31-12-2018, 10:09 AM
(This post was last modified: 31-12-2018, 10:11 AM by Rocksanna999.)
अपडेट - 5
चाँदनी: थैंक यू बेटा अब तू जल्दी से घर आज बस। तूने तो मेरी सारी परेशानियां ही दूर कर दी। भगवान ने मुझे दो बहुएं दी है दोनों की दोनों ऐसे है कि मुझे लगता है जैसे पिछले जन्म के चारों तीर्थों का पुण्य मुझे इस जन्म में बहुओं के रूप में मिला है।
सरिता शर्मा जाती है। कुछ देर इधर उधर की बातें होती है और फिर फ़ोन काट देते है। उधर राज आज घर जल्दी आ गया था। अभी दोपहर के 3 ही बजे होंगे मुश्किल से और राज घर पर । ये तो सरिता के लिए भी सरप्राइज था।
अब आगे....
सरिता दरवाजे को खोलते ही जैसे ही राज को सामने पाती एकदम से चोंक जाती है। सरिता के लिए एक बहुत बड़ा सरप्राइज था। हो भी क्यों नहीं जो आदमी अपने काम को ज्यादा महत्व देता हो वो आज काम से जल्दी कैसे? कोई गवर्मेंट जॉब तो है नही की हाफ डे था और घर लौट आये।
सरिता: अरे आप? इस वक़्त? यहां? कैसे?
राज: अरे कब ? क्यूँ? कहां? कैसे? बाद में पूछना पहले मुझे अंदर तो आने दो। किसी पराये मर्द की तरह मुझे बाहर ही सारे क्वेश्चन पूछ लोगों क्या?
सरिता को अपनी भूल का एहसास होता है कि उसने राज को सरप्राइज के चक्कर मे अंदर आने को भी नहीं कहा।
सरिता:
ओह सॉरी सॉरी सॉरी ( शर्मिंदा होते हुए) आईये। मैं पानी लाती हूँ।
राज: अरे यार छोड़ो ये फालतू की फॉर्मेलिटी
( राज इतना बोलकर सरिता के हाथ को पकड़ कर अपनी और खींचता है और अपने सीने से लगा लेता है।
सरिता: आउच... क्या कर रहे हो कोई देख लेगा।
(राज जल्दी से सरिता को छोड़ ते हुए)
राज: यहां ? अपने घर मे? यहां कौन देखेगा?
सरिता: इश्ssssssss ( बच्चों की तरह सरिता राज की तरफ जीभ निकालते हुए ) जब मालूम है घर में कोई नहीं देखेगा तो फिर छोड़ा क्यों?
राज: क्या? मतलब मेरे साथ ही नाटक?
सरिता राज की तरफ जीभ निकाल कर भागने लगती है। वहीं राज भी सरिता की मासूमियत और नादानी पर खुद भी बच्चा हो जाता है और सरिता के पीछे भागने लगता है। लेकिन सरिता तो पल भर में राज के पास से उड़न छू हो जाती है। पतली बपखाती कमर, हिरनी सी चाल , कजरारी आंखें, मलमली होंठ, दूध से रंग अप्सराओं सा योवन इतनी जल्दी हाथ भी कैसे आता । आखिर में राज थक कर गिरने का नाटक करते हुए नीचे गिर जाता है। सरिता राज को गिरता देख कर जल्दी से राज की तरफ भागती है और राज तुरंत सरिता को लपक कर गले लगा लेता है।
सरिता :
अरे अरे गिर जाओगे! आपको कहीं लगी तो नहीं?
राज: ( सरिता की आंखों में देखते हुए) अब तो मैंने तुम्हें पकड़ लिया! अब तो नही जाने दूंगा।
सरिता राज की चालाकी अब समझ जाती है। सरिता अपनी नाजुक कलाईयों से राज के सीने में मारते हुए बोलती है।
सरिता: चीटिंग, चीटिंग की आपने वरना आप मुझे नही पकड़ पाते।
राज: अच्छा भला क्या चीटिंग की मैंने?
