08-12-2024, 11:07 PM
(This post was last modified: 08-12-2024, 11:09 PM by abhi_mastlaunda. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
चिंता मत कर बिरजू अभी थोड़ी देर मे भोसड़ी की नहाने आएगी तब आधी नंगी तो हो ही जाएगी और चुपचाप अपने लंड को मसलने लगते है, थोड़ी देर बाद सुधिया काकी अपनी चोली और घाघरा लेकर हॅंडपंप पर आ जाती है, वह अपने घाघरे को अपने घुटनो के उपर करके बैठ कर कपड़े धोना शुरू कर देती है उसकी गदराई पिंदलियो और मोटी मोटी गोरी जाँघो को देख कर राजू और बिरजू के मूह मे पानी आ जाता है, जब सुधिया काकी कपड़े को ब्रश से घिसती है तो उसकी बड़े बड़े पपितो जैसी चुचिया बहुत तेज़ी से उपर नीचे होती है यार बिरजू मथेर्चोद 50 साल की है पर इसका गदराया शरीर देखकर लंड लूँगी फाड़ कर बाहर आया जा रहा है,
तभी सुधिया काकी अपने दोनो हाथो से अपनी चोली के हुक खोलने लगती है और फिर अपने दोनो हाथ उपर करके अपनी चोली निकालती है उसकी बालो से भरी बगल देख कर दोनो भाई आ हा मज़ा आ गया और उसकी पहाड़ जैसे मोटे मोटे दूध दोनो भाई के सामने आ जाते है, अब सुधिया काकी पालती मार कर बैठ जाती है उसका गदराया उठा हुआ पेट, गहरी नाभि और मोटे मोटे चुचे, मतलब प्रा पेट और दूध नंगे करके जब वह पालती मार कर बैठ जाती है तो इतनी मस्तानी लगती है कि कोई बेटा भी अपनी मा को इस हालत मे देख ले तो वह अपनी मा के ऐसे मस्ताने नंगे बदन से पूरा नंगा होकर चिपक जाए, यही हाल बिरजू और राजू का था उनका मोटा लंड हल्की हल्की पानी की बूँदो से चिपचिपाने लगा था,
सुधिया काकी ने दो चार मग पानी अपने नंगे जिस्म पर डाला और फिर साबुन से अपनी चुचिया और पेट पर साबुन मलने लगी, जब वह अपने मोटे पपीते जैसे दूध पर साबुन लगा कर रगड़ती तो उसके दूध उसके हाथ मे पूरा समा नही पाते थे, और साबुन की मस्लाई से इधर उधर छतक जाते थे, और फिर अपने उभरे उए पेट पर साबुन मलने लगी, बिरजू ये भोसड़ी अपने पेट को ऐसे सहला रही है जैसे कह रही हो आ मेरी चूत मे लंड डाल डाल कर मेरा पेट और उठा दे, हाय राजू क्या मदमस्त घोड़ी है रे मेरा तो पानी छूटने के कगार पर है, तभी सुधिया काकी एक टांग लंबी करके अपने घाघरे को जाँघ की जड़ो तक चढ़ा लेती है उसकी जंघे भरपूर मसल और गोरी गोरी बिल्कुल कसी हुई लग रही थी,
राजू इसकी मोटी जंघे तो दो हाथो मे भी ना समाए तो फिर इसके चूतड़ पकड़ने के लिए कितने हाथ लगाना पड़ेंगे, अरे बिरजू एक बात तूने देखा है कि औरत की उमर ढल जाती है पर उसकी गंद और जाँघो की चिकनाहट वैसी ही रहती है, क्या मस्त चोदने लायक माल है, इसे छ्होटा मोटा चुड़क्कड़ चोद ही ना पाए इस मस्तानी घोड़ी की चूत और गंद तो हमारे जैसा मोटा काला लंड ही मस्त कर पाएगा, तभी सुधिया काकी ने एक घुटने की जाँघो की जड़ो तक साबुन लगाने के बाद उस जाँघ को मोड मोड दूसरे पैर की जंगो से भी अपना घाघरा हटा कर मोड़ कर साबुन लगाने लगी अब सुधिया काकी उपर से लेकर पेट और कमर तक तो नंगी थी ही साथ ही उसका घाघरा उसकी चूत और जाँघो की जड़ो तक सिमट कर रह गया था और वह अपनी दोनो जाँघो को फैलाए अपनी आइडिया पत्थर से घिस रही ही, देख बिरजू ऐसे जंघे फैला कर बैठी है जैसे कह रही हो की आके घुस जा मेरे मस्ताने भोस्डे मे,
