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Fantasy गेंदामल हलवाई का चुदक्कड़ परिवार
#10
भाग - 10


चमेली ने अपनी चूत की फांकों को हाथों से फैला कर राजू को दिखाते हुए कहा, जिससे देख राजू एकदम पागल हो गया और चमेली की जाँघों के बीच घुटनों के बल बैठ कर अपने लण्ड के मोटे सुपारे को चमेली की चूत के छेद पर लगा दिया जिसे चमेली अपने हाथों से खोल कर राजू को दिखा रही थी।

जैसे ही राजू के लण्ड का गरम और मोटा सुपारा चमेली की चूत के छेद पर लगा, चमेली के बदन में मस्ती की लहर दौड़ गई।

उसके कमर ने ऊपर की ओर झटका खाया और राजू के लण्ड का सुपारा चमेली की गीली चूत में जा घुसा।

चमेली- ओह्ह.. राजू कब से तरस रही थी.. मेरी फुद्दी.. तुम्हारे मोटे लण्ड के लिए.. ओह अब चोद डालो मुझे.. कस-कस ज़ोर से चोदो।

ये कहते हुए, चमेली ने राजू को कंधों से पकड़ कर उससे अपने ऊपर खींच लिया, जिससे राजू का वजन चमेली के ऊपर पड़ते ही.. उसके लण्ड का सुपारा चमेली चूत की दीवारों को फ़ैलाता हुआ अन्दर घुसने लगा..

जिसे महसूस करते ही चमेली सिसक उठी और अपनी टाँगों को उठा कर उसने राजू की पीठ पर कस लिया।

‘ऊंह मर गइईई रे.. बहुत मोटा लण्ड है.. तेरा.. ओह्ह..’

चमेली ने अपनी गाण्ड को धीरे-धीरे ऊपर कर और उछालते हुए कहा।

कुछ ही पलों में राजू का पूरा लण्ड चमेली की चूत की गहराइयों में जा घुसा। उसके लण्ड का सुपारा चमेली के बच्चेदानी से रगड़ खा रहा था।

अब राजू भी थोड़ा सामान्य हो चुका था और वो भी अपनी कमर को हिलाते हुए धीरे-धीरे अपने लण्ड को चमेली की चूत की अन्दर-बाहर करने लगा।

चमेली की चूत की दीवारें राजू के मोटे लण्ड के ऊपर एकदम कसी हुई थीं.. मानो जैसे उसका सारा रस निचोड़ लेना चाहती हो।

चमेली अपनी कमर को हिलाने से नहीं रोक पा रही थी, वो मस्ती के सागर में गोते खाते हुए.. लगातार अपने चूतड़ों को ऊपर की ओर उछालते हुए चुदवा रही थी।

चमेली पागलों की तरह अपने हाथों से राजू की पीठ को सहलाते हुए- ओह चोद दे बेटा..अब दिखा दे… तेरे लण्ड में कितना दम है।

चमेली की बात सुन कर राजू एकदम से जोश में आ गया और चमेली के होंठों पर अपने होंठों को लगा दिया।

चमेली तो पहले से ही मस्त हो चुकी थी, उसने भी अपने होंठों को ढीला छोड़ कर राजू से चुसवाना शुरू कर दिया।

जैसे ही चमेली की आवाज़ बंद हुई.. राजू ने अपने लण्ड को सुपारे तक बाहर निकाला और पूरी ताक़त से फिर से चमेली की चूत में पेल दिया।

राजू का लण्ड पूरी रफ़्तार के साथ उसकी चूत की दीवारों से रगड़ ख़ाता हुआ.. बच्चेदानी से जा टकराया।

चमेली अपने होंठों को राजू के होंठों से अलग करते हुए- ओह्ह.. मारा डाला रे…धीरे बेटा धीरे ओह्ह ऊंह आह्ह.. आह्ह.. आह्ह.. हाय.. धीरे.. बेटा.. उफफफफ्फ़..

चमेली को बदन में दर्द और मस्ती के मिली-ज़ुली लहर दौड़ गई।

राजू तो जैसे चमेली को साँस लेने का मौका भी नहीं देना चाहता था.. एक के बाद एक ताबड़तोड़ धक्के चमेली की चूत में लगाए जा रहा था और चमेली मुँह खुला हुआ था और आँखें ऊपर को चढ़ी हुई थीं।

अब उसके मुँह से ‘आ..आह’ की हल्की आवाज़ ही निकल रही थी।

राजू लगातार पूरी रफ़्तार से अपने लण्ड को चमेली की चूत में अन्दर-बाहर कर रहा था।

उसके जाँघों के झटके चमेली के पेट के निचले हिस्से और चूत के आस-पास टकरा कर ‘हॅप-हॅप’ की आवाज़ करने लगे।

जिसे सुन कर राजू और जोश में आ गया और तेज़ी से चमेली की चूत को चोदने लगा।

फिर अचानक से चमेली का बदन अकड़ गया।

उसकी टाँगें जो ऊपर उठी हुई थीं, एकदम सीधी हो गईं और उसने अपने चूतड़ों को बिस्तर से ऊपर उठा कर राजू के लण्ड पर अपनी चूत को ज़ोर से दबा दिया।

‘राजू रुक जा बेटा.. ओह।’

कहते हुए एक बार फिर चमेली की कमर झटके खाने लगी।

चमेली झड़ गई थी, उसकी चूत जो इतने दिनों बाद चुदी थी..

