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Misc. Erotica कोई किसी से कम नहीं- सभी को चुदांई चाहिए
#2
शर्मिला की शादी १६ दिन पहले ही हुई थी । उसका पति विनोद बहुत ही खूबसूरत जवान मर्द था । लेकिन शर्मिला ने पति के बदले ससुर मंगेश को ही पसंद किया । पहले ही मौक़ा में उसने ससुर के लिए अपनी चाहत को सिर्फ़ ससुर को ही नहीं दिखाया सास के सामने ससुर का लंड चूसा । मंगेश भी बहु का दीवाना हो गया । 

बहु के कहने पर उसने अपनी पत्नी को नंगा किया , खूद नंगा हुआ और बहु के सामने अपनी पत्नी को चोदने लगा । थोड़ी देर शीला को बहुत शर्म आती रही लेकिन ५-६ मिनट की चूदाई के बाद मस्ती से मुस्कुराते हुए, बहु के सामने पति के साथ चूदाई का मजा लेने लगी । 

शर्मिला—       मॉ , आप आज भी , ४२ साल की उम्र में भी ग़ज़ब की माल है । और बाबू जी , मेरी पसंद ग़लत नहीं हो सकती है । लंड बहुत ही प्यारा है और आप अपने बेटे से ज़्यादा ताक़त और ज़्यादा स्पीड से चोद रहे हैं । 

शर्मिला ने ग़लत नहीं कहा था । उसे दोनों की  ख़ूबसूरत बदन के साथ साथ चूदाई देखना भी बहुत ही बढ़िया लग रहा था । 

इतना बोलते बोलते शर्मिला ने ब्लाउज़ को बदन से निकाल कर नीचे फेंका । दोनों सास और ससुर चूदाई करते हुए ऑंख फाड़ कर देखते रहे । शर्मिला ने ब्रा भी खोला और सास के चूचियों पर डाल दिया । 

शीला — बेटी , थोड़ा नीचे झूक , बहुत ही बढिया और मस्त चूची है,  चूसने दे । 

शर्मिला और आगे आकर ऐसे पोजीशन में आ गई कि अगले १५ मिनट तक दोनों आराम से बहु की चूचियों को दबाते रहे , नीपल को बारी बारी से चूसते रहे । शर्मिला भी पूरे समय सास की चूचियों से खेलते हुए ससुर के नंगे बदन को सहलाती रही । उसने भी सास की चूचियों को दबाया, चूसा । 

शीला —  मैं भी बहुत बेशर्म हूँ, एक से बढ़कर एक बेशर्म औरतें देखी है , लेकिन रंडी,  तेरे जैसी बेशर्म और कोई नहीं होगी । 

शर्मिला ने दोनों हाथों से सास की दोनों चूची को ज़ोर से मसला । 

शर्मिला—     मॉ, आपने अभी मेरी बेशर्मी देखी ही कहाँ है ? 

दोनों चूदाई कर रहे लोगों में बहुत स्टैमिना था । अधिकतर मर्द किसी अधनंगी जवान लड़की के सामने ज़्यादा देर  चूदाई नहीं कर सकते लेकिन मंगेश ने बहुत बढ़िया चोदा । आधा घंटा की चूदाई के बाद दोनों पस्त हो गये । दोनों ने एक दूसरे को बेतहाशा चूमा और उसके बाद मंगेश पत्नी के बगल में लेट गया । 

जैसे ही मंगेश लेटा शर्मिला उसके उपर चढ़ गई । दोनों हाथ को नीचे कर रस से लथपथ लंड को मसलने लगी । 

शर्मिला—   मॉं , मेरा स्कर्ट चूत्तरों के उपर उठा दो और पैंटी को बाहर निकाल दो । 

दोनों को बिश्वास नहीं हुआ कि शर्मिला ख़ुद को भी नंगा करने के लिए बोल रही है । शीला ने अपनी जांघों को पूरा फैला दिया था ।  उसकी बूर से रस की धार बह रही है । शर्मिला ने ससुर के दोनों कंधों को दबाये रख बार बार होंठों और गालों को चूमा । उसने अपना दोनों हाथ नीचे किया । स्कर्ट को कमर तक उठा दिया । दोनों हाथों से पैंटी को बाहर निकाला और ससुर के मुँह में ठूँस दिया और दोनों हाथ को मंगेश के पीठ के नीचे घुसाकर ससुर को अपना बॉंहों में पूरी ताक़त से बॉंधा । साथ ही नंगी चूत को ससुर के ढीले लंड पर दबा कर रगड़ने लगी । 

