04-12-2024, 03:05 PM
(This post was last modified: 05-12-2024, 12:17 PM by neerathemall. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
दीदी की चुत में मैंने उंगली कर दी, तो वो बोलीं- धीरे करो … और अभी ज्यादा मत करो. सबको सो जाने दो. बाद में अच्छे से कर लेना. अभी तू चाहे, तो तुझे मैं अपने दूध पिला सकती हूँ.
मैंने चुत में उंगली घुसी रहने दी और दूध की तरफ मुँह कर लिया.
दीदी ने अपनी ब्रा ऊपर करके मेरे मुँह में एक थन दे दिया.
मैं किसी छोटे बच्चे की तरह उनके एक दूध को चूसने लगा.
दीदी अपनी चूची चुसाई के मज़े लेने लगी थीं. दीदी को मस्ती तो चढ़ रही थी मगर वो आवाज़ नहीं निकाल सकती थीं क्योंकि सब जाग रहे थे.
कुछ समय बीता तो सबकी बातें खत्म हो गईं और अब सब सोने लगे थे.
अब मुझसे रहा नहीं गया. मैंने दीदी को जकड़ लिया और उन्हें किस करने लगा.
कुछ ही देर में सब गहरी नींद में सो गए थे और हम दोनों मज़े मार रहे थे.
मेरा एक हाथ दीदी की चूचियों पर चल रहा था और दूसरा हाथ उनकी चुत को टटोल रहा था.
दीदी टांगें फैला कर अपनी चुत रगड़ाई और चूची मसलाई के पूरे मज़े ले रही थीं.
काफ़ी देर तक यूं ही एक दूसरे को मजे देने के बाद मैंने दीदी से कहा- अब मुझसे रहा नहीं जा रहा दी, मुझे चुत चोदनी है.
वो बोलीं- ठीक है, हम पास के स्टोर रूम में चलते हैं, वहां कोई नहीं आता जाता है.
मैंने कहा- ठीक है.
हम दोनों ने अपने अपने कपड़े ठीक किए और उठने को रेडी हो गए.
दीदी बोलीं- पहले तू चल … मैं आती हूँ.
मैं धीरे से उठ कर स्टोर रूम की तरफ आ गया.
एक मिनट बाद दीदी भी आ गईं.
हम दोनों जैसे ही स्टोर रूम में पहुंचे, मैंने दीदी को कस कर पकड़ लिया और किस करने लगा, उनके मम्मों को दबाने लगा.
वो बोलीं- पहले दरवाजा तो बंद कर देने दे … बावला क्यों हुआ जा रहा है.
मैंने कहा- आप कपड़े उतारो, मैं बंद करके आता हूँ.
मैंने जाकर पहले दरवाजा बंद कर दिया और स्टोर रूम का ज़ीरो वाट का बल्व जला दिया.
अब मैं दीदी के पास गया तो उन्होंने अपने कपड़े नहीं उतारे थे.
मैंने दीदी की तरफ देखा तो उन्होंने कहा- अब तू ही उतार दे.
उनकी शॉर्ट्स मैंने उतार दी और ऊपर की टी-शर्ट भी हटा दी.
अब वो बस पैंटी और ब्रा में थीं.
फिर उन्होंने खुद ही अपनी पैंटी और ब्रा को भी निकाल दिया.
मेरी आंखें खुली की खुली रह गईं.
उनकी गुलाबी चुत और बड़े बड़े बूब्स देख कर मैं पागल सा हो गया.
सच में दीदी बड़ी हॉट लग रही थीं.
मैंने उनकी नंगी जवानी देख कर झट से अपने पूरे कपड़े उतार दिए और नंगा हो गया.
मेरा लंड एकदम टाईट था.
दीदी ने लंड देख कर उंगली से इशारा किया तो मैं उनके करीब आया और अपना लौड़ा दीदी के मुँह में दे दिया.
वे मेरे लंड को लॉलीपॉप की तरह चूसने लगीं.
कुछ देर बाद मैंने दीदी को नीचे चित लेटने को कहा और जैसे ही वो अपनी टांगें खोल कर लेटीं, मैं उनकी चुत चाटने लगा.
वो बोलीं- जो भी तुझे करना है, जल्दी कर ले … कोई जाग गया तो सब खेल खराब हो जाएगा.
बस फिर क्या था … मैंने दीदी की टांगें फैलाईं और अपना लंड दीदी की चुत में पेल दिया.
लंड पेलने के साथ ही मैंने उनके मुँह पर अपना मुँह रख दिया था ताकि वो जोर से आवाज़ ना कर सकें.
जैसे ही मैंने अपना लौड़ा अन्दर डाला, दीदी दर्द से कराहने लगीं और मुझे पीछे धकेलने लगीं.
पर अब मैं कहां रुकने वाला था. मैं जोर जोर से लंड अन्दर बाहर करने लगा.
कुछ देर बाद दीदी को आराम पड़ गया और अब वो मस्ती से मेरा साथ देने लगी थीं.
