05-12-2024, 03:36 PM
हम तीनों हंसने लगे.
दूसरी बियर भी खत्म होने वाली थी.
हम तीनों ही मस्त हो गए थे.
रात भी काफ़ी हो गई थी.
अभी तक छत पर ही खुले आसमान के नीचे बैठे थे.
तभी वाइफ बोली- चलो दी, खाना खा खाकर सोते हैं.
ममता दीदी बोलीं- खाना यहीं ले आ … देख कितना अच्छा लग रहा है यहां … और वैसे भी आज मुझे ऊपर ही सोना है!
मैंने कहा- यहां आप अकेली सोओगी?
वे बोलीं- तुम लोग यार बहुत शोर करते हो … सोने ही नहीं देते हो. कल मैं 3 बजे सो पाई थी!
वाइफ बोली- अच्छा, हम लोग ज़्यादा हल्ला करते हैं … और आप? आप दोनों लोग जब घर आए थे, तो पूरा घर उठ जाता था इतना शोर करती थीं … आं … ऊं … और पता नहीं क्या क्या! वैसे आज हम लोग करेंगे भी नहीं.
मैंने कहा- दीदी यह सच है क्या?
तो वे बोलीं- इसे ज़्यादा पता होगा … सुनती होगी न कान लगाकर. उसी से तो सीखा होगा!
हम दोनों हंसने लगे.
दीदी बोलीं- वैसे कविता तेरी सिसकारियां कुछ ज़्यादा ही तेज थीं.
बीवी बोली- दीदी ये निकाल ही देते हैं चीख … मैं क्या करूँ!
उसकी मासूमियत पर हम सब हंसने लगे.
मेरी नज़र दीदी के बूब्स और घुटनों तक आने वाली उनकी नाइटी के नीचे नंगी गोरी गोरी टांगों पर टिकी थी.
मैं बातों बातों में मज़ाक का बहाना करके उनकी जाँघ पर हाथ मार दे रहा था.
वे कुछ नहीं बोल रही थीं.
वाइफ बोली- तुम लोगों का खाना लाकर रख देती हूँ और मैं सोने जा रही हूँ.
थोड़ी देर में उसने खाना लाकर रख दिया और चली गई.
हम दोनों बातें करते रहे.
मैंने एक सिगरेट सुलगाई और दो कश लेने के बाद सिगरेट उनकी ओर बढ़ा दी.
उन्होंने भी दो कश लिए और मुझे वापस दे दी.
मैंने अपने मुँह से सिगरेट लगाकर मज़ाक में कहा- इसका टेस्ट अब और अच्छा हो गया!
वे बोलीं- कैसे?
मैंने कहा- आपके होंठों का टेस्ट जो मिल गया इसमें.
दीदी ने शरारत से मेरी जांघ पर एक चिकोटी काटी, पर बोलीं कुछ नहीं.
तभी उन्होंने फोन उठाया और मुझसे बोलीं- आओ कुछ सिखाती हूँ तुम्हें!
मैंने अपनी चेयर उनसे सटा ली और फोन में देखने लगा.
वे अपने कॉलेज के दिनों की फोटो दिखा रही थीं … और बता रही थीं कि कैसे लड़के मुझ पर और कविता पर लाइन मारते थे.
मैंने कहा- वैसे आप शुरू से ही पटाखा थीं. किसी से कुछ आगे हुआ भी था या केवल लाइन ही मरवाती रहीं?
वे बोलीं- असली पटाखा तो तुम ले गए … कविता तो शुरू से बहुत सेक्सी है.
मैंने कहा- अच्छा?
वे बोलीं- तुम्हें अभी तक पता नहीं चला?
मैंने कहा- पता चल गया … रोज लेकर सोती है. आज पता नहीं कैसे नींद आएगी उसे!
उन्होंने फिर से चिकोटी काटी और बोलीं- तुम भी ना!
मैं जानबूझकर दीदी से सटने की कोशिश कर रहा था. अपना हाथ उनके हाथ से टच करा रहा था.
वे भी शांत आसमान में देखती हुई सिगरेट के कश मार रही थीं.
मैंने अपना एक हाथ उनके बूब्स से टच किया.
वे कुछ नहीं बोलीं, बस हल्के से मेरी ओर देखकर मुस्कुराईं.
इस मुस्कान से मुझे ग्रीन सिग्नल मिल गया था.
मैंने अपनी पूरी हथेली उनके एक दूध पर रख दी और नाइटी के ऊपर से दबाने लगा.
वे बोलीं- पहले और अब में कुछ अंतर लगा?
मैंने कहा- पहले सीधे कॉंटॅक्ट में था, अभी कपड़े के ऊपर से है.
वे बोलीं- तो कोई बाहर से आएगा आपके लिए कपड़ा हटाने के लिए?
मैं समझ गया कि आज गर्मी अन्दर भरी पड़ी है.
मैंने अपना हाथ नाइटी के गले से अन्दर डाल कर सीधा उनके एक दूध को पकड़ा और दबाने लगा.
