03-12-2024, 05:34 PM
(This post was last modified: 03-12-2024, 09:05 PM by neerathemall. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
हम दोनों ने मेरे वाले कमरे के दरवाजे को बंद कर दिया और एक दूसरे को बांहों में लेकर पागलों की तरह चूमने लगे. अनीता और मैं दोनों ही बहुत दिनों से एक दूसरे के लिए प्यासे थे. मैंने उसकी गांड को कपड़ों के ऊपर से दबाना शुरू कर दिया और वो मेरे लंड को अपने हाथ से मेरी पैंट के ऊपर से दबाने सहलाने लगी.
फिर मैंने उसको वहीं बेड पर पेट के बल लेटा दिया और उसकी पजामी को खोल कर नीचे कर दिया. उसकी गांड को देखा तो मेरी नजर आश्चर्य से फैल गई. उसकी गांड पहले कहीं ज्यादा गुदाज हो गई थी. शायद बच्चा होने के बाद उसकी गांड और मोटी हो गई थी.![[Image: 9cghn3.gif]](https://i.imgflip.com/9cghn3.gif)
मैंने उसकी गांड पर कई चुम्बन दिये और उसकी गांड को मसलने लगा. मेरे चुम्बनों के गांड पर लगने से वो नीचे पड़ी हुई सिसकारने लगी. फिर मैंने अपनी पैंट की चेन को खोल लिया और अपने लंड को अंडरवियर से बाहर निकालते हुए चेन से बाहर निकाल लिया. मेरा लंड तना हुआ उसकी चूतमें जाने के लिए तैयार था.
हमने पूरे कपड़े नहीं उतारने का फैसला किया था क्योंकि सासू मां किसी भी वक्त आ सकती थी. मैंने लंड को निकाल कर अनीता की चूतके छेद पर रगड़ा तो मेरी सिसकारी निकल गई. बहुत ही मस्त चूतथी उसकी.
उसके बाद मैंने अपने लंड पर थूक लगाया और थोड़ा सा थूक अनीता की चूतपर भी मल दिया. उसकी चूत पर थूक लगाने के बाद मैंने अपने लंड को उसकी चूत के छेद पर लगा दिया. थोड़ा सा धक्का दिया लेकिन लंड का टोपा रत्ती भर सरका.
एक तो अनीता की छूट अब बहुत टाइट थी और दूसरा कारण ये था कि मेरे लंड का टोपा भी बहुत मोटा था इसलिए लंड जरा भी नहीं सरक पा रहा था.
उसके बाद मैंने अनीता की चूत में लौड़े को टिका कर पूरा जोर लगाया लेकिन लंड बार-बार उसकी गांड के छेद पर से फिसल जा रहा था. मैंने कहा कि ऐसे तो लंड अंदर जा ही नहीं पायेगा.
वो बोली- रुको जीजा जी. मैं तेल लेकर आती हूं. उससे शायद काम बन जाये.
अनीता अपनी पजामी को ऊपर करके कमरे से बाहर गई और अपनी सास के कमरे तेल की शीशी उठा लाई. शीशी से तेल निकाल कर उसने खुद ही अपनी चूत पर लगाया और मैंने भी अपने लंड के टोपे पर तेल से मला.
जब लंड और चूत दोनों ही चिकने हो गये तो मैंने फिर से अनीता की चूत पर लंड को सेट किया और धीरे-धीरे उसकी गांड के छेद को खोलने की कोशिश करने लगा. मेरी सलहज की तरकीब काम आई और लंड अब गांड में रास्ता बनाने लगा था.
मगर जैसे ही लंड हल्का सा आगे सरकता था अनीता जोर से कराह उठती थी ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’
वो दर्द को बर्दाश्त करने की पूरी कोशिश कर रही थी. मगर लंड मोटा होने की वजह से उससे सहन नहीं हो पा रहा था.
मेरे बदन में भी पसीना आना शुरू हो गया था. मैंने और जोर लगाया और इंच भर लंड अब उसकी चूत में घुस गया. अनीता ने अपना मुंह बेड के गद्दे में दबा लिया ताकि उसकी कराहना कमरे से बाहर न जा सके.
मैं उसके दर्द को समझ सकता था क्योंकि जैसे ही लंड अंदर घुसा उसकी नंगी जांघें कांपने लगी थीं. मगर अब मेरे अंदर उसकी चूत की चुदाई करने का जुनून सा सवार हो गया था. मैंने उसकी चुतड़ोको थाम लिया और फिर उसके चूतड़ों को अपनी तरफ खींचते हुए एक जोर वाला धक्का लगाया तो आधा लंड उसकी चूत को फाड़ता हुआ घुस गया.