दस मिनट की धकापेल चुदाई के बाद वो झड़ गईं और उन्होंने मुझे कस कर पकड़ लिया.
तभी मैं भी झड़ गया और हम दोनों किस करने लगे.
मैंने चुत में उंगली घुसी रहने दी और दूध की तरफ मुँह कर लिया.
दीदी ने अपनी ब्रा ऊपर करके मेरे मुँह में एक थन दे दिया.
मैं किसी छोटे बच्चे की तरह उनके एक दूध को चूसने लगा.
दीदी अपनी चूची चुसाई के मज़े लेने लगी थीं. दीदी को मस्ती तो चढ़ रही थी मगर वो आवाज़ नहीं निकाल सकती थीं क्योंकि सब जाग रहे थे.
कुछ समय बीता तो सबकी बातें खत्म हो गईं और अब सब सोने लगे थे.
अब मुझसे रहा नहीं गया. मैंने दीदी को जकड़ लिया और उन्हें किस करने लगा.
कुछ ही देर में सब गहरी नींद में सो गए थे और हम दोनों मज़े मार रहे थे.
मेरा एक हाथ दीदी की चूचियों पर चल रहा था और दूसरा हाथ उनकी चुत को टटोल रहा था.
दीदी टांगें फैला कर अपनी चुत रगड़ाई और चूची मसलाई के पूरे मज़े ले रही थीं.
काफ़ी देर तक यूं ही एक दूसरे को मजे देने के बाद मैंने दीदी से कहा- अब मुझसे रहा नहीं जा रहा दी, मुझे चुत चोदनी है.
वो बोलीं- ठीक है, हम पास के स्टोर रूम में चलते हैं, वहां कोई नहीं आता जाता है.
मैंने कहा- ठीक है.
हम दोनों ने अपने अपने कपड़े ठीक किए और उठने को रेडी हो गए.
दीदी बोलीं- पहले तू चल … मैं आती हूँ.
मैं धीरे से उठ कर स्टोर रूम की तरफ आ गया.
एक मिनट बाद दीदी भी आ गईं.
हम दोनों जैसे ही स्टोर रूम में पहुंचे, मैंने दीदी को कस कर पकड़ लिया और किस करने लगा, उनके मम्मों को दबाने लगा.
वो बोलीं- पहले दरवाजा तो बंद कर देने दे … बावला क्यों हुआ जा रहा है.
मैंने कहा- आप कपड़े उतारो, मैं बंद करके आता हूँ.
मैंने जाकर पहले दरवाजा बंद कर दिया और स्टोर रूम का ज़ीरो वाट का बल्व जला दिया.
अब मैं दीदी के पास गया तो उन्होंने अपने कपड़े नहीं उतारे थे.
मैंने दीदी की तरफ देखा तो उन्होंने कहा- अब तू ही उतार दे.
उनकी शॉर्ट्स मैंने उतार दी और ऊपर की टी-शर्ट भी हटा दी.
अब वो बस पैंटी और ब्रा में थीं.
फिर उन्होंने खुद ही अपनी पैंटी और ब्रा को भी निकाल दिया.
मेरी आंखें खुली की खुली रह गईं.
उनकी गुलाबी चुत और बड़े बड़े बूब्स देख कर मैं पागल सा हो गया.
सच में दीदी बड़ी हॉट लग रही थीं.
मैंने उनकी नंगी जवानी देख कर झट से अपने पूरे कपड़े उतार दिए और नंगा हो गया.
मेरा लंड एकदम टाईट था.
दीदी ने लंड देख कर उंगली से इशारा किया तो मैं उनके करीब आया और अपना लौड़ा दीदी के मुँह में दे दिया.
वे मेरे लंड को लॉलीपॉप की तरह चूसने लगीं.
कुछ देर बाद मैंने दीदी को नीचे चित लेटने को कहा और जैसे ही वो अपनी टांगें खोल कर लेटीं, मैं उनकी चुत चाटने लगा.
वो बोलीं- जो भी तुझे करना है, जल्दी कर ले … कोई जाग गया तो सब खेल खराब हो जाएगा.
बस फिर क्या था … मैंने दीदी की टांगें फैलाईं और अपना लंड दीदी की चुत में पेल दिया.
लंड पेलने के साथ ही मैंने उनके मुँह पर अपना मुँह रख दिया था ताकि वो जोर से आवाज़ ना कर सकें.
जैसे ही मैंने अपना लौड़ा अन्दर डाला, दीदी दर्द से कराहने लगीं और मुझे पीछे धकेलने लगीं.
पर अब मैं कहां रुकने वाला था. मैं जोर जोर से लंड अन्दर बाहर करने लगा.
कुछ देर बाद दीदी को आराम पड़ गया और अब वो मस्ती से मेरा साथ देने लगी थीं.
दस मिनट की धकापेल चुदाई के बाद वो झड़ गईं और उन्होंने मुझे कस कर पकड़ लिया.
तभी मैं भी झड़ गया और हम दोनों किस करने लगे.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.