वे चुपचाप आंखें बंद करके चेयर की टेक लगाकर बैठी रहीं.
मैंने उनके सामने खड़े होकर नाइटी पैरों को ओर से उठाकर पूरी निकाल दी.
अब वे सिर्फ़ ब्रा और पैंटी में मेरे सामने बैठी थीं.
मैंने अपने होंठ उनके होंठों पर रखकर एक जोरदार स्मूच किया और हाथ पीछे ले जाकर ब्रा का हुक खोल दिया.
उनके दोनों बड़े बड़े दूध मेरे सामने नंगे लटक रहे थे.
मैं उन्हें हाथ में भरकर सहला रहा था.
वे आंख से कुछ इशारा करके बोलीं.
तो मैं समझ गया और अपना मुँह लगा कर एक निप्पल को चूसने लगा.
वे मादक सिसकारी भरने लगीं.
फिर एक हाथ नीचे पैंटी में ले जाकर चूत के ऊपर से सहलाने लगा.
उनकी चूत गीली हो चुकी थी.
मैंने अपनी एक उंगली धीरे से चूत के छेद में घुसा दी.
वे कराह कर बोलीं- आआह … सीईई … सब यहीं कर लोगे क्या?
मैंने कहा- खुले में यहीं करने दो.
यह कहते हुए मैंने उनकी पैंटी भी निकाल दी.
वे अपना हाथ मेरे शॉर्ट के अन्दर ले गईं और मेरा लंड पकड़ कर बाहर निकाल लिया.
लंड की साइज़ देख कर दीदी बोलीं- ओह माय गॉड … कितना मस्त है … कविता बहुत लकी है, जो रोज इसे लेती है.
एक पल उन्होंने लंड को अपनी मुट्ठी से भींचा और अगले ही पल दीदी ने झुक कर लंड को अपने मुँह में भर लिया.
वे लंड को आइसक्रीम की तरह चूसने लगीं.
मैंने अपना शॉर्ट नीचे सरका दिया और पूरा नंगा हो गया.
नंगे होकर लंड चुसवाने में बेहद मजा आ रहा था.
कुछ देर तक लंड को लपर लपर ककर चूसने के बाद Xxx साली बोलीं- अब डाल दो!
मैंने कहा- कहाँ?
वे बोलीं- जहां कविता की में डालते हो.
मैंने नंगी साली को तुरंत घोड़ी बनाया और अपना लंड पीछे से उनकी चूत के छेद पर सैट कर दिया.
दूसरी बियर भी खत्म होने वाली थी.
हम तीनों ही मस्त हो गए थे.
रात भी काफ़ी हो गई थी.
अभी तक छत पर ही खुले आसमान के नीचे बैठे थे.
तभी वाइफ बोली- चलो दी, खाना खा खाकर सोते हैं.
ममता दीदी बोलीं- खाना यहीं ले आ … देख कितना अच्छा लग रहा है यहां … और वैसे भी आज मुझे ऊपर ही सोना है!
मैंने कहा- यहां आप अकेली सोओगी?
वे बोलीं- तुम लोग यार बहुत शोर करते हो … सोने ही नहीं देते हो. कल मैं 3 बजे सो पाई थी!
वाइफ बोली- अच्छा, हम लोग ज़्यादा हल्ला करते हैं … और आप? आप दोनों लोग जब घर आए थे, तो पूरा घर उठ जाता था इतना शोर करती थीं … आं … ऊं … और पता नहीं क्या क्या! वैसे आज हम लोग करेंगे भी नहीं.
मैंने कहा- दीदी यह सच है क्या?
तो वे बोलीं- इसे ज़्यादा पता होगा … सुनती होगी न कान लगाकर. उसी से तो सीखा होगा!
हम दोनों हंसने लगे.
दीदी बोलीं- वैसे कविता तेरी सिसकारियां कुछ ज़्यादा ही तेज थीं.
बीवी बोली- दीदी ये निकाल ही देते हैं चीख … मैं क्या करूँ!
उसकी मासूमियत पर हम सब हंसने लगे.
मेरी नज़र दीदी के बूब्स और घुटनों तक आने वाली उनकी नाइटी के नीचे नंगी गोरी गोरी टांगों पर टिकी थी.
मैं बातों बातों में मज़ाक का बहाना करके उनकी जाँघ पर हाथ मार दे रहा था.
वे कुछ नहीं बोल रही थीं.
वाइफ बोली- तुम लोगों का खाना लाकर रख देती हूँ और मैं सोने जा रही हूँ.
थोड़ी देर में उसने खाना लाकर रख दिया और चली गई.
हम दोनों बातें करते रहे.
मैंने एक सिगरेट सुलगाई और दो कश लेने के बाद सिगरेट उनकी ओर बढ़ा दी.
उन्होंने भी दो कश लिए और मुझे वापस दे दी.
मैंने अपने मुँह से सिगरेट लगाकर मज़ाक में कहा- इसका टेस्ट अब और अच्छा हो गया!
