Part - 4
आज रविवार था और कल रात को देर तक जागने की वजह से देर से उठा तो देखा की मेरी माँ सुमन आंटी से बात कर रही है, तभी भाभी ने मुझे चाय लाके दे दी, मैं घर के चौक में कुर्सी पर बैठ गया, अख़बार पढ़ते हुवे चाय पीने लगा,
तभी मेरी माँ आके बोली " कल रात को कहा था तू,?
मैं बोला " कही नहीं कमरे में तो था"
माँ बोली " मैं गयी थे तेरे कमरे में कुछ बात करने के लिए पर तू नहीं था,
मैं बोला " वो नींद नहीं आ रही थी इसलिए छत पर टहल रहा था,
तभी मेरी भाभी बोली " मैं कह रही थी न माँ जी देवर जी की शादी करवा दीजिये तभी नींद बराबर आएगी,
मैं बोला " भाभी आप जैसी कोई मिले तो मना नहीं करूँगा,
माँ बोली " तुम दोनों देवर भाभी के बीच में नहीं बोलूंगी, लेकिन बहु देख अगर कोई तेरे मायके में हो तो'
भाभी बोली " ठीक है"
फिर माँ उठ के चली गयी और हम दोनों देवर भाभी वही बाते कर रही थे,
तभी माँ वापस आयी और बोली "वो सुमन आयी थी सुबह सुबह उसको कुछ काम है तुझ से,जाके देख लेना"
मैं बोला " वो सुरेश रहता है न उनके घर में उससे करवाले जो भी काम है"
माँ बोली " सुरेश तो किरायेदार है, आज है कल नहीं होगा "
मैं बोला " हम लोग कोनसे रिश्तेदार है उनके"
माँ बोली " मुझे कुछ नहीं सुनना, तू जाके आ ,
हुकम सुना के माँ चली गयी मंदिर में
मैंने भाभी से पूछा "ऐसा कोनसा काम है "
भाभी बोली " अरे वो नेहा की बेटी है न सलोनी, उसके कॉलेज की परीक्षा है, उसे पढ़ाना है,
मैं बोला " उनकी लडकी दूसरी क्लास में है। उसे क्या पढ़ाऊंगा"
मुझे बहुत बोरिंग लगा इसलिये मैने भाभी को बोला कि वो मना कर दे,
तभी पापा की आवाज आयी " नहीं नहीं तुझे ही पढ़ाना है"
अब मेरे पापा सने कहा इसलिये मुझे मानना पडा और मैने हाँ कर दिया।
मैंने कहा " ठीक है, आज रविवार है अभी जाके देख लेता हु,
जब मैने वहाँ पहुँच कर दरवाज़ा खट्खटाया तो मेरे तो तो मेरी सुमन चाची मेरे सामने खडी थी।
मै उन्हें देख कर मुस्कुराया, बदले में उन्होंने भी स्माइल पास किया और अन्दर आने के लिये कहा।
सुमन आंटी " आ जा सन्नी, तेरे बारे में ही सोच रही थी,
मैं अंदर जाकर सोफे पे बैठ गया और बोला" हाँ कहा है सलोनी "
तभी सलोनी ने मेरे पीछे से आके बोली " मैं यहाँ हु अंकल "
मैं बोला " सलोनी बड़ी शैतान हो गयी है, डरा दिया मुझे "
फिर ऐसे ही हंसी मजाक करते हुवे मैं सलोनी को पढ़ाने लगा, लेकिन कही न कही मेरी नजर नेहा भाभी को ढूंढ रही थी,और वो मुझे कही भी नजर नहीं आ रही थी, तभी सुमन आंटी ने बोला " ये नेहा भी ना, कितनी देर लगा देती है नहाने में"
मैं थोड़ी देर और पढ़ाता रहा पर नेहा भाभी के दर्शन नहीं हुवे,
