10-12-2024, 03:41 PM
फिर घर वापस आया, खाना खाकर जब सब सोने चले गए तो अब मैं भी निशा के रूम में चला गया और फिर से वैसे ही लेट गया.
रात में निशा गुलाबी रंग वाली सिल्की शर्ट और पजामा पहन कर लेटी थी, वो बहुत प्यारी लग रही थी. उस पर पिंक रंग तो और भी निखरता था.
निशा ने शिल्पा की तरफ मुँह कर रखा था और अपनी गांड को हल्के से पीछे कर रही थी.
मैं भी इस बात पर बार बार ध्यान कर रहा था.
इस बार जब निशा ने अपनी गांड पीछे की, तब तक मेरा लंड खड़ा हो चुका था और टाइट भी हो चुका था.
इस बार जैसे ही निशा की गांड पीछे आई … उसी समय मैंने भी आगे की तरफ धक्का दे दिया जिससे मेरा लंड लोअर के अन्दर से ही उसकी गांड को रगड़ गया.
कमाल की बात ये थी कि इस रगड़न से मुझे उसकी मुलायम गांड का अहसास कुछ ज्यादा ही हो गया था मगर बंदी ने कुछ नहीं कहा.
वो शिल्पा से बातें करने में मस्त रही.
अब वो बातें करते करते अपने आप ही अपनी गांड में लंड रगड़वाने का मजा ले रही थी.
ऐसे करते हुए काफी देर हो गई थी लेकिन शिल्पा कमरे में थी, तो मैं पूरा खुल कर नहीं कर पा रहा था.
इतने में शिल्पा बोली- अब मैं सोने जा रही हूँ, तुम दोनों बातें करो.
इस बार मैंने जानबूझ कर और जोर से निशा की गांड को रगड़ना शुरू किया.
इस बात पर निशा भी अपनी गांड को कुछ मस्ती से पीछे करके लंड की रगड़ कर मजा लेने लगी थी.
कुछ देर बाद निशा ने मेरी तरफ करवट ले ली और मुझे देखने लगी.
कुछ देर ऐसे ही देखते हुए उसने एकदम से मेरे होंठों को चूम लिया.
मुझे तो यकीन ही नहीं हुआ.
मेरी भी हिम्मत बढ़ी तो मैंने भी उसको अपने पास खींच लिया और उसके होंठों पर अपने होंठों को रख कर चूमने लगा.
निशा ने कुछ नहीं कहा पर उसके आंसू निकल रहे थे.
आंसू देखकर मैं हटने लगा.
मगर तभी उसने मेरा चेहरा पकड़ लिया और जोर जोर से मेरे होंठों को चूमने लगी.
मैंने भी देरी ना की और उसके आंसू पौंछे और हल्के से उसके गाल पर हाथ फिराते हुए अपने हाथ को उसकी गर्दन पर ले आया.
फिर गर्दन सहलाते हुए मैंने नीचे को आकर उसके एक चुचे पर अपना हाथ रख दिया.
जैसे ही मैं दूध सहलाने लगा, उसकी हल्की सी आवाज निकल गई.
अब मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ जमाए और हल्के हाथ से उसके चुचे को दबाना शुरू कर दिया.
निशा मेरा पूरा साथ दे रही थी. मैंने अब एक हाथ उसकी शर्ट के अन्दर डाला और देखा कि उसने ब्रा नहीं पहनी थी.
जैसे ही मेरा हाथ उसके कोमल चुचे पर गया, उसकी हल्की सी सिसकारी निकल गई.
पहली बार मैं निशा के चूचों को छू रहा था. बहुत ही कोमल मुलायम मम्मे थे. मेरा उन्हें देखने का बहुत मन हुआ.
मैंने हल्के से कहा- मुझे देखना है.
निशा बोली- अभी नहीं, शिल्पा को अच्छे से सो जाने दो … अभी ऐसे ही काम चलाओ.
फिर मैंने दूसरे चूचे को भी सहलाना शुरू कर दिया और उसके निप्पल को जैसे ही दो उंगलियों के बीच में लेकर मसलना शुरू किया, निशा मानो तड़पने लगी थी. उसकी मादक आवाज निकली जा रही थी.
अगले ही पल मैंने उसकी शर्ट के सारे बटनों को खोल दिया और उसके एक चुचे को अपने मुँह में ले लिया.