और फिर सुधिया दोनो पैरो के बल बैठ कर बाल्टी का पानी एक साथ अपने सर से डाल कर खड़ी हो जाती है और बिरजू और राजू की ओर अपनी गंद करके हॅंडपंप चलाने लगती है उसका पूरा घाघरा गीला होकर उसकी गंद से चिपक जाता है और उसकी मोटी गंद की दरार मे फँस जाता है जिससे उसकी मोटी गंद साफ झलकने लगती है ऐसा लगता है जैसे दो मोटे मोटे तरबूज थोड़े थोड़े गॅप मे लगा दिए हो, बिरजू अपना लंड मसलते हुए जा के फँसा दू क्या अपना लंड इसकी मोटी गंद मे, हाय रे क्या चूतड़ है रे ये तो मदर्चोद हमारी जान लेने पर तुली है, यार राजू इसको हमने हमेशा हर तरह से नंगी नहाते देखा है लेकिन इसका भोसड़ा और इसकी मोटी गंद नंगी देखने को कभी नही मिली, यार कुछ चक्कर चला कर इसकी मोटी गंद और उसका छेद देखने का बड़ा दिल कर रहा है,
बिरजू एक आइडिया है मेरे दिमाग़ मे, राजू हाँ तो बता ना यार, सुन यह रोज पुलिया के पीछे के खेत मे संडास करने जाती है बस यही एक तरीका है इसकी गंद देखने का वहाँ आसपास काफ़ी पेड़ भी है वही छुप कर हम इसकी गंद देखने कल चलते है, ठीक है कल ही इसकी गंद का भरपूर मज़ा लेकर इसकी गंद देखते हुए वही पर मूठ मारेंगे, गाँव मे अक्सर औरते अपनी चोली खोलकर वही नहा लिया करती है, सुधिया काकी ने अपने उपर अब मग से पानी डालना शुरू कर दिया और फिर अपना घाघरा ढीला करके एक दो मग पानी अपने घाघरे के अंदर चूत के उपर भी डाला तभी गाँव की एक दो औरते और आ गई और वो भी वही कपड़े धोने लगी और अपनी अपनी चोलिया उतार कर नहाने लगी, उनके दूध और गंद का भरपूर आनंद लेने के बाद जब हॅंडपंप पर कोई नही बचा तब राजू अभी लंड हिला ले क्या, बिरजू नही यार जब तक मा को नंगी हम दोनो नही देख लेते तब तक हमारा माल निकलता ही कहाँ है और उन दोनो ने अपनी गर्दन अपने घर के दरवाजे की ओर घुमा दी और अपने घर के आँगन मे देखने लगे,
कमला घर के आँगन मे झाड़ू मार रही थी कमला की मोटी गंद के मुक़ाबले पूरे गाँव मे किसी भी औरत की गंद नही थी, मोटी मोटी केले के तनो जैसे मसल जाँघो के उपर उसके मोटे चूतड़ ज़रूरत से ज़्यादा बाहर की ओर उठे हुए और बिल्कुल गोल शॅप लिए हुए उसकी गंद के पाट और गंद के बीच की दरार इतनी ज़्यादा विपरीत दिशा मे फैली हुई थी कि खड़े खड़े लंड गंद मे घुस सकता था जब वह झुक कर झाड़ू मार रही थी तो उसके विशाल मोटे चूतड़ और ज़्यादा बाहर की ओर निकालकर उसके चलने के साथ थिरक रहे थे, राजू अपनी मा की मोटी गंद जैसी गंद तो इस दुनिया मे कही नही होगी, इन मोटे मोटे चूतादो को देख कर तो लगता है मेरे लंड की नशे फॅट जाएगी, बिरजू मुझे तो लगता है कि अभी जाकर मा का घाघरा उठा कर अपना मोटा काला लंड सीधे गंद मे फसा दू, यार राजू मा के ये मोटे मोटे चूतड़ देख देख कर मेरा लंड लगता है लूँगी मे च्छेद कर देगा, हाँ यार बिरजू तू ठीक कहता है मुझे तो मा की मोटी गंद मे अपना मूह भरने का बहुत मन होता है, अगर यह नंगी होकर हमारे सामने आ जाए तो इसको दिन रात चोदते ही रहे, बिरजू यह नंगी कैसी दिखती होगी रे मैं तो मा को पूरी नंगी करके देखने के लिए मरा जा रहा हू,
