11-12-2024, 01:47 PM
आगे आगे कमला अपने भारी भरकम मोटे मोटे चूतड़ हिलाती चल रही थी और पीछे
पीछे उसके दोनो बेटे राजू और बिरजू चले जा रहे थे, दोनो की कातिल निगाहे अपनी मा की
मस्तानी लचकति गंद पर थी और चलते चलते उनकी लूँगी से उनके डंडे सीधे खड़े नज़र
आ रहे थे, मा उनके जस्ट आगे थी इसलिए दोनो कुछ बोल नही रहे थे लेकिन अपनी मा के
मस्ताने चूतादो को देख देख कर दोनो मंद मंद मुस्कुराते हुए, उनकी नज़रे एक दूसरे
से बखूबी बाते कर रही थी, वह दोनो अपनी मा के मसल चुतदो को देखने मे इतना खोए
हुए थे कि उन्हे यह भी नही पता चला कि कमला ने पीछे मूड कर उनकी नज़र कहाँ है
देख लिया था और साथ ही दोनो के मोटे लंड जो लूँगी के अंदर सर उठाए खड़े है उन्हे भी
देख चुकी थी. आज जबसे कमला ने अपने दोनो बेटो के लंड को देखा तब से उसकी चूत भी एक
तगड़े लंड के लिए तड़पने लगी थी, इसीलिए कमला को अपने दोनो बेटो द्वारा उसकी मोटी गंद को
देखने पर एक अनोखा आनद प्राप्त हो रहा था और वह मन ही मन खुश होती हुई अपनी
मोटी गंद को जनभुज कर और मतकाते मतकाते चलने लगी, उसकी इस तरह की थिरकन और
मटकते चूतादो को देख कर दोनो भाई रस से भरे जा रहे थे और उन्ही अपनी मा घाघरे
के होते हुए भी नंगी नज़र आ रही थी और दोनो चलते चलते अपने मोटे लंड को मसल्ते जा
रहे थे, कमला बीच बीच मे अपने दोनो बेटो को उसकी गंद देख देख कर लंड मसलते
देखने परवह मस्त होने लगी और उसकी चूत भी काफ़ी सारा पानी छ्चोड़ने लगी और उसे अपनी
गंद देख कर अपने बेटो के लंड मसल्ने की हरकत ने सनसना दिया था और वो जानबूझ
कर चलते हुए अपनी गंद मे खुजली करने लगी जिसे देख कर एक पल को तो राजू और बिरजू को
लगा कि अभी पकड़ कर अपनी मा को पूरी नंगी करके यही चोद देते है, कमला थोड़ी थोड़ी देर
मे अपनी गंद के छेद मे खुजली करती हुई अपनी मोटी गंद ऐसे मटका रही थी जैसे कह रही
हो कि आजा और मेरी गंद मे लंड डालकर मुझे चोद दे.
जब कमला और उसके बेटो ने घर के सामने वाली पुलिया पार कर ली तब फिर आम के बगीचे
शुरू हो गये, तब कमला नीचे गिरे हुए आमो को उठाने के लिए जानबूझ कर झुकती और
अपनी मोटी गंद अपने बेटो को दिखा दिखा कर मज़े ले रही थी, आम का बगीचा क्रॉस करते ही
थोड़ा जंगल शुरू हो गया और तभी कमला के पैरो मे कोई काँटा चुबा जिससे वह आह
करती हुई झुक कर काँटा निकालने लगी दोनो भाई ऐसे मोके की हमेशा तलाश मे रहते थे उन
दोनो ने झट से अपनी मा की मोटी गंद पर हाथ फेरते हुए क्या हुआ मा, कमला अरे कुछ नही
बेटा ज़रा काँटा चुभ गया, कमला झुकी हुई काँटा निकाल रही थी और दोनो भाई प्यार से अपनी
मा के चूतड़ सहला रहे थे, घाघरा बिल्कुल पतला होने के कारण राजू ने बड़े प्यार से
पीछे से अपनी मा की फूली हुई चूत को अपने पूरे पंजे से सहलाते हुए -निकला मा, और कमला
सी आह अभी नही निकला रे, जब कि काँटा निकल चुका था तभी राजू ने चूत से हाथ हटाया तो
बिरजू ने इस बार अपना पूरी हथेली को सीधे अपनी मा की पूरी फूली हुई चूत पर रख कर दबा
कर पुंच्छा नही निकल रहा क्या मा, तब तक कमला की चूत से पानी आ गया और उसके घाघरे
से लगता हुआ बिरजू के हाथो मे लग गया, और कमला सीधी होकर चल दी, तब बिरजू अपने
हाथ पर लगे पानी को सूंघने लगा और राजू को भी सूँघाने लगा, कमला ने अपने दोनो बेटो
को अपनी चूत का पानी सूंघते देख लिया और उसकी चूत बुरी तरह लंड खाने के लिए
फड़फड़ाने लगी.
