04-12-2024, 02:56 PM
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दरअसल मेरी मौसी की लड़की है मीनू, वो करीब 15 साल बाद हमारे घर आई, शादी हो चुकी है उसकी, 2 बच्चे भी हैं।
आज की तारीख में उसकी उम्र होगी कोई 30 साल।
तो जब वो हमारे घर आई, इतने सालों बाद, तब मेरी बीवी भी गर्मियों की छुट्टियों में अपने मायके गई हुई थी, मगर माँ बाबूजी भाई भाभी बाकी लोग सब घर में थे, बीवी घर न थी और मैं अकेला लंड!
और ऊपर से मौसी की लड़की आई तो बड़ी ज़ोर से गले लग के मिली, बहुत रोई भी- भैया आप हमसे मिलते नहीं, आते जाते नहीं, बहुत दिल तड़पता था, आपको मिलने को!
ये… वो… और न जाने क्या क्या बोली!
मगर मुझे तो कुछ और ही फीलिंग आई, जब मेरे सीने से लगी तो उसके मोटे मोटे चूचे भी मेरे सीने से लगे, तो मेरे मन में पहले ख्याल यह आया कि इसके ये बड़े बड़े चूचे चूसने को मिल जाएँ तो मज़ा आ जाए।
खैर मैंने उसको कोई खास तवज्जो नहीं दी।
बात दरअसल यह थी कि जायदाद के बंटवारे को लेकर हमारे परिवारों में आपसी रंजिशबाजी थी इसलिए हमारा एक दूसरे के घर आना जाना बिल्कुल बंद हो गया था, कभी कभार किस खुशी गमी के मौके मिलते तो भी एक दूसरे को देख कर नज़रें चुरा लेते।
मुझे यह समझ में नहीं आया कि अब ये प्यार कहाँ से जाग गया।
मैं तो उसके बाद ऊपर अपने कमरे में आ कर बैठ गया और टीवी देखने लगा।टीवी में दिल न लगा तो कम्प्यूटर
सेक्सी कहानी पढ़ी तो लंड जी महाराज उठ खड़े हुये। मुझे तो यह था कि ऊपर मेरे कमरे में कोई नहीं आता, इसलिए लोअर नीचे करके मैंने अपना लंड बाहर निकाला और कहानी पढ़ते पढ़ते उसे सहलाने लगा।
मगर मेरे दिमाग में रह रह कर मीनू का ख्याल आने लगा, मेरी इच्छा हो रही थी कि मीनू को कैसे पटाऊँ, रिश्ते में तो वो मेरी बहन लगती है, मगर अब जिस बहन से कोई प्यार नहीं, कोई रिश्ता नहीं, वो भी कैसी बहन।
तभी मुझे लगा जैसे बाहर कोई आया है।
मैंने झटपट अपना लंड अपने लोअर के अंदर डाला, कम्प्यूटर बंद किया और उठ कर देखा, बाहर मीनू खड़ी थी।
मैंने दरवाजा खोल कर उसे अंदर बुलाया।
लंड मेरा अब भी खड़ा था और लोअर से साफ दिख रहा था।
मीनू ने भी अंदर आते समय मेरे खड़े लंड पर निगाह मार ली थी।
मैं वापिस अपनी कुर्सी पर बैठ गया और कम्प्यूटर पर अपने ऑफिस का काम करने लगा, और ऐसा दिखाने लगा कि मुझे उसके आने से कोई खास खुशी नहीं है।
मीनू बोली- कैसे हो भैया?
मैंने कहा- ठीक हूँ।
‘अभी तक नाराज़ हो?’ वो बोली।
मैंने कहा- नहीं, नाराजगी कैसी।
मीनू- तो उस तरफ मुँह किए क्यों बैठे हो?
बात तो दरअसल यह थी कि मैं तो अपना खड़ा लंड छुपा कर बैठा था।
मैं थोड़ा सा उसकी तरफ घूमा- कोई खास बात कहनी है क्या?