जैसे ही मैंने निप्पल को खींचा, उसकी एक तेज आवाज निकल गई- ओहह हह … मर गई!
मैंने झट से उसका मुँह बंद किया और अब अपनी जीभ से उसके चुचे के निप्पल को सहलाने लगा.
निशा अब गर्म होने लगी थी.
इतने में ही निशा ने मेरे लोअर के अन्दर हाथ डाल दिया.
मैंने आज जानबूझ कर अंडरवियर नहीं पहनी थी.
जैसे ही निशा ने मेरे लोअर के अन्दर हाथ डाला, तो उसका हाथ सीधा मेरे टाइट लंड पर आ गया.
निशा के कोमल प्यारे हाथों का छूना मुझे बहुत अच्छा लगा.
अब निशा ने मेरे लोअर को नीचे कर दिया और मेरे लंड को पकड़ कर आगे पीछे करने लगी.
मैंने भी देर ना की. मैंने भी निशा के पजामे में हाथ डाल दिया. जैसे ही उसकी चूत की गर्माहट मेरे हाथ को महसूस हुई, तो मेरे अन्दर आग भड़क गई.
उसने भी अन्दर कुछ नहीं पहना था यानि आज वो भी पूरे मन से चुदने के लिए मूड बना कर आई थी.
मैंने उसकी चूत के दाने को जैसे ही सहलाना शुरू किया, वैसे ही निशा की सांसें तेज होने लगीं.
इसलिए मैंने उसके होंठों पर अपने होंठों को पर लगा दिए और चूसने लगा ताकि इसकी आवाज बाहर न निकले.
अगले ही पल मैंने चूत का मजा लेना शुरू कर दिया.
जैसे ही निशा की चूत में एक उंगली डाली, वो ऊपर की तरफ हो गई और उसने एक जोर की सिसकारी ली.
पर उसका मुँह बंद होने से उसकी आवाज अन्दर ही रह गई.
अब मैंने उंगली को अन्दर बाहर करना शुरू कर दिया, जिससे निशा ने अपनी गांड को हिलाना शुरू कर दिया.
कुछ ही पल बाद जब मुझे लगा कि अब चूत ज्यादा गीली हो गई है तो मैंने दो उंगलियां उसकी चूत में डाल दीं.
मेरी उंगलियाँ थोड़ी टाइट जा रही थीं और इससे उसको थोड़ा सा दर्द भी हो रहा था पर मैंने कुछ नहीं देखा और अपनी दो उंगलियों को अन्दर बाहर करता रहा.
इस बीच निशा अपनी गांड को जोर जोर आगे पीछे करने लगी और वो मेरे लंड को भी जोर जोर से आगे पीछे कर रही थी.
थोड़ी देर ऐसे ही करते हुए मेरा सारा पानी निकल गया और कुछ पल के लिए मैं शांत हो गया.
कुछ पल बाद मैं फिर से जोर जोर से उसकी चूत में उंगली करने लगा था, साथ ही मैंने एक हाथ से उसके मुँह को दबाया हुआ था.
थोड़ा समय बीतने के बाद निशा जोर जोर अपनी पूरी बॉडी को हिलाने लगी और एक जोर की सिसकारी लेते हुए वो भी शांत हो गई.
उसी समय शिल्पा की आवाज आई- निशा सही से सो ना …
मैं शिल्पा की आवाज सुनकर उसकी तरफ देखने लगा, पर उसने अपनी आंखें नहीं खोली थीं.
मुझे महसूस हुआ कि शिल्पा को कुछ शक हो रहा है.
फिर निशा उठी और बाथरूम में फ्रेश हो कर आई.
उसने मुझे होंठों पर एक जोरदार चूमा लिया और कानों में बोली- अभी सोना मत, शिल्पा को सो जाने दो. फिर नीचे लेट कर करेंगे.
मैंने कहा- ठीक है.
मैं भी बाथरूम में फ्रेश होकर आ गया.
पर मैंने एक काम किया. बेड की एक तरफ चादर पड़ी थी. मैंने उसको डबल करके नीचे बिछा दी. अब हम दोनों एक दूसरे को देखने लगे और मेरा हाथ फिर से उसके चूचों को सहलाने लगा.