ससुर —-     बेटी , देख कर नहीं लगता है लेकिन बहुत मज़बूत हो तुम । बहुत ताक़त है । पकड़ थोड़ी ढीली कर दो । मुझे चोदने दो रानी । 

शर्मिला-          ससुर जी , अब भी आपको विश्वास नहीं हो रहा है कि मैं आपके और आपके लंड और चूदाई के लिए कितना बेचैन हूँ । जल्दी चुदवाऊंगी राजा । अभी मेरे नंगे बदन को सहलाओ ,  बूर में , गॉंड में अंगुली से चोदो । बहुत जल्दी आपका लंड मेरी हर एक छेद में घुसेगा । जब तक आपके लंड में थोड़ा भी दम बाक़ी रहेगा में आपसे चूदवाती रहुंगी । 

बहुत कोशिश करने के बाद भी मंगेश बहु की पकड़ को ढीला नहीं कर पाया । शर्मिला ने इतना टाईटली बॉंध रखा था कि उसकी कसी हुई बडी बडी चूचियॉं ससुर के चौड़ी और गठीले छाती से चिपक कर फ्लैट हो गई थी । शर्मिला बूर को ढीले लंड के उपर इतने ताक़त से रगड़ रही थी कि १० मिनट होते होते ही लंड पूरा टाईट हो गया लेकिन उसने ससुर को चोदने का कोई मौक़ा नहीं दिया । 

अपनी पूरी ताक़त से बूर को लंड पर और चूचियों को छाती पर रगड़ती रही । चोदने का मौक़ा नहीं मिल रहा था तो जैसा बहु ने कहा , मंगेश अपने दोनों हाथों को बहु के उपर ले गया । शीला भी उठकर बेड से नीचे आ गई । उसने  बहु के  चिकने  और चमकते हुए बहुत ही खूबसूरत बदन  को देखा ।शीला के ऑंखो के सामने था बहुत ही छोटे , सलीके से छॉंटे हुए झॉंटो के बीच बहुत ही प्यारी चूत । अपनी बहु की ख़ूबसूरती को देख शीला अत्यंत मोहित हो गई । ससुर के साथ साथ वो भी शर्मिला के नंगे बदन को चूमने चाटने लगी । दोनों ने बहु की बूर को अंगुली से खूब चोदा । ससुर को बहु ने नीचे दबा कर रखा था वो बूर को देख भी नहीं पाया लेकिन शीला ने पीछे से बहु की बूर को खूब चाटा , क्लीट को बार बार चूसा । बूर की पत्तियों को बार बार चबाया । 

शीला -       बहु , बहुत ही बढ़िया स्वाद है तेरी बूर का । पहली बार किसी बूर का स्वाद लिया है । मुझे बहुत ही बढ़िया लगा । 

शर्मिला—     मॉं , मैं आप दोनों की माल हूँ । जब भी वोलेगी , नंगी हो जाऊँगी । जितना बूर चाटना है चाटने दूँगी । हमारी सास और बहु की जोड़ी खूब जमेगी । 

बहू ने बूर को लंड के उपर इतना रगड़ा कि ससुर फिर झड़ने लगा । शर्मिला ने झट पट स्कर्ट को नीचे किया और बेड से उतर गई । 

शर्मिला —    बाबू जी , आपके लंड में बहुत दम है । मेरी बूर को आपका लंड बहुत पसंद आयेगा । 

ससुर ढीले लंड को सहलाने लगा । 

मंगेश —  कुतिया चोदने नहीं देगी तो कम से कम बूर तो दिखा दे । 

शर्मिला —    तैयार रहो , आज ही दिखाऊँगी वो भी आपके बेटे के सामने । जल्दी से तैयार हो जाइए, बाज़ार चलना है । मॉं एक कप अपना स्पेशल चाय पिला दीजिए । जल्दी से तैयार हो जाइये । आपकी दूसरी बहु भी आने बाली होगी । 

