03-12-2024, 10:39 PM
रेखा के होठों से गर्म गर्म सांसें निकल रही थी और कांपते हुए लहजे में कह रही थी- बस अब और मत तड़पाओ, मुझमें समा जाओ, अपना बना लो जान!
मैंने एक हाथ रेखा की कमर के पीछे डाल कर उसकी ब्रा का हुक खोल दिया.
रेखा के उन्नत बोबे आज़ाद हो गए और मैंने लपक कर उसके बोबे की निप्पल को अपने होठों की कैद में ले लिया.
रेखा के होठों से सिसकारी निकल गई.,
और मैं जैसे कोई दूध पीता हुआ बच्चा बन गया.
ऐसा बेसब्र बच्चा जो एक ही बार में सारा दूध पी लेना चाहता हो!
उसके निप्पल को कभी चूसता हुआ कभी हल्के से काटता हुआ, मैं अपना हाथ रेखा की पेंटी के अंदर डाल कर रेखा की चूत को रगड़ने लग गया.
रेखा तो जैसे पागल ही हो गई, उसकी आंखें ऐसी दिख रही थी जैसे कई पैग शराब पी रखी हो।
उसकी चूत की चिकनाई इस बात का सबूत थी कि रेखा पूरे जोश के साथ आनन्द ले रही है।
रेखा जोर जोर से मेरी पीठ को सहला रही थी और मुझे जगह जगह से काट काट कर लव बाईट के निशान छोड़ रही थी।
फिर अचानक मैंने रेखा की चूत में उंगली डाल दी.
रेखा भाभी तो जैसे मारे उत्तेजना के चीख ही पड़ी.
मैंने तुरन्त उसके होठों को अपने होठों की गिरफ्त में ले लिया।
5 मिनट तक अच्छे से चूसने के बाद मैं रेखा को चूमने लग गया, उसके स्तनों और नाभि को चूमते हुए जब मैं थोड़ा और नीचे खिसका और उसकी पेंटी के ऊपर से ही रेखा की चूत को चूमा तो रेखा पैर पटकने लग गई.
मैंने धीरे से 2 उंगलियां रेखा की पेंटी में डाली तो रेखा ने हल्की सी कमर ऊपर उठाई और पेंटी को निकल जाने दिया.
मेरी नजर रेखा की चूत पर पड़ी!
वाह … क्या शानदार चूत थी … छोटी सी चूत जिसके 2 छोटे छोटे से होंठ बने हुए थे.
एकदम रोम रहित और हल्का सा भूरापन लिए हुए एक शानदार चूत थी.
उसको देखते ही मेरा मन रेखा की देसी चूत को चाटने के लिए लालायित हो उठा और मैंने तुरन्त ही रेखा के पैर फैलाते हुए उसकी चूत पर अपने होंठ रख कर सबसे पहले रेखा की भगनासा को चूमा उसके बाद चूत के होठों को अपने होठों में भर के उनके साथ खेलने लग गया।
रेखा की चूत से गर्म गर्म पानी बह के निकल रहा था और मैं अपनी जीभ से चाट चाट कर उस सारे पानी को पीता जा रहा था।
अब रेखा की टाँगें और अधिक चौड़ी होती जा रही थी.
उसकी सिसकारियां बेतहाशा बढ़ती जा रही थी और वो अपने निचले होंठ को ऊपर वाले होंठ से काटती जा रही थी.
अचानक रेखा ने झटका दिया और पलट कर मुझे नीचे करके मेरे मुंह पर अपनी चूत को रख कर बैठ गयी.
मैं अपनी जीभ चलाता रहा.
रेखा ऊपर से ही मेरी जीभ को चोदने लग गई
वह बोलती जा रही थी- ओह जान … बड़ा मजा आ रहा है. तुम मुझे पहले क्यों नहीं मिले!
साथ ही सिसकारियां भरती हुई गर्म गर्म सांसें छोड़ती जा रही थी.
ऊपर से गिरती बारिश की बूंदें रेखा और मुझे शीतल करने की जगह और अधिक गर्म करते हुए हमारे तन बदन में आग सी लगा रही थी.
मैंने फिर से रेखा को नीचे किया और उसकी टांगों को फैला कर फिर से अपने होंठ उसकी सुलगती हुई चूत पर रख दिये और अपने हाथ की 2 उंगलियां उसकी चूत में डाल कर उंगलियों से चूत को चोदने लग गया.
रेखा बार बार अपनी कमर को उचका उचका कर नीचे करने लग गई.
अचानक रेखा ने मुझसे कहा- जान, मैं आ रही हूं, मेरा निकलने वाला है!
मैंने कहा- आ जाओ जान!
और इतना सुनते ही रेखा कमान की भांति तन गई और उसकी चूत से भल्ल भल्ल करके सफेद काम रस बहने लगा.
मैंने एक भी बूंद व्यर्थ नहीं जाने दी और रेखा की चूत से बहता हुआ सारा रज पी लिया और जीभ से चाट चाट कर रेखा की चूत को साफ भी कर दिया.
रेखा आंखें बंद किये लेटी हुई थी, उसकी सांसों की रफ्तार भी अब सामान्य हो चुकी थी.
उसने मेरी आँखों में देखा और प्यार और शर्म से देखने लगी.
मैंने उठकर रेखा के होठों पर किस किया और रेखा को गोद में उठाकर वापस नीचे उसके बेडरूम में ले आया।
रेखा बोली- मुझे पेशाब लगी है!
मैंने कहा- इसको बेकार मत करो, मुझे पीना है इसको!
यह कहकर मैं नीचे लेट गया, रेखा ऊपर आकर मेरे मुंह के पास अपनी चूत लगा कर बैठ गई.
