10-12-2024, 03:56 PM
कुछ देर बाद सब आ गए थे. मैंने निशा को अकेले में बुलाया और उसको सब बताया.
निशा बोली- तुम तो बहुत तेज निकले.
मैंने कहा- किस्मत है.
वो हंसने लगी.
मैंने कहा- निशा कुछ करके न आज हम दोनों को अकेले सोने दे.
निशा बोली- ओके ठीक है. आज मैं मम्मी के पास सो जाऊंगी.
मैंने उसको थैंक्स बोला.
फिर निशा बोली- मेरा क्या?
मैंने कहा- ठीक है आज उसको कर लेने दे … कल या परसों तुमको चोद दूंगा.
निशा मान गई.
चाय पीने के बाद सब थोड़ा आराम करने लगे.
फिर शाम को खाना बनाया गया … सबने खाया.
मैंने शिल्पा से बात की, वो भी मुझसे चुदने की बात कर रही थी.
सारे दिन की थकान के कारण अंजली भाभी थक गई थीं तो वो भैया के साथ जल्दी ही सोने चली गईं.
निशा अभी नीचे ही थी.
उसने मुझे मुस्कराते हुए आंखों से ऊपर जाने का इशारा किया.
मैं निशा के रूम में आ गया.
थोड़ी देर में शिल्पा भी आ गयी.
मैंने उसको पकड़ कर अपनी बांहों में ले लिया.
शिल्पा बोली- छोड़ो, निशा आ जाएगी.
थोड़ी देर में निशा की कॉल आयी और वो बोली- मैं नीचे ही सो जाऊंगी. तुम लोग कमरा बंद कर लेना. मेरे आने का इन्तजार मत करना.
इतना बोलते ही उसने कॉल काट दी.
मैंने शिल्पा को बताया कि निशा आज नीचे ही सोएगी.
ये सुनते ही शिल्पा ने मुझे अपनी तरफ खींच कर अपनी बांहों में ले लिया और अगले ही पल शिल्पा ने मेरे होंठों पर अपने होंठों को रख कर चूमने लगी.
उसने अपनी टांगें मेरी टांगों से ऐसे चिपका दीं, जैसे वो बहुत सालों से लंड की भूखी हो.
मैंने टी-शर्ट और लोअर पहना हुआ था और शिल्पा भी सोते टाइम नाईट सूट पहनती थी.
उसने आज बैगनी रंग का नाईट सूट पहना था.
मैंने कमरे की कुंडी लगाई और बिस्तर पर आ गया.
थोड़ी देर में शिल्पा ने मेरी टी-शर्ट को ऊपर करके निकाल दिया और साथ में बनियान भी निकाल दी. वो मेरे सीने पर, होंठों पर, गालों को चूमने लगी.
मुझे भी अच्छा लग रहा था.
मैं भी जल्दी से उसके नाईट सूट के ऊपर से ही चूचों को दबाने लगा हुआ था.
मैंने कुछ ही पल में शिल्पा को अपने ऊपर बैठा लिया. उसकी गांड से मेरा लंड कपड़ों के ऊपर से ही रगड़ रहा था.
मैंने सोचा कि अब सारे कपड़े उतार कर ही इससे चिपकने का मजा लिया जाए.
जल्दी से मैंने उसके शर्ट को ऊपर किया, तो देखा कि शिल्पा ने ब्रा नहीं पहनी थी.
ये देख कर मैंने अपने पाजामे को उतार दिया. शिल्पा ने हरे रंग की पैंटी ही पहनी हुई थी.
मैंने शिल्पा को दीवार की तरफ खड़ा कर दिया, जिससे उसका चेहरा दीवार की तरफ हो गया था.
मैं भी उसके पीछे से जाकर उसकी गांड से अपने लंड को रगड़ रहा था.
अभी भी शिल्पा ने पैंटी और मैंने अंडरवियर पहना हुआ था.
मैंने उसके दोनों हाथों को पकड़ कर दीवार पर रख दिए, उसके हाथों को अपने हाथों से दबा लिया.
साथ ही साथ उसके कान के पीछे और गर्दन को अपने होंठों से सहलाने लगा.
फिर मैंने जैसे ही उसकी पीठ को चूमना शुरू किया, शिल्पा और भी मस्त होने लगी.
मैं उसकी कमर को भी सहलाता जा रहा था.