सरिता: नाटक किया आपने? अगर आप गिरने का नाटक नही करते तो आप मुझे पकड़ ही नही पाते।
राज एक पल की प्यार भरी मुस्कुराहट के साथ सरिता की आंखों में देखते हुए बोलता है।
राज: अच्छा ऐसी बात है तो लो छोड़ दिया तुम्हे! ( राज अपनी बाहों के घेरे को सरिता की कमर से ढीला कर देता है।) जाओ जहां जाना चाहती हो! लेकिन मेरी बाहों से निकलने के लिए पहले नाटक तो तुमने किया था याद है ना "कोई देख लेगा"। (हंसते हुए)
अब सरिता राज की आंखों में प्यार से देखते हुए राज की कमर को जकड़ लेती है।
सरिता:
ना तो मैं आपको छोडूंगी ना आपको छोड़ने दूंगी। चुपचाप पकड़ लो मुझे।
राज एक बार फिर से सरिता को अपनी बाहों में जकड़ लेता है और सरिता की आंखों में देखते हुए सरिता पर झुकता चला जाता है। जैसे जैसे राज सरिता पर झुकता जाता है वैसे वैसे सरिता की आंखें मदहोश होते हुए बन्द होती जाती है और होंठ। किसी कली की तरह ! जैसे कोई कली खिल रही हो। ठीक उसी तरह सरिता के होंठ फड़फड़ाते हुए खुलने लगते है। और राज के होंठ होले होल सरिता की गर्म साँसों को महसूस करते हुए सरिता के होंठों से जा मिलते है।
दोनों इतना मादक किश कर रहे थे कि रति और काम देव भी इस समय होते तो रति क्रिया में लीन हो जाते। लग भग दो या ढाई मिनेट तक चले किश को दरवाजे की एक बेल ने तोड़ा। अगर ये दरवाजे की बेल ना बजती तो शायद दोनों युगों युगों तक एक दूसरे में लीन रहते।
दरवाजे की बेल बजते ही दोनों हड़बड़ाते हुए एक दूसरे से अलग हुए । सरिता जैसे ही हड़बड़ा कर दरवाजे की तरफ जाने लगी तो सरिता का मंगलसूत्र राज की शर्ट के बटन मैं उलझ गया। सरिता तुरंत मंगल सूत्र को सुलझानें में लग गयी जिसे सुलझाने में करीब 2-3 मिनट लग गए। और राज अपनी जगह खड़े खड़े सरिता को मुस्कुराते हुए देखता रहा।
मंगल सूत्र के निकलते ही सरिता जल्दी से दरवाजा खोलती है। दरवाजा खुलते ही सरिता सामने देखती है कि वहां पर फरिहा और दो तीन लड़कियां खड़ी है। दर असल सरिता के पड़ोस में ही गर्ल्स पी जी है जहां कई सारी लड़कियां रहती है। उनमें से फरिहा काफी पुरानी लड़की है। फरिहा यहां राज और सरिता के आने से पहले से है। फरिहा पी.एच्. डी. कर रही है। इसलिए राज और सरिता फरिहा को अच्छी तरह से जानती है। फरिहा की शादी को तीन साल हो गए। खेर ये सब बाद में फिलहाल उसके आने के कारण को जान ले।
सरिता: फरिहा ? तुम यहाँ? इस वक़्त?
फरिहा: (शैतानी मुस्कुराहट के साथ) क्यूँ दीदी गलत टाइम पर आ गयी क्या?
सरिता: ( झेंपते हुए) अरे नही नहीं ऐसी कोई बात नहीं।
फरिहा: ( सरिता के कान के पास आते हुए) लेकिन दीदी आपके इन नाजुक होंटों के पास मैं फैली हुई लिपस्टिक तो कुछ और ही बोल रही हूं।
सरिता: (तुरंत साड़ी के पल्लू से अपने होंटों को साफ करते हुए) अरे नही कुछ नहीं ये तो बस ऐसे ही
फरिहा: (सरिता को छेड़ते हुए) अरे बताओ ना दीदी प्रॉमिस हम किसी से नहीं कहेंगी। भैया परेशान करने के मूड में है क्या? चाहो तो हम बाद में आ जाते है?
सरिता: धत्त बेशर्म ( मजाक में फरिहा के कंधे पर मारते हुए) फालतू की बात छोड़ और ये बता कैसे आना हुआ?