वहां बिल्कुल भी मज़ा नही आया हालांकी वहाँ मुझे चाय बिस्किट पूरा नाश्ता मिला और सुमन आंटी की ढलती जवानी (उनकी उम्र 40 है ) देख के समय निकल रहा था, फिर वहाँ से आ गया,
नहा धो के कुछ देर टीवी देखा, दोस्तों के साथ घूमता रहा, कामिनी की दुकान पे भी गया लेकिन कुछ नहीं हुवा,और रात को आके अपने बिस्तर पर लेट गया और सोचने लगा कि क्या आज भी वो सब होगा, लेकिन काफी देर हो गयी, नेहा भाभी के घर से कोई ऐसी आवाज नहीं आ रही थी, काफी देर इंतज़ार के बाद मुझे नींद आ गयी,
अगले दिन सोमवार को मैं जब अपने ऑफिस की तरफ निकला तो नेहा भाभी से नजर टकराई,
नेहा भाभी " आज कब आओगे "
मै बोला " किसलिए" वो सुरेश है न"
नेहा भाभी " वो नहीं है न, उसको कुछ काम था इसलिए कल सुबह सुबह ही वो अपने गाँव चला गया था,
मैंने मन में सोचा " ओहो इसलिए नेहा का चेहरा उदास नजर आ रहा है, लेकिन अब सलोनी को पढ़ाने के बहाने मुझे कुछ मेरा नंबर लगता दिखाई दिया,
मैं बोला " आज थोड़ा काम रात को 8 बजे के आस पास आऊंगा,
शाम को ऑफिस से आके मैं उनके घर गया तो सुमन आंटी ने दरवाज़ा खोला,
मैं उनको देख कर दंग रह गया क्यूंकि उन्होंने बहुत ही टाइट सलवार कमीज़ पहन रखा था, जिसमें वो बहुत ही सेक्सी लग रही थीं, जब उन्होने अंदर आने के लिये कहा तब मुझे होश आया और मैं शर्म से पानी पानी हो गया मैने उनका ऐसा रूप कभी नहीं देखा था ।
आज मुझे अच्छी लग रही थीं। मैं सोफे पे बैठ कर उनको चोर नज़रों से देख रहा था और मैंने नोटिस किया कि वो भी मुझे कभी कभी देख रही थीं और फ़िर मुझे एक स्माइल पास किया बदले मे मैं भी मुस्कुराया।
तभी वो मेरे पास चाय लेकर आयी और जैसे ही टेबल पर रखने के लिये झुकी मेरी तो आँखें फ़टी कि फ़टी रह गयीं क्यूंकि मेरी नज़र उनके स्तन पर पड़ी जो बिल्कुल गोरे थे मेरी तो सांस ही रुक गयी थी।
चाय रखके वो मुझसे बोलीं- सन्नी, ठण्ड बहुत ज्यादा है, चाय पीलो, और कुछ चाहिये तो बताओ शर्माना मत।
मैंने कहा "ओके और मैं पढाने में व्यस्त हो गया लेकिन मेरा ध्यान अभी भी उनके बूब्स पे था। ऐसे बूब्स मैने सिर्फ पोर्न मूवीज़ में देखा था, बिल्कुल गोल और बड़े।
मैं आपको अपनी सुमन आंटी के बारे में तो बताना ही भूल गया उनकी लम्बाई 5 फीट 1 इंच होगी, रंग बिल्कुल गोरा, साइज़ 36-34-38 वो दिखने में बिल्कुल कयामत लगती है। उस रात में पढ़ा कर वापस आ गया, और सीधा अपने कमरे में चला गया, और मोबाइल पर पोर्न मूवी चला कर मुठ मारने लगा,
आज पहली बार मैंने उनको अपने खयालो में नंगा करके मुठ मारी पर मुझे अच्छा लग रहा था। मैं बार बार उनके बूब्स के बारे में सोच रहा था और मेरा लंड भी सख्त हो गया तो उसको शांत करने के लिये मैंने मुट्ठ मारी तब जाकर सुकून मिला।
