05-01-2025, 06:50 PM
सुप्रिया और जग्गू का प्रेम संबंध उफान पर चढ़ गया। जग्गू हर रोज सुप्रिया को अपने ही बिस्तर पर प्रेम की वर्षा करता। रही बात गंगू की तो वो ज्यादा वक्त दुकान में लगता और अरविंद अपने बुआ के घर रहने लगा। वो अब वहां ही रहता है। गंगू से दूरी सुप्रिया को जग्गू के बेहद करीब ला दी।
सुप्रिया हमेशा गंगू का इंतजार करती। एक दिन सुप्रिया को किसी की चिट्ठी आई। वो चिट्ठी सुप्रिया की बहन अनुप्रिया का था। अनुप्रिया ने बताया कि वो अब सुप्रिया के साथ रहनेवाली है वो भी इसी घर में। सुप्रिया की तो जैसे दिमाग ने काम करना बंद कर दिया। खुशी से वो जैसे पागल ही हो जानेवाली थी। अपनी बहन के आने की खुशी में वो इतनी उतावली हो गई कि एक एक दिन उसके इंतजार में सो दिन जैसा लगने लगा।
अनुप्रिया जो 21 साल की थी अपनी पढ़ाई पूरी करके यहां आनेवाली थी। दिखने में बेहद आकर्षित और बहुत ज्यादा खुले विचारोवाली। अनुप्रिया को सुप्रिया के बारे में सब पता था यहां तक जग्गू के बारे में भी।
आखिर वो दिन आ ही गया जब अनुप्रिया और सुप्रिया मिले। अनुप्रिया दौड़ते हुए सुप्रिया के गले लगी और बोली "दीदी मैं आ गई।"
सुप्रिया खुशी से अनुप्रिया को चूमते हुए बोली "मेरी प्यारी राजकुमारी आ गई। अब हमेशा मेरे साथ रहना समझी। वरना मुझसे बुरा कोई नहीं।"
पीछे से गंगू अनुप्रिया का सामान लेकर आया और बोला "साली साहब अब जरा आपका मिलन हो गया हो तो जरा अपने जीजा का भी हाल चल पूछ लो।"
"बिल्कुल नहीं। एक तो मेरी बहन से शादी को बच्चे भी किए और मुझे नहीं बुलाया। अब तो आपको इसकी सजा मिलेगी। सारा सामान आप ही से उठवाया मैने और आप ही से कमरा साफ करवाऊंगी।"
पसीना पोछते हुए गंगू ने कहा "लगता है साली हमारी बहुत नाराज़ है।"
"हां हूं। आप बहुत बुरे हो।"
गंगू अनुप्रिया के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा "अच्छा माफ कर दो।"
"नहीं बिल्कुल नहीं।" अनुप्रिया नकली गुस्सा दिखाते हुए बोली।
सुप्रिया बोली "चलो अनुप्रिया छोड़ो नादानी और अपने जीजा को माफ करो।"
"एक शर्त पर।"
"कौनसी शर्त ?" दोनों ने पूछा।
"आप दोनों को फिर से शादी करनी होगी और वो भी मेरे सामने।"
सभी हंसने लगे। अनुप्रिया वैसे बड़ी खुले विचारों वाली थी। सभी से घुल मिल जाती है। गंगू और अनुप्रिया एक दूसरे से खूब घुल मिल गए। दो हफ्ते बीत गए और अनुप्रिया अपने भांजे के साथ खूब खेली। साली जीजा ने जमकर मोज मस्ती की। गंगू ने साथ में कुछ दिन बिताया और चला गया। वैसे इतने दिनों तक जग्गू अपने गांव गया था और वहां को सारी जमीन बेचकर हमेशा के लिए यहां रहनेवाला था। जग्गू आखिर में वापिस आ गया।
