13-01-2025, 08:03 PM
"आआआआआहहहह, मेरी बिटिया के होंठ कितने रसीले हैं। तू सचमुच रस से भरी हुई है।" वह अपने होंठों को हटा कर चटखारे लेकर बोला।
"हटिए पापी कहीं के। आप लोगों की नजर में यह पुण्य होता हो तो हो, यह गलत है। आप सब नर्क जाइएगा।" मैं बिगड़ कर बोली।
"हा हा हा हा, सौ सौ चूहे खा कर बिल्ली चली हज को। हमें पाप पुण्य बता रही है हरामजादी। घुसा से कितनी बार घुसवाई, मुझसे कितनी बार मरवाई, साली चौकीदार भाईयों का लौड़ा खाई और हमको पापी बता रही है।" घनश्याम अपनी जगह बैठे बैठे हंस कर बोला। मुझे काटो तो खून नहीं। ऐसा लगा जैसे भलोटिया के सामने मुझे पूरी तरह नंगी करके रख दिया।
"छोड़ो घंशू। अब यह खुशी से नहीं तो जबरदस्ती से ही सही, चुदेगी तो जरूर। आखिर आई है तो चुदने के लिए ही ना।" भलोटिया मुझे ठेलता हुआ बिस्तर पर ला पटका और इस का परिणाम यह हुआ कि मेरी स्कर्ट उठ गई और मेरी नंगी चूत उसके सामने दपदप करने लगी जिसे भलोटिया फटी फटी आंखों से अपलक देखता रह गया और मैं असहाय अवस्था में प्रदर्शित करती हुई खुद को हलाल होने वाली बकरी की तरह उस बूढ़े दानव की आंखों के सामने अपने हलाल होने के इंतजार में कुछ पलों के लिए बुत बनी हुई पड़ी रह गई।
"आई नहीं, लाई गई हूं और वह भी जबरदस्ती।" बिस्तर पर पड़ी पड़ी मेरे मुंह से निकला।
"तू अपने गलत काम के लिए दंडित करने लाई गयी है। तुझे दण्ड देना आवश्यक है वरना तू सुधरेगी नहीं।" घनश्याम बोला।
"इस तरह के व्यवहार को दण्ड नहीं, सतावट बोलते हैं, प्रताड़ना बोलते हैं।" मैं घनश्याम की बात का खंडन करते हुए अधलेटी हो कर रोष दिखाते हुए बोली।
"न न न न, उठो नहीं मेरी बच्ची। प्रताड़ना ही सही, इस ऐशगाह में आ गयी हो तो यहां का रस्म तो निभाना ही पड़ेगा। लो मैं तैयार हो रहा हूं। तू भी तैयार हो जा।" कहकर भलोटिया अपनी बनियान उतारने लगा। बहुत मुश्किल से उसने अपनी बनियान उतारी। जैसे जैसे बनियान ऊपर उठता जा रहा था, वैसे वैसे उसके शरीर पर छाए हुए घने बाल बेपर्दा हो रहे थे और उसी के साथ मेरे दिल की धड़कनें भी बढ़ती जा रही थीं। जैसे ही उसकी बनियान उतरी, अरे मेरी मां, सचमुच उसे भालू कहने में कोई अतिशयोक्ति नहीं थी। पूरे शरीर पर बाल भरे हुए थे। बिल्कुल भालू की तरह। ऐसा लग रहा था जैसे भालू के शरीर पर मानव का सर बैठा दिया गया हो। मैं कल्पना करने लगी कि कुछ ही देर में मैं किसी भालू से चुदने वाली हूं। भालू से चुदने का ख्याल आते ही पता नहीं क्यों मैं रोमांचित हो उठी। मेरी उत्तेजना का पारावार न था। मेरी चूत जो पहले से ही पानी पानी हो रही थी, फकफकाने लगी। शायद भालू के लंड से चुदने की कल्पना से।
