04-12-2024, 03:20 PM
जब मैं 19 साल का था। मेरी मौसी की लड़की, हमारे यहाँ जागरण में आई थी। उसका रंग बिल्कुल दूध जैसा साफ़ है। उसका साइज़ 32-26-36 का था।
उसका नाम कल्पना (काल्पनिक नाम) है, तब उसकी उम्र 18 साल थी।
हमारे बीच में सब कुछ सामान्य था.. पर जागरण की अगली रात कुछ ऐसा हुआ, जो मैंने कभी सोचा भी नहीं था।
जागरण के अगले दिन सारे रिश्तेदार अपने-अपने घर चले गए थे, घर में कुछ रिश्तेदार ही बचे थे।
उसमें से एक मेरी मौसी की लड़की थी।
उस रात सबके सोने का इंतजाम मैंने ही किया था।
जगह कम होने के कारण वह मेरे ही कमरे में सो गई, मेरे कमरे में और भी बाकी के रिश्तेदार थे।
रात को लगभग 12 बजे मेरी आँख खुली, देखा कि कोई मेरे होंठों पर उंगली फेर रहा था।
लाइट बंद होने के कारण मुझे कुछ नहीं दिखा.. लेकिन मेरे पास सिर्फ़ मेरी बहन ही सोई थी, तो मुझे यह समझते देर नहीं लगी कि वो कौन हो सकता है।
मैंने धीरे से पूछा- ये क्या कर रही हो?
तो उसने कुछ ना बोल कर मेरे होंठों पर किस कर लिया।
फिर मैं भी कहाँ पीछे रहने वाला था, मैंने भी उसका साथ देना चालू कर दिया।
थोड़ी देर किस करने के बाद मैंने उसके शर्ट को ऊपर उठा दिया और उसके मम्मों को पीने लगा।
क्या मस्त मम्मे थे.. बता नहीं सकता.. बिल्कुल गोल और सख्त.. सच में मज़ा आ गया।
फिर थोड़ी देर मम्मों को चूसने के बाद मैंने उसकी सलवार में हाथ डालना चाहा.. तो उसने मुझे रोकते हुए बताया कि वो पीरियड से चल रही है और उसने मुझे उससे आगे कुछ नहीं करने दिया।
मैंने भी ज्यादा ज़ोर नहीं दिया।
उस रात हमने खूब चूमा-चाटी और मैंने उसके मम्मों को खूब चूसा।
वो अगले दिन अपने घर जाने से पहले मुझे वहाँ आने के लिए बोल कर चली गई।
कुछ दिन बाद मैं वहाँ गया और वो जैसे मेरा ही इंतजार कर रही थी।
मैं मौसी के घर पहुँच कर सबसे मिला और रात को खाना खाने के बाद उसने मुझे अपने वाले कमरे में ही सोने के लिए बोला और मेरा बिस्तर अपने कमरे में लगा लिया।
वहाँ हमारे साथ उसकी छोटी बहन भी सो गई।
रात को करीब एक बजे मेरी आँख खुली तो मैंने कल्पना को कहा- मेरे बिस्तर पर आ जाओ।
वो तो जैसे मेरे बोलने का इंतजार ही कर रही थी.. वो तुरंत उठ कर मेरे पास आ गई।
मैंने उसके आते ही चुम्बन करना चालू कर दिया और उसके मम्मों को चूसने लगा, जिससे वह गर्म हो गई और ‘उह.. आह.. उम..’ की सेक्सी आवाज़ निकालने लगी।
मैंने उससे बोला- थोड़ा धीरे आवाज़ करो.. रीना (उसकी छोटी बहन) यहीं सो रही है।
उसने कहा- क्या करूँ यार.. आवाज़ अपने आप निकल रही है।
क्या बोलूं दोस्तो.. मेरे पास शब्द नहीं है बोलने के लिए.. कि कितना मज़ा आ रहा था।
उसका नाम कल्पना (काल्पनिक नाम) है, तब उसकी उम्र 18 साल थी।
हमारे बीच में सब कुछ सामान्य था.. पर जागरण की अगली रात कुछ ऐसा हुआ, जो मैंने कभी सोचा भी नहीं था।
जागरण के अगले दिन सारे रिश्तेदार अपने-अपने घर चले गए थे, घर में कुछ रिश्तेदार ही बचे थे।
उसमें से एक मेरी मौसी की लड़की थी।
उस रात सबके सोने का इंतजाम मैंने ही किया था।
जगह कम होने के कारण वह मेरे ही कमरे में सो गई, मेरे कमरे में और भी बाकी के रिश्तेदार थे।
रात को लगभग 12 बजे मेरी आँख खुली, देखा कि कोई मेरे होंठों पर उंगली फेर रहा था।
लाइट बंद होने के कारण मुझे कुछ नहीं दिखा.. लेकिन मेरे पास सिर्फ़ मेरी बहन ही सोई थी, तो मुझे यह समझते देर नहीं लगी कि वो कौन हो सकता है।
मैंने धीरे से पूछा- ये क्या कर रही हो?
तो उसने कुछ ना बोल कर मेरे होंठों पर किस कर लिया।
फिर मैं भी कहाँ पीछे रहने वाला था, मैंने भी उसका साथ देना चालू कर दिया।
थोड़ी देर किस करने के बाद मैंने उसके शर्ट को ऊपर उठा दिया और उसके मम्मों को पीने लगा।
क्या मस्त मम्मे थे.. बता नहीं सकता.. बिल्कुल गोल और सख्त.. सच में मज़ा आ गया।
फिर थोड़ी देर मम्मों को चूसने के बाद मैंने उसकी सलवार में हाथ डालना चाहा.. तो उसने मुझे रोकते हुए बताया कि वो पीरियड से चल रही है और उसने मुझे उससे आगे कुछ नहीं करने दिया।
मैंने भी ज्यादा ज़ोर नहीं दिया।
उस रात हमने खूब चूमा-चाटी और मैंने उसके मम्मों को खूब चूसा।
वो अगले दिन अपने घर जाने से पहले मुझे वहाँ आने के लिए बोल कर चली गई।
कुछ दिन बाद मैं वहाँ गया और वो जैसे मेरा ही इंतजार कर रही थी।
मैं मौसी के घर पहुँच कर सबसे मिला और रात को खाना खाने के बाद उसने मुझे अपने वाले कमरे में ही सोने के लिए बोला और मेरा बिस्तर अपने कमरे में लगा लिया।
वहाँ हमारे साथ उसकी छोटी बहन भी सो गई।
रात को करीब एक बजे मेरी आँख खुली तो मैंने कल्पना को कहा- मेरे बिस्तर पर आ जाओ।
वो तो जैसे मेरे बोलने का इंतजार ही कर रही थी.. वो तुरंत उठ कर मेरे पास आ गई।
मैंने उसके आते ही चुम्बन करना चालू कर दिया और उसके मम्मों को चूसने लगा, जिससे वह गर्म हो गई और ‘उह.. आह.. उम..’ की सेक्सी आवाज़ निकालने लगी।
मैंने उससे बोला- थोड़ा धीरे आवाज़ करो.. रीना (उसकी छोटी बहन) यहीं सो रही है।
उसने कहा- क्या करूँ यार.. आवाज़ अपने आप निकल रही है।
क्या बोलूं दोस्तो.. मेरे पास शब्द नहीं है बोलने के लिए.. कि कितना मज़ा आ रहा था।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.