अब मुझे वहाँ आना जाना अच्छा लगने लगा और मैं रोज़ वहां जाने लगा, बिना किसी काम के भी, मेरा पढाने में ध्यान कम लगने लगा और मैं ताक झांक में ज़्यादा रहने लगा, सलोनी अभी बहुत छोटी थी, इसलिये उसको इस बारे में कोइ जानकारी नही थी। सुमन आंटी भी लगता है समझ गयी थी कि मैं क्यों इतना ज्यादा उनके घर आने जाने लगा हु, इसलिए वो भी मुझे रिझाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही थी,
जब भी वो चाय और बिस्किट लेकर आती और टेबल पर रखने के बहाने मुझे अपने बूब्स का दर्शन करवा देती, आज भी उनके बूब्स देखे,
अगले दिन कुछ ऐसा हुवा की जैसे ही वो चाय रखने के लिए टेबल पर झुकी आदत से मजबूर मैं उनकी ब्रा के अंदर देखने लगा, आज उन्होने लाल रंग की ब्रा पहन रखी थी, फ़िर मैंने नोटिस किया की ये सब करते हुए वो मुझे देख रही थीं, मैं बहुत डर गया और नीचे देखने लगा।
मेरी चोरी पकडी जा चुकी थी फ़िर मैंने उनकी तरफ देखा तो पाया कि वो मेरी तरफ अब भी देख रही थीं फ़िर मैं जल्दी जल्दी पढा कर घर आ गया, मुझे डर था कि साली है तो चुड़क्कड़ पर कही मेरी शिकायत न कर दें इसलिये मैं अगले दिन नही गया। इन् दिनों मैंने एक बात अपर और गौर किया कि जब भी मैं सुमन आंटी के घर आता हु, दरवाजा भी वो ही खोलती है, नेहा भाभी कही नजर नहीं आती,
एक दिन बाद मेरे पास रात को 8.30 पर एक अनजान no से फोन आया
फोन उठाने पर उधर से एक औरत की आवाज आयी " तुम आज आये क्यू नहीं ?
मैं बोला " कौन है?"
उधर से आवाज आई " मैं सुमन आंटी"
मैंने तबीयत खराब होने का बहाना बना दिया, वो ये सुन कर हंसने लगीं
मैने पुछा "क्या हुआ"
लेकिन उन्होने कुछ नही बताया और पूछने लगी कि " कल आओगे या नही" तो मैने "हाँ" कह दिया।
मैं अगले दिन फ़िर पहुंचा सुमन आंटी ने गेट खोला तो मैं हंस कर उनसे मिला और अन्दर जाकर बैठ गया। आज वो घर की साफ सफाई में व्यस्त थीं।
उन्होंने मुझसे कहा- "बेटा एक काम करोगे"
मैं "क्या काम?"
सुमन आंटी "ऊपर मचान पे बक्सा (संदूक) रखा है उसमें से गरम कपडे निकालने हैं, मैं ऊपर नही चढ पाउंगी क्या तुम निकाल दोगे?
मैं बोला " हाँ ठीक है ।
सुमन आंटी ने मुझे स्टूल दिया और मैं संदूक की चाभी लेकर चढ गया। संदूक खोल के मैंने गरम कपड़े निकालने लगा और जब सन्दूक लगभग खाली हो गया तो नीचे मुझे चार किताबें दिखीं।
मैने एक को उठाया तो पाया की मोटर मकेनिक की थी और दूसरी किताब खोलते ही मेरे होश उड़ गये उसमे नंगी लड्की की तस्वीरें थीं बिल्कुल नंगी।
उसमें कोइ लड़की नहा रही थी कोई बेड पे लेटी हुयी थी और गांड ऊपर को उठा रखी थी, फ़िर मैने तीसरी किताब खोली उसमें चुदाई के दृश्य थे कोई लंड चूस रही थी, कोइ चुद रही थी, कोई चूत मे उंगली कर रही थी।
ये सब देख कर मेरा लंड पूरा खडा हो चुका था तभी सुमन आंटी की आवाज़ आयी..
