04-12-2024, 03:09 PM
(This post was last modified: 05-12-2024, 02:55 PM by neerathemall. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
रिश्तेदार की शादी में बहन की चुदाई
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हमारा पूरा परिवार गांव में एक शादी में शामिल होने के लिए गया था. वहां पर मेरी खाला (मां की बहन) के परिवार के लोग भी आए हुए थे. उनके साथ में उनकी लड़की जोकि मेरी ही उम्र की है, वो भी आयी थी. उसका नाम शबनम (बदला हुआ) था.
शबनम दिखने में कोई बहुत ज्यादा खूबसूरत तो नहीं थी, पर उसका बदन बड़ा ही खूबसूरत और मादक था.
जब मैंने उसे पहली बार देखा, तो मुझे उसके चेहरे को देख कर तो कुछ भी नहीं हुआ. मैं बस यूं ही खाला से बात करने लगा. शबनम पास में ही खड़ी थी.
तभी उसका दुपट्टा सरक गया और उसी पल मेरी निगाहें उसके मम्मों पर चली गईं. उसके चूचे वास्तव में बड़े मस्त थे. शबनम ने जो सूट पहना हुआ था, उसकी कुर्ती का गला कुछ ज्यादा ही गहरा था. जिस वजह से मुझे उसके भरे हुए मम्मों की दरार दिख गई.
उसने मेरी नजरें अपने मम्मों को देखते हुए देखीं, उसने झट से अपना दुपट्टा सही कर लिया. मैंने भी उनकी चूचियों से निगाहें हटा लीं.
हालांकि मैंने तो अब तक ये सोचा ही नहीं था कि इसे चोद पाऊंगा. पर उस दिन मेरी किस्मत में शायद यही लिखा था.
उस दिन शबनम ने जो दुपट्टा गिराया था, वो कोई संयोग से गिरा था या उसकी ही मर्जी से दुपट्टा उसके मम्मों से हटा था, ये मैं समझ नहीं पा रहा था.
इस घटना के बाद से मैं उसको कुछ ज्यादा ही घूरने लगा था और वो भी मेरे साथ बात करने का एक भी मौक़ा नहीं छोड़ रही थी. शायद उसे मुझसे कुछ मिलने की उम्मीद हो गई थी.
शादी में हम सभी ने बहुत मस्ती की. शादी में जब हम लोग डांस कर रहे थे, तब मेरी बहन शबनम, मुझसे बहुत ही चिपक रही थी. मैंने उसे ज्यादा भाव नहीं दिया और शादी में अपनी मस्ती में लगा रहा.
देर रात में शादी के बाद दुल्हन को विदा किया गया. विदाई के बाद हम सब घर पर आ गए. रात काफी हो चुकी थी, तो मैं एक कमरे में आया. उधर कोई नहीं था. मैं सीधा बिस्तर पर लेट गया.
कुछ ही मिनट हुए होंगे कि उधर मेरी बहन शबनम भी आ गई. मुझे लेटा देख कर वो मेरे बगल में बैठ गई.
थोड़ी देर शांत रहने के बाद मैंने ही उससे पूछा- कैसी रही शादी?
उसने मेरी तरफ देखा और कहा- क्यों तुम शादी में नहीं थे क्या? जो मुझसे पूछ रहे हो?
मैंने कहा- मैं था तो … पर मेरा ध्यान कहीं और था.
शबनम- अच्छा … कहां ध्यान था तुम्हारा? कहीं किसी को पटाने के चक्कर में तो नहीं थे न!
मैं- नहीं यार … पटाता किसे … तुमसे ज्यादा खूबसूरत कोई लगी ही नहीं.
शबनम- अच्छा जी … अब कोई और मिला नहीं क्या … जो मुझ पर डोरे डाल रहे हो?
मैं- मिला होता, तो अभी उसके साथ होता … तुम्हारे साथ नहीं.
शबनम- अच्छा..! क्या करते उसके साथ रह कर?
मैं- वही, जो आज शादी की रात को होने वाला है. दोनों पति पत्नी के बीच में..
शबनम- अच्छा मतलब तुम्हें पता है … क्या होता है शादी की पहली रात को?
मैं- हां … क्यों तुम्हें नहीं पता है क्या … कहो तो बता देता हूं.
