Yesterday, 12:29 PM
Update – 2
जब ट्रेन की बोगी मे बैठे सभी वहा लो क्लास के आदमी लोग ज्योति को गंदी निगाह से देख रहे थे तभी ज्योति के मन में अपने पति के लिए गुस्सा और गंदी सोच आती है। वो अपने पति के लिए सोचती है कि उसका पति अपनी कमाई, रुपया और कारोबार के बारे में सोचता है उससे म ही मतलब रखता है वो कभी भी अपने परिवार और पत्नी के लिए ज्यादा नहीं सोचता है। की वो किस जगह पर है ये किस मुसीबत में है। बस उनको तो सिर्फ पैसा कमाना है।
दरअसल ज्योति का पति उसके अकेले ट्रेन की जनरल डब्बे में अपने माता-पिता के घर जाने के बिलकुल खिलाफ था। ना ही वो लम्बे समय से वो ज्योति को बाहर ले जा रहा था और ना ही उसको शहर से बाहर ले जा रहा था। पर अब के समय ज्योति को अपने पति अजय की बातों और विचार की बिल्कुल भी परवाह नहीं थी। ज्योति 31 साल की उम्र में एक कुछ हद तक स्वतंत्र और खुले विचारों वाली महिला थी। उसे अब थोड़ा बहुत अपने तरीके से काम करना पसंद था।
बोगी में मौजूद सभी पुरुषों की नज़रें उस पर टिकी थीं। ज्योति ने किसी पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं दिया। ज्योति अग्रवाल जानती थी कि किसी को भी भाव दिया तो वो आदमी लोग उसके पास आकर बैठ जायेगे और लाईन मारने की कोशिश करेंगे।
वह आराम से सभी आस पास के लोगों को इग्नोर करके अपनी सीट पर बैठी रही। उसने हल्का मेकअप किया हुआ था, लेकिन उसका फिगर बहुत ही आकर्षक था।
तभी एक स्टेशन पर उनकी ट्रेन की बोगी लगभग खाली हों जाती है, उस समय रात के 09:00 बज रही थी।
ज्योति ही उसकी बोगी में अकेली यात्री थी और भिखारी पैसे मांगने के लिए उसकी बोगी में घुस आया था।
ज्योति को भिखारी को देखकर थोड़ा डर लगा। इस बीच भिखारी ज्योति को देख रहा था और फिर उसकी नज़र ज्योति के क्लीवेज बड़े स्तनों या चूचों पर पड़ी, जो ज्योति के टाइट ब्रा के वजह से दिख रही थी।
यह देखकर भिखारी अजीब सी आवाज निकालकर भीख मांगने लगा और उससे पैसे मांगने लगा।
ज्योति भिखारी से बहस नहीं करना चाहती थी, इसलिए उसने उसे कुछ पैसे दिए। भिखारी ने पैसे लिए और चला गया।
क्या वो भिखारी ट्रेन से उतर गया.....?
Update - 3
कुछ देर बाद ज्योति के बूब्स कठोर होने लगे, ज्योति उन पर ध्यान नहीं दे रही थी और अलग-अलग तरीके से अंगड़ाई ले रही थी और अपने शरीर का आकार बदल रही थी। उस समय उसके आस पास कोई भी नहीं बैठा था।
वह अपने विचारों में खोई हुई, सोच-विचार कर अपने होंठ भींच रही थी और अजय को मन ही मन गालियां दे रही थी।
ट्रेन का सफ़र बहुत शोरगुल वाला था, पहियों की आवाज़ और अलग-अलग आवाज़ें। लेकिन ज्योति के आस-पास बहुत सन्नाटा था।
करीब 10:00 बजे ज्योति को एहसास हुआ कि इस गर्मी में वह अपने स्तनों में दूध को ज़्यादा देर तक रोक कर नहीं रख सकती। साथ हे ज्योति को अब अपना टाइट ब्रा को भी खोलना था और अपने बूब्स को आजाद करना था। कुछ देर बाद ज्योति ने देखा कि उसका ब्लाउज उसके निप्पलों के पास गीला हो रहा था, जिसका मतलब था कि ज्योति का दूध अपने आप निकल रहा था। ज्योति ने सोचा कि ट्रेन के शौचालय में जाकर उसे खाली कर दिया जाए।