फरिहा: ओह हो तो अब हमें जल्दी से भगाने की फिराक में हो आप? अच्छा तो ठीक है। हम तो आपसे थोड़ी सी चीनी और दूध लेने आये थे। दर असल हमारे एग्जाम है। और बाहर दुकान बंद है। और अगर दूर भी गए तो शाम को 5 बजे पहले दूध शायद ही किसी के पास मिले इस लिए आप से लेने आ गये।
सरिता: अच्छा किया। रुको मैं लाती हूँ।
करीब पांच मिनट बाद सरिता फरिहा को एक दूध का पैकेट और थोड़ी सी चीनी देकर विदा कर देती है। फरिहा के जाने के बाद सरिता मन ही मन मुस्कुराते हुए फरिहा की छेड़खानी को याद करती है।
सरिता: पागल,
राज: (ठीक सरिता के पीछे धीरे धीरे आ रहा होता है) क्या कहा? पागल? अरे भाई अब तो हमे सब पागल ही कहेंगे । महोबत मैं कौनसा इंसान समझदार होता है।
सरिता सरिता तुरंत पीछे पलट जाती है)अरे नहीं नहीं आपको नही वो तो मैं उस फरिहा को खेर जाने दो ये सब लेकिन आपने अभी तक ये नहीं बताया कि आज आप जल्दी कैसे?
राज : अरे बात ही खुशी की थी तो जल्दी आना ही था। दर असल मेरे पास कुछ देर पहले सुरेश भैया का कॉल आया था। उन्होंने बिज़नेस मैं हुए प्रॉफिट और हमारे बिज़नेस मैं होने वाली हेल्प के बारे में बताया तो तुमसे मिलकर बताने का दिल किया सो आ गया। और वैसे भी मैं कौनसा गवर्नमेंट जॉब मैं हूँ जो अपनी मर्जी से आ जा भी नहीं सकता।
सरिता: जी ऐसा तो मैंने नहीं कहा बस आपका जल्दी आना थोड़ा सा मेरे लिए सरप्राइज सा था।
राज : अच्छा जी।
सरिता : जी... और हां एक बात और माँ जी और चंचल दीदी का कॉल आया था। दोनों ने मुझे आज ही बुलाया है। तो शाम की ट्रेन कर ली मैंने।
राज: हम्म मुझे सुरेश भैया ने भी बोला था कि कुछ दिन के लिए तुम्हे चंचल के साथ रहने दूँ।
सरिता : वो क्यों?
राज: क्यों की सुरेश भैया अपने बिज़नेस को अपने पार्टनर्स के साथ फॉरेन मैं ले जाएंगे। और उनके पार्टनर्स आज रात को फॉरेन जा रहे है और वो भैया को भी साथ ले जा रहे है। जिसके लिए उन्होंने भैया का टिकट बिना भैया को बताए ही बुक करवा लिया ।
सरिता : व्हाट? तो क्या इस बात का अभी तक माँ जी और चंचल दीदी दोनों को पता नहीं।
राज: हाँ अभी तक तो नहीं है। यार तुम तो जानती हो बाबाओं के चक्कर ने माँ को साइको बना दिया है। जब देखो तब आज दिन सही नहीं, अभी मुहूर्त नहीं वगैरा वगैरा। और फिर मुहूर्त और इन सब मैं कोई भी इंसान इतना अच्छा मौका थोड़े ही छोड़ सकता है।
सरिता: (थोड़ा सोचते हुए) हाँ ये भी ठीक है लेकिन फिर भी कम से कम चंचल दीदी को तो?