ये सब करते हुए शिल्पा की मादक सिसकारियां आना शुरू हो गई थीं.
मैंने दोनों हाथों से उसके नंगे चूचों को पकड़ किया और जैसे ही उनको दबाना शुरू किया, शिल्पा की ‘आह मर गई यश …’ की मादक सिसकारियां निकलने लगीं,
फिर मैंने एक हाथ उसकी पैंटी में डाला और चूत के दाने को सहलाना शुरू किया तो शिल्पा की गांड पीछे होने लगी और उसकी आवाजें और भी मीठी होने लगीं.
अब मैंने उसको सीधा किया और उसके चूचों को चूसना शुरू कर दिया.
उसके चुचे इतने मस्त भरे हुए थे कि मुझे समझो जन्नत का सुख मिलने लगा था.
उधर उसे भी अपने चूचे चुसवाने में जबरदस्त मजा आ रहा था.
शिल्पा की मदमस्त कर देने वाली सिसकारियां निकलना शुरू हो गईं.
मैं शिल्पा के एक चुचे को दबा रहा था, तो दूसरे को मुँह में लेकर चूस रहा था.
इससे शिल्पा की मदमस्त आवाजें मेरे कानों में गूँज रही थीं.
फिर मैं हल्का सा नीचे को हुआ और उसके पेट को चूमने और सहलाने लगा.
उसकी नाभि में जीभ डाल कर गोल गोल घुमाने लगा, ये शिल्पा को और भी ज्यादा मजा दे रहा था.
कुछ ही देर में मैं नीचे घुटनों के बल बैठ गया और सीधा उसकी पैंटी के ऊपर से ही उसकी चूत को चाटने लगा.
ये सब करने से शिल्पा के जिस्म की आग और बढ़ गई और उसकी आवाजें और भी तेज होने लगीं ‘अहह ओहओ … ओहओ … यश तुमने तो आग लगा दी यार … कितना मजा दे रहे हो … आह …’
कुछ पल बाद मैं उठा और मैंने अपना एक हाथ दुबारा से उसकी पैंटी में डाल दिया, उसकी चूत को सहलाने लगा.
अब शिल्पा भी अपने हाथ को मेरे अंडरवियर में डाल कर लंड को सहलाने लगी.
मेरा लंड पहले ही टाइट हो गया था.
निशा बोली- तुम तो बहुत तेज निकले.
मैंने कहा- किस्मत है.
वो हंसने लगी.
मैंने कहा- निशा कुछ करके न आज हम दोनों को अकेले सोने दे.
निशा बोली- ओके ठीक है. आज मैं मम्मी के पास सो जाऊंगी.
मैंने उसको थैंक्स बोला.
फिर निशा बोली- मेरा क्या?
मैंने कहा- ठीक है आज उसको कर लेने दे … कल या परसों तुमको चोद दूंगा.
निशा मान गई.
चाय पीने के बाद सब थोड़ा आराम करने लगे.
फिर शाम को खाना बनाया गया … सबने खाया.
मैंने शिल्पा से बात की, वो भी मुझसे चुदने की बात कर रही थी.
सारे दिन की थकान के कारण अंजली भाभी थक गई थीं तो वो भैया के साथ जल्दी ही सोने चली गईं.
निशा अभी नीचे ही थी.
उसने मुझे मुस्कराते हुए आंखों से ऊपर जाने का इशारा किया.
मैं निशा के रूम में आ गया.
थोड़ी देर में शिल्पा भी आ गयी.
मैंने उसको पकड़ कर अपनी बांहों में ले लिया.
शिल्पा बोली- छोड़ो, निशा आ जाएगी.
थोड़ी देर में निशा की कॉल आयी और वो बोली- मैं नीचे ही सो जाऊंगी. तुम लोग कमरा बंद कर लेना. मेरे आने का इन्तजार मत करना.
इतना बोलते ही उसने कॉल काट दी.
मैंने शिल्पा को बताया कि निशा आज नीचे ही सोएगी.
ये सुनते ही शिल्पा ने मुझे अपनी तरफ खींच कर अपनी बांहों में ले लिया और अगले ही पल शिल्पा ने मेरे होंठों पर अपने होंठों को रख कर चूमने लगी.
उसने अपनी टांगें मेरी टांगों से ऐसे चिपका दीं, जैसे वो बहुत सालों से लंड की भूखी हो.
