04-12-2024, 03:04 PM
(This post was last modified: 05-12-2024, 12:15 PM by neerathemall. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
चालू चचेरी बहन शादी से पहले दिन चुद गयी
.
गांव में मेरे चाचा की बड़ी लड़की यानि मेरी बड़ी बहन की शादी थी तो मैं और मेरा पूरा परिवार गांव आ गया था.
हम सब शादी वाले घर पहुंच गए, वहां शादी को लेकर काफ़ी अफ़रा-तफ़री मची हुई थी.
मैं और मेरी मां, बड़ी बहन से मिलने जा रहे थे.
तभी मेरी मां बीच में ही रिश्तेदारों से बात करने में उलझ गईं.
मां ने मुझसे कहा- तुम अपनी बहन से मिल आओ, मैं अभी आती हूँ.
मैंने कहा- ठीक है.
मैं बहन के कमरे की तरफ बढ़ गया.
जब मैं उनके कमरे के पास गया, तो कुछ आवाज़ आ रही थीं. कमरे का दरवाजा और खिड़की बंद थी, तो मैं पीछे वाले खिड़की के पास गया. मैंने देखा तो मेरी आंखें खुली की खुली रह गईं.
अन्दर दीदी सेक्स में मस्त थीं. उनके साथ एक नौजवान लड़का था.
मैंने समझ लिया कि ये दीदी का ब्वॉयफ्रेंड होगा.
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दीदी के ब्वॉयफ्रेंड का बहुत बड़ा लंड था जिसे दीदी अपने मुँह में ले रही थीं.
सचमुच काफ़ी बड़ा लौड़ा था, लगभग 8 इंच लम्बा लंड रहा होगा.
कुछ देर बाद दीदी ने मुँह से लंड निकाला और इशारा किया कि अब चुदाई करो.
बस दीदी के ब्वॉयफ्रेंड ने उन्हें घोड़ी स्टाइल में खड़ा किया और दीदी के पीछे से लंड चुत में पेल दिया.
लंड चुत में घुसा, तो दीदी जोर से चिल्ला उठीं.
मगर दीदी के ब्वॉयफ्रेंड पर मानो कोई असर ही नहीं हुआ था.
वो जोर जोर से लंड अन्दर बाहर करते हुए दीदी की चुत चोदने लगा. वो दीदी के दर्द को देख ही नहीं रहा था.
दीदी जोर जोर से चीख रही थीं और उनकी चूचियां गजब हिल रही थीं.
इस मस्त चुदाई को देख कर मेरा हाथ मेरे लंड पर चला गया और मैं अपने लंड को हिलाने लगा.
लगभग 15 मिनट बाद वो दोनों झड़ गए.
दीदी के ब्वॉयफ्रेंड ने दीदी को किस किया और उन्हीं के बाजू में लेट गया.
कुछ देर बाद दीदी अपने ब्वॉयफ्रेंड से बोलीं- अब तुम यहां से जल्दी चले जाओ, कोई आ जाएगा तो बड़ी दिक्कत हो जाएगी.
अब तक मेरे लंड महाराज सलामी देने लगे थे.
मैंने खुद को संभाला और अपने कपड़े ठीक कर लिए.
दीदी का ब्वॉयफ्रेंड भी अपने कपड़े पहन चुका था. तभी मेरी और दीदी की नज़र एक हो गईं.
पहले तो एकदम से घबरा सी गईं, फिर उन्होंने मुस्कुरा कर मुझे अन्दर आने का इशारा कर दिया.
तब तक दीदी का ब्वॉयफ्रेंड पिछला दरवाजा खोल कर बाहर चला गया था.
मैं अन्दर आया तो वो अपनी पैंटी पहन रही थीं.
दीदी ने मुझे देखते ही पूछा- क्या तूने कभी सेक्स नहीं किया है?
मैंने ना में सर हिला दिया.
दीदी बोलीं- चल मैं आज तुझे चुदाई का मज़ा दूंगी, लेकिन किसी को बताना मत … और ये जो तूने अभी था वो समझ ले कि देखा ही नहीं था. यदि ये बात सभी के सामने आ गई तो मेरी शादी टूट जाएगी.
मैंने कहा- आप बेफिक्र रहें दीदी, मैं किसी को नहीं बताऊंगा.
दीदी ने कहा- चल आज रात को तुझे सेक्स का मजा दूंगी. जब हम सब लोग रात को छत पर सोने जाएंगे, तब तुझे मैं चुदाई का मजा दूंगी.
मैंने हामी भर दी और अब मुझे रात होने का इंतजार था.
शाम को सबका खाना खत्म होते ही मुझे इस बात की जल्दी थी कि सब सोने कब जाने वाले हैं.
कुछ देर बाद वो घड़ी आ गई, जब सब सोने को जाने को हो गए.