राजू के मोटे लण्ड के जबरदस्त धक्कों को ज्यादा देर ना झेल पाई और उसकी चूत से कामरस की नदी बह निकली।

जैसे ही चमेली की कमर ने एक और झटका खाया.. राजू का लण्ड फिसल कर चमेली की चूत से बाहर आ गया और चमेली की चूत से पेशाब की धार छूट पड़ी, जो सीधा जाकर राजू की छाती पर गिरने लगी।

चमेली की आँखें मस्ती में एक बार फिर बंद हो गईं।

‘ओह्ह यह क्या किया काकी.. हटिए..’ राजू चिल्लाता हुआ खड़ा हो गया।

गनीमत यह थी कि चमेली बिस्तर के किनारे लेटी हुई थी और मूत की धार नीचे कच्चे फर्श पर गिर रही थी।

राजू चमेली को यूँ लेटे हुए देख रहा था.. और उसकी चूत से मूत की धार निकल कर नीचे गिर रही थी.. यह देख राजू का लण्ड और अकड़ गया।

पेशाब करने के बाद चमेली ने अपने चूतड़ों को नीचे टिका लिया और अपनी मदहोशी से भरी आँखें खोल कर राजू के तरफ देखा।

चमेली- ओह्ह.. राजू मुझे नहीं मालूम था कि तुम्हारा ये मोटा लण्ड मेरा मूत निकाल देगा। कसम से आज तक चूत में इतना बड़ा लण्ड नहीं लिया।

राजू उदास मन से एक ओर खड़ा हुआ चमेली की तरफ देखते हुए- पर काकी अभी तो मेरा हुआ ही नहीं!

चमेली के होंठों पर संतुष्टि से भरी मुस्कान फैली हुई थी- तो मैं कब तुम्हें मना कर रही हूँ, आज से ये फुद्दी तेरे ही मेरे राजा.. चल इधर आ मुँह लटका कर क्यों खड़ा है?

राजू चमेली के पास जाकर बिस्तर पर खड़ा हो गया, चमेली नीचे अपने चूतड़ों के बल बैठी हुई थी, उसने तकिए को उठा कर अपने चूतड़ों के नीचे रखा और राजू के लण्ड को मुठ्ठी में भर कर गौर से देखने लगी।

‘हाय राम.. यह तो सच में बहुत बड़ा है.. इसलिए तो मेरी चूत से मूत निकाल दिया तेरे लण्ड ने…’ फिर चमेली ने राजू के लण्ड को मुठ्ठी में भर कर तेज़ी से हिलाना शुरू कर दिया।

‘आह.. काकी धीरे ओह्ह.. काकी धीरे करो ना!’ चमेली ने मुस्कुराते हुए राजू के लण्ड के सुपारे को अपनी उँगलियों के बीच में लेकर ज़ोर से मसल दिया।

राजू एकदम सिसकते हुए चिल्ला उठा।

चमेली राजू के लण्ड को तेज़ी से हिलाते हुए- क्यों रे.. अब मैं क्यों रुकूँ.. जब मैंने तुम्हें रुकने के लिए कहा था, तब तो तूने मेरी एक भी नहीं सुनी.. बोल मारेगा अपनी काकी के फुद्दी..हाँ…

राजू- हाँ काकी.. पहले मेरा लण्ड तो छोड़ो।

राजू की बात सुन कर चमेली ने राजू का लण्ड छोड़ दिया।

फिर वो दूसरी तरफ पलट गई और कुतिया के जैसी अवस्था में आ गई।

‘ये चोद अपनी काकी की फुद्दी.. बेटा देख मैं तेरे लिए कुतिया की तरह अपनी चूत फैला कर कुतिया बनी हुई हूँ। अब डाल दे अपना मूसल सा लण्ड मेरी चूत में..।’

राजू का लण्ड एक बार फिर से पूरे उफान पर था।

राजू चमेली के पीछे आकर घुटनों के बल बैठ गया।

चमेली आगे से नीचे की ओर झुक गई और उसने अपनी गाण्ड को जितना हो सकता था ऊपर उठा लिया, जिससे चमेली की चूत का छेद बिल्कुल राजू के लण्ड की सीध में आ गया।

राजू ने एक हाथ से अपने लण्ड को पकड़ा और एक हाथ से चमेली की झाँटों भरी चूत की फांकों को पकड़ कर पेलने की कोशिश करने लगा।

ये देख चमेली भी अपना एक हाथ पीछे ले आई और अपनी चूत की फांकों को एक तरफ से फैला दिया और दूसरी तरफ से राजू ने जोर लगाया।
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RE: गेंदामल हलवाई का चुदक्कड़ परिवार - by Starocks - 31-12-2018, 09:15 AM



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