मैंने थोड़ा बेरुखी से पूछा।
‘क्यों आगे क्या हम सिर्फ खास बातें ही किया करते थे? मीनू बोली।
‘देखो मीनू…’ मैंने कहा- अब वो सब कुछ खत्म हो चुका है, अब ऐसा कुछ भी नहीं बचा, जो तुम आज 15 साल बाद आकर दुबारा ज़िंदा करना चाहती हो, जो रिश्ता 15 साल पहले खत्म हो चुका है, उसे दुबारा शुरू करने की मैं कोई वजह नहीं समझता।
मीनू बोली- भैया याद, जब हम पहले छुट्टियों में आपके घर आते थे या आप हमारे घर आते थे, तो कितने मज़े करते थे।
मैंने कहा- हाँ करते थे, पर वो तो कोई 20 साल पहले की बातें है, तब हम छोटे थे, उम्र कम थी, नादान थे, अच्छा बुरा नहीं समझते थे, वो बचपन की बातें हैं।
मीनू बोली- तो क्या वक़्त के साथ वो सब बातें भी खत्म हो गई, आप कितना प्यार करते थे मुझसे।
मैंने कहा- देखो मीनू, इन 15 सालों में मैं शादीशुदा हो चुका हूँ, तुम भी शादी कर चुकी हो, दोनों बाल बच्चेदार हो गए, मगर क्या कभी हमारे परिवार एक दूसरे के शादी ब्याह में आए, नहीं न? तो अब ऐसा क्या रह गया हमारे बीच, और जो कुछ हुआ था, वो भी नादानी थी।
मैंने एक छोटा सा तीर फेंका, क्योंकि कोई समय था जब हम दोनों आपस में काफी आगे बढ़ गए थे और भाई बहन के रिश्ते का हर नियम तोड़ दिया था।
मुझे अच्छे से याद है, मैं मीनू से 5-6 साल बड़ा हूँ, और जब कभी भी हम अकेले में मिले थे तो मैं अक्सर खेलते खेलते मौका मिलते ही उसके बोबे दबा देता था, कभी ज़्यादा देर के लिए अकेले रहने का मौका मिल जाता तो उसकी चूत चाटता था, सिर्फ इतना ही नहीं वो भी कभी कभी खुद ही कह देती थी- भैया, चाटोगे?
दरअसल मेरी मौसी की लड़की है मीनू, वो करीब 15 साल बाद हमारे घर आई, शादी हो चुकी है उसकी, 2 बच्चे भी हैं।
आज की तारीख में उसकी उम्र होगी कोई 30 साल।
तो जब वो हमारे घर आई, इतने सालों बाद, तब मेरी बीवी भी गर्मियों की छुट्टियों में अपने मायके गई हुई थी, मगर माँ बाबूजी भाई भाभी बाकी लोग सब घर में थे, बीवी घर न थी और मैं अकेला लंड!
और ऊपर से मौसी की लड़की आई तो बड़ी ज़ोर से गले लग के मिली, बहुत रोई भी- भैया आप हमसे मिलते नहीं, आते जाते नहीं, बहुत दिल तड़पता था, आपको मिलने को!
ये… वो… और न जाने क्या क्या बोली!
