Part - 5
उधर सुमन आंटी के घर पर ,
नेहा भाभी " क्या हुवा मम्मी जी"
सुमन आंटी " अरे सब्र करले, बस आज की रात' कल से सब रात रंगीन होगी,"
अगले दिन शाम को मैं गया तो सलोनी ने दरवाज़ा खोला, मैने उससे पूछा तो उसने बताया की "सुमन आंटी और नेहा भाभी किचन मे है"।
मैं उसको काम दे के सीधा किचन मे पहुँचा तो देखा कि आज नेहा भाभी तो वहाँ पर नहीं है पर सुमन आंटी वही कुछ काम कर रही है और उन्होंने आज ने बहुत हल्का सूट पहना है और उनकी लाल रंग की ब्रा साफ दिख रही है।
मैं उनके बिल्कुल पीछे खडा होकर ज़ोर से चिल्लाया वो डर के घूमी और मुझसे लिपट गई, उनकी धड्कन बहुत तेज़ चल रही थी और उनके रसभरे बूब्स मेरी छाती पे चिपके हुये थे। फ़िर मैने उनकी गांड को धीरे धीरे सहलाना शुरू कर दिया, कमाल की गांड थी उनकी बडे बडे और मुलायम, मेरा लंड उनके पेट पे दबाव डाल रहा था पर जैसे ही उनको होश आया वो मुझसे अलग होकर अपने काम मे लग गयी।
फ़िर मैने उनसे बात करना शुरू किया।
मैं बोला " किताब तो बहुत अच्छी है मेरे बहुत काम आई"
सुमन आंटी " क्युं ऐसा क्या है उसमें "
मैने सोचा इससे अच्छा मौका नही मिलेगार साला जो होगा देखा जाएगा और मैने अपना हाथ उनके बूब्स पर रख दिया और लंड को उनके गांड से चिप्का दिया जो कि पूरी तरह से खडा हो चुका था।
सुमन आंटी छो'डो मुझे ये क्या कर रहे हो?"
मैं बोला "आपके सवाल का जवाब दे रहा हूं, यही सब तो है उसमें, सुहागरात वाली चीज़ें।"
सुमन आंटी "ये सब शादी के बाद करने वाली चीज़ें हैं!
मैं बोला "आप मेरी मदद करो तो मैं शादी से पहले सुहागरात मना सकता हूं।
सुमन आंटी " इतनी जल्दी है सुहागरात मनाने की?"
मैं बोला "पहले जल्दी नही थी पर अब है और आपको"
सुमन आंटी "मैं तो पता नही कितनी बार मना चुकी हूं तुम्हारे चाचा के साथ।
मैं बोला " मेरे साथ ट्राई करके देखो
सुमन आंटी "धत्त शैतान कहीं का और मेरे गालों पे एक चुम्मी देकर ये कहते हुये बाहर चली गयीं कि "बेटा अपने हथियार को ज़रा काबू में रखो हमेशा घुसने के लिये तैयार रहता है।"
मैं बोला "आपको देख कर तो बुड्ढे का भी खडा हो जाये मेरा तो जवान है।"
वो चुपचाप बाहर जाकर सोफे पर बैठ गईं मैं भी उनके जांघ से जांघ चिपका के बैठ गया सलोनी उनके बायीं तरफ और मैं दायीं तरफ बैठा था इसका मौका उठा के मैं उनकी गांड सहलाने लगा और कभी कभी एक उंगली नीचे से उनकी दरार में घुसाने कि कोशिश करता। जब उनसे रहा नही गया तो वो उठ कर अपने कमरे में जाने लगीं तो मैने पूछा "क्या हुआ?"
सुमन आंटी "तबीयत थोडी खराब लग रही है,"
मैं समझ गया और सलोनी को ढेर सार काम देकर सुमन आंटी के रूम में पहुंचा तो देखा कि वो बेड पर उल्टी होके लेटी हैं। मैं उनके पास जाकर बैठा और उनकी गांड के छेद को सलवार के ऊपर से सहलाने लगा उनको मज़ा आ रहा था पर तभी उन्होंने मेरा हाथ पकड कर रोक दिया और कहने लगी,
सुमन आंटी "ये गलत है, तुम मेरे बेटे के जैसे हो मैं तुम्हारे साथ ये नही करुंगी किसी को पता चल गया तो?"
मैंने मन ही मन सोचा " साली रांड नाटक करती है" उस दिन जब सुरेश और अपनी बहु के साथ हमबिस्तर हुई थी तब डर नहीं लगा कि दुनिया को पता चलेगा की क्या होगा,
मैं बोला "हमारे अलावा और किसको पता चलेगा बिना बताये, मैं प्रोमिस करता हूँ हम दोनो के अलावा किसी को नही बताउंगा।"
सुमन आंटी "ओके, पर सलोनी और नेहा तो यहीं रहती है ना इसी घर में ।
मैं बोला - कोई नही मैं उसको ढेर सारा काम दे दिया करुंगा। और नेहा भाभी तो मुझे कही नजर भी नहीं आती है
सुमन आंटी "ओके..