कमला झाड़ू मार कर सीधी उनकी ओर मूह करके खड़ी हुई तो उसका पेट दोनो भाइयो के सामने आ गया कमला अपनी फूली हुई चूत से बस दो इंच उपर अपना घाघरा बाँधती थी,
तभी सुधिया काकी अपने दोनो हाथो से अपनी चोली के हुक खोलने लगती है और फिर अपने दोनो हाथ उपर करके अपनी चोली निकालती है उसकी बालो से भरी बगल देख कर दोनो भाई आ हा मज़ा आ गया और उसकी पहाड़ जैसे मोटे मोटे दूध दोनो भाई के सामने आ जाते है, अब सुधिया काकी पालती मार कर बैठ जाती है उसका गदराया उठा हुआ पेट, गहरी नाभि और मोटे मोटे चुचे, मतलब प्रा पेट और दूध नंगे करके जब वह पालती मार कर बैठ जाती है तो इतनी मस्तानी लगती है कि कोई बेटा भी अपनी मा को इस हालत मे देख ले तो वह अपनी मा के ऐसे मस्ताने नंगे बदन से पूरा नंगा होकर चिपक जाए, यही हाल बिरजू और राजू का था उनका मोटा लंड हल्की हल्की पानी की बूँदो से चिपचिपाने लगा था,
सुधिया काकी ने दो चार मग पानी अपने नंगे जिस्म पर डाला और फिर साबुन से अपनी चुचिया और पेट पर साबुन मलने लगी, जब वह अपने मोटे पपीते जैसे दूध पर साबुन लगा कर रगड़ती तो उसके दूध उसके हाथ मे पूरा समा नही पाते थे, और साबुन की मस्लाई से इधर उधर छतक जाते थे, और फिर अपने उभरे उए पेट पर साबुन मलने लगी, बिरजू ये भोसड़ी अपने पेट को ऐसे सहला रही है जैसे कह रही हो आ मेरी चूत मे लंड डाल डाल कर मेरा पेट और उठा दे, हाय राजू क्या मदमस्त घोड़ी है रे मेरा तो पानी छूटने के कगार पर है, तभी सुधिया काकी एक टांग लंबी करके अपने घाघरे को जाँघ की जड़ो तक चढ़ा लेती है उसकी जंघे भरपूर मसल और गोरी गोरी बिल्कुल कसी हुई लग रही थी,
राजू इसकी मोटी जंघे तो दो हाथो मे भी ना समाए तो फिर इसके चूतड़ पकड़ने के लिए कितने हाथ लगाना पड़ेंगे, अरे बिरजू एक बात तूने देखा है कि औरत की उमर ढल जाती है पर उसकी गंद और जाँघो की चिकनाहट वैसी ही रहती है, क्या मस्त चोदने लायक माल है, इसे छ्होटा मोटा चुड़क्कड़ चोद ही ना पाए इस मस्तानी घोड़ी की चूत और गंद तो हमारे जैसा मोटा काला लंड ही मस्त कर पाएगा, तभी सुधिया काकी ने एक घुटने की जाँघो की जड़ो तक साबुन लगाने के बाद उस जाँघ को मोड मोड दूसरे पैर की जंगो से भी अपना घाघरा हटा कर मोड़ कर साबुन लगाने लगी अब सुधिया काकी उपर से लेकर पेट और कमर तक तो नंगी थी ही साथ ही उसका घाघरा उसकी चूत और जाँघो की जड़ो तक सिमट कर रह गया था और वह अपनी दोनो जाँघो को फैलाए अपनी आइडिया पत्थर से घिस रही ही, देख बिरजू ऐसे जंघे फैला कर बैठी है जैसे कह रही हो की आके घुस जा मेरे मस्ताने भोस्डे मे,
