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मेरी चचेरी विधवा बहन की कामुकता
#14
बड़ी साली की अतृप्त वासना और चूत चुदाई





दूरियां कब किसे कैसे मिला दें, ये किसी को पता नहीं होता.
मेरे साथ भी कुछ ऐसी ही सच्ची घटना हुई है.

मेरा नाम दीप है, मैं मुज़फ्फरनगर उत्तर प्रदेश का रहने वाला हूँ.

ये जो घटना है, कुछ चार साल पहले की मेरे और मेरी बड़ी साली मीता के बीच की चुदाई कहानी है.

मैं उस समय अपनी सुसराल में रहकर अपना काम करता था और कभी कभी ही घर जा पाया करता था.

मेरी बड़ी साली अपने पति से किसी बात पर झगड़ा करके अपनी मां के घर आ गयी थी.
उस समय मैं भी वहीं पर रहता था.


कभी भी आज तक उससे कभी भी मेरी कोई ख़ास बात नहीं हुई थी.
लेकिन जब ऊपर वाले को मिलाना होता तो वो कोई ना कोई घटना पैदा कर देता है.




एक दिन में अपने काम से रात को देर से अपनी ससुराल पहुंचा.
रात काफी हो गयी थी इसलिए सब सो गए थे.
लेकिन बड़ी साली साहिब जगी हुई थीं और एक बंद कमरे में थीं.


भूलवश या जानबूझ कर कमरे की कुंडी नहीं लगा रखी थी.
मुझे कुछ नहीं पता था.


मैं स्वभावत: सीधे घुसता चला गया और कमरे में दाखिल हो गया. मैं क्या देखता हूं कि मेरी बड़ी साली साहिबा बिना वस्त्रों के बेड पर लेट कर अपनी चूत में उंगली आगे पीछे कर रही थीं और अपनी मस्ती में मस्त होकर उस पल का मज़ा ले रही थीं.

मेरे कमरे में आने पर भी उनके क्रियाकलाप में कोई फर्क नहीं आया और न ही उन्हें मुझे आया देख कर कुछ शर्म आई.

वो मुझे देखकर बड़ी सरलता से अपनी चूत से उंगली निकाल कर मुँह में लेकर चाटने लगीं और मस्ती से उठ खड़ी हुईं.

वह अपनी नाइटी पहन कर ये कह कर कमरे से बाहर निकल गयी- आप हाथ मुँह धो लो, मैं खाना लगा देती हूं.

मुझे ये सब देखकर बहुत ही आश्चर्य हुआ कि ये किस तरह की बेबाकी थी.

उस रात बात आई गई हो गई.

अगले दिन मुझे कहीं बाहर नहीं जाना था तो मैं सुबह देर से उठा.
तब तक सासु मां किसी रिश्तेदार के घर शाम तक वापस लौटने की कह कर चली गईं.


मेरे पास आज सुनहरा मौका था तो मैंने बड़ी साली से कल रात वाली बात को छेड़ दिया.
साली जी ने मुझे अपनी पूरी कहानी बताई.


मैंने पूछा- जब रात को मैं कमरे में आ गया था तो तुम मुझसे घबराई क्यों नहीं?
इस पर उसने बताया- मैं तुम्हारे बारे में सब जानती हूं कि तुम ही मेरी सभी समस्यों का समाधान कर सकते हो. इसलिए कल रात तुम्हारा इंतजार करते करते बहुत देर हो गयी थी. मेरी आग बढ़ती जा रही थी और तुम आए नहीं थे. उस वक्त मैं अपने बस में नहीं थी, इसलिए उंगली करने लगी थी. अब तुम मेरी प्यास बुझा दो.


मैंने कहा- ये मैं तुम्हारे साथ कैसे कर सकता हूँ. तुम्हारी बहन को पता चल गया तो वो क्या सोचेगी?
उसने कहा- उसे मालूम कैसे पड़ेगा. फिर यदि उसे कुछ पता चल भी गया तो मैं अपनी गलती कह कर तुम्हें सेफ कर दूंगी.
मैंने कहा- वो तो सब ठीक है लेकिन पता नहीं, मेरी बीवी क्या सोचेगी.


उसने कहा- एक दिन इत्तफाक से तुम्हारी और मेरी फोन पर बात हुई तो तुमने कहा था कि अगर किसी की भलाई करने के लिए मुझे किसी से भी लड़ना पड़ेगा, तो मैं पीछे नहीं हटूंगा. उसी बात को लेकर मैं आज यहां तुम्हारे पास आई हूँ. मुझे पता है तुम मुझे मना नहीं करोगे.

उसकी ये बात सुनकर मैंने उससे कुछ समय मांगा.

उन दिनों कुछ ऐसा हुआ कि मेरे पास बाहर जाने का कोई काम ही नहीं निकला और मैं समय से घर आने लगा.