"लो मैंने बनियान उतार दी और तू अबतक ऐसी ही पड़ी हुई है। तू भी उतार अपने कपड़े, जरा मैं भी तो देखूं मेरी बिटिया की गदराई जवानी इस बूढ़े को कितना आनंद देने वाली है?" भोलोटिया बड़ी भूखी नज़रों से मुझे देखते हुए बोला। साला तोंदू बूढ़ा भालू, बिटिया बोल बोल कर सचमुच अपनी पोती को ही चोदने की कल्पना में मगन था।
"हट बेशरम।" मैं बोली। मैं पल भर को भूल गयी कि मेरी नंगी चूत सामने खुली पड़ी है।
"हा हा हा हा, तेरी चिकनी चूत तो खुली पड़ी है। पूरा ही खोल दो ना।" वह ठहाका मारकर हंसते हुए बोला। जब वह हंस रहा था तो उसकी थुलथुल तोंद जोरों से हिलने लगी थी। हाय राम! मैं हड़बड़ा कर अपनी चूत ढंकने लगी।
"अब ढंकने का क्या फायदा। पूरा ही खोल दो ना मेरी बच्ची। ले मैंने अपनी लुंगी खोल दी।" कहकर उसने एक झटके में अपनी लुंगी नीचे गिरा दी। हे भगवान? यह आदमी है कि गधा? इत्तन्नाआआआ बड़ा लं.....ड? मेरी आंखें फटी की फटी रह गई। कम से कम 11" लंबा तो जरूर था और उसी के अनुपात में मोटा भी। तोंद के नीचे काले काले बालों के बीच काला कलूटा तना हुआ लंड बड़ा ही डरावना दिखाई दे रहा था। उसका लंड हल्का सा मुड़ा हुआ था और ऊपर की ओर उठा हुआ था। अगर सीधा होता तो उसकी लंबाई शायद कुछ अधिक ही दिखाई पड़ती। लंड के सामने का चमड़ा पलटा हुआ था और बड़ा सा चिकना गुलाबी सुपाड़ा चमचमा रहा था। इस बूढ़े के शरीर पर इतना जबरदस्त लंड देख कर मैं अचंभित थी।
"हटिए पापी कहीं के। आप लोगों की नजर में यह पुण्य होता हो तो हो, यह गलत है। आप सब नर्क जाइएगा।" मैं बिगड़ कर बोली।
"हा हा हा हा, सौ सौ चूहे खा कर बिल्ली चली हज को। हमें पाप पुण्य बता रही है हरामजादी। घुसा से कितनी बार घुसवाई, मुझसे कितनी बार मरवाई, साली चौकीदार भाईयों का लौड़ा खाई और हमको पापी बता रही है।" घनश्याम अपनी जगह बैठे बैठे हंस कर बोला। मुझे काटो तो खून नहीं। ऐसा लगा जैसे भलोटिया के सामने मुझे पूरी तरह नंगी करके रख दिया।
"छोड़ो घंशू। अब यह खुशी से नहीं तो जबरदस्ती से ही सही, चुदेगी तो जरूर। आखिर आई है तो चुदने के लिए ही ना।" भलोटिया मुझे ठेलता हुआ बिस्तर पर ला पटका और इस का परिणाम यह हुआ कि मेरी स्कर्ट उठ गई और मेरी नंगी चूत उसके सामने दपदप करने लगी जिसे भलोटिया फटी फटी आंखों से अपलक देखता रह गया और मैं असहाय अवस्था में प्रदर्शित करती हुई खुद को हलाल होने वाली बकरी की तरह उस बूढ़े दानव की आंखों के सामने अपने हलाल होने के इंतजार में कुछ पलों के लिए बुत बनी हुई पड़ी रह गई।
"आई नहीं, लाई गई हूं और वह भी जबरदस्ती।" बिस्तर पर पड़ी पड़ी मेरे मुंह से निकला।
"तू अपने गलत काम के लिए दंडित करने लाई गयी है। तुझे दण्ड देना आवश्यक है वरना तू सुधरेगी नहीं।" घनश्याम बोला।