सुमन आंटी " बेटा वही संदूक के पास कुछ किताबे भी पड़ी है , अगर तुम्हारे काम की हो तो ले जाओ"
मैं बोलै "मैने एक छोटी वाली बुक ले ली और नीचे आ गया"
उन् किताबो को देखने की वजह से मेरा लंड अब भी खडा था मैं चुपचाप सोफे पे बैठ गया। सुमन आंटी मुझे बार बार घूर रही थीं।
सुमन आंटी के ओर से मौन इशारा मिल चुका था अब मैं मौके की तलाश में था कि कैसे इसको अंजाम तक पहुँचाया
थोडी देर बाद वो मेरे बगल में आकर बैठ गईं और मुझसे पूछने लगी की "कोई किताब है, तुम्हारे काम की"
मैं बोलाए "‘हाँ..’ बस एक किताब है वो मैंने ले ली है"
सुमन आंटी " अगर और किताब चाहिये तो ले जाओ अब तुम्हारे चाचा तो है नहीं और इनकी किसी को ज़रूरत नहीं है।"
मैं बोला " अभी एक ले ली है और बाद में ले जाउंगा।"
अचानक उन्होंने मेरा हाथ पकड लिया और बोली "ठीक है,"
उनका हाथ बहुत गरम था और वो धीरे धीरे सह्ला भी रही थीं।
सुमन आंटी मेरे इतना करीब बैठी थीं कि उनकी जांघ मेरे जांघ से बिल्कुल चिप्की हुई थी और उनका जांघ बहुत गरम लग रहा था मुझे।
मैं अब समझ चुका था कि सुरेश को जाके एक सप्ताह हो गया जिसकी वजह से इनको चुदाई की आग तड्पा रही है, बस मुझे गरम चूत पे अपना लौड़ा मारना था।
झट से मैंने भी उनका हाथ पकड लिया और सहलाने लगा।
तभी सलोनी मुझसे मैथ्स का सवाल पूछने लगी और मैं सब छोड कर पढाने लग गया।
थोडी देर बाद वो चाय लेकर आईं और काफी देर तक टेबल सही करने के बहाने से मेरे सामने झुकी रहीं, क्या गोल गोल सफेद रसगुल्ले थे मंन तो यही कर रहा था कि खा जाऊं।
हम दोनों एक दूसरे को ऐसा करते हुए देख रहे थे, फ़िर वो चाय रख कर किचन मे चली गईं। तभी राज का फोन आया
राज बोला " कहा है भाई, बड़े दिनों से गायब सा रहता है मिलता है तो भी जल्दी में रहता है ?"
मैं बोला " भाई ऑफिस में काम थोड़ा ज्यादा है?
राज बोला " ठीक है पर इस कामिनी पे क्या जादू कर दिया, तेरे बारे में पूछ रही थी ?
मैं बोला " वो बाद में बताऊंगा, अभी थोड़ा व्यस्त हु." और बाई बोलके फोन काट दिया
सलोनी को दो तीन सवाल देके मैं भी सुमन आंटी के पास उनके किचेन में चला गया,
मैं भी पीछे पीछे पहुँच गया जब सुमन आंटी ने मुझे अपने साथ खडा पाया तो पूछा "क्या चाहिये?"
मैं हिम्मत कर के बोला " चाहिये तो बहुत कुछ पर अभी सिर्फ पानी पिला दीजिये"
सुमन आंटी " जो चाहिये खुल के मांग लो शर्माना मत" और वो पानी निकालने के लिये झुकी।
मैं उनके बिल्कुल पीछे खडा था इसलिये उनके झुकते ही मेरा लंड उनकी गांड से टच हो गया,
वो कुछ नही बोली बल्कि पानी निकालने में ज़्यादा समय लगाने लगीं तो मैं समझ गया कि चाची को मज़ा आ रहा है, तो मैंने एक हाथ उनके गांड पर रखा और दबा दिया।
वो झट खडी हुईं और मुझे पानी दिया और कहने लगीं "तुम्हें पानी कि बहुत ज़रूरत है"
और एक शरारत भरी मुस्कान दी, मैं समझ गया कि चाची भी चुदने के लिये तैयार हैं। बस पहल करने से डरती हैं। मैंने एक प्लान बनाया कि चाची को बातचीत से जितना खोल पाऊँगा उतना खोलुंगा ताकि ये अपने मुंह से बोल कर मेरा लंड मांगें। थोड़ी देर और ऐसे ही एक दूसरे की आग भड़काने वाली बाते करते रहे, फिर मैं घर आ गया और सुमन आंटी के बारे में सोचता रहा फ़िर मैने वो किताब निकाली जो वहां से लाया था, उस किताब मे सब लोग विदेशी थे उसमे सारी लडकियाँ गोरी चमड़ी वाली जिनको देखते ही मेरा लंड खडा हो गया।
उस किताब में सब चुदाई के आसन थे, कोइ झुका के चोद रहा है कोई बिठा के चोद रहा है, कोई लिटा के चोद रहा था कोई गोद मे लेकर चोद रहा था मुझे सबसे अच्छ लगा जो कुतिया बना के चोद रहा था। फ़िर मैं मुट्ठ मार के सो गया।
आज रविवार था और कल रात को देर तक जागने की वजह से देर से उठा तो देखा की मेरी माँ सुमन आंटी से बात कर रही है, तभी भाभी ने मुझे चाय लाके दे दी, मैं घर के चौक में कुर्सी पर बैठ गया, अख़बार पढ़ते हुवे चाय पीने लगा,
तभी मेरी माँ आके बोली " कल रात को कहा था तू,?