और फिर सुधिया दोनो पैरो के बल बैठ कर बाल्टी का पानी एक साथ अपने सर से डाल कर खड़ी हो जाती है और बिरजू और राजू की ओर अपनी गंद करके हॅंडपंप चलाने लगती है उसका पूरा घाघरा गीला होकर उसकी गंद से चिपक जाता है और उसकी मोटी गंद की दरार मे फँस जाता है जिससे उसकी मोटी गंद साफ झलकने लगती है ऐसा लगता है जैसे दो मोटे मोटे तरबूज थोड़े थोड़े गॅप मे लगा दिए हो, बिरजू अपना लंड मसलते हुए जा के फँसा दू क्या अपना लंड इसकी मोटी गंद मे, हाय रे क्या चूतड़ है रे ये तो मदर्चोद हमारी जान लेने पर तुली है, यार राजू इसको हमने हमेशा हर तरह से नंगी नहाते देखा है लेकिन इसका भोसड़ा और इसकी मोटी गंद नंगी देखने को कभी नही मिली, यार कुछ चक्कर चला कर इसकी मोटी गंद और उसका छेद देखने का बड़ा दिल कर रहा है,
बिरजू एक आइडिया है मेरे दिमाग़ मे, राजू हाँ तो बता ना यार, सुन यह रोज पुलिया के पीछे के खेत मे संडास करने जाती है बस यही एक तरीका है इसकी गंद देखने का वहाँ आसपास काफ़ी पेड़ भी है वही छुप कर हम इसकी गंद देखने कल चलते है, ठीक है कल ही इसकी गंद का भरपूर मज़ा लेकर इसकी गंद देखते हुए वही पर मूठ मारेंगे, गाँव मे अक्सर औरते अपनी चोली खोलकर वही नहा लिया करती है, सुधिया काकी ने अपने उपर अब मग से पानी डालना शुरू कर दिया और फिर अपना घाघरा ढीला करके एक दो मग पानी अपने घाघरे के अंदर चूत के उपर भी डाला तभी गाँव की एक दो औरते और आ गई और वो भी वही कपड़े धोने लगी और अपनी अपनी चोलिया उतार कर नहाने लगी, उनके दूध और गंद का भरपूर आनंद लेने के बाद जब हॅंडपंप पर कोई नही बचा तब राजू अभी लंड हिला ले क्या, बिरजू नही यार जब तक मा को नंगी हम दोनो नही देख लेते तब तक हमारा माल निकलता ही कहाँ है और उन दोनो ने अपनी गर्दन अपने घर के दरवाजे की ओर घुमा दी और अपने घर के आँगन मे देखने लगे,
कमला घर के आँगन मे झाड़ू मार रही थी कमला की मोटी गंद के मुक़ाबले पूरे गाँव मे किसी भी औरत की गंद नही थी, मोटी मोटी केले के तनो जैसे मसल जाँघो के उपर उसके मोटे चूतड़ ज़रूरत से ज़्यादा बाहर की ओर उठे हुए और बिल्कुल गोल शॅप लिए हुए उसकी गंद के पाट और गंद के बीच की दरार इतनी ज़्यादा विपरीत दिशा मे फैली हुई थी कि खड़े खड़े लंड गंद मे घुस सकता था जब वह झुक कर झाड़ू मार रही थी तो उसके विशाल मोटे चूतड़ और ज़्यादा बाहर की ओर निकालकर उसके चलने के साथ थिरक रहे थे, राजू अपनी मा की मोटी गंद जैसी गंद तो इस दुनिया मे कही नही होगी, इन मोटे मोटे चूतादो को देख कर तो लगता है मेरे लंड की नशे फॅट जाएगी, बिरजू मुझे तो लगता है कि अभी जाकर मा का घाघरा उठा कर अपना मोटा काला लंड सीधे गंद मे फसा दू, यार राजू मा के ये मोटे मोटे चूतड़ देख देख कर मेरा लंड लगता है लूँगी मे च्छेद कर देगा, हाँ यार बिरजू तू ठीक कहता है मुझे तो मा की मोटी गंद मे अपना मूह भरने का बहुत मन होता है, अगर यह नंगी होकर हमारे सामने आ जाए तो इसको दिन रात चोदते ही रहे, बिरजू यह नंगी कैसी दिखती होगी रे मैं तो मा को पूरी नंगी करके देखने के लिए मरा जा रहा हू,
कमला झाड़ू मार कर सीधी उनकी ओर मूह करके खड़ी हुई तो उसका पेट दोनो भाइयो के सामने आ गया कमला अपनी फूली हुई चूत से बस दो इंच उपर अपना घाघरा बाँधती थी,