वो दर्द के मारे छटपटाने लगी. लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी. अपने हाथ से इशारा करने लगी कि आगे बढ़ो. मैंने एक बार और जोर लगाया और इस बार पूरा लंड उसकी चुत में घुसा दिया. अनीता अपने सिर को बेड में इधर उधर पटकते हुए दर्द को कम करने की कोशिश करने लगी.
उसकी चूत इतनी टाइट थी कि मेरे लंड की चमड़ी जैसे छिल ही जाने वाली थी. लंड में जलन सी होने लगी थी. उसके बाद मैं उसके ऊपर लेट गया और उसके चूचों को दबाते हुए उसको सामान्य करने की कोशिश करने लगा. जब वो थोड़ी शांत हुई तो मैंने अपनी चूतदों को उसकी तरफ धकेलते हुए लंड को हरकत देनी शुरू की.
अब मेरा लंड उसकी चूत में फंसा हुआ हल्का हल्का हिलने लगा. फिर दो मिनट के बाद उसकी चूत ने मेरे लंड को कुबूल कर लिया और खुद ही लंड को अपने अंदर आराम से समा लिया. अब मैंने धक्का लगाया तो लंड में गति आने लगी थी.
उसके बाद मैंने उसकी चूत की चुदाई शुरू कर दी. पांच मिनट के बाद चुदाई ने अच्छी तरह रफ्तार पकड़ ली. उसकी चूत में अब मेरा मूसल लंड आराम से अंदर बाहर होने लगा था. फिर मैंने एकदम से लंड को बाहर निकाल दिया और उसको पीठ के बल लेटा दिया.
अपने लंड पर फिर से तेल लगाया और उसकी टांगों को अपने हाथों में पकड़ कर फिर से उसकी चूत में लंड को पेल दिया. वो भी अब मजे से अपनी चूत चुदाई का आनंद लेने लगी. दस मिनट की चुदाई के बाद अब मेरा वीर्य निकलने को हुआ तो मैंने अपनी रफ्तार बढ़ा दी.
एक मिनट के बाद मेरे लंड ने मेरी सलहज की चूत में वीर्य छोड़ना शुरू कर दिया. मैं उसके ऊपर ही निढाल हो गया. फिर मैंने लंड को बाहर निकाल लिया और फिर अनीता को भी उठने के लिए कह दिया.
मगर तभी मेन गेट में किसी के आने की आहट हुई.
अनीता जल्दी से उठ कर अपनी पजामी ऊपर करके कमरे से बाहर निकल गई. मैंने भी लंड को अंदर डाल लिया. तभी मेरी सास मुन्ने को लेकर कमरे में दाखिल हुई.
सास को देख कर मेरे चेहरे पर पसीना आने लगा. वैसे भी अभी चुदाई खत्म हुई थी इसलिए मैं अभी तक सामान्य नहीं हो पाया था. उसकी सास ने मेरे चेहरे को देखा और बोली- दामाद जी, आपको बहुत पसीना आ रहा है.
मैंने कहा- हां मां जी, थोड़ी गर्मी लग रही थी.
उसकी सास ने मेरी तरफ आश्चर्य से देखा क्योंकि मौसम में इतनी गर्मी नहीं थी और मेरे चेहरे का पसीना देख कर सास को अचंभा सा हुआ. उसने अनीता को आवाज दी और मेरे लिये पानी लाने के लिए कहा.
अनीता जब पानी लेकर आई तो वह भी कुछ घबराई सी दिख रही थी. फिर वह पानी देकर चली गई. सास ने मुन्ने को अनीता की गोद में दे दिया और वहीं बैठ गई. हम दोनों में कुछ बातें हुईं और फिर वो उठ कर जाने लगी.
जाते हुए मेरी सास की नजर उस तेल की शीशी पर चली गई. अनीता ने तेल की शीशी हड़बड़ाहट में वहीं छोड़ दी थी. यह वही शीशी थी जो वह मेरी सास के कमरे से लेकर आई थी.
मेरी सास ने शीशी को उठा कर देखा और फिर मेरी तरफ देखा. उनकी नजरों में शक साफ नजर आ रहा था मगर वह कुछ नहीं बोली और चुपचाप वहां से निकल गई. फिर मैंने भी वहां पर रुकना ठीक नहीं समझा और मैं सास को अलविदा कह कर वहां से निकल लिया.
उसके बाद अनीता और मेरी मुलाकात नहीं हो पाई. उस घटना के बाद मैंने अपनी ससुराल में रुकना बंद कर दिया. मेरी सास भी कभी मुझे रुकने के लिए नहीं कहती थी क्योंकि उसको शक हो गया था. अब मैं इन्तजार करने लगा कि कभी अगर मेरी सलहज हमारे घर दोबारा आई तो हम कुछ इंजॉय कर पायेंगे.