शर्मिला ने मेड शॉंता के लिए कहा । ससुर भी बेड से उतरा । उसने थोड़ी देर स्कर्ट के नीचे हाथ घुसा कर बूर को मसला साथ ही चूचियो को दबाया , चूसा । उसके बाद दोनों रुम से बाहर गये । 

शर्मिला ने सास ससुर के सामने अपनी जवानी का भरपूर प्रदर्शन किया । दूसरे रुम में जा कर मंगेश ने अपनी पत्नी से कहा , 

“ आज जो भी हो अपनी बहू को रात भर चोदूंगा । “ 

शर्मिला भी पति के सामने ही ससुर को पूरी मस्ती देना चाहती थी । 

जल्दी ही तीनों कपड़े बदल कर , फ़्रेश होकर बाहर आये । शीला ने चाय भी बनाया । ये तीनों चाय पी ही रहे थे कि शांता भी आ गई । 

शीला—   शांता बेटी , किचन से चाय लेकर आ । 

शॉंता खूश हो गई । २-३ मिनट बाद ही चाय लेकर बाहर आई । 

शांता —    मॉं जी , बहुत ही बढ़िया चाय बनाती हैं आप । मैडम को भी सिखा दीजिए । 

शर्मिला —    मैडम- वैडम छोड़ । जल्दी से अपने साहब को अपनी जवानी का रस पिलाना शुरु कर ।  हम बाज़ार जा रहे हैं । सिनेमा भी देखेंगे । हम बाहर से खाना खा कर आयेंगे । तु अपने घरवाला को बढ़िया से खिला देना । जब तक हम वापस ना आये तु घर में ही रहना । चाहो तो रात भी यहीं गुजारना विनोद के साथ । 

शांता -      रंडी , क्यों जले पर नमक छिड़क रही हो ! 

शर्मिला—    बहन , मज़ाक़ नहीं कर रही हूँ । मैं दिल से चाहती हूँ कि तु अपने साहब का बिस्तर गर्म कर । विनोद से खूब चूदवा । चलिए बाबू जी ! 

शांता चुपचाप बैठ कर चाय पीती रही , तीनों को बाहर जाते देखती रही । उसकी समझ में नहीं आ रहा था कि शर्मिला ने मजाक में कहा या सच ही वह चाहती हैं कि शॉंता विनोद से चूदवाये । शॉंता दिल से विनोद से प्यार करती थी । जैसे विनोद कभी शांता से नहीं कह पाया कि वह उसे बहुत प्यार करता है वैसे ही शांता भी कभी अपने प्यार का इज़हार नहीं कर पाई । 

उसने चाय पी लिया फिर भी बैठी ही रही । मेन डोर का दरवाज़ा में “ ऑटो लॉक “ था  । आप से आप लॉक हो जाता था । कॉल वेल का आवाज़ सुन शांता ने दरवाज़ा खोला । सामने विनोद था । शर्मिला या मॉं की जगह शांता को देखकर विनोद के चेहरे पर बहुत ही प्यारी मुस्कान आ गई । तीन साल में पहली बार विनोद ने शांता के गालों को सहलाया और अंदर आया । 

विनोद की इस हरकत से शांता उपर से नीचे तक सिहर गई । फिर भी उसने अपने को संभाला । 

शॉंता -      वे सभी थोड़ी देर पहले ही बाहर गये है। मैडम ने कहा है कि बाहर से खाना खा कर आयेगी । आप क्या लेंगें ? मॉं तो नहीं है चाय बना दूँ! 

विनोद ने नॉड किया । थोड़ी ही देर बाद दोनों ड्राइंग रुम में वापस आये । शांता के हाथ में एक ट्रे में पानी का ग्लास और चाय था । विनोद ने सिर्फ़ एक लूँगी बॉंधा था । विनोद के खूबसूरत और गठीले बदन को देखकर शांता की बूर गीली होने लगी । विनोद ने उसके हाथ से ट्रे लेकर टेबल पर रखा । खूद सोफ़ा पर बैठा और झटके से शॉंता को खींच कर गोदी में बिठा लिया । शांता ने ऐसी उम्मीद नहीं की थी । जिस आदमी ने तीन साल में हाथ भी नहीं लगाया था उसने सीधा गोदी में बिठा लिया । 