राज : (सरिता की बात काटते हुए) अब कोई लेकिन वेकीन नहीं। तुम भी ये बात माँ और भाभी को नहीं बताओगी। भैया अपने मन से बताये तो अच्छा है और नहीं बताये तो ये भी उन पर छोड़ दो। हम दोनों अच्छे से जानते है भैया माँ और भाभी दोनो को बहुत चाहते है। अगर वो नही बात रहें है तो सोचो कितनी बड़ी मुश्किल में होंगे।
सरिता : ओके बाबा, खुश, अब इतना स्ट्रेस में मत रहो! आप बिलकुल भी अच्छे नहीं लगते स्ट्रेस में।
राज: अच्छा , तो फिर मेरा स्ट्रेस दूर कर दो ना।
सरिता : मैं कैसे दूर करूँगी आपका स्ट्रेस ? ( सोचते हुए)
राज : ( सरिता को बाहों में लेते हुए) मेरी जान मेरे साथ आज शाम तक डेट पर चलकर। जब तक तुम्हारी ट्रैन नहीं आती तब तक तुम्हारी खुशबू मैं अपने आप में बसा लेना चाहता हूँ।
सरिता : (राज को बाहों में जकड़ते हुए) अच्छा तो शादी के बाद भी जनाब को डेट पर जाना है। अपनी ही बीवी को गर्लफ्रैंड की तरह घुमाना है। ह्म्म्म तो जनाब आप छोड़ेंगे तभी तो तैयार हो पाऊंगी ना डेट के लिए।
राज: ना दिल नही कर रहा
सरिता : तो ठीक है शाम तक ऐसे ही रहते है।
राज: तुम ना नहीं सुधरोगी ( सरिता को बाहों के बंधन से मुक्त करते हुए) जाओ और जल्दी से तैयार हो जाओ। और हां कॉलेज गर्ल टाइप बनना। मेरा मतलब साड़ी मत पहनना वेस्टर्न कुछ पहनना । आज मैं मेरी बीवी और गर्लफ्रैंड दोनों से मिलना चाहता हूं।
सरिता शर्माते हुए टॉवल उठा कर चली जाती है।
वहीं दूसरी और सुरेश बेहद परेशान था। सुरेश को समझ नही आ रहा था कि क्या करे और क्या ना करे। सुरेश इतना परेशान था कि उसे आफिस में ही इमरजेंसी के लिए डॉक्टर को बुलाना पड़ गया।
चाँदनी: थैंक यू बेटा अब तू जल्दी से घर आज बस। तूने तो मेरी सारी परेशानियां ही दूर कर दी। भगवान ने मुझे दो बहुएं दी है दोनों की दोनों ऐसे है कि मुझे लगता है जैसे पिछले जन्म के चारों तीर्थों का पुण्य मुझे इस जन्म में बहुओं के रूप में मिला है।
सरिता शर्मा जाती है। कुछ देर इधर उधर की बातें होती है और फिर फ़ोन काट देते है। उधर राज आज घर जल्दी आ गया था। अभी दोपहर के 3 ही बजे होंगे मुश्किल से और राज घर पर । ये तो सरिता के लिए भी सरप्राइज था।
अब आगे....
सरिता दरवाजे को खोलते ही जैसे ही राज को सामने पाती एकदम से चोंक जाती है। सरिता के लिए एक बहुत बड़ा सरप्राइज था। हो भी क्यों नहीं जो आदमी अपने काम को ज्यादा महत्व देता हो वो आज काम से जल्दी कैसे? कोई गवर्मेंट जॉब तो है नही की हाफ डे था और घर लौट आये।
सरिता: अरे आप? इस वक़्त? यहां? कैसे?
राज: अरे कब ? क्यूँ? कहां? कैसे? बाद में पूछना पहले मुझे अंदर तो आने दो। किसी पराये मर्द की तरह मुझे बाहर ही सारे क्वेश्चन पूछ लोगों क्या?
सरिता को अपनी भूल का एहसास होता है कि उसने राज को सरप्राइज के चक्कर मे अंदर आने को भी नहीं कहा।
सरिता:
ओह सॉरी सॉरी सॉरी ( शर्मिंदा होते हुए) आईये। मैं पानी लाती हूँ।
राज: अरे यार छोड़ो ये फालतू की फॉर्मेलिटी
( राज इतना बोलकर सरिता के हाथ को पकड़ कर अपनी और खींचता है और अपने सीने से लगा लेता है।
सरिता: आउच... क्या कर रहे हो कोई देख लेगा।
(राज जल्दी से सरिता को छोड़ ते हुए)
राज: यहां ? अपने घर मे? यहां कौन देखेगा?