जग्गू के सामने अनुप्रिया खड़ी थी। दोनों एक दूसरे को देखते रहे। जग्गू को देख अनुप्रिया बोली "तो आप है जग्गू। मेरी दीदी के आशिक। लेकिन सच कहूं तो आपके हिम्मत की तारीफ करूंगी। एक खूबसूरत हसीना को अपनी बाहों में गिरफ्तार कर बंधी बना लिया।"
जग्गू बोला "क्या करूं ? तुम्हारी बहन है ही ऐसी। किसी का भी दिल फिसल जाए। वैसे पता नहीं था कि तुम इतनी खूबसूरत लगती हो।"
"लगता है अब आप मुझपर अपनी नजर डाल रहे है।" अनुप्रिया ने तिरछी मुस्कान बिखेरते हुए कहा।
"अब आ गई हो तो मेरे बारे में बहुत कुछ जान जाओगी।" जग्गू ने कहा।
"वैसे दिलफेंक इंसान हो।"
"अब तुम्हे देख लिया तो जरा ये बता दूं कि कहीं तुम मेरी न हो जाओ क्योंकि इस बुढ़ापे में मुझे हर जवान हसीना को बाहों को भरना है।"
"तुम्हारी पोटी के उमर की हूं।" अनुप्रिया ने तीखे अंदाज में कहा।
"लेकिन हो तो नहीं। और वैसे भी अगर मेरा दिल तुम्पर आया तो फिर देख लेना। संभल जाओ वरना कही मेरी न हो जाओ तुम।"
सुप्रिया आई और बोली "हो गया दोनों मैं नैनमटक्का तो फिर अंदर आराम कर लो। दोनों बस एक दूसरे को अपनी बातों में उलझा रहे हो।"
जग्गू सुप्रिया को पीछे से बाहों में भरते हुए अनुप्रिया की आंखों में देखते हुए कहा "वैसे ये तो अनुप्रिया पर निर्भर करता है कि वो मेरी बातों में फसेगी या फिर बाहों में।"
सुप्रिया हंसते हुए बोली "संभलकर अनु वरना ये बूढ़ा तुम्हे अपनी बाहों में न भर ले।"
अनुप्रिया बोली "मुझे बाहों में भर तो लेंगे लेकिन मेरे दिल को कैसे जीतेंगे ?"
सुप्रिया बोली "दिल भी जीत लेंगे और फिर तुम्हे अपनी लत भी लगवा देंगे। ये मेरा आशिक हसीनाओं का शौखिन है।"
अनुप्रिया भी बोली "ठीक है जरा मैं भी तो देखूं कि इनमें कितना दम है।" यह कहकर वो चली गई।
जग्गू सुप्रिया से कहा "तुम्हारी बहन बहुत तीखी चीज है। संभलकर रहना होगा मुझे।"
"पहले मेरे गुस्से से सम्भल जाओ।" मुंह बिगाड़ते हुए सुप्रिया जग्गू के कमरे चली गई।
जग्गू दौड़ते हुए कमरे में गया और दरवाजा बंद कर दिया। सुप्रिया को पीछे से बाहों में भरते हुए पूछा "क्या हुआ मेरी रानी ? आज बहुत गुस्सा कर रही हो ?"
"कितने दिन लगे तुम्हे वापिस आने में ? कर क्या रहे थे तुम ?"
"वहां गया था अपने दोस्त के घर क्योंकि उसकी पत्नी को मरे हुए 20साल हो गए थे वहां गया और उसके बाद मेरी थोड़ी सी जमीन का सौदा करके आया।"
सुप्रिया बोली "जमीन का सौदा ? क्यों ?"
"जमीन को बेचकर आया हूं। ताकि कुछ पैसे लेकर हमेशा के लिए यहां तुम्हारे पास आ जाऊं।" जग्गू ने सुप्रिया को अपनी तरफ किया।
सुप्रिया मुस्कुराते हुए बोली "क्या सच में अब तुम यहां हमेशा के लिए आ गए ?"