गेट पर जाकर ज्योति ने देखा कि वही भिखारी गेट के पास बैठा था। ज्योति ने देखा कि भिखारी कितना गंदा, बदबूदार था जैसे कोई राक्षस हो। उस भिखारी के कपड़े पूरी तरह से गंदे थे। भिखारी ने सफ़ेद गंदा फटा कुर्ता और फटी लुंगी पहन रखी थी। उसने ज्योति से खाने के लिए कुछ मांगा। ज्योति के पास कुछ भी नहीं था जो ज्योति उसे खाने के लिए दे सके। फिर ज्योति अग्रवाल ने उसे नज़रअंदाज़ कर दिया।
जब ज्योति शौचालय में गई तो उसने देखा कि वहां खड़े होकर अपने स्तन खाली करने के लिए पर्याप्त जगह नहीं थी और कोई वहा शौच कर गया था जिससे इतनी ज्यादा गंदी बदबू आ रही थी कि खड़ा रहना तक मुश्किल हो गया था।
तो ज्योति ने सोचा कि क्यों न बाहर वाश बेसिन में ही अपने बूब्स के दूध को खाली कर दिए जाएँ, क्योंकि बाहर उस भिखारी के अलावा और कोई नहीं था। जब ज्योति बाहर आई तो वह भी ज्योति के ब्लाउज़ को देख रहा था। ज्योति को बहुत अजीब लग रहा था। फिर उस समय ज्योति की हिम्मत नहीं हुई कि वो जो करने आई थी वो कर सके। ज्योति को उस भिखारी को देख देख कर थोड़ा डर और अजीब सा लग रहा था।
फिर ज्योति सोचती है कि बोगी के दूसरी साइड भी शौचालय है वहां चली जाती हु। फिर ज्योति बोगी की दूसरी तरफ चली गई और वहा के शौचालय का भी यही हाल था। वो शौचालय भी बहुत गंदा था। जहां 1 मिनिट भी खड़ा रहना बहुत मुश्किल था। पर यहां दूसरी तरफ एक चीज सही थी कि वो अकेली थी इसलिए वो बाहर वाशबेसिन में अपने बूब्स से दूध को खाली कर सकती थी।
फिर ज्योति ने सोचा कि अपनी पीठ उस ओर करके वाशबेसिन में दूध निकाल दूं और ब्रा निकाल दूं। ज्योति वाश बेसिन की तरफ मुड़ी और अपना ब्लाउज खोला। तभी उसे महसूस हुआ कि कोई उसको देख रहा है फिर उसने हल्का सा मुंह घूमा कर देखा तो पाया कि वह भिखारी उसे देख रहा है। ज्योति एक दम से डर गई। ज्योति मन हे मन सोचने लगी – अरे नहीं ये
भिखारी तो इधर भी आ गया। क्या कार्य कही शोर न मचा दे। कही ये मुझको कुछ कर नहीं दे।
ज्योति हिम्मत जुटा कर उस भिखारी को बोलती – ए जाओ यहां से। इधर मत खड़े रहो।
फिर वो भिखारी अपनी गंदी शकल पर हसी लाते हुए बोलता है - मैडमजी ई तो मेरा सोने का जगह है में थोड़ी देर पहले इधर ही सोया हुआ था। पर आप आपका काम करलो।
उसके ऐसा बोलते अब ज्योति को शर्म आ रही थी। फिर ज्योति ने सोचा कि अब उसको अपने ब्रेस्ट से दूध निकालने का काम जारी रखना चाहिए क्योंकि अब तो ये भिखारी देख हे चुका है। अगर वो अब यह से भी गई तो वो भिखारी फिर पीछे पीछे आ जाएगा क्योंकि उसको पता चल गया है कि मैं क्या कर रही हूँ। वैसे भी ये भिखारी कौनसा मुझको जानता है ना ही और कोई व्यक्ति है पूरी बोगी मे। वैसे ज्योति को थोड़ा अलग सा महसूस हो रहा था कि उसको ब्रेस्ट से दूध निकालते हुए पीछे से एक अंजान आदमी देख रहा है।
अब क्या होगा आगे ज्योति अपनी ब्रेस्ट से दूध निकाल पाएगी ?