कमला की बुर गीली हो चुकी थी उससे रहा नही जा रहा था, इतने साल की
चुदास अचानक अपने दोनो बेटो के मोटे लंड को देख कर उसकी बुर पानी ही पानी फेक रही
थी.
जब जंगल मे थोड़ा आगे पहुचे तो कमला ने कहा बेटा मुझे बहुत जोरो की पेशाब लगी
है, यह सुन कर दोनो मस्त हो गये, कमला बेटा यहाँ कही जगह दिख नही रही है तुम
दोनो एक काम करो उधर मूह घुमा लो तो मैं पेशाब कर लू, अच्छा मा, और उन दोनो ने
अपना मूह दूसरी ओर घुमा लिया कमला जानती थी कि ये दोनो मूड कर ज़रूर देखेंगे इसलिए
उसने जानबूझ कर उन दोनो की तरफ पीठ करके बड़े आराम से खड़े खड़े अपना पूरा
घाघरा अपनी कमर तक उठा दिया, और दोनो भाइयो ने जल्दी से अपना सर घुमा कर जैसे ही देखा
उनका मूह खुला का खुला रह गया उनकी मा पूरी नंगी थी उसके मोटे मोटे फैले हुए भारी
चूतड़ और लंबी लंबी और काफ़ी ज़्यादा गदराई मोटी मोटी जाँघो को थोड़ा फैला कर
कमला धीरे धीरे अपनी गंद पीछे की ओर निकाल कर बैठने लगी, उसकी गंद का गहरा मोटा
छेद और पूरे एक बीते का फूला हुआ भोसड़ा और भोस्डे की फटी फांको के बीच गुलाबी
कलर का बड़ा सा छेद देख कर दोनो के लंड झटको पर झटके मारने लगा और लूँगी पूरी
तन कर खड़ी हो गई, और उनकी मा अपने भारी भरकम चूतादो को फैलाकर मूतने बैठ गई
दोनो भाई अपनी फटी फटी आँखो से अपनी मा की मोटी मोटी गंद को देखकर अपनाअपना लंड लूँगी
से निकाल कर मसल्ने लगे उनका मोटा काला लंड 10 इंच के लंबे और 3 इंच के मोटे डंडे
जैसे खड़ा था, दोनो भाई अपनी मा की मस्तानी गोरी गंद देखकर पागल हो गये उन्होने इतनी
मोटी और मस्तानी गंद पूरी नंगी आज तक नही देखी थी, घाघरे के उपर से जितनी बड़ी गंद
उनकी मा की नज़र आती थी उससे डबल उसके विशाल चूतड़ नंगे होकर उन्हे नज़र आ रहे थे
, तभी कमला की फूली हुई चूत से एक मोटी धार एक सीटी की आवाज़ के साथ निकलने लगी जिसे देख
कर दोनो भाई के तोपो का रंग लाल हो गया और दोनो आवने लंड को तेज़ी से झटके मारने लगे,
करीब 2 मिनिट तक कमला आराम से बैठी मुतती रही फिर जब खड़ी हुई तो अपने घाघरे से
अपनी चूत दोनो तंघे फैलाकर थोड़ा झुक कर पोछने लगी और फिर दोनो भाइयो ने अपना सर
वापस पीछे घुमा लिया, कमला मंद मंद मुस्कुराते हुए चलो बेटा मैने पेशाब कर
ली,
तभी बिरजू बोला मा हमको भी पेशाब करना है आप भी अपना मूह उधर घुमा लो, तो
कमला ने कहा ठीक है बेटा कर लो और दोनो भाई जानबूझ कर थोड़ा सा मुड़े ताकि उनकी मा
उनके लंड को आराम से देख सके और अपना सर नीचे झुककर दोनो ने जब अपने खड़े
काले काले लंड बाहर निकाले तो कमला उनका लंड देखती ही रह गई, उसकी आँखे फटी की फटी
रह गई क्यो कि उसने भी अपने जीवन मे इतने मोटे और बड़े लंड कभी नही देखे थे अपने
सामने एक नही दो दो मोटे काले डंडे और उस पर बड़ा सा कत्थे रंग का सूपड़ा देख कर
कमला के मूह मे पानी आ गया और उसकी बुर अपने बेटो के मोटे काले लंड देखकर
फड़कने लगी, दोनो भाई अपनी मा के लाल हुए चेहरे को देखने लगे, और अपने अपने लंड
