09-01-2025, 09:56 PM
"हा हा हा हा, लाज शरम करेंगे तो हम जैसे मर्दों को भूखे मरने की नौबत आ जाएगी बिटिया।" भलोटिया मेरी बात सुनकर ठठाकर हंस पड़ा और बोला। वह जब मुंह खोल कर ठहाका मारकर हंस रहा था तो उस बुढ़ापे में भी उसकी दंतपंक्ति चमक रही थी। एक अजीब और डरावनी सी बात मैं ने गौर किया वह यह था कि उसके ऊपर की दंतपंक्ति में दोनों ओर किसी भेड़िए की तरह कनाईन दांत सामान्य से ज्यादा ही बड़े बड़े थे। खैर जो भी हो, आखिर था तो मानव ही, यह सोच कर पल भर का भय मेरे मन से गायब हो गया लेकिन उसकी बात सुनकर और उसकी हंसी से मुझे गुस्सा आ गया।
"जानवर कहीं के।" मैं बड़बड़ाई।
"क्या बोली?" वह बोला।
"जानवर बोली।" मैं अब थोड़ी जोर से बोली। मैंने सोच लिया था कि चुदना है तो डरना क्या। केवल थोड़ा सा पीड़िता का ढोंग ही तो करना था और वही कर रही थी। अच्छी तरह से जानती थी कि मुझे चोदे बिना मानेंगे तो नहीं। बदस्तूर ढोंग करते हुए चुदने का मजा भी ले लूंगी।
"अच्छा की। आदमी और जानवर में बस इतना सा ही तो फर्क है कि आदमी रिश्ते नाते के बंधन में बंधा हुआ छटपटाता रहता है। मगर जानवरों में रिश्ता नाता कहां चलता है। नर है तो उसको अपनी प्रजाति के किसी भी मादा के साथ चुदाई करने की छूट है। साला मजा ही मजा है, चाहे वह उसी मादा से पैदा हुआ हो। लेकिन इधर किसी सुंदर और सेक्सी स्त्री को देखकर अगर आदमी का खड़ा भी हो तो साला मां, बेटी, बहन या रिश्तेदारी के पचड़े के चलते छटपटाता हुआ मन मसोस कर उन्हें चोदने की कल्पना करते हुए अकेले में अपने हाथ का सहारा लेता है और मूठ मारकर संतोष कर लेता है। मुझे जानवरों की तरह बिना भेदभाव के किसी भी मादा के साथ चुदाई करने की स्वतंत्रता पसंद है और आज अच्छा मौका मिला है तुझे अपनी पोती समझ कर चोदने का।इस बुड्ढे की इच्छा का मान तो रखना ही पड़ेगा तुम्हें।" वह मोटू, बुड्ढा भालू बेशर्मी के साथ कामुकतापूर्ण नजरों से मुझे देखते हुए बोला। यह सब कहते हुए वह सोफे पर से खड़ा हो गया। मेरा अंदाजा सही था। मोटा तो था ही लेकिन कद भी छः फुट से ऊंचा होने के कारण पहाड़ की तरह लग रहा था।कामुक नज़रों और बातों से मेरा धैर्य जवाब देने के कागार पर आ गया था। मेरा मन हो रहा था वह बेकार की बकवासपूर्ण बातों में वक्त जाया करने के बदले बस मुझपर टूट पड़े और किसी भी तरीके से मुझे भोग कर मेरी उत्तेजना शांत कर दे।
मन ही मन बोली, "तो चोद ना साले बुढ़ऊ, मना कौन कर रहा है। कब से चुदने के लिए मरी जा रही हूं। पता नहीं खड़ा भी होता है कि नहीं।" लेकिन प्रकट तौर पर बोली, "कितने गंदे हैं आपलोग। रिश्ते नाते का मान रखने का ढोंग करते हैं और मन में ऐसी गंदी बात रखते हैं। लानत है, छि छि।"
"जो बोलना है बोल ले छुटकी, लानत भेजना है तो भेज, गंदा बोलना है तो भी बोल ले। आज तक सिर्फ गंदा सोच रहा था लेकिन अभी तो पूरी तरह गंदा हो जाने का मन हो गया है। आ जा मेरी बच्ची इस बुड्ढे की गंदी सोच को साकार कर दे।" कहकर उसने अपनी दानवी बाहों को फैला दिया।