"हां।" जग्गू ने सुप्रिया को चूम लिया।
"मुझे कितनी खुशी हो रही है आपके आने से। अब बस चुपचाप मेरी बाहों में अपनी जिंदगी गुजरोगे और कुछ नहीं करोगे।"
"वैसे सुप्रिया एक बात पूछनी थी।"
"पूछो।"
"मेरा दोस्त अंतू और उसका भाई हरिया दोनों अकेले है। मैने उन्हें यहां हमेशा के लिए रहने को कहा। क्या वो यहां हमारे साथ रह सकते है ?"
"बिल्कुल। और उनका घर बगल में कर देंगे। घर भरा हुआ लगेगा। वैसे भी अनुप्रिया के आने से लोगों की आबादी बढ़ रही है। मतलब अब घर लोगो से भरेगा।"
तभी अनुप्रिया दौड़ते हुए दरवाजा खटखटाई और रोने लगी। सुप्रिया डर गई और उसके रोने का कारण पूछा। अनुप्रिया ने बताया कि गंगू का accident हो गया और हॉस्पिटल में आखिरी सांसें गिन रहा है। सभी लोग जल्दी से भागते हुए 100 किलोमीटर दूर शहर के हॉस्पिटल में आए। लेकिन आने में देरी हो गई। सुप्रिया और सभी ने देखा कि गंगू को डॉक्टर ने मृत घोषित किया। बिस्तर पर पड़े गंगू के शव को देख सुप्रिया बेहोश हो गई। सभी ने सुप्रिया को संभाला। सुप्रिया का रो रोकर बुरा हाल हो गया। वो बस खुद को कोस रही थी। गंगू के पार्थिव शरीर को अग्नि देकर उसका अंतिम संस्कार पूरा किया गया।
सभी घर वापिस आए। घर में सुप्रिया उसका बेटा, अनुप्रिया और जग्गू थे। गंगू ने जाते जाते कुछ पैसे जमा किए थे वो सुप्रिया को मिल गया। रही बात दुकान की तो उसे संभालने के लिए सुप्रिया ने दो आदमियों को बिठा दिया। दुकान के पैसे हर महीने वक्त पर पहुंच जाता था। वैसे दुकान का आधा मालिक बिरजू को बना दिया गया।
सुप्रिया के लिए ये वक्त बुरा था। जग्गू ने उसे इस बुरे दर्द से आजाद किया। वो इस बात का ध्यान रखता था कि सुप्रिया रोज काम पर जाए ताकि वो दर्द से बाहर निकले। अनुप्रिया को भी उसी कॉलेज में पढ़ने की नौकरी मिल गई। दोनों बहनों की तंखा अच्छी थी। दोनों बहने एक दूसरे की ढाल बनकर रहने लगी। और अगर हिम्मत टूट भी जाती तो जग्गू हिम्मत बन जाता था। सुप्रिया ने हंसना जैसे कम कर दिया। अब सुप्रिया को दर्द से बाहर निकलने के लिए घर का माहौल बदला। जग्गू ने अपने छोटे भाई और इकलौते भाई माली को घर बुला लिया।
माली की उमर 70 साल को थी। दिखने में थोड़ा मोटा और शरीर काला था। उसके साथ जग्गू के दोस्त अंतू और हरिया भी रहने आ गए।
अंतू की उमर 75 साल और हरिया की उमर 68 साल की थी। दोनों बूढ़े घर के बगल रहने लगे। दोनों स्वभाव के अच्छे थे लेकिन जग्गू का भाई माली बहुत ही मनचला स्वभाव का था। अब देखते है इस भरे माहौल को कैसे सब बदलते है।
अब आ गया है साल 1994
जग्गू उमर 85 साल। एक दिलफेंक बूढ़ा
माली उमर 70 साल। हसीनाओं का दीवाना और उनको अपने दिल में बढ़नेवाला बूढ़ा
सुप्रिया उमर 29 साल। आगे चलकर खुद को प्यार के हवाले कर देनेवाली खूबसूरत औरत।