“ साहब क्या कर रहे हो , ये बहुत ग़लत है , मैं हल्ला कर दूँगी । छोड़ो मुझे, क्या कर रहे हो , छी वहॉं हाथ मत घुसाओ । आह क्या किया तुमने । बहुत बढिया लगा । मत करो , सच में हल्ला करुंगी , सिक्युरिटी में रिपोर्ट डाल दूँगी । नहीं कपड़े मत खोलो । आह, आह ,  बहुत बढ़िया । फिर से करो । “ 

शॉंता झूठ मुठ का नख़रा कर रही थी । उसे विनोद की हरकतें बहुत बढ़िया लग रही थी । विनोद का दोनों हाथ व्यस्त था । एक हाथ चूचियों को मसल रहा था और दूसरा हाथ कपड़े के नीचे बूर से खेल रहा था । विनोद ने बढ़िया से कई बार होंठों को चूमा , चूसा । 

विनोद—  रानी मुझे माफ़ कर दो । मैं उस लड़की की गोरी चिकनी चमड़ी और खूबसूरत चेहरे पर फिसल गया था । मुझे दिखाई नहीं दिया कि तुम मुझे कितना प्यार करती हो । मुझे माफ कर दो रानी , प्यार करने दो । 

शॉंता अब क्या बोलती । विनोद यह सोचकर नहीं आया था कि घर जा कर शांता को चोदेगा । लेकिन घर घुसते ही शॉंता को देखा और जो प्यार तीन साल से अंदर छिपा हुआ था वो बाहर निकल आया । 

विनोद की बात सुनकर शॉंता ने फिर कोई नखडा नहीं किया । विनोद उसे बॉंहों पर उठाकर अपने ही बेड पर ले गया । उसे पूरा नंगा किया । खूद नंगा हुआ और क़रीब ३० मिनट शॉंता की चूचियों और झॉंटों भरी बूर को बढ़िया से चूसा । शॉंता जब बूर में लंड पेलने के लिए बार बार बोलने लगी तब विनोद ने लंड पेला । चौथे धक्का में ही समझ गया कि ये उसकी ज़िंदगी की दूसरी लड़की भी कुँवारी है तो विनोद उसे बहुत प्यार करते हुए चोदने लगा । खूब जमा जमा कर चोदा । शॉंता पस्त पस्त हो गई । 

शॉंता -      विनोद , मुझे बढ़िया से मालूम है कि तुम कितना भी कोशिश करोगे , हमारी शादी नहीं हो सकती । मैं पहले ही दिन से तुम्हारा यही प्यार चाहती थी जो तुमने अभी किया । बहुत बढ़िया लगा । कॉलोनी की सभी औरतें ग़लत नहीं हो सकती । सभी कहती हैं कि तुम औरतों को बहुत ख़ुश कर सकते हो । मुझे फिर से चोदो । 

दूसरे राऊंड में चूदवाते हुए शॉंता ने बताया कि कॉलोनी की कई औरतें रोज़ उसका खुशामद करती है कि शांता उन्हें विनोद से चूदवा दे । ये दूसरे राऊंड की चूदाई और भी लंबी चली । शांता को बहुत मज़ा आया ही विनोद को भी समझ आ गया कि उसे शर्मिला के साथ की चूदाई में कोई मजा नहीं आता है । 

इधर ये दोनों प्रेमी बहुत खुश थे और उधर तीनों ने मार्केटिंग की , सिनेमा देखा , बाहर ही खाना खाया और रात दस बजे वापस आये । ६ घंटा के दौरान ना तो शर्मिला ने और ना मंगेश ने ही कोई बेशर्मी बाली हरकत की । जब ये लोग वापस आये तब तक विनोद ने शांता को तीन बार चोदा भी और उसे घर पहुँचा कर भी वापस भी आ गया । शॉंता के घर में विनोद ने उसकी छोटी बहन सपना और मॉं श्यामा के साथ भी मजाक किया , दोनों के गालों को चूमा ।  उन दोनों के सामने शांता की चूचियों को कई बार दबाया । किसी ने नहीं रोका । सपना ने प्यार से खाना भी खिलाया । 

विनोद उसके घर से बाहर निकला तो श्यामा ने कहा , 

“ बेटी , मुझे भी तेरे विनोद से चूदवाना है । “ 

सपना — दीदी , मुझे भी । 

शांता — तैयार रह, जल्दी तुम दोनों की बूर में विनोद का लंड घुसेगा । 

श्यामा — विनोद ने सिर्फ़ चोदा या फिर कुछ दिया भी ? 