"जा अपने बुड्ढे बलमा की बाहों में।" कहकर उसी समय घनश्याम ने मुझे पीछे से एक धक्का दिया और मैं असंतुलित हो कर सीधे भालू रुपी भलोटिया की बांहों में जा समाई और भलोटिया भला इस स्वर्णिम पल को कैसे जाया होने देता। जकड़ ही तो लिया मुझे और मैं उस बुड्ढे की बांहों में छटपटाने लगी।
"जानवर कहीं के।" मैं बड़बड़ाई।
"क्या बोली?" वह बोला।
"जानवर बोली।" मैं अब थोड़ी जोर से बोली। मैंने सोच लिया था कि चुदना है तो डरना क्या। केवल थोड़ा सा पीड़िता का ढोंग ही तो करना था और वही कर रही थी। अच्छी तरह से जानती थी कि मुझे चोदे बिना मानेंगे तो नहीं। बदस्तूर ढोंग करते हुए चुदने का मजा भी ले लूंगी।
"अच्छा की। आदमी और जानवर में बस इतना सा ही तो फर्क है कि आदमी रिश्ते नाते के बंधन में बंधा हुआ छटपटाता रहता है। मगर जानवरों में रिश्ता नाता कहां चलता है। नर है तो उसको अपनी प्रजाति के किसी भी मादा के साथ चुदाई करने की छूट है। साला मजा ही मजा है, चाहे वह उसी मादा से पैदा हुआ हो। लेकिन इधर किसी सुंदर और सेक्सी स्त्री को देखकर अगर आदमी का खड़ा भी हो तो साला मां, बेटी, बहन या रिश्तेदारी के पचड़े के चलते छटपटाता हुआ मन मसोस कर उन्हें चोदने की कल्पना करते हुए अकेले में अपने हाथ का सहारा लेता है और मूठ मारकर संतोष कर लेता है। मुझे जानवरों की तरह बिना भेदभाव के किसी भी मादा के साथ चुदाई करने की स्वतंत्रता पसंद है और आज अच्छा मौका मिला है तुझे अपनी पोती समझ कर चोदने का।इस बुड्ढे की इच्छा का मान तो रखना ही पड़ेगा तुम्हें।" वह मोटू, बुड्ढा भालू बेशर्मी के साथ कामुकतापूर्ण नजरों से मुझे देखते हुए बोला। यह सब कहते हुए वह सोफे पर से खड़ा हो गया। मेरा अंदाजा सही था। मोटा तो था ही लेकिन कद भी छः फुट से ऊंचा होने के कारण पहाड़ की तरह लग रहा था।कामुक नज़रों और बातों से मेरा धैर्य जवाब देने के कागार पर आ गया था। मेरा मन हो रहा था वह बेकार की बकवासपूर्ण बातों में वक्त जाया करने के बदले बस मुझपर टूट पड़े और किसी भी तरीके से मुझे भोग कर मेरी उत्तेजना शांत कर दे।
मन ही मन बोली, "तो चोद ना साले बुढ़ऊ, मना कौन कर रहा है। कब से चुदने के लिए मरी जा रही हूं। पता नहीं खड़ा भी होता है कि नहीं।" लेकिन प्रकट तौर पर बोली, "कितने गंदे हैं आपलोग। रिश्ते नाते का मान रखने का ढोंग करते हैं और मन में ऐसी गंदी बात रखते हैं। लानत है, छि छि।"
"जो बोलना है बोल ले छुटकी, लानत भेजना है तो भेज, गंदा बोलना है तो भी बोल ले। आज तक सिर्फ गंदा सोच रहा था लेकिन अभी तो पूरी तरह गंदा हो जाने का मन हो गया है। आ जा मेरी बच्ची इस बुड्ढे की गंदी सोच को साकार कर दे।" कहकर उसने अपनी दानवी बाहों को फैला दिया।
"जा अपने बुड्ढे बलमा की बाहों में।" कहकर उसी समय घनश्याम ने मुझे पीछे से एक धक्का दिया और मैं असंतुलित हो कर सीधे भालू रुपी भलोटिया की बांहों में जा समाई और भलोटिया भला इस स्वर्णिम पल को कैसे जाया होने देता। जकड़ ही तो लिया मुझे और मैं उस बुड्ढे की बांहों में छटपटाने लगी।