को वापस अपनी लूँगी मे च्छूपा लिया, कमला ने जल्दी से अपना मूह आगे की ओर किया तब दोनो
भाई अपनी मा के पास पहुच कर दोनो ने एक एक हाथ से अपनी मा के चूतादो को हाथ लगा कर
आगे की ओर धकेलते हुए कहा चल मा हम पेशाब कर चुके, जब दोनो ने अपनी मा के
मोटे मोटे चूतादो को छुआ तो दोनो ही सिहर गये यह ऐसा एहसास था जैसे कोई जबरदस्त
कसी हुई गंद की औरत सिर्फ़ साडी पहने हो और उसके चूतादो को सहलाओ तो कैसा एहसास होता
है, क्योकि उनकी मा ने केवेल घाघरा पहना था और घाघरे का कपड़ा काफ़ी चिकना और
पतला था
कमला चलते हुए अपने बेटो के सामने अपनी गंद ऐसे मटका कर चल रही थी जैसे अभी
अपनी गंद मरवा लेगी, दोनो भाइयो के मोटे लंड बैठने का नाम नही ले रहे थे और उनकी
मा उन्हे नंगी नज़र आ रही थी और वह दोनो बड़े गोर से अपनी मा के मस्ताने चूतादो को
देखते हुए उसकी गंद के पीछे चले जा रहे थे, जंगल पहूचकर दोनो भाइयो ने अपनी
अपनी लूँगी को अपनी जाँघो तक मोड़ कर बाँध लिया और पेड़ पर चढ़ कर सुखी सुखी टहनिया
काटने लगे, कमला नीचे बैठ कर लकड़िया समेटने लगी, करीब दो घंटे तक लकड़िया काटने
के बाद कमला ने कहा अब तुम दोनो नीचे आ जाओ और खाना खा लो
पीछे उसके दोनो बेटे राजू और बिरजू चले जा रहे थे, दोनो की कातिल निगाहे अपनी मा की
मस्तानी लचकति गंद पर थी और चलते चलते उनकी लूँगी से उनके डंडे सीधे खड़े नज़र
आ रहे थे, मा उनके जस्ट आगे थी इसलिए दोनो कुछ बोल नही रहे थे लेकिन अपनी मा के
मस्ताने चूतादो को देख देख कर दोनो मंद मंद मुस्कुराते हुए, उनकी नज़रे एक दूसरे
से बखूबी बाते कर रही थी, वह दोनो अपनी मा के मसल चुतदो को देखने मे इतना खोए
हुए थे कि उन्हे यह भी नही पता चला कि कमला ने पीछे मूड कर उनकी नज़र कहाँ है
देख लिया था और साथ ही दोनो के मोटे लंड जो लूँगी के अंदर सर उठाए खड़े है उन्हे भी
देख चुकी थी. आज जबसे कमला ने अपने दोनो बेटो के लंड को देखा तब से उसकी चूत भी एक
तगड़े लंड के लिए तड़पने लगी थी, इसीलिए कमला को अपने दोनो बेटो द्वारा उसकी मोटी गंद को
देखने पर एक अनोखा आनद प्राप्त हो रहा था और वह मन ही मन खुश होती हुई अपनी
मोटी गंद को जनभुज कर और मतकाते मतकाते चलने लगी, उसकी इस तरह की थिरकन और
मटकते चूतादो को देख कर दोनो भाई रस से भरे जा रहे थे और उन्ही अपनी मा घाघरे
के होते हुए भी नंगी नज़र आ रही थी और दोनो चलते चलते अपने मोटे लंड को मसल्ते जा
रहे थे, कमला बीच बीच मे अपने दोनो बेटो को उसकी गंद देख देख कर लंड मसलते
देखने परवह मस्त होने लगी और उसकी चूत भी काफ़ी सारा पानी छ्चोड़ने लगी और उसे अपनी
गंद देख कर अपने बेटो के लंड मसल्ने की हरकत ने सनसना दिया था और वो जानबूझ
कर चलते हुए अपनी गंद मे खुजली करने लगी जिसे देख कर एक पल को तो राजू और बिरजू को
लगा कि अभी पकड़ कर अपनी मा को पूरी नंगी करके यही चोद देते है, कमला थोड़ी थोड़ी देर
मे अपनी गंद के छेद मे खुजली करती हुई अपनी मोटी गंद ऐसे मटका रही थी जैसे कह रही
हो कि आजा और मेरी गंद मे लंड डालकर मुझे चोद दे.