शॉंता — आज तो कुछ नहीं दिया लेकिन सोमवार को मुझे बैंक ले जायेगा । मॉं , विनोद अगर मुफ्त में ही मुझे ज़िंदगी भर चोदेगा तो मैं चूदवाती रहूँगी , तेरे जैसी होटलों में जा कर अपने को नहीं बेचूँगी । लेकिन चिंता मत कर , मेरे पास रुपये की कमी नहीं रहेगी । 

तब तक कॉलोनी की सात औरतों ने शॉंता से कहा था  कि अगर वो उन्हें विनोद से चूदवायेगी तो जब तक विनोद चोदता  रहेगा वे शॉंता को हर महिना २ हज़ार देती रहेंगी । उस समय विनोद के घर में सब काम करने का ५०० ही मिलता था । 

शर्मिला वापस आई तो सबसे पहले उसकी नज़र बेड पर गई । बेड पर नया चादर बिछा था । वो बाथरूम में गई और यह देखकर मुस्कुराई कि  पूराना चादर बाल्टी के पानी में है । 

शर्मिला-       चलो बढ़िया हुआ कि विनोद ने शॉंता को चोद लिया । अब मैं आराम से किसी से भी चूदवा सकती हूँ, गॉंड मरवा सकती हूँ । 

उसने अपने आप से ये बात कही और उसे अपनी मॉं का यार घर का २१ साल का नौकर बबलू याद आ गया । 

शर्मिला—     मैं ने बबलू से वादा किया था कि शादी के एक महिना के अंदर उससे चूदवाऊंगी । बबलू के साथ गॉंड मरवाने में जो मजा आया वैसा मजा विनोद से चूदवा कर कभी नहीं आया । मुझे जल्दी मैके जाना होगा । जाऊँगी लेकिन ससुर जी को अपना पालतू कुत्ता बना कर । 

वो पेशाब कर बाहर आ गई । मंगेश ने सर्ट पैंट उतार कर पाजामा कुर्ता पहन लिया था । शीला ने कपड़े नहीं बदले थे । 

शर्मिला—    आप सभी को रमी खेलना आता है ना । 

दूसरे तीनों ने “ हॉं “ कहा । 

शर्मिला —    हमारे घर में हर शनिवार की रात रमी की बाज़ी लगती है । कभी रुपयों की तो कभी कपड़ों की । 

रुपये की बाज़ी तो सभी खेलते हैं लेकिन “ कपड़े की बाज़ी “ की बात किसी को समझ नहीं आई । 

विनोद — ये कपड़ों की बाज़ी क्या होती है । 

शर्मिला-    चलो, खेलते हुऐ समझा दूँगी । 

शर्मिला के बाबू जी एक बहुत बड़ी कंपनी के पार्टनर थे । ये लोग बहुत अमीर थे । ५ बेडरूम के एक बड़े से मकान में रहते थे । शर्मिला की मॉं दीपा भी बहुत ख़ूबसूरत थी । दीपा से बड़ा एक भाई था , दीपक । बाप और भाई भी खूबसूरत थे , बढ़िया डील डौल था । जहाँ शर्मिला रहती थी उसी शहर में विनोद पढ़ाई कर रहा था । एक रेस्टोरेंट में दोनों की मुलाक़ात हुई । पहली मुलाक़ात के ४-५ महिने के बाद ही दोनों एक दूसरे के सामने नंगे रहने लगे । शर्मिला बार बार विनोद से चूदवाने की खुशामद करती था लेकिन विनोद उसे सिर्फ़ ओरल से ही ठंडा करता रहा । विनोद का लंड ७ इंच से ज़्यादा लंबा था और बढ़िया मोटा भी । हर मुलाक़ात में शर्मिला लंड चूसती थी । लंड काफ़ी समय तक टाईट रहता था । विनोद के सम्पर्क में आ कर शर्मिला और भी खूबसूरत और जवान हो गई । दोनों ने शादी करने का फ़ैसला किया । 

एक रात दीपा ने अपनी बेटी को भी  रमी की बाज़ी खेलने के लिए बुलाया । और उसे पहली बार कपड़े की बाज़ी के बारे में मालूम हुआ । पहले तो शर्मिला ने मना किया । 

दीपा  — रंडी, मुझे मालूम है कि तु विनोद के साथ घंटों नंगा रहती है । थोड़ी देर  हमारे सामने नंगी रहेगी तो क्या होगा ? 