मेरे मन में अब कुछ बेचैनी बढ़ गई थी और दीदी की चुत चुदाई का सपना गहराने लगा था, ख़ुशी के लड्डू फूट रहे थे.
सब सोने चले गए.
मुझे छत पर सोना था तो मैंने मम्मी से कहा- मुझे नीचे घुटन होती है, मैं छत पर ही सोऊंगा.
मम्मी ने मुझे डांटा- बेटा ऐसा नहीं कहते … सबके साथ नीचे ही सो जाना.
मगर दीदी बोलीं- कोई बात नहीं, छत पर ही आ जाने दो … मेरे पास जगह है. वैसे भी हम कुछ ही दिन साथ में हैं, फिर मैं शादी के बाद चली जाऊंगी.
मैंने भी किसी नहीं सुनी और मैं सीधा दीदी के पीछे पीछे चला गया.
मेरी मम्मी बड़बड़ा रही थीं कि आजकल ये लड़का बड़ा जिद्दी हो गया है.
दीदी मुझे लेटने की कह कर बाथरूम में चली गईं और दो मिनट बाद मेरे साथ लेट गईं.
मैं और दीदी अब एक ही कंबल में थे.
उनके कंबल में घुसते ही मैंने देखा कि दीदी ने ऊपर टी-शर्ट और नीचे शॉर्ट्स पहना हुआ था.
तभी लाइट चली गई, सब तरफ अंधेरा हो गया.
मुझे इसका फायदा उठाना था.
छत पर कुछ औरतें बातें कर रही थीं.
मैंने दीदी के ऊपर धीरे धीरे हाथ फेरना चालू कर दिया. फिर धीरे से मैंने नीचे से हाथ अन्दर डाला और उनके एक दूध को पकड़ कर दबाना शुरू कर दिया.
मुझे दीदी के दूध बहुत बड़े महसूस हुए. फिर मैंने एक हाथ दीदी की टी-शर्ट के अन्दर डाला और उनके मम्मों को ब्रा के ऊपर से दबाने लगा.
दीदी मुझसे अपने मम्मे मसलवा रही थीं और उन औरतों से बातें भी कर रही थीं.
उनकी बातों से किसी को कुछ पता ही नहीं चल रहा था कि कंबल के अन्दर कुछ चल रहा है.
अब मैंने अपने हाथ को उनके दूध से हटाया और नीचे हाथ लाकर उनकी शॉर्ट्स के बटन खोल दिए.
मेरा हाथ चुत के पास आ गया था. मैंने दीदी की पैंटी के अन्दर फूली हुई चुत के ऊपर हाथ लगाया तो उनकी चुत बहुत गीली थी.
मैंने चड्डी के अन्दर हाथ डालकर चुत पर हाथ फेरा तो दीदी की चुत एकदम क्लीन थी.
हम सब शादी वाले घर पहुंच गए, वहां शादी को लेकर काफ़ी अफ़रा-तफ़री मची हुई थी.
मैं और मेरी मां, बड़ी बहन से मिलने जा रहे थे.
तभी मेरी मां बीच में ही रिश्तेदारों से बात करने में उलझ गईं.
मां ने मुझसे कहा- तुम अपनी बहन से मिल आओ, मैं अभी आती हूँ.
मैंने कहा- ठीक है.
मैं बहन के कमरे की तरफ बढ़ गया.
जब मैं उनके कमरे के पास गया, तो कुछ आवाज़ आ रही थीं. कमरे का दरवाजा और खिड़की बंद थी, तो मैं पीछे वाले खिड़की के पास गया. मैंने देखा तो मेरी आंखें खुली की खुली रह गईं.
अन्दर दीदी सेक्स में मस्त थीं. उनके साथ एक नौजवान लड़का था.
मैंने समझ लिया कि ये दीदी का ब्वॉयफ्रेंड होगा.
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सचमुच काफ़ी बड़ा लौड़ा था, लगभग 8 इंच लम्बा लंड रहा होगा.
कुछ देर बाद दीदी ने मुँह से लंड निकाला और इशारा किया कि अब चुदाई करो.
बस दीदी के ब्वॉयफ्रेंड ने उन्हें घोड़ी स्टाइल में खड़ा किया और दीदी के पीछे से लंड चुत में पेल दिया.
लंड चुत में घुसा, तो दीदी जोर से चिल्ला उठीं.
मगर दीदी के ब्वॉयफ्रेंड पर मानो कोई असर ही नहीं हुआ था.
वो जोर जोर से लंड अन्दर बाहर करते हुए दीदी की चुत चोदने लगा. वो दीदी के दर्द को देख ही नहीं रहा था.
दीदी जोर जोर से चीख रही थीं और उनकी चूचियां गजब हिल रही थीं.
इस मस्त चुदाई को देख कर मेरा हाथ मेरे लंड पर चला गया और मैं अपने लंड को हिलाने लगा.
लगभग 15 मिनट बाद वो दोनों झड़ गए.
