03-12-2024, 10:36 PM
एक दिन मैं अपने ससुराल के शहर में किसी काम से गया तो ससुराल के घर भी चला गया कि इसी बहाने मेरी जान रेखा को देख आऊंगा तो रात को मुठ मारने का जुगाड़ हो जाएगा।
ससुराल जाने पर पता लगा कि मेरा साला दुकान के काम से बाहर गया है, 2 दिन बाद वापस आएगा.
और मेरे सास ससुर सासुजी के मायके में किसी की मौत हो जाने की वजह से गए हुए हैं.
वे देर रात को वापस आने वाले थे.
मतलब रेखा और मैं बस और कोई नहीं, चुदाई के लिए सब माहौल बना हुआ ही था।
रेखा मेरे लिए चाय लेकर आयी और मुझे चाय देकर वहीं खड़ी होकर बातें करने लग गयी.
मैंने उससे कहा- आप भी लो चाय!
तो वह आनाकानी करने लगी- मैंने अभी पी है, बस आपके लिए ही बनाई है।
मैंने ज़िद करते हए कहा- मैं कोई काम अकेले नहीं करता. आप नहीं पीओगी तो मैं भी नहीं पिऊँगा.
तो उसने कहा- ठीक है, आधा आधा पी लेते हैं।
मैंने उसको कहा- पहले आप पीयो. लेडिज़ फर्स्ट!
तो उसने बड़ी अदा से हंसते हुए एक सिप ली.
फिर मैंने भी उसी कप से एक सिप ली.
और इस तरह दोनों ने एक दूसरे की झूठी चाय पी।
मुझे लगा आज मौका अच्छा है, चौका मार ही देना चाहिए.
मैं एक झूठी प्रमोशन की कहानी सुनाकर उसका मुंह मीठा कराने की बात कह कर बाहर मिठाई लेने चला गया और मिठाई लेकर उसमें कामोत्तेजक दवाई मिला दी।
फिर ससुराल में आकर उसी कामोत्तेजक मिली हुई मिठाई को रेखा को खिलाया.
दवाई असर करने में थोड़ा देर लगाएगी, यह सोच कर मैं रेखा से बात करने लग गया.
रेखा भी मुझसे बात करते करते ऐसे देख रही थी जैसे बिल्ली दूध की भरी हुई हांडी को देखती है।
लेकिन उसने ऐसी कोई बात नहीं जिससे मुझे आगे बढ़ने का हौसला मिले.
अंत में थक हार कर मैंने कहा- ठीक है, अब मैं चलता हूँ.
तो वह कुछ कहते कहते रुक गई और मन मसोस कर बोली- ठीक है, अगली बार दीदी को भी लेकर आना।
मैंने कहा- ठीक है!
और वापस आने के लिए निकला ही था कि बारिश शुरू हो गई, मेरे कपड़े थोड़े से गीले हो गए.
मुझे उम्मीद की नई किरण दिखाई दी.
मैं वापस लौटा और मुझे देख कर रेखा के चेहरे की रौनक लौट आई।
उसने मुझे कहा- आप कपड़े बदल लो, नहीं तो तबियत खराब हो जाएगी.
मैं बाथरूम में गया और कपड़े खोल कर एक तौलिया लपेट कर बाहर आ गया.
रेखा मेरे चौड़े रोमदार सीने को देख कर होंठों पर जीभ फेरती हुई मदहोशी भरी नजरों से देखने लगी.
तभी मुझे छींक आ गई तो रेखा ने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे बोली- चलो, मैं बाम लगा दूँ. नहीं तो बीमार हो जाओगे!
रेखा ने मुझे उसके बिस्तर पर लिटाया और बाम लेकर आई.
वह मेरा सिर अपनी गोद में रख कर बाम लगाने लगी.
उसकी गोद में सर होने से उसके बोबे मेरे सर को छू रहे थे.
साथ ही रेखा के बदन से आ रही मदहोश कर देने वाली खुशबू मेरे तन बदन में सनसनी पैदा कर रही थी.
धीरे धीरे तौलिया के अंदर मेरा लन्ड कड़क होने लग गया, तौलिया भी थोड़ा ऊंचा ऊंचा से दिखने लगे गया.
रेखा की नजर उस पर पड़ी तो वह शर्माती हुई मुस्कुराई, थोड़ा रुक कर बोली- अब कैसा लग रहा है?
मैंने कहा- अब तो सनसनी उठ रही है दिलो दिमाग में!
रेखा ने पूछा- क्यों?
मैं बोला- बाहर बरसात हो रही है और अंदर मैं बिना कपड़ों के एक दहकते हुए हुस्न की मल्लिका की गोद में सर रख कर लेटा हूँ तो सनसनी तो उठनी ही है.
यह कहकर मैंने रेखा का हाथ पकड़ कर चूम लिया और सर को थोड़ा सा उठाते हुए रेखा के गालों पर किस कर दिया.