शबनम- अच्छा जी, अब अपनी बहन को ही सिखाओगे.
मैं- मैं तुम्हें क्या सिखा सकता हूँ … तुम्हारी बात से लग रहा है कि तुम सीखी सिखाई हो.
शबनम एकदम से मुझे मारने को हुई. मैं हंसता हुआ एक तरफ सरक गया और वो मेरे पहलू में गिर गई.
वो आधी उठते हुए बोली- तुम्हें मालूम भी है कि आज क्या होता है?
मैं- इसका मतलब तुम्हें पता है कि आज रात में क्या होता है. तुम तो सीखी हो ही ना.
शबनम मुस्कुराते हुए बोली- हां मुझे पता तो है … पर सीखी से क्या मतलब है … मैंने कभी कुछ किया ही नहीं है.
मैं- तो करना है? यदि करना हो तो बताओ … तुम्हारी वो इच्छा भी पूरी कर सकता हूँ.
शबनम ने मेरे पहलू में लेटते हुए कहा- करने का मन तो है … पर मैंने सुना है … उसमें बहुत दर्द होता है.
मैंने उसे अपनी तरफ आने की जगह देते हुए कहा- तुम फ़िक्र मत करो, मैं बहुत आराम से करूँगा.
शबनम ने मेरे चेहरे पर अपनी एक उंगली फिराते हुए कहा- पर किसी को पता चल गया तो?
मैंने भी उसकी बांह को सहलाते हुए कहा- क्यों तुम किसी को बताने वाली हो क्या?
शबनम- मेरे चेहरे पर अपनी गरम सांस छोड़ते हुए बोली- ना जी ना … मैं क्यों किसी को बताने जाउंगी … मरना है क्या मुझे.
मैंने उसे थामा और कुछ इस तरह से मसला कि उसकी कसक महसूस होने लगी. मैंने कहा- तो फिर बाहर देख कर आओ … सब सो गए क्या … या नहीं … और आते समय कुण्डी लगा कर आना.
वो बिना कुछ बोले उठी और सीधा बाहर निकल गई. तकरीबन 5 मिनट में पूरे घर का चक्कर लगा कर वापस आ गई.
कमरे में आते ही उसने दरवाजा बंद कर दिया और मेरे साथ बिस्तर पर आ गई.
मैं- क्या हुआ? कोई जाग रहा है क्या?
शबनम दिखने में कोई बहुत ज्यादा खूबसूरत तो नहीं थी, पर उसका बदन बड़ा ही खूबसूरत और मादक था.
जब मैंने उसे पहली बार देखा, तो मुझे उसके चेहरे को देख कर तो कुछ भी नहीं हुआ. मैं बस यूं ही खाला से बात करने लगा. शबनम पास में ही खड़ी थी.
तभी उसका दुपट्टा सरक गया और उसी पल मेरी निगाहें उसके मम्मों पर चली गईं. उसके चूचे वास्तव में बड़े मस्त थे. शबनम ने जो सूट पहना हुआ था, उसकी कुर्ती का गला कुछ ज्यादा ही गहरा था. जिस वजह से मुझे उसके भरे हुए मम्मों की दरार दिख गई.
उसने मेरी नजरें अपने मम्मों को देखते हुए देखीं, उसने झट से अपना दुपट्टा सही कर लिया. मैंने भी उनकी चूचियों से निगाहें हटा लीं.
हालांकि मैंने तो अब तक ये सोचा ही नहीं था कि इसे चोद पाऊंगा. पर उस दिन मेरी किस्मत में शायद यही लिखा था.
उस दिन शबनम ने जो दुपट्टा गिराया था, वो कोई संयोग से गिरा था या उसकी ही मर्जी से दुपट्टा उसके मम्मों से हटा था, ये मैं समझ नहीं पा रहा था.
इस घटना के बाद से मैं उसको कुछ ज्यादा ही घूरने लगा था और वो भी मेरे साथ बात करने का एक भी मौक़ा नहीं छोड़ रही थी. शायद उसे मुझसे कुछ मिलने की उम्मीद हो गई थी.