मैं बोला " कही नहीं कमरे में तो था"
माँ बोली " मैं गयी थे तेरे कमरे में कुछ बात करने के लिए पर तू नहीं था,
मैं बोला " वो नींद नहीं आ रही थी इसलिए छत पर टहल रहा था,
तभी मेरी भाभी बोली " मैं कह रही थी न माँ जी देवर जी की शादी करवा दीजिये तभी नींद बराबर आएगी,
मैं बोला " भाभी आप जैसी कोई मिले तो मना नहीं करूँगा,
माँ बोली " तुम दोनों देवर भाभी के बीच में नहीं बोलूंगी, लेकिन बहु देख अगर कोई तेरे मायके में हो तो'
भाभी बोली " ठीक है"
फिर माँ उठ के चली गयी और हम दोनों देवर भाभी वही बाते कर रही थे,
तभी माँ वापस आयी और बोली "वो सुमन आयी थी सुबह सुबह उसको कुछ काम है तुझ से,जाके देख लेना"
मैं बोला " वो सुरेश रहता है न उनके घर में उससे करवाले जो भी काम है"
माँ बोली " सुरेश तो किरायेदार है, आज है कल नहीं होगा "
मैं बोला " हम लोग कोनसे रिश्तेदार है उनके"
माँ बोली " मुझे कुछ नहीं सुनना, तू जाके आ ,
हुकम सुना के माँ चली गयी मंदिर में
मैंने भाभी से पूछा "ऐसा कोनसा काम है "
भाभी बोली " अरे वो नेहा की बेटी है न सलोनी, उसके कॉलेज की परीक्षा है, उसे पढ़ाना है,
मैं बोला " उनकी लडकी दूसरी क्लास में है। उसे क्या पढ़ाऊंगा"
मुझे बहुत बोरिंग लगा इसलिये मैने भाभी को बोला कि वो मना कर दे,
तभी पापा की आवाज आयी " नहीं नहीं तुझे ही पढ़ाना है"
अब मेरे पापा सने कहा इसलिये मुझे मानना पडा और मैने हाँ कर दिया।
मैंने कहा " ठीक है, आज रविवार है अभी जाके देख लेता हु,
जब मैने वहाँ पहुँच कर दरवाज़ा खट्खटाया तो मेरे तो तो मेरी सुमन चाची मेरे सामने खडी थी।
मै उन्हें देख कर मुस्कुराया, बदले में उन्होंने भी स्माइल पास किया और अन्दर आने के लिये कहा।
सुमन आंटी " आ जा सन्नी, तेरे बारे में ही सोच रही थी,
मैं अंदर जाकर सोफे पे बैठ गया और बोला" हाँ कहा है सलोनी "
तभी सलोनी ने मेरे पीछे से आके बोली " मैं यहाँ हु अंकल "
मैं बोला " सलोनी बड़ी शैतान हो गयी है, डरा दिया मुझे "
फिर ऐसे ही हंसी मजाक करते हुवे मैं सलोनी को पढ़ाने लगा, लेकिन कही न कही मेरी नजर नेहा भाभी को ढूंढ रही थी,और वो मुझे कही भी नजर नहीं आ रही थी, तभी सुमन आंटी ने बोला " ये नेहा भी ना, कितनी देर लगा देती है नहाने में"
मैं थोड़ी देर और पढ़ाता रहा पर नेहा भाभी के दर्शन नहीं हुवे,
वहां बिल्कुल भी मज़ा नही आया हालांकी वहाँ मुझे चाय बिस्किट पूरा नाश्ता मिला और सुमन आंटी की ढलती जवानी (उनकी उम्र 40 है ) देख के समय निकल रहा था, फिर वहाँ से आ गया,
