03-12-2024, 05:19 PM
मेरी सलहज अनीता की चूत चुदाई करने के बाद मुझे उसकी चूत की ललक लगी रहती थी. मैं अपनी बीवी को चोदते हुए भी अनीता के बारे में ही सोचने लगता था. बीवी भी मेरे इस बदले हुए व्यवहार से खुश हो गई थी क्योंकि हम पति-पत्नी की चुदाई में एक नयापन आ गया था. मगर इसकी वजह अनीता ही थी.
ठीक नौ महीने के बाद अनीता ने एक सुन्दर फूल से बेटे को जन्म दिया. मेरे ससुराल में खुशी का माहौल हो गया. बेटा होने की खुशी में हमें भी न्यौता आया. मैं अपनी बीवी को लेकर अपने ससुराल गया. वहां पर जाने के बाद अनीता के पास गया तो वो मुझे देख कर मुस्कराने लगी.
उसकी खुशी इतनी ज्यादा थी कि वह अपनी आंखों के आंसू छलकने से रोक न सकी. फिर दावत हुई और दो-तीन रुकने के बाद हम लोग वापस अपने घर आ गये. उसके एक साल तक मुझे अनीता से मिलने का मौका नहीं मिला. मगर मेरी बीवी बीच में एक दो बार जरूर गई थी लेकिन मुझे यह अवसर नहीं मिल सका था.
मैं अनीता से मिलने के लिए बेचैन रहने लगा. फिर उसके बेटे के जन्मदिन की दावत रखी गई. उसमें हमारी फैमिली को भी बुलाया गया. मैं पत्नी और बच्चों के साथ अपने ससुराल चला गया. वहां पर जाकर जन्मदिन की पार्टी में हम लोग शरीक हुए.
मौका पाकर अनीता मेरे पास आई और कहने लगी कि आपसे अकेले में मिलना चाहती हूं.
मैंने कहा कि अभी तो सविता (मेरी पत्नी) को शक हो जायेगा. अभी अकेले में मिलना सही नहीं रहेगा. वो बोली कि मुझे आपसे कुछ जरूरी बात करनी है.
मैंने कहा- मैं भी तुमसे मिलने के लिए तड़प रहा हूं. मगर अभी नहीं मिल पायेंगे.
उसके बाद वो चली गई.
फिर मुझे ऑफिस के काम से निकलना था. काम वहीं पास के शहर में था. मैंने सविता को कहा कि वो बच्चों को लेकर घर चली जाये और मैं ऑफिस का काम खत्म करके वापस आ जाऊंगा.
दरअसल मैं अपनी बीवी को वहां से भेजना चाह रहा था क्योंकि उसके रहते अनीता से मेरा मिलन होना संभव नहीं था. मैंने सविता और बच्चों की ट्रेन टिकट रिजर्व करवा दी और उनको घर भेज दिया.
वापस आने के बाद अब मैं और अनीता दोनों ही मौके की तलाश में थे. अगले दिन तक सारे मेहमान वापस चले गये थे. घर में मेरे सास-ससुर और साला ही था. फिर अगले दिन दोपहर के वक्त अनीता मौका देख कर मुझसे मिलने आई.
उसने आते ही मुझे बांहों में भर लिया और मेरे लंड को हाथ से सहलाते हुए बोली- तुम्हारे इस औजार ने मुझे वो सुख दिया है जिसका अहसान मैं कभी नहीं चुका सकती जीजा जी. आपने मुझे औलाद का सुख दे दिया.
मैं उसकी बात सुनकर आश्चर्य में पड़ गया.
मैंने पूछा- तो क्या तुम्हारा बेटा मेरा ही अंश है?
वो बोली- हां. आपका ही है. आपके वहां से आने के बाद ही मुझे गर्भ ठहर गया था.
फिर वो मेरे होंठों को चूमकर बोली- इस खुशी के बदले क्या गिफ्ट दूं आपको?
अनीता की गांड को उसकी कमीज के ऊपर से दबाते हुए ही मैंने कहा- मैं तुम्हारे पिछवाड़े को चोदना चाहता हूं जानेमन.
वो बोली- जीजा जी, पिछवाड़ा क्या, मेरे शरीर में जितने छेद हैं वो सभी आपके ही हैं. जहां मन करे अपने लंड को डाल दीजिये.
हम दोनों में बातें हो ही रही थीं कि उसकी सास ने आवाज दी कि मुन्ना रो रहा है.