अनुप्रिया उमर 20 साल। सबसे छोटी लेकिन समझदार। मोहब्बत और जिस्म के प्यार में पद जाए तो सारी हद और जुनून को पार कर दे वैसी दिलफेक खूबसूरत बला।
सुप्रिया हमेशा गंगू का इंतजार करती। एक दिन सुप्रिया को किसी की चिट्ठी आई। वो चिट्ठी सुप्रिया की बहन अनुप्रिया का था। अनुप्रिया ने बताया कि वो अब सुप्रिया के साथ रहनेवाली है वो भी इसी घर में। सुप्रिया की तो जैसे दिमाग ने काम करना बंद कर दिया। खुशी से वो जैसे पागल ही हो जानेवाली थी। अपनी बहन के आने की खुशी में वो इतनी उतावली हो गई कि एक एक दिन उसके इंतजार में सो दिन जैसा लगने लगा।
अनुप्रिया जो 21 साल की थी अपनी पढ़ाई पूरी करके यहां आनेवाली थी। दिखने में बेहद आकर्षित और बहुत ज्यादा खुले विचारोवाली। अनुप्रिया को सुप्रिया के बारे में सब पता था यहां तक जग्गू के बारे में भी।
आखिर वो दिन आ ही गया जब अनुप्रिया और सुप्रिया मिले। अनुप्रिया दौड़ते हुए सुप्रिया के गले लगी और बोली "दीदी मैं आ गई।"
सुप्रिया खुशी से अनुप्रिया को चूमते हुए बोली "मेरी प्यारी राजकुमारी आ गई। अब हमेशा मेरे साथ रहना समझी। वरना मुझसे बुरा कोई नहीं।"
पीछे से गंगू अनुप्रिया का सामान लेकर आया और बोला "साली साहब अब जरा आपका मिलन हो गया हो तो जरा अपने जीजा का भी हाल चल पूछ लो।"
"बिल्कुल नहीं। एक तो मेरी बहन से शादी को बच्चे भी किए और मुझे नहीं बुलाया। अब तो आपको इसकी सजा मिलेगी। सारा सामान आप ही से उठवाया मैने और आप ही से कमरा साफ करवाऊंगी।"
पसीना पोछते हुए गंगू ने कहा "लगता है साली हमारी बहुत नाराज़ है।"
"हां हूं। आप बहुत बुरे हो।"
गंगू अनुप्रिया के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा "अच्छा माफ कर दो।"
"नहीं बिल्कुल नहीं।" अनुप्रिया नकली गुस्सा दिखाते हुए बोली।
सुप्रिया बोली "चलो अनुप्रिया छोड़ो नादानी और अपने जीजा को माफ करो।"
"एक शर्त पर।"
"कौनसी शर्त ?" दोनों ने पूछा।
"आप दोनों को फिर से शादी करनी होगी और वो भी मेरे सामने।"
सभी हंसने लगे। अनुप्रिया वैसे बड़ी खुले विचारों वाली थी। सभी से घुल मिल जाती है। गंगू और अनुप्रिया एक दूसरे से खूब घुल मिल गए। दो हफ्ते बीत गए और अनुप्रिया अपने भांजे के साथ खूब खेली। साली जीजा ने जमकर मोज मस्ती की। गंगू ने साथ में कुछ दिन बिताया और चला गया। वैसे इतने दिनों तक जग्गू अपने गांव गया था और वहां को सारी जमीन बेचकर हमेशा के लिए यहां रहनेवाला था। जग्गू आखिर में वापिस आ गया।
जग्गू के सामने अनुप्रिया खड़ी थी। दोनों एक दूसरे को देखते रहे। जग्गू को देख अनुप्रिया बोली "तो आप है जग्गू। मेरी दीदी के आशिक। लेकिन सच कहूं तो आपके हिम्मत की तारीफ करूंगी। एक खूबसूरत हसीना को अपनी बाहों में गिरफ्तार कर बंधी बना लिया।"