"इस तरह के व्यवहार को दण्ड नहीं, सतावट बोलते हैं, प्रताड़ना बोलते हैं।" मैं घनश्याम की बात का खंडन करते हुए अधलेटी हो कर रोष दिखाते हुए बोली।
"न न न न, उठो नहीं मेरी बच्ची। प्रताड़ना ही सही, इस ऐशगाह में आ गयी हो तो यहां का रस्म तो निभाना ही पड़ेगा। लो मैं तैयार हो रहा हूं। तू भी तैयार हो जा।" कहकर भलोटिया अपनी बनियान उतारने लगा। बहुत मुश्किल से उसने अपनी बनियान उतारी। जैसे जैसे बनियान ऊपर उठता जा रहा था, वैसे वैसे उसके शरीर पर छाए हुए घने बाल बेपर्दा हो रहे थे और उसी के साथ मेरे दिल की धड़कनें भी बढ़ती जा रही थीं। जैसे ही उसकी बनियान उतरी, अरे मेरी मां, सचमुच उसे भालू कहने में कोई अतिशयोक्ति नहीं थी। पूरे शरीर पर बाल भरे हुए थे। बिल्कुल भालू की तरह। ऐसा लग रहा था जैसे भालू के शरीर पर मानव का सर बैठा दिया गया हो। मैं कल्पना करने लगी कि कुछ ही देर में मैं किसी भालू से चुदने वाली हूं। भालू से चुदने का ख्याल आते ही पता नहीं क्यों मैं रोमांचित हो उठी। मेरी उत्तेजना का पारावार न था। मेरी चूत जो पहले से ही पानी पानी हो रही थी, फकफकाने लगी। शायद भालू के लंड से चुदने की कल्पना से।
"लो मैंने बनियान उतार दी और तू अबतक ऐसी ही पड़ी हुई है। तू भी उतार अपने कपड़े, जरा मैं भी तो देखूं मेरी बिटिया की गदराई जवानी इस बूढ़े को कितना आनंद देने वाली है?" भोलोटिया बड़ी भूखी नज़रों से मुझे देखते हुए बोला। साला तोंदू बूढ़ा भालू, बिटिया बोल बोल कर सचमुच अपनी पोती को ही चोदने की कल्पना में मगन था।
"हट बेशरम।" मैं बोली। मैं पल भर को भूल गयी कि मेरी नंगी चूत सामने खुली पड़ी है।
"हा हा हा हा, तेरी चिकनी चूत तो खुली पड़ी है। पूरा ही खोल दो ना।" वह ठहाका मारकर हंसते हुए बोला। जब वह हंस रहा था तो उसकी थुलथुल तोंद जोरों से हिलने लगी थी। हाय राम! मैं हड़बड़ा कर अपनी चूत ढंकने लगी।
"अब ढंकने का क्या फायदा। पूरा ही खोल दो ना मेरी बच्ची। ले मैंने अपनी लुंगी खोल दी।" कहकर उसने एक झटके में अपनी लुंगी नीचे गिरा दी। हे भगवान? यह आदमी है कि गधा? इत्तन्नाआआआ बड़ा लं.....ड? मेरी आंखें फटी की फटी रह गई। कम से कम 11" लंबा तो जरूर था और उसी के अनुपात में मोटा भी। तोंद के नीचे काले काले बालों के बीच काला कलूटा तना हुआ लंड बड़ा ही डरावना दिखाई दे रहा था। उसका लंड हल्का सा मुड़ा हुआ था और ऊपर की ओर उठा हुआ था। अगर सीधा होता तो उसकी लंबाई शायद कुछ अधिक ही दिखाई पड़ती। लंड के सामने का चमड़ा पलटा हुआ था और बड़ा सा चिकना गुलाबी सुपाड़ा चमचमा रहा था। इस बूढ़े के शरीर पर इतना जबरदस्त लंड देख कर मैं अचंभित थी।