दीदी के ब्वॉयफ्रेंड ने दीदी को किस किया और उन्हीं के बाजू में लेट गया.
कुछ देर बाद दीदी अपने ब्वॉयफ्रेंड से बोलीं- अब तुम यहां से जल्दी चले जाओ, कोई आ जाएगा तो बड़ी दिक्कत हो जाएगी.
अब तक मेरे लंड महाराज सलामी देने लगे थे.
मैंने खुद को संभाला और अपने कपड़े ठीक कर लिए.
दीदी का ब्वॉयफ्रेंड भी अपने कपड़े पहन चुका था. तभी मेरी और दीदी की नज़र एक हो गईं.
पहले तो एकदम से घबरा सी गईं, फिर उन्होंने मुस्कुरा कर मुझे अन्दर आने का इशारा कर दिया.
तब तक दीदी का ब्वॉयफ्रेंड पिछला दरवाजा खोल कर बाहर चला गया था.
मैं अन्दर आया तो वो अपनी पैंटी पहन रही थीं.
दीदी ने मुझे देखते ही पूछा- क्या तूने कभी सेक्स नहीं किया है?
मैंने ना में सर हिला दिया.
दीदी बोलीं- चल मैं आज तुझे चुदाई का मज़ा दूंगी, लेकिन किसी को बताना मत … और ये जो तूने अभी था वो समझ ले कि देखा ही नहीं था. यदि ये बात सभी के सामने आ गई तो मेरी शादी टूट जाएगी.
मैंने कहा- आप बेफिक्र रहें दीदी, मैं किसी को नहीं बताऊंगा.
दीदी ने कहा- चल आज रात को तुझे सेक्स का मजा दूंगी. जब हम सब लोग रात को छत पर सोने जाएंगे, तब तुझे मैं चुदाई का मजा दूंगी.
मैंने हामी भर दी और अब मुझे रात होने का इंतजार था.
शाम को सबका खाना खत्म होते ही मुझे इस बात की जल्दी थी कि सब सोने कब जाने वाले हैं.
कुछ देर बाद वो घड़ी आ गई, जब सब सोने को जाने को हो गए.
मेरे मन में अब कुछ बेचैनी बढ़ गई थी और दीदी की चुत चुदाई का सपना गहराने लगा था, ख़ुशी के लड्डू फूट रहे थे.
सब सोने चले गए.
मुझे छत पर सोना था तो मैंने मम्मी से कहा- मुझे नीचे घुटन होती है, मैं छत पर ही सोऊंगा.
मम्मी ने मुझे डांटा- बेटा ऐसा नहीं कहते … सबके साथ नीचे ही सो जाना.
मगर दीदी बोलीं- कोई बात नहीं, छत पर ही आ जाने दो … मेरे पास जगह है. वैसे भी हम कुछ ही दिन साथ में हैं, फिर मैं शादी के बाद चली जाऊंगी.
मैंने भी किसी नहीं सुनी और मैं सीधा दीदी के पीछे पीछे चला गया.
मेरी मम्मी बड़बड़ा रही थीं कि आजकल ये लड़का बड़ा जिद्दी हो गया है.
दीदी मुझे लेटने की कह कर बाथरूम में चली गईं और दो मिनट बाद मेरे साथ लेट गईं.
मैं और दीदी अब एक ही कंबल में थे.
उनके कंबल में घुसते ही मैंने देखा कि दीदी ने ऊपर टी-शर्ट और नीचे शॉर्ट्स पहना हुआ था.
तभी लाइट चली गई, सब तरफ अंधेरा हो गया.
मुझे इसका फायदा उठाना था.
छत पर कुछ औरतें बातें कर रही थीं.
मैंने दीदी के ऊपर धीरे धीरे हाथ फेरना चालू कर दिया. फिर धीरे से मैंने नीचे से हाथ अन्दर डाला और उनके एक दूध को पकड़ कर दबाना शुरू कर दिया.
मुझे दीदी के दूध बहुत बड़े महसूस हुए. फिर मैंने एक हाथ दीदी की टी-शर्ट के अन्दर डाला और उनके मम्मों को ब्रा के ऊपर से दबाने लगा.
दीदी मुझसे अपने मम्मे मसलवा रही थीं और उन औरतों से बातें भी कर रही थीं.
उनकी बातों से किसी को कुछ पता ही नहीं चल रहा था कि कंबल के अन्दर कुछ चल रहा है.
अब मैंने अपने हाथ को उनके दूध से हटाया और नीचे हाथ लाकर उनकी शॉर्ट्स के बटन खोल दिए.
मेरा हाथ चुत के पास आ गया था. मैंने दीदी की पैंटी के अन्दर फूली हुई चुत के ऊपर हाथ लगाया तो उनकी चुत बहुत गीली थी.
मैंने चड्डी के अन्दर हाथ डालकर चुत पर हाथ फेरा तो दीदी की चुत एकदम क्लीन थी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.