फिर कब मैं सो गया, पता ही नहीं चला.
शायद निशा भी सो गई थी.
रात में निशा गुलाबी रंग वाली सिल्की शर्ट और पजामा पहन कर लेटी थी, वो बहुत प्यारी लग रही थी. उस पर पिंक रंग तो और भी निखरता था.
निशा ने शिल्पा की तरफ मुँह कर रखा था और अपनी गांड को हल्के से पीछे कर रही थी.
मैं भी इस बात पर बार बार ध्यान कर रहा था.
इस बार जब निशा ने अपनी गांड पीछे की, तब तक मेरा लंड खड़ा हो चुका था और टाइट भी हो चुका था.
इस बार जैसे ही निशा की गांड पीछे आई … उसी समय मैंने भी आगे की तरफ धक्का दे दिया जिससे मेरा लंड लोअर के अन्दर से ही उसकी गांड को रगड़ गया.
कमाल की बात ये थी कि इस रगड़न से मुझे उसकी मुलायम गांड का अहसास कुछ ज्यादा ही हो गया था मगर बंदी ने कुछ नहीं कहा.
वो शिल्पा से बातें करने में मस्त रही.
अब वो बातें करते करते अपने आप ही अपनी गांड में लंड रगड़वाने का मजा ले रही थी.
ऐसे करते हुए काफी देर हो गई थी लेकिन शिल्पा कमरे में थी, तो मैं पूरा खुल कर नहीं कर पा रहा था.
इतने में शिल्पा बोली- अब मैं सोने जा रही हूँ, तुम दोनों बातें करो.
इस बार मैंने जानबूझ कर और जोर से निशा की गांड को रगड़ना शुरू किया.
इस बात पर निशा भी अपनी गांड को कुछ मस्ती से पीछे करके लंड की रगड़ कर मजा लेने लगी थी.
कुछ देर बाद निशा ने मेरी तरफ करवट ले ली और मुझे देखने लगी.
कुछ देर ऐसे ही देखते हुए उसने एकदम से मेरे होंठों को चूम लिया.
मुझे तो यकीन ही नहीं हुआ.
मेरी भी हिम्मत बढ़ी तो मैंने भी उसको अपने पास खींच लिया और उसके होंठों पर अपने होंठों को रख कर चूमने लगा.
निशा ने कुछ नहीं कहा पर उसके आंसू निकल रहे थे.
आंसू देखकर मैं हटने लगा.
मगर तभी उसने मेरा चेहरा पकड़ लिया और जोर जोर से मेरे होंठों को चूमने लगी.
मैंने भी देरी ना की और उसके आंसू पौंछे और हल्के से उसके गाल पर हाथ फिराते हुए अपने हाथ को उसकी गर्दन पर ले आया.
फिर गर्दन सहलाते हुए मैंने नीचे को आकर उसके एक चुचे पर अपना हाथ रख दिया.
जैसे ही मैं दूध सहलाने लगा, उसकी हल्की सी आवाज निकल गई.
अब मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ जमाए और हल्के हाथ से उसके चुचे को दबाना शुरू कर दिया.
निशा मेरा पूरा साथ दे रही थी. मैंने अब एक हाथ उसकी शर्ट के अन्दर डाला और देखा कि उसने ब्रा नहीं पहनी थी.
जैसे ही मेरा हाथ उसके कोमल चुचे पर गया, उसकी हल्की सी सिसकारी निकल गई.
पहली बार मैं निशा के चूचों को छू रहा था. बहुत ही कोमल मुलायम मम्मे थे. मेरा उन्हें देखने का बहुत मन हुआ.
मैंने हल्के से कहा- मुझे देखना है.
निशा बोली- अभी नहीं, शिल्पा को अच्छे से सो जाने दो … अभी ऐसे ही काम चलाओ.
फिर मैंने दूसरे चूचे को भी सहलाना शुरू कर दिया और उसके निप्पल को जैसे ही दो उंगलियों के बीच में लेकर मसलना शुरू किया, निशा मानो तड़पने लगी थी. उसकी मादक आवाज निकली जा रही थी.
अगले ही पल मैंने उसकी शर्ट के सारे बटनों को खोल दिया और उसके एक चुचे को अपने मुँह में ले लिया.