और उस रात पहली बार रमी खेलते खेलते  घर के चारों लोग नंगे हो गये । गेम के रूल के अनुसार दीपा की तरह शर्मिला को भी अपने भाई और बाप का लंड चूसना पड़ा । दोनों आदमियों ने भी दोनों औरत के अंग अंग को चूसा । शर्मिला समझ गई की घर के दोनों मर्द नामर्द है । दोनों में से किसी का लंड टाईट ही नहीं हेता है । तब उसकी मॉं ने बताया कि वो होटल में जा कर बड़ी क़ीमत लेकर चूदवाती है । जब शर्मिला पहली बार घर में नंगी हुई उसके ६ महिने बाद दीपा अपने साथ एक १८-१९ साल के बहुत ही ख़ूबसूरत और बढ़िया डील डौल के लड़के को लेकर घर आई । पहली रात दीपा ने घर के दूसरे तीनों के सामने उस लड़के से चूदवाया । लड़के ने एक बार नहीं सबके सामने अपनी मालकिन को तीन बार खूब जमकर चोदा । और उसके बाद से वो लड़का बबलू हर रात अपनी मालकिन को साथ सुलाने लगा । लेकिन बढ़िया चूदाई मिलने के बाद भी दीपा हर हफ़्ते एक रात होटल में गुज़ारती ही थी । 

दूसरी तरफ़ घर में हर शनिवार की रात , पूरी रात कपड़े की बाज़ी बाली रमी का खेल चलता ही रहा । बबलू भी घर का ही सदस्य हो गया था । अक्सर दीपा अपनी एक सहेली को भी बुला लेती थी । भाई और बाप के साथ साथ बबलू भी शर्मिला की नंगी जवानी से खेलता था । वो भी बबलू का लंड चूसती थी । और हर बार गेम ख़त्म होने के बाद बबलू दूसरे सभी के सामने दीपा और उसकी सहेली को चोदता था । शर्मिला चाहती थी कि बबलू उसे भी चोदे लेकिन दीपा ने बबलू को शर्मिंला को चोदने से मना किया था । बबलू को कोई जल्दी बाज़ी नहीं थी । वो बढ़िया से जानता था कि आज नहीं तो कल शर्मिला उससे ज़रूर चूदवायेगी । 

ऐसे ही समय गुज़रता रहा । फिर मंगेश अपनी होने बाली बहु को देखने आया तो शर्मिला सब को भूल गई । पहली ही मुलाक़ात में शादी तय हो गई । चाहे विनोद उसके साथ मस्ती ले रहा हो या बबलू , वो हर समय यही सोचती रहती थी कि उसका ससुर उसे चोद रहा है । शादी की तैयारी होने लगी । शादी सात दिन बाद होने बाली थी । एक रात शर्मिला अपने रुम में अकेली थी । दीपा अपने साथ बबलू को लेकर उसके रुम में आई । दोनों बिलकुल नंगे थे । 

बबलू  — शर्मिला मैडम, ६ महिना हो गया लेकिन अब बर्दाश्त नहीं होता है । चोदने दो मालकिन । 

शर्मिला दोनों हाथों से लंड को सहलाने लगी । 

शर्मिला—   ६ महिना से मेरे साथ पूरी मस्ती ले ही रहे हो । मैं ने सैकड़ों बार इस लंड को चूसा है । मैं ने विनोद से वादा किया हुआ है कि सुहाग रात को मैं उसके लिए कुँवारी रहुंगी । मुझे तुम्हारा लंड भी पसंद है और तुम्हारा चोदने का तरीक़ा भी । चलो आज मॉं के सामने वादा करती हूँ कि शादी के एक महिना के अंदर तुमसे चूदवाऊंगी । अभी मैं किसी और से नहीं चूदवा सकती । 

बबलू —    मैं भी वादा करता हूँ कि शादी के बाद ही आपकी प्यारी चूत में लंड पेलुंगा । मैं आपके साथ पूरी रात गुजारना चाहता हूँ । मुझे अपने साथ सुलाइये । चूत में लंड नहीं पेलुंगा । दिन में बड़ी मालकिन को चोदूंगा और रात भर आप के साथ प्यार करूंगा । 