उन दिनों उसका भी मूड बना हुआ था तो वो भी कभी मेरे लंड को टच कर देती तो कभी मेरी पीठ से अपने मम्मे रगड़ देती.
कहने का मतलब ये कि वो मुझसे लिपटी जा रही थी.
फिर मैं भी एक इंसान हूँ, कब तक अपने को संभाल कर रखता.


एक दिन मेरी सास को अपने बड़े बेटे के पास कुछ दिनों के लिए जाना पड़ा.

अब तो मुझे अपनी साली को भोगने का समय मिल गया था.

उनके जाने के बाद अपनी साली से बात की- मैं तुम्हारे साथ हमेशा रहूँगा, पर मेरी एक शर्त है आज की रात तुम एक नई दुल्हन की तरह से तैयार मिलोगी और मुझे कुछ भी करने से नहीं रोकोगी.
उसने मेरी तरफ मुस्कुरा कर देखा.


वो बोली- जरूर डार्लिंग आज मैं तुमको हर तरह से रेडी मिलूंगी.
मैंने कहा- इस बात को याद रखना जान … कहीं मुकर न जाना.


वो विस्मय से मरी तरफ देखने लगी- इस बात का क्या मतलब हुआ डार्लिंग?
मैंने कहा- कोई ख़ास बात नहीं है जान. बस तुम्हारा यदि मन हो, तो क्या हम दोनों दो दो पैग का मजा ले सकते हैं?
वो हंस दी.


मैंने समझ लिया और जल्द आने का वादा करके जाने लगा.

मैं- मैं अभी कुछ समय के लिए बाहर जा रहा हूँ, समय से पहले आ जाऊंगा. तुम तैयार रहना.

उस दिन मैं पूरे दिन बाहर रहा ताकि उसकी बेचैनी और बढ़ सके.
मैं रात को भी जानबूझ कर देर से आया.


कमरे में जाकर देखा, वो पलकें बिछाए दुल्हन बनकर मेरा इंतज़ार कर रही थी.

मेरे आते ही उसने शिकायत की- दिन भर कहां रहे?
मैंने कहा- अपनी नई दुल्हन के लिए गिफ्ट लेने गया था. अब आते ही कुछ खाना-पीने की भी पूछोगी या सवाल ही करने का मूड है.


वो हंस दी और बोली- मैं अभी खाना लगाती हूँ.
मैंने जेब से एक हाफ निकाला और कहा- वादा भूल गई क्या?
वो हंस दी और गिलास नमकीन ले आई.


हम दोनों ने दो दो पैग खींचे और उसके बाद उसने खाना लगा दिया.
फिर हम दोनों ने पहले कुछ पेट पूजा की और अब उसे चोदने कि बारी आ गई थी.


मैं उसे अपनी गोद में उठा कर कमरे में ले गया.

उसे बिस्तर पर बिठा कर मैंने पहले उसे कुछ बातें की, उसका दिल बहलाया.
इसके बाद मैं सबसे पहले उसको मुँह दिखाई में एक गोल्ड चैन दी.
जिसे पाकर उसने मेरे चेहरे पर चुम्मियों की बौछार कर दी.


हम दोनों के होंठ आपस में मिल गए.
हमारी ये किस काफी लंबी चली.


इसी बीच में मैंने उसकी साड़ी ब्लाउज पेटीकोट सब उतार कर उसे पूर्ण नग्न कर दिया.
साथ में मैंने अपने कपड़े भी उतार दिए और सिर्फ अंडरवियर में रह गया.


अपनी साली के होंठों का रसपान करते हुए मैं धीरे धीरे नीचे आता गया.

गर्दन के नीचे आया तो मैंने उसकी 36 इंच की मस्त चूचियों के निप्पलों को पीना शुरू कर दिया.

वो इस्स इस्स करके मुझे अपने दूध चुसवा रही थी.

मैंने बारी बारी से उसके दोनों चूचों के रस को निचोड़ कर मजा लिया.

फिर नीचे आते हुए उसकी नाभि में जीभ चलाकर उसकी बेचैनी इतनी ज्यादा बढ़ा दी कि उसने अपने हाथ को मेरे लंड पर रख दिया.

वो मेरे लंड को अंडरवियर से निकाल कर सहलाने लगी जिससे मेरी भी आह निकल गयी.
फिर धीरे धीरे नीचे होते हुए उसकी रसदार चूत पर अभी जीभ फिरा दी.


वो एकदम से उछल गई और मैं चूत को ऊपर ही चाटने लगा.
इतने में ही उसकी चूत ने अमृत की धारा बहा दी.

फिर मैं उसकी टांगों के बीच में आ गया और टांगों को फैलाकर अपनी जीभ से उसकी चूत की फांकों को खोलकर उसमें अन्दर बाहर करने लगा.
वो एकदम से कसमसा उठी और मेरे सिर को अपनी चूत में दबाने लगी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: मेरी चचेरी विधवा बहन की कामुकता - by neerathemall - 05-12-2024, 09:20 PM



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