जग्गू बोला "क्या करूं ? तुम्हारी बहन है ही ऐसी। किसी का भी दिल फिसल जाए। वैसे पता नहीं था कि तुम इतनी खूबसूरत लगती हो।"
"लगता है अब आप मुझपर अपनी नजर डाल रहे है।" अनुप्रिया ने तिरछी मुस्कान बिखेरते हुए कहा।
"अब आ गई हो तो मेरे बारे में बहुत कुछ जान जाओगी।" जग्गू ने कहा।
"वैसे दिलफेंक इंसान हो।"
"अब तुम्हे देख लिया तो जरा ये बता दूं कि कहीं तुम मेरी न हो जाओ क्योंकि इस बुढ़ापे में मुझे हर जवान हसीना को बाहों को भरना है।"
"तुम्हारी पोटी के उमर की हूं।" अनुप्रिया ने तीखे अंदाज में कहा।
"लेकिन हो तो नहीं। और वैसे भी अगर मेरा दिल तुम्पर आया तो फिर देख लेना। संभल जाओ वरना कही मेरी न हो जाओ तुम।"
सुप्रिया आई और बोली "हो गया दोनों मैं नैनमटक्का तो फिर अंदर आराम कर लो। दोनों बस एक दूसरे को अपनी बातों में उलझा रहे हो।"
जग्गू सुप्रिया को पीछे से बाहों में भरते हुए अनुप्रिया की आंखों में देखते हुए कहा "वैसे ये तो अनुप्रिया पर निर्भर करता है कि वो मेरी बातों में फसेगी या फिर बाहों में।"
सुप्रिया हंसते हुए बोली "संभलकर अनु वरना ये बूढ़ा तुम्हे अपनी बाहों में न भर ले।"
अनुप्रिया बोली "मुझे बाहों में भर तो लेंगे लेकिन मेरे दिल को कैसे जीतेंगे ?"
सुप्रिया बोली "दिल भी जीत लेंगे और फिर तुम्हे अपनी लत भी लगवा देंगे। ये मेरा आशिक हसीनाओं का शौखिन है।"
अनुप्रिया भी बोली "ठीक है जरा मैं भी तो देखूं कि इनमें कितना दम है।" यह कहकर वो चली गई।
जग्गू सुप्रिया से कहा "तुम्हारी बहन बहुत तीखी चीज है। संभलकर रहना होगा मुझे।"
"पहले मेरे गुस्से से सम्भल जाओ।" मुंह बिगाड़ते हुए सुप्रिया जग्गू के कमरे चली गई।
जग्गू दौड़ते हुए कमरे में गया और दरवाजा बंद कर दिया। सुप्रिया को पीछे से बाहों में भरते हुए पूछा "क्या हुआ मेरी रानी ? आज बहुत गुस्सा कर रही हो ?"
"कितने दिन लगे तुम्हे वापिस आने में ? कर क्या रहे थे तुम ?"
"वहां गया था अपने दोस्त के घर क्योंकि उसकी पत्नी को मरे हुए 20साल हो गए थे वहां गया और उसके बाद मेरी थोड़ी सी जमीन का सौदा करके आया।"
सुप्रिया बोली "जमीन का सौदा ? क्यों ?"
"जमीन को बेचकर आया हूं। ताकि कुछ पैसे लेकर हमेशा के लिए यहां तुम्हारे पास आ जाऊं।" जग्गू ने सुप्रिया को अपनी तरफ किया।
सुप्रिया मुस्कुराते हुए बोली "क्या सच में अब तुम यहां हमेशा के लिए आ गए ?"
"हां।" जग्गू ने सुप्रिया को चूम लिया।
"मुझे कितनी खुशी हो रही है आपके आने से। अब बस चुपचाप मेरी बाहों में अपनी जिंदगी गुजरोगे और कुछ नहीं करोगे।"
"वैसे सुप्रिया एक बात पूछनी थी।"
"पूछो।"
"मेरा दोस्त अंतू और उसका भाई हरिया दोनों अकेले है। मैने उन्हें यहां हमेशा के लिए रहने को कहा। क्या वो यहां हमारे साथ रह सकते है ?"