मगर मुझे तो कुछ और ही फीलिंग आई, जब मेरे सीने से लगी तो उसके मोटे मोटे चूचे भी मेरे सीने से लगे, तो मेरे मन में पहले ख्याल यह आया कि इसके ये बड़े बड़े चूचे चूसने को मिल जाएँ तो मज़ा आ जाए।
खैर मैंने उसको कोई खास तवज्जो नहीं दी।
बात दरअसल यह थी कि जायदाद के बंटवारे को लेकर हमारे परिवारों में आपसी रंजिशबाजी थी इसलिए हमारा एक दूसरे के घर आना जाना बिल्कुल बंद हो गया था, कभी कभार किस खुशी गमी के मौके मिलते तो भी एक दूसरे को देख कर नज़रें चुरा लेते।
मुझे यह समझ में नहीं आया कि अब ये प्यार कहाँ से जाग गया।
मैं तो उसके बाद ऊपर अपने कमरे में आ कर बैठ गया और टीवी देखने लगा।टीवी में दिल न लगा तो कम्प्यूटर
सेक्सी कहानी पढ़ी तो लंड जी महाराज उठ खड़े हुये। मुझे तो यह था कि ऊपर मेरे कमरे में कोई नहीं आता, इसलिए लोअर नीचे करके मैंने अपना लंड बाहर निकाला और कहानी पढ़ते पढ़ते उसे सहलाने लगा।
मगर मेरे दिमाग में रह रह कर मीनू का ख्याल आने लगा, मेरी इच्छा हो रही थी कि मीनू को कैसे पटाऊँ, रिश्ते में तो वो मेरी बहन लगती है, मगर अब जिस बहन से कोई प्यार नहीं, कोई रिश्ता नहीं, वो भी कैसी बहन।
तभी मुझे लगा जैसे बाहर कोई आया है।
मैंने झटपट अपना लंड अपने लोअर के अंदर डाला, कम्प्यूटर बंद किया और उठ कर देखा, बाहर मीनू खड़ी थी।
मैंने दरवाजा खोल कर उसे अंदर बुलाया।
लंड मेरा अब भी खड़ा था और लोअर से साफ दिख रहा था।
मीनू ने भी अंदर आते समय मेरे खड़े लंड पर निगाह मार ली थी।
मैं वापिस अपनी कुर्सी पर बैठ गया और कम्प्यूटर पर अपने ऑफिस का काम करने लगा, और ऐसा दिखाने लगा कि मुझे उसके आने से कोई खास खुशी नहीं है।
मीनू बोली- कैसे हो भैया?
मैंने कहा- ठीक हूँ।
‘अभी तक नाराज़ हो?’ वो बोली।
मैंने कहा- नहीं, नाराजगी कैसी।
मीनू- तो उस तरफ मुँह किए क्यों बैठे हो?
बात तो दरअसल यह थी कि मैं तो अपना खड़ा लंड छुपा कर बैठा था।
मैं थोड़ा सा उसकी तरफ घूमा- कोई खास बात कहनी है क्या?
मैंने थोड़ा बेरुखी से पूछा।
‘क्यों आगे क्या हम सिर्फ खास बातें ही किया करते थे? मीनू बोली।
‘देखो मीनू…’ मैंने कहा- अब वो सब कुछ खत्म हो चुका है, अब ऐसा कुछ भी नहीं बचा, जो तुम आज 15 साल बाद आकर दुबारा ज़िंदा करना चाहती हो, जो रिश्ता 15 साल पहले खत्म हो चुका है, उसे दुबारा शुरू करने की मैं कोई वजह नहीं समझता।
मीनू बोली- भैया याद, जब हम पहले छुट्टियों में आपके घर आते थे या आप हमारे घर आते थे, तो कितने मज़े करते थे।
मैंने कहा- हाँ करते थे, पर वो तो कोई 20 साल पहले की बातें है, तब हम छोटे थे, उम्र कम थी, नादान थे, अच्छा बुरा नहीं समझते थे, वो बचपन की बातें हैं।
मीनू बोली- तो क्या वक़्त के साथ वो सब बातें भी खत्म हो गई, आप कितना प्यार करते थे मुझसे।
मैंने कहा- देखो मीनू, इन 15 सालों में मैं शादीशुदा हो चुका हूँ, तुम भी शादी कर चुकी हो, दोनों बाल बच्चेदार हो गए, मगर क्या कभी हमारे परिवार एक दूसरे के शादी ब्याह में आए, नहीं न? तो अब ऐसा क्या रह गया हमारे बीच, और जो कुछ हुआ था, वो भी नादानी थी।
मैंने एक छोटा सा तीर फेंका, क्योंकि कोई समय था जब हम दोनों आपस में काफी आगे बढ़ गए थे और भाई बहन के रिश्ते का हर नियम तोड़ दिया था।
मुझे अच्छे से याद है, मैं मीनू से 5-6 साल बड़ा हूँ, और जब कभी भी हम अकेले में मिले थे तो मैं अक्सर खेलते खेलते मौका मिलते ही उसके बोबे दबा देता था, कभी ज़्यादा देर के लिए अकेले रहने का मौका मिल जाता तो उसकी चूत चाटता था, सिर्फ इतना ही नहीं वो भी कभी कभी खुद ही कह देती थी- भैया, चाटोगे?
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.