10-12-2024, 03:19 PM
मुझे उस बेचारी भोली भाली कन्या के सेक्स ज्ञान पर बहुत तरस आया कि क्यों हमारे कॉलेजों में बच्चियों को सेक्स का ज्ञान नहीं दिया जाता। क्यों नहीं उन्हें समझाया जाता कि यह एक सामान्य प्रक्रिया है। क्यों आज भी बच्चियाँ कम ज्ञान की वजह से इन सब चीजों से डरती हैं।
मैंने उसे समझाया- देख चंदा, डरने की कोई वजह नहीं है। कोई भी काम जब पहली बार होता है, तो उसमें मुश्किल आती है, थोड़ी सी। मगर उस मुश्किल से घबराना नहीं चाहिए। अब तुमने आज तक अपनी उस में (कहते हुये मैंने उसकी चूत पर तो नहीं, पर जांघ पर हाथ लगाया) कोई चीज़ नहीं डाली। उसका सुराख छोटा है। और जो तेरा पति होगा, उसका वो जो होता है, वो इस सुराख से थोड़ा सा मोटा होता है.
कह कर मैंने अपनी उंगली और अंगूठे से एक गोल आकार बनाया, फिर मैंने कहा- अब अपनी उंगली इस में डालो!
जब चंदा ने शर्माते हुये अपनी उंगली उस में डाली, तो पहले तो थोड़ी से उंगली टाइट गई, मगर बाद में मैंने अपनी उंगली और अंगूठे को ढील छोड़ दिया और उसकी उंगली बड़े आराम से मेरी उंगली और अंगूठे के गोल आकार से अंदर बाहर होने लगी।
मैंने कहा- देखा, पहले थोड़ा सा टाईट जाता है, मगर बाद में बड़े आराम से जाता है। मुझे भी पहली बार दर्द हुआ था, मगर अब शादी के 3 साल बाद मैं चाहती हूँ, मुझे फिर से वो दर्द हो। मुझे और मोटा और लंबा मिले।
मेरी बात सुन कर उसने अपने हाथों से अपना मुँह छुपा लिया, और हम दोनों हंसने लगी। पता नहीं कितनी रात तक मैं उसे सेक्स के किस्से सुनाती रही, क्या क्या बताती रही। इतना ज़रूर है कि मेरी बातें सुन कर उसकी चूत ज़रूर गीली हो गई होगी।
अगली सुबह मैं नहा धोकर तैयार हो गई, चंदा भी मेरे साथ ही चिपकी रही। शादी के जो भी रस्म रिवाज थे, वो चल रहे थे। मेरे पति एक बेटे के पूरे फर्ज़ निभा रहे थे और सब काम को अपनी निगरानी में करवा रहे थे; मुझसे तो मिलने का टाइम ही नहीं था उनके पास।
दोपहर के खाने के समय ताऊ जी ने मुझे बुलाया और मेरे साथ बहुत सी बातें करी। थोड़ी देर बाद वो आदमी भी वहाँ आया जिससे कल मेरा नैन मटक्का हुआ था।
ताऊ जी ने बताया- अरे लो बहू, इनसे मिलो; ये हैं शेर सिंह। मेरे बहुत ही अच्छे दोस्त, यूं कहो मेरा छोटा भाई।
मैंने उन्हें नमस्ते कही, उन्होंने भी हाथ जोड़ कर “खम्मा घनी” कहा और हमारे पास ही बैठ गए।
मैंने उसे समझाया- देख चंदा, डरने की कोई वजह नहीं है। कोई भी काम जब पहली बार होता है, तो उसमें मुश्किल आती है, थोड़ी सी। मगर उस मुश्किल से घबराना नहीं चाहिए। अब तुमने आज तक अपनी उस में (कहते हुये मैंने उसकी चूत पर तो नहीं, पर जांघ पर हाथ लगाया) कोई चीज़ नहीं डाली। उसका सुराख छोटा है। और जो तेरा पति होगा, उसका वो जो होता है, वो इस सुराख से थोड़ा सा मोटा होता है.
कह कर मैंने अपनी उंगली और अंगूठे से एक गोल आकार बनाया, फिर मैंने कहा- अब अपनी उंगली इस में डालो!
जब चंदा ने शर्माते हुये अपनी उंगली उस में डाली, तो पहले तो थोड़ी से उंगली टाइट गई, मगर बाद में मैंने अपनी उंगली और अंगूठे को ढील छोड़ दिया और उसकी उंगली बड़े आराम से मेरी उंगली और अंगूठे के गोल आकार से अंदर बाहर होने लगी।
मैंने कहा- देखा, पहले थोड़ा सा टाईट जाता है, मगर बाद में बड़े आराम से जाता है। मुझे भी पहली बार दर्द हुआ था, मगर अब शादी के 3 साल बाद मैं चाहती हूँ, मुझे फिर से वो दर्द हो। मुझे और मोटा और लंबा मिले।
मेरी बात सुन कर उसने अपने हाथों से अपना मुँह छुपा लिया, और हम दोनों हंसने लगी। पता नहीं कितनी रात तक मैं उसे सेक्स के किस्से सुनाती रही, क्या क्या बताती रही। इतना ज़रूर है कि मेरी बातें सुन कर उसकी चूत ज़रूर गीली हो गई होगी।
अगली सुबह मैं नहा धोकर तैयार हो गई, चंदा भी मेरे साथ ही चिपकी रही। शादी के जो भी रस्म रिवाज थे, वो चल रहे थे। मेरे पति एक बेटे के पूरे फर्ज़ निभा रहे थे और सब काम को अपनी निगरानी में करवा रहे थे; मुझसे तो मिलने का टाइम ही नहीं था उनके पास।
दोपहर के खाने के समय ताऊ जी ने मुझे बुलाया और मेरे साथ बहुत सी बातें करी। थोड़ी देर बाद वो आदमी भी वहाँ आया जिससे कल मेरा नैन मटक्का हुआ था।
ताऊ जी ने बताया- अरे लो बहू, इनसे मिलो; ये हैं शेर सिंह। मेरे बहुत ही अच्छे दोस्त, यूं कहो मेरा छोटा भाई।
मैंने उन्हें नमस्ते कही, उन्होंने भी हाथ जोड़ कर “खम्मा घनी” कहा और हमारे पास ही बैठ गए।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.