वे बोलीं- कैसे?
मैंने कहा- आपके होंठों का टेस्ट जो मिल गया इसमें.
दीदी ने शरारत से मेरी जांघ पर एक चिकोटी काटी, पर बोलीं कुछ नहीं.
तभी उन्होंने फोन उठाया और मुझसे बोलीं- आओ कुछ सिखाती हूँ तुम्हें!
मैंने अपनी चेयर उनसे सटा ली और फोन में देखने लगा.
वे अपने कॉलेज के दिनों की फोटो दिखा रही थीं … और बता रही थीं कि कैसे लड़के मुझ पर और कविता पर लाइन मारते थे.
मैंने कहा- वैसे आप शुरू से ही पटाखा थीं. किसी से कुछ आगे हुआ भी था या केवल लाइन ही मरवाती रहीं?
वे बोलीं- असली पटाखा तो तुम ले गए … कविता तो शुरू से बहुत सेक्सी है.
मैंने कहा- अच्छा?
वे बोलीं- तुम्हें अभी तक पता नहीं चला?
मैंने कहा- पता चल गया … रोज लेकर सोती है. आज पता नहीं कैसे नींद आएगी उसे!
उन्होंने फिर से चिकोटी काटी और बोलीं- तुम भी ना!
मैं जानबूझकर दीदी से सटने की कोशिश कर रहा था. अपना हाथ उनके हाथ से टच करा रहा था.
वे भी शांत आसमान में देखती हुई सिगरेट के कश मार रही थीं.
मैंने अपना एक हाथ उनके बूब्स से टच किया.
वे कुछ नहीं बोलीं, बस हल्के से मेरी ओर देखकर मुस्कुराईं.
इस मुस्कान से मुझे ग्रीन सिग्नल मिल गया था.
मैंने अपनी पूरी हथेली उनके एक दूध पर रख दी और नाइटी के ऊपर से दबाने लगा.
वे बोलीं- पहले और अब में कुछ अंतर लगा?
मैंने कहा- पहले सीधे कॉंटॅक्ट में था, अभी कपड़े के ऊपर से है.
वे बोलीं- तो कोई बाहर से आएगा आपके लिए कपड़ा हटाने के लिए?
मैं समझ गया कि आज गर्मी अन्दर भरी पड़ी है.
मैंने अपना हाथ नाइटी के गले से अन्दर डाल कर सीधा उनके एक दूध को पकड़ा और दबाने लगा.
वे चुपचाप आंखें बंद करके चेयर की टेक लगाकर बैठी रहीं.
मैंने उनके सामने खड़े होकर नाइटी पैरों को ओर से उठाकर पूरी निकाल दी.
अब वे सिर्फ़ ब्रा और पैंटी में मेरे सामने बैठी थीं.
मैंने अपने होंठ उनके होंठों पर रखकर एक जोरदार स्मूच किया और हाथ पीछे ले जाकर ब्रा का हुक खोल दिया.
उनके दोनों बड़े बड़े दूध मेरे सामने नंगे लटक रहे थे.
मैं उन्हें हाथ में भरकर सहला रहा था.
वे आंख से कुछ इशारा करके बोलीं.
तो मैं समझ गया और अपना मुँह लगा कर एक निप्पल को चूसने लगा.
वे मादक सिसकारी भरने लगीं.
फिर एक हाथ नीचे पैंटी में ले जाकर चूत के ऊपर से सहलाने लगा.
उनकी चूत गीली हो चुकी थी.
मैंने अपनी एक उंगली धीरे से चूत के छेद में घुसा दी.
वे कराह कर बोलीं- आआह … सीईई … सब यहीं कर लोगे क्या?
मैंने कहा- खुले में यहीं करने दो.
यह कहते हुए मैंने उनकी पैंटी भी निकाल दी.
वे अपना हाथ मेरे शॉर्ट के अन्दर ले गईं और मेरा लंड पकड़ कर बाहर निकाल लिया.
लंड की साइज़ देख कर दीदी बोलीं- ओह माय गॉड … कितना मस्त है … कविता बहुत लकी है, जो रोज इसे लेती है.
एक पल उन्होंने लंड को अपनी मुट्ठी से भींचा और अगले ही पल दीदी ने झुक कर लंड को अपने मुँह में भर लिया.
वे लंड को आइसक्रीम की तरह चूसने लगीं.
मैंने अपना शॉर्ट नीचे सरका दिया और पूरा नंगा हो गया.
नंगे होकर लंड चुसवाने में बेहद मजा आ रहा था.
कुछ देर तक लंड को लपर लपर ककर चूसने के बाद Xxx साली बोलीं- अब डाल दो!
मैंने कहा- कहाँ?
वे बोलीं- जहां कविता की में डालते हो.
मैंने नंगी साली को तुरंत घोड़ी बनाया और अपना लंड पीछे से उनकी चूत के छेद पर सैट कर दिया.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