सरिता: इश्ssssssss ( बच्चों की तरह सरिता राज की तरफ जीभ निकालते हुए ) जब मालूम है घर में कोई नहीं देखेगा तो फिर छोड़ा क्यों?
राज: क्या? मतलब मेरे साथ ही नाटक?
सरिता राज की तरफ जीभ निकाल कर भागने लगती है। वहीं राज भी सरिता की मासूमियत और नादानी पर खुद भी बच्चा हो जाता है और सरिता के पीछे भागने लगता है। लेकिन सरिता तो पल भर में राज के पास से उड़न छू हो जाती है। पतली बपखाती कमर, हिरनी सी चाल , कजरारी आंखें, मलमली होंठ, दूध से रंग अप्सराओं सा योवन इतनी जल्दी हाथ भी कैसे आता । आखिर में राज थक कर गिरने का नाटक करते हुए नीचे गिर जाता है। सरिता राज को गिरता देख कर जल्दी से राज की तरफ भागती है और राज तुरंत सरिता को लपक कर गले लगा लेता है।
सरिता :
अरे अरे गिर जाओगे! आपको कहीं लगी तो नहीं?
राज: ( सरिता की आंखों में देखते हुए) अब तो मैंने तुम्हें पकड़ लिया! अब तो नही जाने दूंगा।
सरिता राज की चालाकी अब समझ जाती है। सरिता अपनी नाजुक कलाईयों से राज के सीने में मारते हुए बोलती है।
सरिता: चीटिंग, चीटिंग की आपने वरना आप मुझे नही पकड़ पाते।
राज: अच्छा भला क्या चीटिंग की मैंने?
सरिता: नाटक किया आपने? अगर आप गिरने का नाटक नही करते तो आप मुझे पकड़ ही नही पाते।
राज एक पल की प्यार भरी मुस्कुराहट के साथ सरिता की आंखों में देखते हुए बोलता है।
राज: अच्छा ऐसी बात है तो लो छोड़ दिया तुम्हे! ( राज अपनी बाहों के घेरे को सरिता की कमर से ढीला कर देता है।) जाओ जहां जाना चाहती हो! लेकिन मेरी बाहों से निकलने के लिए पहले नाटक तो तुमने किया था याद है ना "कोई देख लेगा"। (हंसते हुए)
अब सरिता राज की आंखों में प्यार से देखते हुए राज की कमर को जकड़ लेती है।
सरिता:
ना तो मैं आपको छोडूंगी ना आपको छोड़ने दूंगी। चुपचाप पकड़ लो मुझे।
राज एक बार फिर से सरिता को अपनी बाहों में जकड़ लेता है और सरिता की आंखों में देखते हुए सरिता पर झुकता चला जाता है। जैसे जैसे राज सरिता पर झुकता जाता है वैसे वैसे सरिता की आंखें मदहोश होते हुए बन्द होती जाती है और होंठ। किसी कली की तरह ! जैसे कोई कली खिल रही हो। ठीक उसी तरह सरिता के होंठ फड़फड़ाते हुए खुलने लगते है। और राज के होंठ होले होल सरिता की गर्म साँसों को महसूस करते हुए सरिता के होंठों से जा मिलते है।
दोनों इतना मादक किश कर रहे थे कि रति और काम देव भी इस समय होते तो रति क्रिया में लीन हो जाते। लग भग दो या ढाई मिनेट तक चले किश को दरवाजे की एक बेल ने तोड़ा। अगर ये दरवाजे की बेल ना बजती तो शायद दोनों युगों युगों तक एक दूसरे में लीन रहते।
दरवाजे की बेल बजते ही दोनों हड़बड़ाते हुए एक दूसरे से अलग हुए । सरिता जैसे ही हड़बड़ा कर दरवाजे की तरफ जाने लगी तो सरिता का मंगलसूत्र राज की शर्ट के बटन मैं उलझ गया। सरिता तुरंत मंगल सूत्र को सुलझानें में लग गयी जिसे सुलझाने में करीब 2-3 मिनट लग गए। और राज अपनी जगह खड़े खड़े सरिता को मुस्कुराते हुए देखता रहा।
मंगल सूत्र के निकलते ही सरिता जल्दी से दरवाजा खोलती है। दरवाजा खुलते ही सरिता सामने देखती है कि वहां पर फरिहा और दो तीन लड़कियां खड़ी है। दर असल सरिता के पड़ोस में ही गर्ल्स पी जी है जहां कई सारी लड़कियां रहती है। उनमें से फरिहा काफी पुरानी लड़की है। फरिहा यहां राज और सरिता के आने से पहले से है। फरिहा पी.एच्. डी. कर रही है। इसलिए राज और सरिता फरिहा को अच्छी तरह से जानती है। फरिहा की शादी को तीन साल हो गए। खेर ये सब बाद में फिलहाल उसके आने के कारण को जान ले।
सरिता: फरिहा ? तुम यहाँ? इस वक़्त?
