दन पकड़ी और धीरे धीरे दबाने लगा। एक दो प्यारी सी चपत उसके कोमल गालों पर लगा दी।
सेक्स के नशे और दर्द मस्ती में आयशा की आखें उबल कर ऊपर की और जाने लगी।
थोड़ी देर ऐसे ही गर्दन दबाने के बाद मैंने उसे छोड़ दिया तो आयेशा हांफने लगी।
"उफ़ भाई, क्या मस्ती थी गर्दन पिसवाने में", आयेशा ने पसीने से तरबतर होके कहा।
ऐसे ही आयशा मदमस्त होकर बिस्तर पर लोटती रही और अपने भाई के हाथों अपने नाजुक कोमल जवान बदन को अश्लीलता से पिसवाती रही।
करीब पंद्रह मिनट के बाद हम ने सांस लेने के लिए ब्रेक लिया, और मैंने अश्लील भावो से भरे आयशा की प्यारे मुँह को चूमा और उसके होंटो को वीभत्स तरीके से काटा।
आयेशा: "लव यू भाई"
आयेशा ने मेरी चुम्मी का चुम्मी से जवाब दिया और उसने मेरे होंटो को भी जोर से काट लिया।
हम दोनों के अश्लील सेक्स में प्यार और दर्द दोनों जी भरके था।
"तुम्हारे छोटे छोटे स्तन कमाल के हैं आयेशा", मैंने जोर जोर से दबाते हुए कहा।
आयेशा: "भाई आप ऐसे ही मेरे मुम्मे दबाते रहेंगे तो मेरे मुम्मे अम्मी जितने चालीस इंच के हो जायेंगे"
आयशा ने मस्ती से कहा।
मैं: "उफ़, ये मस्त मुम्मे कितने छोटे हैं फिर भी बहुत कमाल के हैं आयेशा",
मैंने जी भर कर छोटे छोटे टमाटर जैसे मुम्मे को जीभ से चाटा और दाँतों से काटने लगा।
आयेशा: "आराम से भाई"
आयेशा दर्द और सेक्स मस्ती से कराहते हुए बोली।
मैंने आयेशा के कपड़ों को ऊपर ही उसके मासूम बदन को जी भरके दबाया और निचोड़ा। फिर उसे पलंग पर उलटी लेटा कर मैंने उसके मादक नितम्बो को भी खूब मसला, काटा, हाथ से जोर जोर से मारा और जी भर के अपनी सालों की प्यास बुझाई।
मेरा मन कर रहा था की मैं उसकी चड्डी उतर कर उसके छोटी सी गांड में छेद में अपनी जीभ अंदर तक डाल दूँ और चूसता रहूँ।
आयेशा कराह कराह कर मुझे उकसाती रही और अपनी नशीली आँखों से मुझे हवस का कुत्ता बनाती रही।
आयशा ने मेरी हर गन्दी हरकतों का बहुत मज़ा लिया, और मुझे वासना का पागल कुत्ता बनते देख हंसती रही।
वो शायद चाहती थी की मैं उसे नंगी करके रात भर चोदू और पूरी औरत बना दूँ, पर मैं अम्मी से डरता था।
मैं: "तुम्हारे इस कमसिन अनछुए बदन को बेदर्दी से पीसने में कितना नशा है आएशा"।
आएशा: "ये बदन किसी ने पहले भी छुआ है भाई"
मैं: "किसने? "
मैं जलन से भर उठा।
आएशा: "मैथ्स वाले शर्मा सर ने"
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
