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माझी गावाकडील बहीन सरला
#12
सरला की स्थिति देखकर आंटी ने सोचा कि अगर राज और सरला साथ रहने को तैयार हो जाएं तो दोनों की यह समस्या कुछ समय के लिए सुलझ सकती है... राज को नासिक में कहीं रहने के लिए घर आना पड़ा और उसके खाने का भी इंतजाम होना चाहिए उसके लिए यह अपरिहार्य था... इसके बजाय, वह सरला के साथ उसके कमरे में रहेगा और केवल सरला ही उन दोनों के लिए खाना बना सकती है... सरला इतने सालों से उस गाँव में अकेली रह रही थी। उसे खुशी होगी कि वह वहाँ रह रही है। राज के साथ रहने से उसे बात करने के लिए कोई मिल जाएगा। और राज का ऑफिस उस गाँव के पास था जहाँ सरला रहती थी। उस गांव से सफ़र करीब 1 से 1:30 घंटे का था... दोनों भाई-बहन कई सालों बाद मिल रहे थे। राज की उम्र करीब दस-बारह साल थी। उस समय सरला पहली बार मुंबई आई थी। उसे ज़रूर कुछ अच्छा लगा होगा। उस समय वह अठारह या उन्नीस वर्ष की रही होगी, क्योंकि उसकी शादी अभी-अभी हुई थी। वह उनकी पहली और आखिरी मुलाकात थी, लेकिन उसके बाद सरला कभी मुंबई नहीं आईं। अगर वे अब मिलते हैं, तो दोनों भाई-बहनों के बीच का रिश्ता और भी मजबूत हो जाएगा... और यह राज के लिए एक नया अनुभव होगा, जो इतने लंबे समय तक पहले कभी किसी मेहमान या रिश्तेदार के साथ नहीं रहा।

अब सवाल यह है कि उन्हें समझाने के लिए हमें क्या कहना चाहिए? इसे कैसे तैयार करें?...क्योंकि, इससे दोनों को लाभ होता है। मेरी माँ ने मुझे मेरी मौसी से फ़ोन पर हुई पूरी बातचीत बताई और मुझे समझाया, "राज, तुम्हें सरला ताई के पास उनके गाँव में जाकर रहना चाहिए!...मैंने अपनी माँ से पूछा, "ठीक है, भले ही मैं क्या सरला ताई मुझे अपने साथ रहने देने के लिए तैयार होंगी?" माँ बोली.. "ओह, बेबी, मैं तुम्हारी चाची सरला को सब कुछ समझा दूँगी। तभी तुम वहाँ जाओ, तुम्हारी मौसी तुम्हें कल फ़ोन करके बता देंगी, जो भी फ़ैसला होगा... तो ये सब चर्चा के बाद हम सोने चले गए। मैं अपने बिस्तर पर सोच रहा था कि सरला क्या फ़ैसला करेगी कल ताई समझेगी क्या? मेरी स्थिति... अगले दिन मैं हमेशा की तरह काम पर गया.. सीनियर सर ने मुझसे पूछा, "क्या हुआ राज?", क्या तुमने तय कर लिया है कि तुम कहाँ रहने वाले हो?

मैंने उन्हें जवाब दिया, "सर, परिवार से पूरी बात हो गई है। आज उनका फैसला हो जाएगा"...शाम को जब मैं काम से घर आया तो जैसे ही मैंने अपनी मां को देखा, मैंने उनसे पूछा "क्या हुआ माँ? मौसी का फ़ोन आया था क्या?"...जिस पर उन्होंने कहा "हाँ राज, फ़ोन आया था, तुम्हारी मौसी ने सरला ताई को सब समझा दिया है और वो तैयार हो गई हैं। तुम्हारी मौसी कह रही थीं, "राज नासिक में काम करने जा रहा है और उसे तुम्हारे साथ रहना होगा"...यह सुनकर सरला ताई बहुत खुश हुई क्योंकि कई सालों बाद वो अपने भाई से मिलने जा रही थी..और कह रही थी कि उसे कोई परेशानी नहीं है राज को अपने साथ रहने दिया।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: माझी गावाकडील बहीन सरला - by neerathemall - 17-01-2025, 11:30 AM



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