वो वापस भाग गई. मैं भी ऑफिस का काम निपटाने के लिए निकलने लगा. मगर अभी अनीता की गांड भी मारनी थी. इसलिए अपनी सास को बोल कर गया था कि काम खत्म करने के बाद आप लोगों को विदा कहने के लिए एक दिन के लिए आऊंगा.
मेरी सास बोली- अरे बेटा, अगर तुम चाहो तो दो दिन रुक ही जाना. इसमें भी क्या सोचना?
मैंने कहा- जी ठीक है. अब मैं चलता हूं.
मैं अपना ऑफिस का काम खत्म करके वापस आ गया. अब मुझे अनीता की गांड की चुदाई का मौका चाहिए था.
घर में कई लोग थे इसलिए हम दोनों बहुत सावधानी बरतने की आवश्यकता थी.
रात को ही सबसे उपयुक्त समय हो सकता था लेकिन रात में अनीता का यानि कि हमारा नन्हा मुन्ना उसको हिलने नहीं देता था. फिर अगले दिन दोपहर के वक्त साले को काम से जाना पड़ गया. वो रात को लौटने वाला था.
अनीता ने आकर मुझे यह बात बता दी थी. लेकिन अभी सास भी बीच में मुसीबत बनी हुई थी. अनीता ने अपना दिमाग लगाया और मुन्ने का बहाना करते हुए बोली- मां जी, लगता है कि मुन्ने को नजर लग गई है. सुबह से ही रोए जा रहा है. चुप ही नहीं हो रहा है.
मेरी सास बोली- कोई बात नहीं, तू चिंता न कर बहू. मैं इसकी नजर उतरवा कर ले आती हूं. लेकिन अभी मेरे घुटने में दर्द हो रहा है. जरा तेल की मालिश कर दे. ताकि मैं चलने लायक हो जाऊं.
अनीता मेरी सास की मालिश करने लगी. कुछ देर मालिश करवाने के बाद उसको आराम आ गया और वो मुन्ने को लेकर चली गई. अब घर में अनीता का ससुर रह गया था जो अपने कमरे में खर्रांटे ले रहा था.
तभी अनीता मेरे पास आई और बोली कि अब सही मौका है.
मैंने आते ही उसके चूचों को दबा दिया और उसके होंठों को चूसना शुरू कर दिया.
वो बोली- अरे .. अरे … दरवाजा तो बंद कर लो. कहीं ससुर जी आ गये तो सारा प्लान धरा रह जायेगा.
ठीक नौ महीने के बाद अनीता ने एक सुन्दर फूल से बेटे को जन्म दिया. मेरे ससुराल में खुशी का माहौल हो गया. बेटा होने की खुशी में हमें भी न्यौता आया. मैं अपनी बीवी को लेकर अपने ससुराल गया. वहां पर जाने के बाद अनीता के पास गया तो वो मुझे देख कर मुस्कराने लगी.
उसकी खुशी इतनी ज्यादा थी कि वह अपनी आंखों के आंसू छलकने से रोक न सकी. फिर दावत हुई और दो-तीन रुकने के बाद हम लोग वापस अपने घर आ गये. उसके एक साल तक मुझे अनीता से मिलने का मौका नहीं मिला. मगर मेरी बीवी बीच में एक दो बार जरूर गई थी लेकिन मुझे यह अवसर नहीं मिल सका था.
मैं अनीता से मिलने के लिए बेचैन रहने लगा. फिर उसके बेटे के जन्मदिन की दावत रखी गई. उसमें हमारी फैमिली को भी बुलाया गया. मैं पत्नी और बच्चों के साथ अपने ससुराल चला गया. वहां पर जाकर जन्मदिन की पार्टी में हम लोग शरीक हुए.
मौका पाकर अनीता मेरे पास आई और कहने लगी कि आपसे अकेले में मिलना चाहती हूं.
मैंने कहा कि अभी तो सविता (मेरी पत्नी) को शक हो जायेगा. अभी अकेले में मिलना सही नहीं रहेगा. वो बोली कि मुझे आपसे कुछ जरूरी बात करनी है.
मैंने कहा- मैं भी तुमसे मिलने के लिए तड़प रहा हूं. मगर अभी नहीं मिल पायेंगे.
उसके बाद वो चली गई.
फिर मुझे ऑफिस के काम से निकलना था. काम वहीं पास के शहर में था. मैंने सविता को कहा कि वो बच्चों को लेकर घर चली जाये और मैं ऑफिस का काम खत्म करके वापस आ जाऊंगा.