जब ट्रेन की बोगी मे बैठे सभी वहा लो क्लास के आदमी लोग ज्योति को गंदी निगाह से देख रहे थे तभी ज्योति के मन में अपने पति के लिए गुस्सा और गंदी सोच आती है। वो अपने पति के लिए सोचती है कि उसका पति अपनी कमाई, रुपया और कारोबार के बारे में सोचता है उससे म ही मतलब रखता है वो कभी भी अपने परिवार और पत्नी के लिए ज्यादा नहीं सोचता है। की वो किस जगह पर है ये किस मुसीबत में है। बस उनको तो सिर्फ पैसा कमाना है।
दरअसल ज्योति का पति उसके अकेले ट्रेन की जनरल डब्बे में अपने माता-पिता के घर जाने के बिलकुल खिलाफ था। ना ही वो लम्बे समय से वो ज्योति को बाहर ले जा रहा था और ना ही उसको शहर से बाहर ले जा रहा था। पर अब के समय ज्योति को अपने पति अजय की बातों और विचार की बिल्कुल भी परवाह नहीं थी। ज्योति 31 साल की उम्र में एक कुछ हद तक स्वतंत्र और खुले विचारों वाली महिला थी। उसे अब थोड़ा बहुत अपने तरीके से काम करना पसंद था।
बोगी में मौजूद सभी पुरुषों की नज़रें उस पर टिकी थीं। ज्योति ने किसी पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं दिया। ज्योति अग्रवाल जानती थी कि किसी को भी भाव दिया तो वो आदमी लोग उसके पास आकर बैठ जायेगे और लाईन मारने की कोशिश करेंगे।
वह आराम से सभी आस पास के लोगों को इग्नोर करके अपनी सीट पर बैठी रही। उसने हल्का मेकअप किया हुआ था, लेकिन उसका फिगर बहुत ही आकर्षक था।
तभी एक स्टेशन पर उनकी ट्रेन की बोगी लगभग खाली हों जाती है, उस समय रात के 09:00 बज रही थी।
ज्योति ही उसकी बोगी में अकेली यात्री थी और भिखारी पैसे मांगने के लिए उसकी बोगी में घुस आया था।
ज्योति को भिखारी को देखकर थोड़ा डर लगा। इस बीच भिखारी ज्योति को देख रहा था और फिर उसकी नज़र ज्योति के क्लीवेज बड़े स्तनों या चूचों पर पड़ी, जो ज्योति के टाइट ब्रा के वजह से दिख रही थी।
यह देखकर भिखारी अजीब सी आवाज निकालकर भीख मांगने लगा और उससे पैसे मांगने लगा।
ज्योति भिखारी से बहस नहीं करना चाहती थी, इसलिए उसने उसे कुछ पैसे दिए। भिखारी ने पैसे लिए और चला गया।
क्या वो भिखारी ट्रेन से उतर गया.....?
Update - 3
कुछ देर बाद ज्योति के बूब्स कठोर होने लगे, ज्योति उन पर ध्यान नहीं दे रही थी और अलग-अलग तरीके से अंगड़ाई ले रही थी और अपने शरीर का आकार बदल रही थी। उस समय उसके आस पास कोई भी नहीं बैठा था।
वह अपने विचारों में खोई हुई, सोच-विचार कर अपने होंठ भींच रही थी और अजय को मन ही मन गालियां दे रही थी।
ट्रेन का सफ़र बहुत शोरगुल वाला था, पहियों की आवाज़ और अलग-अलग आवाज़ें। लेकिन ज्योति के आस-पास बहुत सन्नाटा था।
करीब 10:00 बजे ज्योति को एहसास हुआ कि इस गर्मी में वह अपने स्तनों में दूध को ज़्यादा देर तक रोक कर नहीं रख सकती। साथ हे ज्योति को अब अपना टाइट ब्रा को भी खोलना था और अपने बूब्स को आजाद करना था। कुछ देर बाद ज्योति ने देखा कि उसका ब्लाउज उसके निप्पलों के पास गीला हो रहा था, जिसका मतलब था कि ज्योति का दूध अपने आप निकल रहा था। ज्योति ने सोचा कि ट्रेन के शौचालय में जाकर उसे खाली कर दिया जाए।