जब कमला और उसके बेटो ने घर के सामने वाली पुलिया पार कर ली तब फिर आम के बगीचे
शुरू हो गये, तब कमला नीचे गिरे हुए आमो को उठाने के लिए जानबूझ कर झुकती और
अपनी मोटी गंद अपने बेटो को दिखा दिखा कर मज़े ले रही थी, आम का बगीचा क्रॉस करते ही
थोड़ा जंगल शुरू हो गया और तभी कमला के पैरो मे कोई काँटा चुबा जिससे वह आह
करती हुई झुक कर काँटा निकालने लगी दोनो भाई ऐसे मोके की हमेशा तलाश मे रहते थे उन
दोनो ने झट से अपनी मा की मोटी गंद पर हाथ फेरते हुए क्या हुआ मा, कमला अरे कुछ नही
बेटा ज़रा काँटा चुभ गया, कमला झुकी हुई काँटा निकाल रही थी और दोनो भाई प्यार से अपनी
मा के चूतड़ सहला रहे थे, घाघरा बिल्कुल पतला होने के कारण राजू ने बड़े प्यार से
पीछे से अपनी मा की फूली हुई चूत को अपने पूरे पंजे से सहलाते हुए -निकला मा, और कमला
सी आह अभी नही निकला रे, जब कि काँटा निकल चुका था तभी राजू ने चूत से हाथ हटाया तो
बिरजू ने इस बार अपना पूरी हथेली को सीधे अपनी मा की पूरी फूली हुई चूत पर रख कर दबा
कर पुंच्छा नही निकल रहा क्या मा, तब तक कमला की चूत से पानी आ गया और उसके घाघरे
से लगता हुआ बिरजू के हाथो मे लग गया, और कमला सीधी होकर चल दी, तब बिरजू अपने
हाथ पर लगे पानी को सूंघने लगा और राजू को भी सूँघाने लगा, कमला ने अपने दोनो बेटो
को अपनी चूत का पानी सूंघते देख लिया और उसकी चूत बुरी तरह लंड खाने के लिए
फड़फड़ाने लगी.
कमला की बुर गीली हो चुकी थी उससे रहा नही जा रहा था, इतने साल की
चुदास अचानक अपने दोनो बेटो के मोटे लंड को देख कर उसकी बुर पानी ही पानी फेक रही
थी.
जब जंगल मे थोड़ा आगे पहुचे तो कमला ने कहा बेटा मुझे बहुत जोरो की पेशाब लगी
है, यह सुन कर दोनो मस्त हो गये, कमला बेटा यहाँ कही जगह दिख नही रही है तुम
दोनो एक काम करो उधर मूह घुमा लो तो मैं पेशाब कर लू, अच्छा मा, और उन दोनो ने
अपना मूह दूसरी ओर घुमा लिया कमला जानती थी कि ये दोनो मूड कर ज़रूर देखेंगे इसलिए
उसने जानबूझ कर उन दोनो की तरफ पीठ करके बड़े आराम से खड़े खड़े अपना पूरा
घाघरा अपनी कमर तक उठा दिया, और दोनो भाइयो ने जल्दी से अपना सर घुमा कर जैसे ही देखा
उनका मूह खुला का खुला रह गया उनकी मा पूरी नंगी थी उसके मोटे मोटे फैले हुए भारी
चूतड़ और लंबी लंबी और काफ़ी ज़्यादा गदराई मोटी मोटी जाँघो को थोड़ा फैला कर
कमला धीरे धीरे अपनी गंद पीछे की ओर निकाल कर बैठने लगी, उसकी गंद का गहरा मोटा
छेद और पूरे एक बीते का फूला हुआ भोसड़ा और भोस्डे की फटी फांको के बीच गुलाबी
कलर का बड़ा सा छेद देख कर दोनो के लंड झटको पर झटके मारने लगा और लूँगी पूरी
तन कर खड़ी हो गई, और उनकी मा अपने भारी भरकम चूतादो को फैलाकर मूतने बैठ गई
दोनो भाई अपनी फटी फटी आँखो से अपनी मा की मोटी मोटी गंद को देखकर अपनाअपना लंड लूँगी