फरिहा: (शैतानी मुस्कुराहट के साथ) क्यूँ दीदी गलत टाइम पर आ गयी क्या?
सरिता: ( झेंपते हुए) अरे नही नहीं ऐसी कोई बात नहीं।
फरिहा: ( सरिता के कान के पास आते हुए) लेकिन दीदी आपके इन नाजुक होंटों के पास मैं फैली हुई लिपस्टिक तो कुछ और ही बोल रही हूं।
सरिता: (तुरंत साड़ी के पल्लू से अपने होंटों को साफ करते हुए) अरे नही कुछ नहीं ये तो बस ऐसे ही
फरिहा: (सरिता को छेड़ते हुए) अरे बताओ ना दीदी प्रॉमिस हम किसी से नहीं कहेंगी। भैया परेशान करने के मूड में है क्या? चाहो तो हम बाद में आ जाते है?
सरिता: धत्त बेशर्म ( मजाक में फरिहा के कंधे पर मारते हुए) फालतू की बात छोड़ और ये बता कैसे आना हुआ?
फरिहा: ओह हो तो अब हमें जल्दी से भगाने की फिराक में हो आप? अच्छा तो ठीक है। हम तो आपसे थोड़ी सी चीनी और दूध लेने आये थे। दर असल हमारे एग्जाम है। और बाहर दुकान बंद है। और अगर दूर भी गए तो शाम को 5 बजे पहले दूध शायद ही किसी के पास मिले इस लिए आप से लेने आ गये।
सरिता: अच्छा किया। रुको मैं लाती हूँ।
करीब पांच मिनट बाद सरिता फरिहा को एक दूध का पैकेट और थोड़ी सी चीनी देकर विदा कर देती है। फरिहा के जाने के बाद सरिता मन ही मन मुस्कुराते हुए फरिहा की छेड़खानी को याद करती है।
सरिता: पागल,
राज: (ठीक सरिता के पीछे धीरे धीरे आ रहा होता है) क्या कहा? पागल? अरे भाई अब तो हमे सब पागल ही कहेंगे । महोबत मैं कौनसा इंसान समझदार होता है।
सरिता सरिता तुरंत पीछे पलट जाती है)अरे नहीं नहीं आपको नही वो तो मैं उस फरिहा को खेर जाने दो ये सब लेकिन आपने अभी तक ये नहीं बताया कि आज आप जल्दी कैसे?
राज : अरे बात ही खुशी की थी तो जल्दी आना ही था। दर असल मेरे पास कुछ देर पहले सुरेश भैया का कॉल आया था। उन्होंने बिज़नेस मैं हुए प्रॉफिट और हमारे बिज़नेस मैं होने वाली हेल्प के बारे में बताया तो तुमसे मिलकर बताने का दिल किया सो आ गया। और वैसे भी मैं कौनसा गवर्नमेंट जॉब मैं हूँ जो अपनी मर्जी से आ जा भी नहीं सकता।
सरिता: जी ऐसा तो मैंने नहीं कहा बस आपका जल्दी आना थोड़ा सा मेरे लिए सरप्राइज सा था।
राज : अच्छा जी।
सरिता : जी... और हां एक बात और माँ जी और चंचल दीदी का कॉल आया था। दोनों ने मुझे आज ही बुलाया है। तो शाम की ट्रेन कर ली मैंने।
राज: हम्म मुझे सुरेश भैया ने भी बोला था कि कुछ दिन के लिए तुम्हे चंचल के साथ रहने दूँ।
सरिता : वो क्यों?