फिर मैंने उसको वहीं बेड पर पेट के बल लेटा दिया और उसकी पजामी को खोल कर नीचे कर दिया. उसकी गांड को देखा तो मेरी नजर आश्चर्य से फैल गई. उसकी गांड पहले कहीं ज्यादा गुदाज हो गई थी. शायद बच्चा होने के बाद उसकी गांड और मोटी हो गई थी.
![[Image: 9cghn3.gif]](https://i.imgflip.com/9cghn3.gif)
मैंने उसकी गांड पर कई चुम्बन दिये और उसकी गांड को मसलने लगा. मेरे चुम्बनों के गांड पर लगने से वो नीचे पड़ी हुई सिसकारने लगी. फिर मैंने अपनी पैंट की चेन को खोल लिया और अपने लंड को अंडरवियर से बाहर निकालते हुए चेन से बाहर निकाल लिया. मेरा लंड तना हुआ उसकी चूतमें जाने के लिए तैयार था.
हमने पूरे कपड़े नहीं उतारने का फैसला किया था क्योंकि सासू मां किसी भी वक्त आ सकती थी. मैंने लंड को निकाल कर अनीता की चूतके छेद पर रगड़ा तो मेरी सिसकारी निकल गई. बहुत ही मस्त चूतथी उसकी.
उसके बाद मैंने अपने लंड पर थूक लगाया और थोड़ा सा थूक अनीता की चूतपर भी मल दिया. उसकी चूत पर थूक लगाने के बाद मैंने अपने लंड को उसकी चूत के छेद पर लगा दिया. थोड़ा सा धक्का दिया लेकिन लंड का टोपा रत्ती भर सरका.
एक तो अनीता की छूट अब बहुत टाइट थी और दूसरा कारण ये था कि मेरे लंड का टोपा भी बहुत मोटा था इसलिए लंड जरा भी नहीं सरक पा रहा था.
उसके बाद मैंने अनीता की चूत में लौड़े को टिका कर पूरा जोर लगाया लेकिन लंड बार-बार उसकी गांड के छेद पर से फिसल जा रहा था. मैंने कहा कि ऐसे तो लंड अंदर जा ही नहीं पायेगा.
वो बोली- रुको जीजा जी. मैं तेल लेकर आती हूं. उससे शायद काम बन जाये.
अनीता अपनी पजामी को ऊपर करके कमरे से बाहर गई और अपनी सास के कमरे तेल की शीशी उठा लाई. शीशी से तेल निकाल कर उसने खुद ही अपनी चूत पर लगाया और मैंने भी अपने लंड के टोपे पर तेल से मला.
जब लंड और चूत दोनों ही चिकने हो गये तो मैंने फिर से अनीता की चूत पर लंड को सेट किया और धीरे-धीरे उसकी गांड के छेद को खोलने की कोशिश करने लगा. मेरी सलहज की तरकीब काम आई और लंड अब गांड में रास्ता बनाने लगा था.
मगर जैसे ही लंड हल्का सा आगे सरकता था अनीता जोर से कराह उठती थी ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’
वो दर्द को बर्दाश्त करने की पूरी कोशिश कर रही थी. मगर लंड मोटा होने की वजह से उससे सहन नहीं हो पा रहा था.
मेरे बदन में भी पसीना आना शुरू हो गया था. मैंने और जोर लगाया और इंच भर लंड अब उसकी चूत में घुस गया. अनीता ने अपना मुंह बेड के गद्दे में दबा लिया ताकि उसकी कराहना कमरे से बाहर न जा सके.
मैं उसके दर्द को समझ सकता था क्योंकि जैसे ही लंड अंदर घुसा उसकी नंगी जांघें कांपने लगी थीं. मगर अब मेरे अंदर उसकी चूत की चुदाई करने का जुनून सा सवार हो गया था. मैंने उसकी चुतड़ोको थाम लिया और फिर उसके चूतड़ों को अपनी तरफ खींचते हुए एक जोर वाला धक्का लगाया तो आधा लंड उसकी चूत को फाड़ता हुआ घुस गया.
वो दर्द के मारे छटपटाने लगी. लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी. अपने हाथ से इशारा करने लगी कि आगे बढ़ो. मैंने एक बार और जोर लगाया और इस बार पूरा लंड उसकी चुत में घुसा दिया. अनीता अपने सिर को बेड में इधर उधर पटकते हुए दर्द को कम करने की कोशिश करने लगी.
