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शादी में चुदाई की कहानियाँ
#25
शादी में चूत चुदवा कर आई

!











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मेरे पति के पिताजी के एक बहुत पुराने दोस्त थे, मैं उन्हें पहले तो नहीं जानती थी, पता उस दिन लगा जब हमारे घर एक शादी का कार्ड आया। मैंने वो कार्ड अपने पति को दिखाया तो वो कार्ड देख कर बड़े खुश हुये- अरे आरती की शादी है, कमाल है इतनी बड़ी हो गई वो!
मैंने पूछा- कौन आरती?
वो बोले- अरे पिताजी के बहुत ही गहरे दोस्त हुआ करते थे रावत अंकल; हम उन्हें ताऊ जी ही कहते थे। पापा के साथ ही जॉब करते थे, फिर रिटाइरमेंट के बाद वो अपने गाँव चले गए, उनकी ही छोटी बेटी है। मुझे राखी बांधती थी। अंकल से सिर्फ तीन बेटियाँ ही थी, तो वो मुझे ही अपना बेटा मानते थे। बहुत प्यार था हमारे घरों में!


मैंने पूछा- क्या प्रोग्राम है फिर?
पति बोले- ऑफिस में छुट्टी की अर्जी दे देता हूँ, सारा काम काज मुझे ही देखना पड़ेगा जाकर; तो हफ्ता दस दिन तो लग ही जाएंगे। तुम भी बहुत एंजॉय करोगी, बहुत ही मिलनसार और प्यार करने वाले लोग हैं।
मैंने पूछा- चाचाजी भी जाएंगे साथ में?
पति बोले- चाचाजी उन्हें जानते तो हैं, पर ज़्यादा प्यार हमारे ही घर से था। पूछ लेता हूँ चाचाजी से अगर चलना हुआ तो चल पड़ेंगे।


मैं यह सोच रही थी कि अगर चाचाजी साथ चलें तो क्या पता वहाँ भी चाचाजी से कुछ प्रेमालाप कर सकूँ। पति तो अब काम काज में बिज़ी होंगे, तो इनके पास तो टाइम होगा नहीं। मगर चाचाजी ने मना कर दिया।
बाद में अकेले में मैंने भी चाचाजी से पूछा- अरे चाचू, चलते न यार, वहाँ पे भी अपना मस्ती करते!
चाचाजी बोले- अरे नहीं यार, तू जा … मैं इतना लंबा सफर नहीं कर सकता, और बहुत दिन हो गए, रजनी भी अब गिला करती है कि मैं उस से कम मिलता हूँ। तो तुम लोग जाओगे, तो रजनी का भी मन भर दूँगा।
मैंने कहा- अच्छा जी तो आप पीछे से पूरी मस्ती करेंगे, और मैं वहाँ गाँव तड़पती रहूँगी आपके बिना!
चाचाजी बोले- कोई बात नहीं, जब वापिस आएगी तो प्यार और भी ज़बरदस्त होगा.
और चाचाजी ने मेरे माथे पे एक हल्का सा चुम्बन दिया।
मैंने कहा- मगर जाने से पहले मुझे एक धुआँदार बैटिंग चाहिए।
चाचाजी बोले- चिंता मत कर बहू … सभी चौके छक्के मारूँगा।


उसके बाद मैंने अपनी तैयारी शुरू कर दी। अब गाँव में जा रही थी तो ज़ाहिर था कि वहाँ जीन्स तो नहीं चलेंगी तो पति के कहने पर सारी साड़ियाँ ही रख ली। तीन बढ़िया साड़ी नई खरीदी। सारी तैयारी करके हम अपनी ही गाड़ी में चल पड़े।

शादी से 4 दिन पहले जाना था और शादी के चार दिन बाद आना था, पूरा दस दिन का प्रोग्राम था। मगर मेरी चिंता यह थी कि अब रोज़ दो तीन बार सेक्स करने वाली, 10 दिन बिना सेक्स के कैसे रहेगी।
मुझे चाचाजी की बहुत याद आ रही थी।

मैंने उस दिन हल्के फिरोजी रंग की साड़ी पहनी थी; साथ में स्लीवलेस ब्लाउज़ था। बेशक मेरे ब्लाउज़ का गला गहरा था, मगर मैंने आँचल को कंधे के ब्रोच से संभाल रखा था। साड़ी को मैंने थोड़ा नीचे करके बांधा, ताकि नाभि मेरी साड़ी से बाहर रहे।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: शादी में चुदाई की कहानियाँ. शादी में चूत चुदवा कर आई - by neerathemall - 10-12-2024, 03:17 PM



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