"बिल्कुल। और उनका घर बगल में कर देंगे। घर भरा हुआ लगेगा। वैसे भी अनुप्रिया के आने से लोगों की आबादी बढ़ रही है। मतलब अब घर लोगो से भरेगा।"
तभी अनुप्रिया दौड़ते हुए दरवाजा खटखटाई और रोने लगी। सुप्रिया डर गई और उसके रोने का कारण पूछा। अनुप्रिया ने बताया कि गंगू का accident हो गया और हॉस्पिटल में आखिरी सांसें गिन रहा है। सभी लोग जल्दी से भागते हुए 100 किलोमीटर दूर शहर के हॉस्पिटल में आए। लेकिन आने में देरी हो गई। सुप्रिया और सभी ने देखा कि गंगू को डॉक्टर ने मृत घोषित किया। बिस्तर पर पड़े गंगू के शव को देख सुप्रिया बेहोश हो गई। सभी ने सुप्रिया को संभाला। सुप्रिया का रो रोकर बुरा हाल हो गया। वो बस खुद को कोस रही थी। गंगू के पार्थिव शरीर को अग्नि देकर उसका अंतिम संस्कार पूरा किया गया।
सभी घर वापिस आए। घर में सुप्रिया उसका बेटा, अनुप्रिया और जग्गू थे। गंगू ने जाते जाते कुछ पैसे जमा किए थे वो सुप्रिया को मिल गया। रही बात दुकान की तो उसे संभालने के लिए सुप्रिया ने दो आदमियों को बिठा दिया। दुकान के पैसे हर महीने वक्त पर पहुंच जाता था। वैसे दुकान का आधा मालिक बिरजू को बना दिया गया।
सुप्रिया के लिए ये वक्त बुरा था। जग्गू ने उसे इस बुरे दर्द से आजाद किया। वो इस बात का ध्यान रखता था कि सुप्रिया रोज काम पर जाए ताकि वो दर्द से बाहर निकले। अनुप्रिया को भी उसी कॉलेज में पढ़ने की नौकरी मिल गई। दोनों बहनों की तंखा अच्छी थी। दोनों बहने एक दूसरे की ढाल बनकर रहने लगी। और अगर हिम्मत टूट भी जाती तो जग्गू हिम्मत बन जाता था। सुप्रिया ने हंसना जैसे कम कर दिया। अब सुप्रिया को दर्द से बाहर निकलने के लिए घर का माहौल बदला। जग्गू ने अपने छोटे भाई और इकलौते भाई माली को घर बुला लिया।
माली की उमर 70 साल को थी। दिखने में थोड़ा मोटा और शरीर काला था। उसके साथ जग्गू के दोस्त अंतू और हरिया भी रहने आ गए।
अंतू की उमर 75 साल और हरिया की उमर 68 साल की थी। दोनों बूढ़े घर के बगल रहने लगे। दोनों स्वभाव के अच्छे थे लेकिन जग्गू का भाई माली बहुत ही मनचला स्वभाव का था। अब देखते है इस भरे माहौल को कैसे सब बदलते है।
अब आ गया है साल 1994
जग्गू उमर 85 साल। एक दिलफेंक बूढ़ा
माली उमर 70 साल। हसीनाओं का दीवाना और उनको अपने दिल में बढ़नेवाला बूढ़ा
सुप्रिया उमर 29 साल। आगे चलकर खुद को प्यार के हवाले कर देनेवाली खूबसूरत औरत।
अनुप्रिया उमर 20 साल। सबसे छोटी लेकिन समझदार। मोहब्बत और जिस्म के प्यार में पद जाए तो सारी हद और जुनून को पार कर दे वैसी दिलफेक खूबसूरत बला।