उसकी चूत इतनी टाइट थी कि मेरे लंड की चमड़ी जैसे छिल ही जाने वाली थी. लंड में जलन सी होने लगी थी. उसके बाद मैं उसके ऊपर लेट गया और उसके चूचों को दबाते हुए उसको सामान्य करने की कोशिश करने लगा. जब वो थोड़ी शांत हुई तो मैंने अपनी चूतदों को उसकी तरफ धकेलते हुए लंड को हरकत देनी शुरू की.
अब मेरा लंड उसकी चूत में फंसा हुआ हल्का हल्का हिलने लगा. फिर दो मिनट के बाद उसकी चूत ने मेरे लंड को कुबूल कर लिया और खुद ही लंड को अपने अंदर आराम से समा लिया. अब मैंने धक्का लगाया तो लंड में गति आने लगी थी.
उसके बाद मैंने उसकी चूत की चुदाई शुरू कर दी. पांच मिनट के बाद चुदाई ने अच्छी तरह रफ्तार पकड़ ली. उसकी चूत में अब मेरा मूसल लंड आराम से अंदर बाहर होने लगा था. फिर मैंने एकदम से लंड को बाहर निकाल दिया और उसको पीठ के बल लेटा दिया.
अपने लंड पर फिर से तेल लगाया और उसकी टांगों को अपने हाथों में पकड़ कर फिर से उसकी चूत में लंड को पेल दिया. वो भी अब मजे से अपनी चूत चुदाई का आनंद लेने लगी. दस मिनट की चुदाई के बाद अब मेरा वीर्य निकलने को हुआ तो मैंने अपनी रफ्तार बढ़ा दी.
एक मिनट के बाद मेरे लंड ने मेरी सलहज की चूत में वीर्य छोड़ना शुरू कर दिया. मैं उसके ऊपर ही निढाल हो गया. फिर मैंने लंड को बाहर निकाल लिया और फिर अनीता को भी उठने के लिए कह दिया.
मगर तभी मेन गेट में किसी के आने की आहट हुई.
अनीता जल्दी से उठ कर अपनी पजामी ऊपर करके कमरे से बाहर निकल गई. मैंने भी लंड को अंदर डाल लिया. तभी मेरी सास मुन्ने को लेकर कमरे में दाखिल हुई.
सास को देख कर मेरे चेहरे पर पसीना आने लगा. वैसे भी अभी चुदाई खत्म हुई थी इसलिए मैं अभी तक सामान्य नहीं हो पाया था. उसकी सास ने मेरे चेहरे को देखा और बोली- दामाद जी, आपको बहुत पसीना आ रहा है.
मैंने कहा- हां मां जी, थोड़ी गर्मी लग रही थी.
उसकी सास ने मेरी तरफ आश्चर्य से देखा क्योंकि मौसम में इतनी गर्मी नहीं थी और मेरे चेहरे का पसीना देख कर सास को अचंभा सा हुआ. उसने अनीता को आवाज दी और मेरे लिये पानी लाने के लिए कहा.
अनीता जब पानी लेकर आई तो वह भी कुछ घबराई सी दिख रही थी. फिर वह पानी देकर चली गई. सास ने मुन्ने को अनीता की गोद में दे दिया और वहीं बैठ गई. हम दोनों में कुछ बातें हुईं और फिर वो उठ कर जाने लगी.
जाते हुए मेरी सास की नजर उस तेल की शीशी पर चली गई. अनीता ने तेल की शीशी हड़बड़ाहट में वहीं छोड़ दी थी. यह वही शीशी थी जो वह मेरी सास के कमरे से लेकर आई थी.
मेरी सास ने शीशी को उठा कर देखा और फिर मेरी तरफ देखा. उनकी नजरों में शक साफ नजर आ रहा था मगर वह कुछ नहीं बोली और चुपचाप वहां से निकल गई. फिर मैंने भी वहां पर रुकना ठीक नहीं समझा और मैं सास को अलविदा कह कर वहां से निकल लिया.
उसके बाद अनीता और मेरी मुलाकात नहीं हो पाई. उस घटना के बाद मैंने अपनी ससुराल में रुकना बंद कर दिया. मेरी सास भी कभी मुझे रुकने के लिए नहीं कहती थी क्योंकि उसको शक हो गया था. अब मैं इन्तजार करने लगा कि कभी अगर मेरी सलहज हमारे घर दोबारा आई तो हम कुछ इंजॉय कर पायेंगे.
![[Image: 48098296_011_0ad4.jpg]](https://cdni.pornpics.de/1280/1/91/48098296/48098296_011_0ad4.jpg)
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