और तभी मैं उनको किस करने लगा, वो भी मेरा साथ बढ चढ कर देने लगीं।
उधर सुमन आंटी के घर पर ,
नेहा भाभी " क्या हुवा मम्मी जी"
सुमन आंटी " अरे सब्र करले, बस आज की रात' कल से सब रात रंगीन होगी,"
अगले दिन शाम को मैं गया तो सलोनी ने दरवाज़ा खोला, मैने उससे पूछा तो उसने बताया की "सुमन आंटी और नेहा भाभी किचन मे है"।
मैं उसको काम दे के सीधा किचन मे पहुँचा तो देखा कि आज नेहा भाभी तो वहाँ पर नहीं है पर सुमन आंटी वही कुछ काम कर रही है और उन्होंने आज ने बहुत हल्का सूट पहना है और उनकी लाल रंग की ब्रा साफ दिख रही है।
मैं उनके बिल्कुल पीछे खडा होकर ज़ोर से चिल्लाया वो डर के घूमी और मुझसे लिपट गई, उनकी धड्कन बहुत तेज़ चल रही थी और उनके रसभरे बूब्स मेरी छाती पे चिपके हुये थे। फ़िर मैने उनकी गांड को धीरे धीरे सहलाना शुरू कर दिया, कमाल की गांड थी उनकी बडे बडे और मुलायम, मेरा लंड उनके पेट पे दबाव डाल रहा था पर जैसे ही उनको होश आया वो मुझसे अलग होकर अपने काम मे लग गयी।
फ़िर मैने उनसे बात करना शुरू किया।
मैं बोला " किताब तो बहुत अच्छी है मेरे बहुत काम आई"
सुमन आंटी " क्युं ऐसा क्या है उसमें "
मैने सोचा इससे अच्छा मौका नही मिलेगार साला जो होगा देखा जाएगा और मैने अपना हाथ उनके बूब्स पर रख दिया और लंड को उनके गांड से चिप्का दिया जो कि पूरी तरह से खडा हो चुका था।
सुमन आंटी छो'डो मुझे ये क्या कर रहे हो?"
मैं बोला "आपके सवाल का जवाब दे रहा हूं, यही सब तो है उसमें, सुहागरात वाली चीज़ें।"
सुमन आंटी "ये सब शादी के बाद करने वाली चीज़ें हैं!
मैं बोला "आप मेरी मदद करो तो मैं शादी से पहले सुहागरात मना सकता हूं।
सुमन आंटी " इतनी जल्दी है सुहागरात मनाने की?"
मैं बोला "पहले जल्दी नही थी पर अब है और आपको"
सुमन आंटी "मैं तो पता नही कितनी बार मना चुकी हूं तुम्हारे चाचा के साथ।
मैं बोला " मेरे साथ ट्राई करके देखो
सुमन आंटी "धत्त शैतान कहीं का और मेरे गालों पे एक चुम्मी देकर ये कहते हुये बाहर चली गयीं कि "बेटा अपने हथियार को ज़रा काबू में रखो हमेशा घुसने के लिये तैयार रहता है।"
मैं बोला "आपको देख कर तो बुड्ढे का भी खडा हो जाये मेरा तो जवान है।"
वो चुपचाप बाहर जाकर सोफे पर बैठ गईं मैं भी उनके जांघ से जांघ चिपका के बैठ गया सलोनी उनके बायीं तरफ और मैं दायीं तरफ बैठा था इसका मौका उठा के मैं उनकी गांड सहलाने लगा और कभी कभी एक उंगली नीचे से उनकी दरार में घुसाने कि कोशिश करता। जब उनसे रहा नही गया तो वो उठ कर अपने कमरे में जाने लगीं तो मैने पूछा "क्या हुआ?"
सुमन आंटी "तबीयत थोडी खराब लग रही है,"
मैं समझ गया और सलोनी को ढेर सार काम देकर सुमन आंटी के रूम में पहुंचा तो देखा कि वो बेड पर उल्टी होके लेटी हैं। मैं उनके पास जाकर बैठा और उनकी गांड के छेद को सलवार के ऊपर से सहलाने लगा उनको मज़ा आ रहा था पर तभी उन्होंने मेरा हाथ पकड कर रोक दिया और कहने लगी,
सुमन आंटी "ये गलत है, तुम मेरे बेटे के जैसे हो मैं तुम्हारे साथ ये नही करुंगी किसी को पता चल गया तो?"
मैंने मन ही मन सोचा " साली रांड नाटक करती है" उस दिन जब सुरेश और अपनी बहु के साथ हमबिस्तर हुई थी तब डर नहीं लगा कि दुनिया को पता चलेगा की क्या होगा,
मैं बोला "हमारे अलावा और किसको पता चलेगा बिना बताये, मैं प्रोमिस करता हूँ हम दोनो के अलावा किसी को नही बताउंगा।"
सुमन आंटी "ओके, पर सलोनी और नेहा तो यहीं रहती है ना इसी घर में ।
मैं बोला - कोई नही मैं उसको ढेर सारा काम दे दिया करुंगा। और नेहा भाभी तो मुझे कही नजर भी नहीं आती है
सुमन आंटी "ओके..
और तभी मैं उनको किस करने लगा, वो भी मेरा साथ बढ चढ कर देने लगीं।