रेखा की गर्म गर्म सांसें निकलने लगी, उसकी आँखों में अलग ही खुमारी दिख रही थी।
अब मुझे लग रहा था कि रेखा भी कामोत्तेजना में डूब रही है, कामोत्तेजक दवाई उस पर सब असर दिखा रही है।
ससुराल जाने पर पता लगा कि मेरा साला दुकान के काम से बाहर गया है, 2 दिन बाद वापस आएगा.
और मेरे सास ससुर सासुजी के मायके में किसी की मौत हो जाने की वजह से गए हुए हैं.
वे देर रात को वापस आने वाले थे.
मतलब रेखा और मैं बस और कोई नहीं, चुदाई के लिए सब माहौल बना हुआ ही था।
रेखा मेरे लिए चाय लेकर आयी और मुझे चाय देकर वहीं खड़ी होकर बातें करने लग गयी.
मैंने उससे कहा- आप भी लो चाय!
तो वह आनाकानी करने लगी- मैंने अभी पी है, बस आपके लिए ही बनाई है।
मैंने ज़िद करते हए कहा- मैं कोई काम अकेले नहीं करता. आप नहीं पीओगी तो मैं भी नहीं पिऊँगा.
तो उसने कहा- ठीक है, आधा आधा पी लेते हैं।
मैंने उसको कहा- पहले आप पीयो. लेडिज़ फर्स्ट!
तो उसने बड़ी अदा से हंसते हुए एक सिप ली.
फिर मैंने भी उसी कप से एक सिप ली.
और इस तरह दोनों ने एक दूसरे की झूठी चाय पी।
मुझे लगा आज मौका अच्छा है, चौका मार ही देना चाहिए.
मैं एक झूठी प्रमोशन की कहानी सुनाकर उसका मुंह मीठा कराने की बात कह कर बाहर मिठाई लेने चला गया और मिठाई लेकर उसमें कामोत्तेजक दवाई मिला दी।
फिर ससुराल में आकर उसी कामोत्तेजक मिली हुई मिठाई को रेखा को खिलाया.
दवाई असर करने में थोड़ा देर लगाएगी, यह सोच कर मैं रेखा से बात करने लग गया.
रेखा भी मुझसे बात करते करते ऐसे देख रही थी जैसे बिल्ली दूध की भरी हुई हांडी को देखती है।
लेकिन उसने ऐसी कोई बात नहीं जिससे मुझे आगे बढ़ने का हौसला मिले.
अंत में थक हार कर मैंने कहा- ठीक है, अब मैं चलता हूँ.
तो वह कुछ कहते कहते रुक गई और मन मसोस कर बोली- ठीक है, अगली बार दीदी को भी लेकर आना।
मैंने कहा- ठीक है!
और वापस आने के लिए निकला ही था कि बारिश शुरू हो गई, मेरे कपड़े थोड़े से गीले हो गए.
मुझे उम्मीद की नई किरण दिखाई दी.
मैं वापस लौटा और मुझे देख कर रेखा के चेहरे की रौनक लौट आई।
उसने मुझे कहा- आप कपड़े बदल लो, नहीं तो तबियत खराब हो जाएगी.
मैं बाथरूम में गया और कपड़े खोल कर एक तौलिया लपेट कर बाहर आ गया.
रेखा मेरे चौड़े रोमदार सीने को देख कर होंठों पर जीभ फेरती हुई मदहोशी भरी नजरों से देखने लगी.
तभी मुझे छींक आ गई तो रेखा ने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे बोली- चलो, मैं बाम लगा दूँ. नहीं तो बीमार हो जाओगे!
रेखा ने मुझे उसके बिस्तर पर लिटाया और बाम लेकर आई.
वह मेरा सिर अपनी गोद में रख कर बाम लगाने लगी.
उसकी गोद में सर होने से उसके बोबे मेरे सर को छू रहे थे.
साथ ही रेखा के बदन से आ रही मदहोश कर देने वाली खुशबू मेरे तन बदन में सनसनी पैदा कर रही थी.
धीरे धीरे तौलिया के अंदर मेरा लन्ड कड़क होने लग गया, तौलिया भी थोड़ा ऊंचा ऊंचा से दिखने लगे गया.
रेखा की नजर उस पर पड़ी तो वह शर्माती हुई मुस्कुराई, थोड़ा रुक कर बोली- अब कैसा लग रहा है?
मैंने कहा- अब तो सनसनी उठ रही है दिलो दिमाग में!
रेखा ने पूछा- क्यों?
मैं बोला- बाहर बरसात हो रही है और अंदर मैं बिना कपड़ों के एक दहकते हुए हुस्न की मल्लिका की गोद में सर रख कर लेटा हूँ तो सनसनी तो उठनी ही है.
यह कहकर मैंने रेखा का हाथ पकड़ कर चूम लिया और सर को थोड़ा सा उठाते हुए रेखा के गालों पर किस कर दिया.
रेखा की गर्म गर्म सांसें निकलने लगी, उसकी आँखों में अलग ही खुमारी दिख रही थी।
अब मुझे लग रहा था कि रेखा भी कामोत्तेजना में डूब रही है, कामोत्तेजक दवाई उस पर सब असर दिखा रही है।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