नहा धो के कुछ देर टीवी देखा, दोस्तों के साथ घूमता रहा, कामिनी की दुकान पे भी गया लेकिन कुछ नहीं हुवा,और रात को आके अपने बिस्तर पर लेट गया और सोचने लगा कि क्या आज भी वो सब होगा, लेकिन काफी देर हो गयी, नेहा भाभी के घर से कोई ऐसी आवाज नहीं आ रही थी, काफी देर इंतज़ार के बाद मुझे नींद आ गयी,
अगले दिन सोमवार को मैं जब अपने ऑफिस की तरफ निकला तो नेहा भाभी से नजर टकराई,
नेहा भाभी " आज कब आओगे "
मै बोला " किसलिए" वो सुरेश है न"
नेहा भाभी " वो नहीं है न, उसको कुछ काम था इसलिए कल सुबह सुबह ही वो अपने गाँव चला गया था,
मैंने मन में सोचा " ओहो इसलिए नेहा का चेहरा उदास नजर आ रहा है, लेकिन अब सलोनी को पढ़ाने के बहाने मुझे कुछ मेरा नंबर लगता दिखाई दिया,
मैं बोला " आज थोड़ा काम रात को 8 बजे के आस पास आऊंगा,
शाम को ऑफिस से आके मैं उनके घर गया तो सुमन आंटी ने दरवाज़ा खोला,
मैं उनको देख कर दंग रह गया क्यूंकि उन्होंने बहुत ही टाइट सलवार कमीज़ पहन रखा था, जिसमें वो बहुत ही सेक्सी लग रही थीं, जब उन्होने अंदर आने के लिये कहा तब मुझे होश आया और मैं शर्म से पानी पानी हो गया मैने उनका ऐसा रूप कभी नहीं देखा था ।
आज मुझे अच्छी लग रही थीं। मैं सोफे पे बैठ कर उनको चोर नज़रों से देख रहा था और मैंने नोटिस किया कि वो भी मुझे कभी कभी देख रही थीं और फ़िर मुझे एक स्माइल पास किया बदले मे मैं भी मुस्कुराया।
तभी वो मेरे पास चाय लेकर आयी और जैसे ही टेबल पर रखने के लिये झुकी मेरी तो आँखें फ़टी कि फ़टी रह गयीं क्यूंकि मेरी नज़र उनके स्तन पर पड़ी जो बिल्कुल गोरे थे मेरी तो सांस ही रुक गयी थी।
चाय रखके वो मुझसे बोलीं- सन्नी, ठण्ड बहुत ज्यादा है, चाय पीलो, और कुछ चाहिये तो बताओ शर्माना मत।
मैंने कहा "ओके और मैं पढाने में व्यस्त हो गया लेकिन मेरा ध्यान अभी भी उनके बूब्स पे था। ऐसे बूब्स मैने सिर्फ पोर्न मूवीज़ में देखा था, बिल्कुल गोल और बड़े।
मैं आपको अपनी सुमन आंटी के बारे में तो बताना ही भूल गया उनकी लम्बाई 5 फीट 1 इंच होगी, रंग बिल्कुल गोरा, साइज़ 36-34-38 वो दिखने में बिल्कुल कयामत लगती है। उस रात में पढ़ा कर वापस आ गया, और सीधा अपने कमरे में चला गया, और मोबाइल पर पोर्न मूवी चला कर मुठ मारने लगा,
आज पहली बार मैंने उनको अपने खयालो में नंगा करके मुठ मारी पर मुझे अच्छा लग रहा था। मैं बार बार उनके बूब्स के बारे में सोच रहा था और मेरा लंड भी सख्त हो गया तो उसको शांत करने के लिये मैंने मुट्ठ मारी तब जाकर सुकून मिला।