राज: क्यों की सुरेश भैया अपने बिज़नेस को अपने पार्टनर्स के साथ फॉरेन मैं ले जाएंगे। और उनके पार्टनर्स आज रात को फॉरेन जा रहे है और वो भैया को भी साथ ले जा रहे है। जिसके लिए उन्होंने भैया का टिकट बिना भैया को बताए ही बुक करवा लिया ।
सरिता : व्हाट? तो क्या इस बात का अभी तक माँ जी और चंचल दीदी दोनों को पता नहीं।
राज: हाँ अभी तक तो नहीं है। यार तुम तो जानती हो बाबाओं के चक्कर ने माँ को साइको बना दिया है। जब देखो तब आज दिन सही नहीं, अभी मुहूर्त नहीं वगैरा वगैरा। और फिर मुहूर्त और इन सब मैं कोई भी इंसान इतना अच्छा मौका थोड़े ही छोड़ सकता है।
सरिता: (थोड़ा सोचते हुए) हाँ ये भी ठीक है लेकिन फिर भी कम से कम चंचल दीदी को तो?
राज : (सरिता की बात काटते हुए) अब कोई लेकिन वेकीन नहीं। तुम भी ये बात माँ और भाभी को नहीं बताओगी। भैया अपने मन से बताये तो अच्छा है और नहीं बताये तो ये भी उन पर छोड़ दो। हम दोनों अच्छे से जानते है भैया माँ और भाभी दोनो को बहुत चाहते है। अगर वो नही बात रहें है तो सोचो कितनी बड़ी मुश्किल में होंगे।
सरिता : ओके बाबा, खुश, अब इतना स्ट्रेस में मत रहो! आप बिलकुल भी अच्छे नहीं लगते स्ट्रेस में।
राज: अच्छा , तो फिर मेरा स्ट्रेस दूर कर दो ना।
सरिता : मैं कैसे दूर करूँगी आपका स्ट्रेस ? ( सोचते हुए)
राज : ( सरिता को बाहों में लेते हुए) मेरी जान मेरे साथ आज शाम तक डेट पर चलकर। जब तक तुम्हारी ट्रैन नहीं आती तब तक तुम्हारी खुशबू मैं अपने आप में बसा लेना चाहता हूँ।
सरिता : (राज को बाहों में जकड़ते हुए) अच्छा तो शादी के बाद भी जनाब को डेट पर जाना है। अपनी ही बीवी को गर्लफ्रैंड की तरह घुमाना है। ह्म्म्म तो जनाब आप छोड़ेंगे तभी तो तैयार हो पाऊंगी ना डेट के लिए।
राज: ना दिल नही कर रहा
सरिता : तो ठीक है शाम तक ऐसे ही रहते है।
राज: तुम ना नहीं सुधरोगी ( सरिता को बाहों के बंधन से मुक्त करते हुए) जाओ और जल्दी से तैयार हो जाओ। और हां कॉलेज गर्ल टाइप बनना। मेरा मतलब साड़ी मत पहनना वेस्टर्न कुछ पहनना । आज मैं मेरी बीवी और गर्लफ्रैंड दोनों से मिलना चाहता हूं।
सरिता शर्माते हुए टॉवल उठा कर चली जाती है।
वहीं दूसरी और सुरेश बेहद परेशान था। सुरेश को समझ नही आ रहा था कि क्या करे और क्या ना करे। सुरेश इतना परेशान था कि उसे आफिस में ही इमरजेंसी के लिए डॉक्टर को बुलाना पड़ गया।
बर्बादी को निमंत्रण
https://xossipy.com/thread-1515.html
[b]द मैजिक मिरर (THE MAGIC MIRROR) {A Tale of Tilism}[/b]
https://xossipy.com/thread-2651.html
Hawas ka ghulam
https://xossipy.com/thread-33284-post-27...pid2738750
https://xossipy.com/thread-1515.html
[b]द मैजिक मिरर (THE MAGIC MIRROR) {A Tale of Tilism}[/b]
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Hawas ka ghulam
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