दीपा ने भी बेटी को बबलू को साथ सुलाने कहा । 

दीपा —     तुम बबलू का विश्वास करो । उसे अपने उपर बहुत कंट्रोल है । ६ महीना तक वो मेरे नंगी बदन की मालिश करता रहा लेकिन चोदा नही। मैंने ही इससे चूदवाना शुरु किया । तुम चाहोगी तब भी वो शादी से पहले तुम्हें नहीं चोदेगा । उसे अपने साथ सोने दो । 

शर्मिला मान गई । मॉं के सामने ही बबलू ने उसे नंगा किया । शर्मिला के नंगे बदन को सहलाते हुए बबलू ने  दीपा को चोदा । दीपा ठंडी होकर बाहर चली गई तो शर्मिला ने बबलू को अपने उपर खींच लिया । 

शर्मिला —     बबलू , लंड को बूर से रगड़ रगड़ कर तैयार कर । मुझे ढीला लंड पसंद नहीं है । 

दोनों एक दूसरे को बेतहाशा चूमते रहे । शर्मिला ख़ुद लंड को पकड़ कर बूर पर रगड़ती रही । ज़्यादा समय नहीं लगा । बबलू का ६ इंच लंबा लंड पूरा टाईट हो गया । टाईट लंड को भी थोड़ी देर बूर पर रगड़ कर उसने बबलू को ढकेला और पलट गई । 

शर्मिला—     पिछले ६ महिना से तुम हम तीनों की आगे की जवानी का ही मजा ले रहे हो । राजा ,  औरत के पिछवाड़े में भी बहुत मस्ती है । मेरे उपर आओ । चुत्तरों के बीच लंड को जितना रगड़ना है रगड़ो । गॉंड में लंड रगड़ते हुए मुझे बताओ कि तुमने मेरी मॉं को कैसे पटाया । 

शर्मिला उस समय भी ५५ केजी की ही थी । जब कि बबलू का वजन ७५ केजी था । पिछले ६ महिने से बबलू को हर सुबह एक घंटा कसरत करते हुए देख रही थी । शर्मिला अपनी मॉं की तरह ५ फ़ीट ५ इंच लंबी थी । विनोद ५ फ़ीट १० लंबा था जब कि बबलू सिर्फ़ ५ फ़ीट लंबा था । पहाड़ी इलाक़े का रहने बाला था । उसका लंड विनोद के लंड से एक -डेढ़ इंच छोटा था लेकिन बबलू का लंड विनोद के लंड से २५-३० परसेंट ज़्यादा मोटा था । और यह किसी को भी बताना नहीं पड़ता है कि लंड जितना ज़्यादा मोटा हो चूदाई में उतना ही ज़्यादा मज़ा आता है । शर्मिला तब तक ४ लंड से खेल रही थी । उसे विनोद से प्यार था लेकिन उसे बबलू का ही लंड ज़्यादा पसंद था । बाप और भाई का लंड कभी पूरा टाईट हुआ ही नहीं । 

बबलू पिछले एक साल से दीपा को चोद रहा था लेकिन दीपा को पहली बार चोदने के ६ महिना पहले से ही उसके नंगे बदन की मालिश कर रहा था । 

बबलू ने दोनों साइड से हाथ को  शर्मिला के नीचे ले गया और मॉंसल, गुदाज़ चूचियों को मसलते हुए लंड को चुत्तरों के बीच दबाया और ज़ोर ज़ोर से धक्का मारते हुए अपनी कहानी सुनाने लगा । 

बबलू —   मेरी प्यारी मालकिन मैं मसूरी का रहने बाला हूँ । हम बहुत ग़रीब थे । मॉं बाप के अलावा मुझसे दो बड़ी बहनें थी । बड़ा हुआ तो देखा कि हर रात घर में अलग अलग आदमी आते हैं और मेरी दोनों बहनों को चोद रहे हैं । यह भी देखा मेरी मॉं रात में घर में नहीं रहती है । और क़रीब तीन साल पहले मेरे बाबू जी किसी बीमारी से मर गये । 

आगे की कहानी अगले भाग में । 












 
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RE: कोई किसी से कम नहीं- सभी को चुदांई चाहिए - by Dolly99 - 13-12-2024, 02:11 PM



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