मैंने उसकी चूत को अपने होंठों में भर लिया और रेखा ने मूतना शुरू कर दिया, मैंने उसकी चूत के मूत की एक एक बूंद पी ली.
मैंने एक हाथ रेखा की कमर के पीछे डाल कर उसकी ब्रा का हुक खोल दिया.
रेखा के उन्नत बोबे आज़ाद हो गए और मैंने लपक कर उसके बोबे की निप्पल को अपने होठों की कैद में ले लिया.
रेखा के होठों से सिसकारी निकल गई.,
और मैं जैसे कोई दूध पीता हुआ बच्चा बन गया.
ऐसा बेसब्र बच्चा जो एक ही बार में सारा दूध पी लेना चाहता हो!
उसके निप्पल को कभी चूसता हुआ कभी हल्के से काटता हुआ, मैं अपना हाथ रेखा की पेंटी के अंदर डाल कर रेखा की चूत को रगड़ने लग गया.
रेखा तो जैसे पागल ही हो गई, उसकी आंखें ऐसी दिख रही थी जैसे कई पैग शराब पी रखी हो।
उसकी चूत की चिकनाई इस बात का सबूत थी कि रेखा पूरे जोश के साथ आनन्द ले रही है।
रेखा जोर जोर से मेरी पीठ को सहला रही थी और मुझे जगह जगह से काट काट कर लव बाईट के निशान छोड़ रही थी।
फिर अचानक मैंने रेखा की चूत में उंगली डाल दी.
रेखा भाभी तो जैसे मारे उत्तेजना के चीख ही पड़ी.
मैंने तुरन्त उसके होठों को अपने होठों की गिरफ्त में ले लिया।
5 मिनट तक अच्छे से चूसने के बाद मैं रेखा को चूमने लग गया, उसके स्तनों और नाभि को चूमते हुए जब मैं थोड़ा और नीचे खिसका और उसकी पेंटी के ऊपर से ही रेखा की चूत को चूमा तो रेखा पैर पटकने लग गई.
मैंने धीरे से 2 उंगलियां रेखा की पेंटी में डाली तो रेखा ने हल्की सी कमर ऊपर उठाई और पेंटी को निकल जाने दिया.
मेरी नजर रेखा की चूत पर पड़ी!
वाह … क्या शानदार चूत थी … छोटी सी चूत जिसके 2 छोटे छोटे से होंठ बने हुए थे.
एकदम रोम रहित और हल्का सा भूरापन लिए हुए एक शानदार चूत थी.
उसको देखते ही मेरा मन रेखा की देसी चूत को चाटने के लिए लालायित हो उठा और मैंने तुरन्त ही रेखा के पैर फैलाते हुए उसकी चूत पर अपने होंठ रख कर सबसे पहले रेखा की भगनासा को चूमा उसके बाद चूत के होठों को अपने होठों में भर के उनके साथ खेलने लग गया।
रेखा की चूत से गर्म गर्म पानी बह के निकल रहा था और मैं अपनी जीभ से चाट चाट कर उस सारे पानी को पीता जा रहा था।
अब रेखा की टाँगें और अधिक चौड़ी होती जा रही थी.
उसकी सिसकारियां बेतहाशा बढ़ती जा रही थी और वो अपने निचले होंठ को ऊपर वाले होंठ से काटती जा रही थी.
अचानक रेखा ने झटका दिया और पलट कर मुझे नीचे करके मेरे मुंह पर अपनी चूत को रख कर बैठ गयी.
मैं अपनी जीभ चलाता रहा.
रेखा ऊपर से ही मेरी जीभ को चोदने लग गई
वह बोलती जा रही थी- ओह जान … बड़ा मजा आ रहा है. तुम मुझे पहले क्यों नहीं मिले!
साथ ही सिसकारियां भरती हुई गर्म गर्म सांसें छोड़ती जा रही थी.
ऊपर से गिरती बारिश की बूंदें रेखा और मुझे शीतल करने की जगह और अधिक गर्म करते हुए हमारे तन बदन में आग सी लगा रही थी.
मैंने फिर से रेखा को नीचे किया और उसकी टांगों को फैला कर फिर से अपने होंठ उसकी सुलगती हुई चूत पर रख दिये और अपने हाथ की 2 उंगलियां उसकी चूत में डाल कर उंगलियों से चूत को चोदने लग गया.
रेखा बार बार अपनी कमर को उचका उचका कर नीचे करने लग गई.
अचानक रेखा ने मुझसे कहा- जान, मैं आ रही हूं, मेरा निकलने वाला है!
मैंने कहा- आ जाओ जान!
और इतना सुनते ही रेखा कमान की भांति तन गई और उसकी चूत से भल्ल भल्ल करके सफेद काम रस बहने लगा.
मैंने एक भी बूंद व्यर्थ नहीं जाने दी और रेखा की चूत से बहता हुआ सारा रज पी लिया और जीभ से चाट चाट कर रेखा की चूत को साफ भी कर दिया.
रेखा आंखें बंद किये लेटी हुई थी, उसकी सांसों की रफ्तार भी अब सामान्य हो चुकी थी.
उसने मेरी आँखों में देखा और प्यार और शर्म से देखने लगी.
मैंने उठकर रेखा के होठों पर किस किया और रेखा को गोद में उठाकर वापस नीचे उसके बेडरूम में ले आया।
रेखा बोली- मुझे पेशाब लगी है!
मैंने कहा- इसको बेकार मत करो, मुझे पीना है इसको!
यह कहकर मैं नीचे लेट गया, रेखा ऊपर आकर मेरे मुंह के पास अपनी चूत लगा कर बैठ गई.
मैंने उसकी चूत को अपने होंठों में भर लिया और रेखा ने मूतना शुरू कर दिया, मैंने उसकी चूत के मूत की एक एक बूंद पी ली.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