जैसे ही मैंने निप्पल को खींचा, उसकी एक तेज आवाज निकल गई- ओहह हह … मर गई!
मैंने झट से उसका मुँह बंद किया और अब अपनी जीभ से उसके चुचे के निप्पल को सहलाने लगा.
निशा अब गर्म होने लगी थी.
इतने में ही निशा ने मेरे लोअर के अन्दर हाथ डाल दिया.
मैंने आज जानबूझ कर अंडरवियर नहीं पहनी थी.
जैसे ही निशा ने मेरे लोअर के अन्दर हाथ डाला, तो उसका हाथ सीधा मेरे टाइट लंड पर आ गया.
निशा के कोमल प्यारे हाथों का छूना मुझे बहुत अच्छा लगा.
अब निशा ने मेरे लोअर को नीचे कर दिया और मेरे लंड को पकड़ कर आगे पीछे करने लगी.
मैंने भी देर ना की. मैंने भी निशा के पजामे में हाथ डाल दिया. जैसे ही उसकी चूत की गर्माहट मेरे हाथ को महसूस हुई, तो मेरे अन्दर आग भड़क गई.
उसने भी अन्दर कुछ नहीं पहना था यानि आज वो भी पूरे मन से चुदने के लिए मूड बना कर आई थी.
मैंने उसकी चूत के दाने को जैसे ही सहलाना शुरू किया, वैसे ही निशा की सांसें तेज होने लगीं.
इसलिए मैंने उसके होंठों पर अपने होंठों को पर लगा दिए और चूसने लगा ताकि इसकी आवाज बाहर न निकले.
अगले ही पल मैंने चूत का मजा लेना शुरू कर दिया.
जैसे ही निशा की चूत में एक उंगली डाली, वो ऊपर की तरफ हो गई और उसने एक जोर की सिसकारी ली.
पर उसका मुँह बंद होने से उसकी आवाज अन्दर ही रह गई.
अब मैंने उंगली को अन्दर बाहर करना शुरू कर दिया, जिससे निशा ने अपनी गांड को हिलाना शुरू कर दिया.
कुछ ही पल बाद जब मुझे लगा कि अब चूत ज्यादा गीली हो गई है तो मैंने दो उंगलियां उसकी चूत में डाल दीं.
मेरी उंगलियाँ थोड़ी टाइट जा रही थीं और इससे उसको थोड़ा सा दर्द भी हो रहा था पर मैंने कुछ नहीं देखा और अपनी दो उंगलियों को अन्दर बाहर करता रहा.
इस बीच निशा अपनी गांड को जोर जोर आगे पीछे करने लगी और वो मेरे लंड को भी जोर जोर से आगे पीछे कर रही थी.
थोड़ी देर ऐसे ही करते हुए मेरा सारा पानी निकल गया और कुछ पल के लिए मैं शांत हो गया.
कुछ पल बाद मैं फिर से जोर जोर से उसकी चूत में उंगली करने लगा था, साथ ही मैंने एक हाथ से उसके मुँह को दबाया हुआ था.
थोड़ा समय बीतने के बाद निशा जोर जोर अपनी पूरी बॉडी को हिलाने लगी और एक जोर की सिसकारी लेते हुए वो भी शांत हो गई.
उसी समय शिल्पा की आवाज आई- निशा सही से सो ना …
मैं शिल्पा की आवाज सुनकर उसकी तरफ देखने लगा, पर उसने अपनी आंखें नहीं खोली थीं.
मुझे महसूस हुआ कि शिल्पा को कुछ शक हो रहा है.
फिर निशा उठी और बाथरूम में फ्रेश हो कर आई.
उसने मुझे होंठों पर एक जोरदार चूमा लिया और कानों में बोली- अभी सोना मत, शिल्पा को सो जाने दो. फिर नीचे लेट कर करेंगे.
मैंने कहा- ठीक है.
मैं भी बाथरूम में फ्रेश होकर आ गया.
पर मैंने एक काम किया. बेड की एक तरफ चादर पड़ी थी. मैंने उसको डबल करके नीचे बिछा दी. अब हम दोनों एक दूसरे को देखने लगे और मेरा हाथ फिर से उसके चूचों को सहलाने लगा.
फिर कब मैं सो गया, पता ही नहीं चला.
शायद निशा भी सो गई थी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.