दरअसल मैं अपनी बीवी को वहां से भेजना चाह रहा था क्योंकि उसके रहते अनीता से मेरा मिलन होना संभव नहीं था. मैंने सविता और बच्चों की ट्रेन टिकट रिजर्व करवा दी और उनको घर भेज दिया.
वापस आने के बाद अब मैं और अनीता दोनों ही मौके की तलाश में थे. अगले दिन तक सारे मेहमान वापस चले गये थे. घर में मेरे सास-ससुर और साला ही था. फिर अगले दिन दोपहर के वक्त अनीता मौका देख कर मुझसे मिलने आई.
उसने आते ही मुझे बांहों में भर लिया और मेरे लंड को हाथ से सहलाते हुए बोली- तुम्हारे इस औजार ने मुझे वो सुख दिया है जिसका अहसान मैं कभी नहीं चुका सकती जीजा जी. आपने मुझे औलाद का सुख दे दिया.
मैं उसकी बात सुनकर आश्चर्य में पड़ गया.
मैंने पूछा- तो क्या तुम्हारा बेटा मेरा ही अंश है?
वो बोली- हां. आपका ही है. आपके वहां से आने के बाद ही मुझे गर्भ ठहर गया था.
फिर वो मेरे होंठों को चूमकर बोली- इस खुशी के बदले क्या गिफ्ट दूं आपको?
अनीता की गांड को उसकी कमीज के ऊपर से दबाते हुए ही मैंने कहा- मैं तुम्हारे पिछवाड़े को चोदना चाहता हूं जानेमन.
वो बोली- जीजा जी, पिछवाड़ा क्या, मेरे शरीर में जितने छेद हैं वो सभी आपके ही हैं. जहां मन करे अपने लंड को डाल दीजिये.
हम दोनों में बातें हो ही रही थीं कि उसकी सास ने आवाज दी कि मुन्ना रो रहा है.
वो वापस भाग गई. मैं भी ऑफिस का काम निपटाने के लिए निकलने लगा. मगर अभी अनीता की गांड भी मारनी थी. इसलिए अपनी सास को बोल कर गया था कि काम खत्म करने के बाद आप लोगों को विदा कहने के लिए एक दिन के लिए आऊंगा.
मेरी सास बोली- अरे बेटा, अगर तुम चाहो तो दो दिन रुक ही जाना. इसमें भी क्या सोचना?
मैंने कहा- जी ठीक है. अब मैं चलता हूं.
मैं अपना ऑफिस का काम खत्म करके वापस आ गया. अब मुझे अनीता की गांड की चुदाई का मौका चाहिए था.
घर में कई लोग थे इसलिए हम दोनों बहुत सावधानी बरतने की आवश्यकता थी.
रात को ही सबसे उपयुक्त समय हो सकता था लेकिन रात में अनीता का यानि कि हमारा नन्हा मुन्ना उसको हिलने नहीं देता था. फिर अगले दिन दोपहर के वक्त साले को काम से जाना पड़ गया. वो रात को लौटने वाला था.
अनीता ने आकर मुझे यह बात बता दी थी. लेकिन अभी सास भी बीच में मुसीबत बनी हुई थी. अनीता ने अपना दिमाग लगाया और मुन्ने का बहाना करते हुए बोली- मां जी, लगता है कि मुन्ने को नजर लग गई है. सुबह से ही रोए जा रहा है. चुप ही नहीं हो रहा है.
मेरी सास बोली- कोई बात नहीं, तू चिंता न कर बहू. मैं इसकी नजर उतरवा कर ले आती हूं. लेकिन अभी मेरे घुटने में दर्द हो रहा है. जरा तेल की मालिश कर दे. ताकि मैं चलने लायक हो जाऊं.
अनीता मेरी सास की मालिश करने लगी. कुछ देर मालिश करवाने के बाद उसको आराम आ गया और वो मुन्ने को लेकर चली गई. अब घर में अनीता का ससुर रह गया था जो अपने कमरे में खर्रांटे ले रहा था.
तभी अनीता मेरे पास आई और बोली कि अब सही मौका है.
मैंने आते ही उसके चूचों को दबा दिया और उसके होंठों को चूसना शुरू कर दिया.
वो बोली- अरे .. अरे … दरवाजा तो बंद कर लो. कहीं ससुर जी आ गये तो सारा प्लान धरा रह जायेगा.
![[Image: 74223634_067_dc4b.jpg]](https://cdni.pornpics.de/1280/7/411/74223634/74223634_067_dc4b.jpg)
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
