04-12-2024, 02:57 PM
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उसको नंगा हो कर अपना सब कुछ दिखाया था, उसको भी पूरी तरह से नंगी देखा था, एक दो बार उसने मेरा लंड अपने हाथ में पकड़ कर भी देखा था, उससे खेला, थोड़ी से मेरी मुट्ठ भी मारी, मेरे लंड की चमड़ी को पीछे हटा कर मेरे लंड का टोपा बाहर निकाल कर भी देखा था।
इसके इलावा एक दूसरे के होंठ चूमना आम था। मगर फिर भी इस से आगे नहीं बढ़ पाये थे, कभी सेक्स नहीं किया।
या यूँ कहें कि करने से डरते थे।
मगर यह बात ज़रूर थी कि सेक्स दोनों ही करना चाहते थे मगर अपनी नासमझी की वजह से कर नहीं पाये।
मुझे तो सब याद था, याद तो मीनू को भी होगा मगर वो ऐसे दिखा रही थी जैसे उसे कुछ याद नहीं है।
‘भैया पुरानी बात छोड़ो, अब हम बड़े हो चुके हैं, समझदार हो चुके हैं, अब हमे अकलमंदी से काम लेना चाहिए और अपने बिगड़े हुये रिश्तों को सुधारना चाहिए।’ मीनू ने मेरी बात को काट कर अपनी बात कही।
मैंने सोचा ऐसे तो ये मानेगी नहीं, अगर ये मानती है तो ठीक नहीं तो सीधा सीधा इस से कह दूँगा कि भाड़ में गई रिश्तेदारी, अगर देती है तो ठीक नहीं तो दफा हो जा, कौन सा इससे रिश्तेदारी रखनी है, या आगे बढ़ानी है।
मैं बार बार उसे पुराने वक़्त की यादें दिला रहा था और वो बार बार बचती जा रही थी।
उसको नंगा हो कर अपना सब कुछ दिखाया था, उसको भी पूरी तरह से नंगी देखा था, एक दो बार उसने मेरा लंड अपने हाथ में पकड़ कर भी देखा था, उससे खेला, थोड़ी से मेरी मुट्ठ भी मारी, मेरे लंड की चमड़ी को पीछे हटा कर मेरे लंड का टोपा बाहर निकाल कर भी देखा था।
इसके इलावा एक दूसरे के होंठ चूमना आम था। मगर फिर भी इस से आगे नहीं बढ़ पाये थे, कभी सेक्स नहीं किया।
या यूँ कहें कि करने से डरते थे।
मगर यह बात ज़रूर थी कि सेक्स दोनों ही करना चाहते थे मगर अपनी नासमझी की वजह से कर नहीं पाये।
मुझे तो सब याद था, याद तो मीनू को भी होगा मगर वो ऐसे दिखा रही थी जैसे उसे कुछ याद नहीं है।
‘भैया पुरानी बात छोड़ो, अब हम बड़े हो चुके हैं, समझदार हो चुके हैं, अब हमे अकलमंदी से काम लेना चाहिए और अपने बिगड़े हुये रिश्तों को सुधारना चाहिए।’ मीनू ने मेरी बात को काट कर अपनी बात कही।
मैंने सोचा ऐसे तो ये मानेगी नहीं, अगर ये मानती है तो ठीक नहीं तो सीधा सीधा इस से कह दूँगा कि भाड़ में गई रिश्तेदारी, अगर देती है तो ठीक नहीं तो दफा हो जा, कौन सा इससे रिश्तेदारी रखनी है, या आगे बढ़ानी है।
मैं बार बार उसे पुराने वक़्त की यादें दिला रहा था और वो बार बार बचती जा रही थी।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.