मैंने टी-शर्ट और लोअर पहना हुआ था और शिल्पा भी सोते टाइम नाईट सूट पहनती थी.
उसने आज बैगनी रंग का नाईट सूट पहना था.
मैंने कमरे की कुंडी लगाई और बिस्तर पर आ गया.
थोड़ी देर में शिल्पा ने मेरी टी-शर्ट को ऊपर करके निकाल दिया और साथ में बनियान भी निकाल दी. वो मेरे सीने पर, होंठों पर, गालों को चूमने लगी.
मुझे भी अच्छा लग रहा था.
मैं भी जल्दी से उसके नाईट सूट के ऊपर से ही चूचों को दबाने लगा हुआ था.
मैंने कुछ ही पल में शिल्पा को अपने ऊपर बैठा लिया. उसकी गांड से मेरा लंड कपड़ों के ऊपर से ही रगड़ रहा था.
मैंने सोचा कि अब सारे कपड़े उतार कर ही इससे चिपकने का मजा लिया जाए.
जल्दी से मैंने उसके शर्ट को ऊपर किया, तो देखा कि शिल्पा ने ब्रा नहीं पहनी थी.
ये देख कर मैंने अपने पाजामे को उतार दिया. शिल्पा ने हरे रंग की पैंटी ही पहनी हुई थी.
मैंने शिल्पा को दीवार की तरफ खड़ा कर दिया, जिससे उसका चेहरा दीवार की तरफ हो गया था.
मैं भी उसके पीछे से जाकर उसकी गांड से अपने लंड को रगड़ रहा था.
अभी भी शिल्पा ने पैंटी और मैंने अंडरवियर पहना हुआ था.
मैंने उसके दोनों हाथों को पकड़ कर दीवार पर रख दिए, उसके हाथों को अपने हाथों से दबा लिया.
साथ ही साथ उसके कान के पीछे और गर्दन को अपने होंठों से सहलाने लगा.
फिर मैंने जैसे ही उसकी पीठ को चूमना शुरू किया, शिल्पा और भी मस्त होने लगी.
मैं उसकी कमर को भी सहलाता जा रहा था.
ये सब करते हुए शिल्पा की मादक सिसकारियां आना शुरू हो गई थीं.
मैंने दोनों हाथों से उसके नंगे चूचों को पकड़ किया और जैसे ही उनको दबाना शुरू किया, शिल्पा की ‘आह मर गई यश …’ की मादक सिसकारियां निकलने लगीं,
फिर मैंने एक हाथ उसकी पैंटी में डाला और चूत के दाने को सहलाना शुरू किया तो शिल्पा की गांड पीछे होने लगी और उसकी आवाजें और भी मीठी होने लगीं.
अब मैंने उसको सीधा किया और उसके चूचों को चूसना शुरू कर दिया.
उसके चुचे इतने मस्त भरे हुए थे कि मुझे समझो जन्नत का सुख मिलने लगा था.
उधर उसे भी अपने चूचे चुसवाने में जबरदस्त मजा आ रहा था.
शिल्पा की मदमस्त कर देने वाली सिसकारियां निकलना शुरू हो गईं.
मैं शिल्पा के एक चुचे को दबा रहा था, तो दूसरे को मुँह में लेकर चूस रहा था.
इससे शिल्पा की मदमस्त आवाजें मेरे कानों में गूँज रही थीं.
फिर मैं हल्का सा नीचे को हुआ और उसके पेट को चूमने और सहलाने लगा.
उसकी नाभि में जीभ डाल कर गोल गोल घुमाने लगा, ये शिल्पा को और भी ज्यादा मजा दे रहा था.
कुछ ही देर में मैं नीचे घुटनों के बल बैठ गया और सीधा उसकी पैंटी के ऊपर से ही उसकी चूत को चाटने लगा.
ये सब करने से शिल्पा के जिस्म की आग और बढ़ गई और उसकी आवाजें और भी तेज होने लगीं ‘अहह ओहओ … ओहओ … यश तुमने तो आग लगा दी यार … कितना मजा दे रहे हो … आह …’
कुछ पल बाद मैं उठा और मैंने अपना एक हाथ दुबारा से उसकी पैंटी में डाल दिया, उसकी चूत को सहलाने लगा.
अब शिल्पा भी अपने हाथ को मेरे अंडरवियर में डाल कर लंड को सहलाने लगी.
मेरा लंड पहले ही टाइट हो गया था.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.