से निकाल कर मसल्ने लगे उनका मोटा काला लंड 10 इंच के लंबे और 3 इंच के मोटे डंडे
जैसे खड़ा था, दोनो भाई अपनी मा की मस्तानी गोरी गंद देखकर पागल हो गये उन्होने इतनी
मोटी और मस्तानी गंद पूरी नंगी आज तक नही देखी थी, घाघरे के उपर से जितनी बड़ी गंद
उनकी मा की नज़र आती थी उससे डबल उसके विशाल चूतड़ नंगे होकर उन्हे नज़र आ रहे थे
, तभी कमला की फूली हुई चूत से एक मोटी धार एक सीटी की आवाज़ के साथ निकलने लगी जिसे देख
कर दोनो भाई के तोपो का रंग लाल हो गया और दोनो आवने लंड को तेज़ी से झटके मारने लगे,
करीब 2 मिनिट तक कमला आराम से बैठी मुतती रही फिर जब खड़ी हुई तो अपने घाघरे से
अपनी चूत दोनो तंघे फैलाकर थोड़ा झुक कर पोछने लगी और फिर दोनो भाइयो ने अपना सर
वापस पीछे घुमा लिया, कमला मंद मंद मुस्कुराते हुए चलो बेटा मैने पेशाब कर
ली,
तभी बिरजू बोला मा हमको भी पेशाब करना है आप भी अपना मूह उधर घुमा लो, तो
कमला ने कहा ठीक है बेटा कर लो और दोनो भाई जानबूझ कर थोड़ा सा मुड़े ताकि उनकी मा
उनके लंड को आराम से देख सके और अपना सर नीचे झुककर दोनो ने जब अपने खड़े
काले काले लंड बाहर निकाले तो कमला उनका लंड देखती ही रह गई, उसकी आँखे फटी की फटी
रह गई क्यो कि उसने भी अपने जीवन मे इतने मोटे और बड़े लंड कभी नही देखे थे अपने
सामने एक नही दो दो मोटे काले डंडे और उस पर बड़ा सा कत्थे रंग का सूपड़ा देख कर
कमला के मूह मे पानी आ गया और उसकी बुर अपने बेटो के मोटे काले लंड देखकर
फड़कने लगी, दोनो भाई अपनी मा के लाल हुए चेहरे को देखने लगे, और अपने अपने लंड
को वापस अपनी लूँगी मे च्छूपा लिया, कमला ने जल्दी से अपना मूह आगे की ओर किया तब दोनो
भाई अपनी मा के पास पहुच कर दोनो ने एक एक हाथ से अपनी मा के चूतादो को हाथ लगा कर
आगे की ओर धकेलते हुए कहा चल मा हम पेशाब कर चुके, जब दोनो ने अपनी मा के
मोटे मोटे चूतादो को छुआ तो दोनो ही सिहर गये यह ऐसा एहसास था जैसे कोई जबरदस्त
कसी हुई गंद की औरत सिर्फ़ साडी पहने हो और उसके चूतादो को सहलाओ तो कैसा एहसास होता
है, क्योकि उनकी मा ने केवेल घाघरा पहना था और घाघरे का कपड़ा काफ़ी चिकना और
पतला था
कमला चलते हुए अपने बेटो के सामने अपनी गंद ऐसे मटका कर चल रही थी जैसे अभी
अपनी गंद मरवा लेगी, दोनो भाइयो के मोटे लंड बैठने का नाम नही ले रहे थे और उनकी
मा उन्हे नंगी नज़र आ रही थी और वह दोनो बड़े गोर से अपनी मा के मस्ताने चूतादो को
देखते हुए उसकी गंद के पीछे चले जा रहे थे, जंगल पहूचकर दोनो भाइयो ने अपनी
अपनी लूँगी को अपनी जाँघो तक मोड़ कर बाँध लिया और पेड़ पर चढ़ कर सुखी सुखी टहनिया
काटने लगे, कमला नीचे बैठ कर लकड़िया समेटने लगी, करीब दो घंटे तक लकड़िया काटने
के बाद कमला ने कहा अब तुम दोनो नीचे आ जाओ और खाना खा लो