अब मुझे वहाँ आना जाना अच्छा लगने लगा और मैं रोज़ वहां जाने लगा, बिना किसी काम के भी, मेरा पढाने में ध्यान कम लगने लगा और मैं ताक झांक में ज़्यादा रहने लगा, सलोनी अभी बहुत छोटी थी, इसलिये उसको इस बारे में कोइ जानकारी नही थी। सुमन आंटी भी लगता है समझ गयी थी कि मैं क्यों इतना ज्यादा उनके घर आने जाने लगा हु, इसलिए वो भी मुझे रिझाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही थी,
जब भी वो चाय और बिस्किट लेकर आती और टेबल पर रखने के बहाने मुझे अपने बूब्स का दर्शन करवा देती, आज भी उनके बूब्स देखे,
अगले दिन कुछ ऐसा हुवा की जैसे ही वो चाय रखने के लिए टेबल पर झुकी आदत से मजबूर मैं उनकी ब्रा के अंदर देखने लगा, आज उन्होने लाल रंग की ब्रा पहन रखी थी, फ़िर मैंने नोटिस किया की ये सब करते हुए वो मुझे देख रही थीं, मैं बहुत डर गया और नीचे देखने लगा।
मेरी चोरी पकडी जा चुकी थी फ़िर मैंने उनकी तरफ देखा तो पाया कि वो मेरी तरफ अब भी देख रही थीं फ़िर मैं जल्दी जल्दी पढा कर घर आ गया, मुझे डर था कि साली है तो चुड़क्कड़ पर कही मेरी शिकायत न कर दें इसलिये मैं अगले दिन नही गया। इन् दिनों मैंने एक बात अपर और गौर किया कि जब भी मैं सुमन आंटी के घर आता हु, दरवाजा भी वो ही खोलती है, नेहा भाभी कही नजर नहीं आती,
एक दिन बाद मेरे पास रात को 8.30 पर एक अनजान no से फोन आया
फोन उठाने पर उधर से एक औरत की आवाज आयी " तुम आज आये क्यू नहीं ?
मैं बोला " कौन है?"
उधर से आवाज आई " मैं सुमन आंटी"
मैंने तबीयत खराब होने का बहाना बना दिया, वो ये सुन कर हंसने लगीं
मैने पुछा "क्या हुआ"
लेकिन उन्होने कुछ नही बताया और पूछने लगी कि " कल आओगे या नही" तो मैने "हाँ" कह दिया।
मैं अगले दिन फ़िर पहुंचा सुमन आंटी ने गेट खोला तो मैं हंस कर उनसे मिला और अन्दर जाकर बैठ गया। आज वो घर की साफ सफाई में व्यस्त थीं।
उन्होंने मुझसे कहा- "बेटा एक काम करोगे"
मैं "क्या काम?"
सुमन आंटी "ऊपर मचान पे बक्सा (संदूक) रखा है उसमें से गरम कपडे निकालने हैं, मैं ऊपर नही चढ पाउंगी क्या तुम निकाल दोगे?
मैं बोला " हाँ ठीक है ।
सुमन आंटी ने मुझे स्टूल दिया और मैं संदूक की चाभी लेकर चढ गया। संदूक खोल के मैंने गरम कपड़े निकालने लगा और जब सन्दूक लगभग खाली हो गया तो नीचे मुझे चार किताबें दिखीं।
मैने एक को उठाया तो पाया की मोटर मकेनिक की थी और दूसरी किताब खोलते ही मेरे होश उड़ गये उसमे नंगी लड्की की तस्वीरें थीं बिल्कुल नंगी।
उसमें कोइ लड़की नहा रही थी कोई बेड पे लेटी हुयी थी और गांड ऊपर को उठा रखी थी, फ़िर मैने तीसरी किताब खोली उसमें चुदाई के दृश्य थे कोई लंड चूस रही थी, कोइ चुद रही थी, कोई चूत मे उंगली कर रही थी।
ये सब देख कर मेरा लंड पूरा खडा हो चुका था तभी सुमन आंटी की आवाज़ आयी..