गेट पर जाकर ज्योति ने देखा कि वही भिखारी गेट के पास बैठा था। ज्योति ने देखा कि भिखारी कितना गंदा, बदबूदार था जैसे कोई राक्षस हो। उस भिखारी के कपड़े पूरी तरह से गंदे थे। भिखारी ने सफ़ेद गंदा फटा कुर्ता और फटी लुंगी पहन रखी थी। उसने ज्योति से खाने के लिए कुछ मांगा। ज्योति के पास कुछ भी नहीं था जो ज्योति उसे खाने के लिए दे सके। फिर ज्योति अग्रवाल ने उसे नज़रअंदाज़ कर दिया।
जब ज्योति शौचालय में गई तो उसने देखा कि वहां खड़े होकर अपने स्तन खाली करने के लिए पर्याप्त जगह नहीं थी और कोई वहा शौच कर गया था जिससे इतनी ज्यादा गंदी बदबू आ रही थी कि खड़ा रहना तक मुश्किल हो गया था।
तो ज्योति ने सोचा कि क्यों न बाहर वाश बेसिन में ही अपने बूब्स के दूध को खाली कर दिए जाएँ, क्योंकि बाहर उस भिखारी के अलावा और कोई नहीं था। जब ज्योति बाहर आई तो वह भी ज्योति के ब्लाउज़ को देख रहा था। ज्योति को बहुत अजीब लग रहा था। फिर उस समय ज्योति की हिम्मत नहीं हुई कि वो जो करने आई थी वो कर सके। ज्योति को उस भिखारी को देख देख कर थोड़ा डर और अजीब सा लग रहा था।
फिर ज्योति सोचती है कि बोगी के दूसरी साइड भी शौचालय है वहां चली जाती हु। फिर ज्योति बोगी की दूसरी तरफ चली गई और वहा के शौचालय का भी यही हाल था। वो शौचालय भी बहुत गंदा था। जहां 1 मिनिट भी खड़ा रहना बहुत मुश्किल था। पर यहां दूसरी तरफ एक चीज सही थी कि वो अकेली थी इसलिए वो बाहर वाशबेसिन में अपने बूब्स से दूध को खाली कर सकती थी।
फिर ज्योति ने सोचा कि अपनी पीठ उस ओर करके वाशबेसिन में दूध निकाल दूं और ब्रा निकाल दूं। ज्योति वाश बेसिन की तरफ मुड़ी और अपना ब्लाउज खोला। तभी उसे महसूस हुआ कि कोई उसको देख रहा है फिर उसने हल्का सा मुंह घूमा कर देखा तो पाया कि वह भिखारी उसे देख रहा है। ज्योति एक दम से डर गई। ज्योति मन हे मन सोचने लगी – अरे नहीं ये
भिखारी तो इधर भी आ गया। क्या कार्य कही शोर न मचा दे। कही ये मुझको कुछ कर नहीं दे।
ज्योति हिम्मत जुटा कर उस भिखारी को बोलती – ए जाओ यहां से। इधर मत खड़े रहो।
फिर वो भिखारी अपनी गंदी शकल पर हसी लाते हुए बोलता है - मैडमजी ई तो मेरा सोने का जगह है में थोड़ी देर पहले इधर ही सोया हुआ था। पर आप आपका काम करलो।
उसके ऐसा बोलते अब ज्योति को शर्म आ रही थी। फिर ज्योति ने सोचा कि अब उसको अपने ब्रेस्ट से दूध निकालने का काम जारी रखना चाहिए क्योंकि अब तो ये भिखारी देख हे चुका है। अगर वो अब यह से भी गई तो वो भिखारी फिर पीछे पीछे आ जाएगा क्योंकि उसको पता चल गया है कि मैं क्या कर रही हूँ। वैसे भी ये भिखारी कौनसा मुझको जानता है ना ही और कोई व्यक्ति है पूरी बोगी मे। वैसे ज्योति को थोड़ा अलग सा महसूस हो रहा था कि उसको ब्रेस्ट से दूध निकालते हुए पीछे से एक अंजान आदमी देख रहा है।
अब क्या होगा आगे ज्योति अपनी ब्रेस्ट से दूध निकाल पाएगी ?
Written By Mohik