शादी में हम सभी ने बहुत मस्ती की. शादी में जब हम लोग डांस कर रहे थे, तब मेरी बहन शबनम, मुझसे बहुत ही चिपक रही थी. मैंने उसे ज्यादा भाव नहीं दिया और शादी में अपनी मस्ती में लगा रहा.
देर रात में शादी के बाद दुल्हन को विदा किया गया. विदाई के बाद हम सब घर पर आ गए. रात काफी हो चुकी थी, तो मैं एक कमरे में आया. उधर कोई नहीं था. मैं सीधा बिस्तर पर लेट गया.
कुछ ही मिनट हुए होंगे कि उधर मेरी बहन शबनम भी आ गई. मुझे लेटा देख कर वो मेरे बगल में बैठ गई.
थोड़ी देर शांत रहने के बाद मैंने ही उससे पूछा- कैसी रही शादी?
उसने मेरी तरफ देखा और कहा- क्यों तुम शादी में नहीं थे क्या? जो मुझसे पूछ रहे हो?
मैंने कहा- मैं था तो … पर मेरा ध्यान कहीं और था.
शबनम- अच्छा … कहां ध्यान था तुम्हारा? कहीं किसी को पटाने के चक्कर में तो नहीं थे न!
मैं- नहीं यार … पटाता किसे … तुमसे ज्यादा खूबसूरत कोई लगी ही नहीं.
शबनम- अच्छा जी … अब कोई और मिला नहीं क्या … जो मुझ पर डोरे डाल रहे हो?
मैं- मिला होता, तो अभी उसके साथ होता … तुम्हारे साथ नहीं.
शबनम- अच्छा..! क्या करते उसके साथ रह कर?
मैं- वही, जो आज शादी की रात को होने वाला है. दोनों पति पत्नी के बीच में..
शबनम- अच्छा मतलब तुम्हें पता है … क्या होता है शादी की पहली रात को?
मैं- हां … क्यों तुम्हें नहीं पता है क्या … कहो तो बता देता हूं.
शबनम- अच्छा जी, अब अपनी बहन को ही सिखाओगे.
मैं- मैं तुम्हें क्या सिखा सकता हूँ … तुम्हारी बात से लग रहा है कि तुम सीखी सिखाई हो.
शबनम एकदम से मुझे मारने को हुई. मैं हंसता हुआ एक तरफ सरक गया और वो मेरे पहलू में गिर गई.
वो आधी उठते हुए बोली- तुम्हें मालूम भी है कि आज क्या होता है?
मैं- इसका मतलब तुम्हें पता है कि आज रात में क्या होता है. तुम तो सीखी हो ही ना.
शबनम मुस्कुराते हुए बोली- हां मुझे पता तो है … पर सीखी से क्या मतलब है … मैंने कभी कुछ किया ही नहीं है.
मैं- तो करना है? यदि करना हो तो बताओ … तुम्हारी वो इच्छा भी पूरी कर सकता हूँ.
शबनम ने मेरे पहलू में लेटते हुए कहा- करने का मन तो है … पर मैंने सुना है … उसमें बहुत दर्द होता है.
मैंने उसे अपनी तरफ आने की जगह देते हुए कहा- तुम फ़िक्र मत करो, मैं बहुत आराम से करूँगा.
शबनम ने मेरे चेहरे पर अपनी एक उंगली फिराते हुए कहा- पर किसी को पता चल गया तो?
मैंने भी उसकी बांह को सहलाते हुए कहा- क्यों तुम किसी को बताने वाली हो क्या?
शबनम- मेरे चेहरे पर अपनी गरम सांस छोड़ते हुए बोली- ना जी ना … मैं क्यों किसी को बताने जाउंगी … मरना है क्या मुझे.
मैंने उसे थामा और कुछ इस तरह से मसला कि उसकी कसक महसूस होने लगी. मैंने कहा- तो फिर बाहर देख कर आओ … सब सो गए क्या … या नहीं … और आते समय कुण्डी लगा कर आना.
वो बिना कुछ बोले उठी और सीधा बाहर निकल गई. तकरीबन 5 मिनट में पूरे घर का चक्कर लगा कर वापस आ गई.
कमरे में आते ही उसने दरवाजा बंद कर दिया और मेरे साथ बिस्तर पर आ गई.
मैं- क्या हुआ? कोई जाग रहा है क्या?
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.