सुमन आंटी " बेटा वही संदूक के पास कुछ किताबे भी पड़ी है , अगर तुम्हारे काम की हो तो ले जाओ"
मैं बोलै "मैने एक छोटी वाली बुक ले ली और नीचे आ गया"
उन् किताबो को देखने की वजह से मेरा लंड अब भी खडा था मैं चुपचाप सोफे पे बैठ गया। सुमन आंटी मुझे बार बार घूर रही थीं।
सुमन आंटी के ओर से मौन इशारा मिल चुका था अब मैं मौके की तलाश में था कि कैसे इसको अंजाम तक पहुँचाया
थोडी देर बाद वो मेरे बगल में आकर बैठ गईं और मुझसे पूछने लगी की "कोई किताब है, तुम्हारे काम की"
मैं बोलाए "‘हाँ..’ बस एक किताब है वो मैंने ले ली है"
सुमन आंटी " अगर और किताब चाहिये तो ले जाओ अब तुम्हारे चाचा तो है नहीं और इनकी किसी को ज़रूरत नहीं है।"
मैं बोला " अभी एक ले ली है और बाद में ले जाउंगा।"
अचानक उन्होंने मेरा हाथ पकड लिया और बोली "ठीक है,"
उनका हाथ बहुत गरम था और वो धीरे धीरे सह्ला भी रही थीं।
सुमन आंटी मेरे इतना करीब बैठी थीं कि उनकी जांघ मेरे जांघ से बिल्कुल चिप्की हुई थी और उनका जांघ बहुत गरम लग रहा था मुझे।
मैं अब समझ चुका था कि सुरेश को जाके एक सप्ताह हो गया जिसकी वजह से इनको चुदाई की आग तड्पा रही है, बस मुझे गरम चूत पे अपना लौड़ा मारना था।
झट से मैंने भी उनका हाथ पकड लिया और सहलाने लगा।
तभी सलोनी मुझसे मैथ्स का सवाल पूछने लगी और मैं सब छोड कर पढाने लग गया।
थोडी देर बाद वो चाय लेकर आईं और काफी देर तक टेबल सही करने के बहाने से मेरे सामने झुकी रहीं, क्या गोल गोल सफेद रसगुल्ले थे मंन तो यही कर रहा था कि खा जाऊं।
हम दोनों एक दूसरे को ऐसा करते हुए देख रहे थे, फ़िर वो चाय रख कर किचन मे चली गईं। तभी राज का फोन आया
राज बोला " कहा है भाई, बड़े दिनों से गायब सा रहता है मिलता है तो भी जल्दी में रहता है ?"
मैं बोला " भाई ऑफिस में काम थोड़ा ज्यादा है?
राज बोला " ठीक है पर इस कामिनी पे क्या जादू कर दिया, तेरे बारे में पूछ रही थी ?
मैं बोला " वो बाद में बताऊंगा, अभी थोड़ा व्यस्त हु." और बाई बोलके फोन काट दिया
सलोनी को दो तीन सवाल देके मैं भी सुमन आंटी के पास उनके किचेन में चला गया,
मैं भी पीछे पीछे पहुँच गया जब सुमन आंटी ने मुझे अपने साथ खडा पाया तो पूछा "क्या चाहिये?"
मैं हिम्मत कर के बोला " चाहिये तो बहुत कुछ पर अभी सिर्फ पानी पिला दीजिये"
सुमन आंटी " जो चाहिये खुल के मांग लो शर्माना मत" और वो पानी निकालने के लिये झुकी।
मैं उनके बिल्कुल पीछे खडा था इसलिये उनके झुकते ही मेरा लंड उनकी गांड से टच हो गया,
वो कुछ नही बोली बल्कि पानी निकालने में ज़्यादा समय लगाने लगीं तो मैं समझ गया कि चाची को मज़ा आ रहा है, तो मैंने एक हाथ उनके गांड पर रखा और दबा दिया।
वो झट खडी हुईं और मुझे पानी दिया और कहने लगीं "तुम्हें पानी कि बहुत ज़रूरत है"
और एक शरारत भरी मुस्कान दी, मैं समझ गया कि चाची भी चुदने के लिये तैयार हैं। बस पहल करने से डरती हैं। मैंने एक प्लान बनाया कि चाची को बातचीत से जितना खोल पाऊँगा उतना खोलुंगा ताकि ये अपने मुंह से बोल कर मेरा लंड मांगें। थोड़ी देर और ऐसे ही एक दूसरे की आग भड़काने वाली बाते करते रहे, फिर मैं घर आ गया और सुमन आंटी के बारे में सोचता रहा फ़िर मैने वो किताब निकाली जो वहां से लाया था, उस किताब मे सब लोग विदेशी थे उसमे सारी लडकियाँ गोरी चमड़ी वाली जिनको देखते ही मेरा लंड खडा हो गया।
उस किताब में सब चुदाई के आसन थे, कोइ झुका के चोद रहा है कोई बिठा के चोद रहा है, कोई लिटा के चोद रहा था कोई गोद मे लेकर चोद रहा था मुझे सबसे अच्छ लगा जो कुतिया बना के चोद रहा था। फ़िर मैं मुट्ठ मार के सो गया।