03-12-2024, 05:07 PM
बाम की शीशी देकर वो वापस अपने कमरे में चली गई लेकिन मुझे अभी भी नींद नहीं आ रही थी. कुछ देर के बाद उसके कराहने की आवाज आने लगी तो मैं उठ कर उसके कमरे में गया.
मैंने कहा- क्या बात है? अभी भी दर्द है क्या?
वो बोली- हां जीजा जी.
मैंने कहा- रुको, मैं जरा बाम लेकर आता हूं.
मैं वापस से अपने कमरे में गया और बाम लेकर आ गया. मैंने उससे कहा कि लाओ मैं तुम्हारी कमर की मालिश कर देता हूं. तुम अपने हाथ से ठीक तरह से मालिश नहीं कर पा रही होगी इसलिए दर्द नहीं जा रहा.
पहले तो वो मना करने लगी. मेरे जोर देने पर उसने हां कर दी. मगर फिर उसने सोचा कि बाम लगाने के लिए मैक्सी को ऊपर उठाना पड़ेगा. यह सोच कर उसने अपने मन में कुछ शर्म के विचार से फिर मना कर दिया.
मैंने उसको मनाने की बहुत कोशिश की लेकिन उसने हां नहीं की. इसलिए मैं बाम की शीशी को उसके पास ही छोड़ कर अपने कमरे में वापस आ गया. मेरे आने के बाद उसने शायद दोबारा से बाम लगाने की कोशिश की होगी.
उसके बाद भी जब उसका दर्द नहीं गया तो उसने मुझे दोबारा बुलाया.
मैंने कहा- अगर ज्यादा ही दर्द है तो एक दर्द निवारक गोली खा लो.
वो मेरी बात पर किसी सोच में पड़ गयी.
शायद वो यह सोच रही थी कि अगर उसको गर्भ ठहर गया होगा तो ऐसी दवा खाने से नुकसान हो सकता है. इसलिए उसने आखिरकार सोचने के बाद बाम लगवाने के लिए हां कर दी.
वो बेड पर लेट गई. उसकी गांड ऊपर की तरफ थी जो उसकी मैक्सी में से उठी हुई दिख रही थी. मैं उसके पास ही बेड पर बैठ गया. मैंने धीरे से उसकी मैक्सी को उठा दिया. उसने नीचे से काले रंग की पैंटी पहनी हुई थी.
उसकी गोरी जांघों में उसकी पैंटी को देख कर मेरे मुंह में लार आने लगी और लंड तन कर बिल्कुल अकड़ गया. उसकी गांड में पैंटी पूरी तरह से फंसी हुई थी. मैंने उसकी मैक्सी थोड़ा और ऊपर उठा कर उसकी पीठ तक कर दिया.
फिर मैंने अपने हाथ में बाम ली और उसकी कमर पर मालिश करने लगा. उसकी कमर को मैं मालिश कम और सहला ज्यादा रहा था. उसके चिकने बदन पर मेरे हाथ रेंगते हुए मेरी उत्तेजना एकदम से तेज हो गई थी.
मालिश करते हुए अब मेरे हाथ उसकी बगलों से होते हुए उसकी चूचियों तक छूने लगे. उसने शायद नीचे से ब्रा नहीं पहनी हुई थी क्योंकि अभी तक मुझे उसकी ब्रा की पट्टी नहीं दिखाई दी थी. मैं धीरे-धीरे मालिश करते हुए अपने हाथों को उसके चूचों तक लेकर जा रहा था.
जैसे जैसे मेरे हाथ उसके बदन पर मालिश कर रहे थे वैसे वैसे ही उसके शरीर के रोंगटे अब खड़े होने लगे थे. दस मिनट तक मैंने बड़े ही प्यार से उसकी कमर की मालिश की और इस दौरान कई बार उसके चूचों को छू लिया.
फिर वो पलट गई. उसने मेरी तरफ ऐसी नजर से देखा कि जैसे धन्यवाद कह रही हो. फिर उसने एकदम से मेरे हाथ को अपने हाथ में ले लिया और उसको सहलाने लगी. वो मेरे चेहरे की तरफ देख रही थी और मैं उसके चेहरे को पढ़ने की कोशिश कर रहा था.
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मैंने कहा- क्या बात है? अभी भी दर्द है क्या?
वो बोली- हां जीजा जी.
मैंने कहा- रुको, मैं जरा बाम लेकर आता हूं.
मैं वापस से अपने कमरे में गया और बाम लेकर आ गया. मैंने उससे कहा कि लाओ मैं तुम्हारी कमर की मालिश कर देता हूं. तुम अपने हाथ से ठीक तरह से मालिश नहीं कर पा रही होगी इसलिए दर्द नहीं जा रहा.
पहले तो वो मना करने लगी. मेरे जोर देने पर उसने हां कर दी. मगर फिर उसने सोचा कि बाम लगाने के लिए मैक्सी को ऊपर उठाना पड़ेगा. यह सोच कर उसने अपने मन में कुछ शर्म के विचार से फिर मना कर दिया.
मैंने उसको मनाने की बहुत कोशिश की लेकिन उसने हां नहीं की. इसलिए मैं बाम की शीशी को उसके पास ही छोड़ कर अपने कमरे में वापस आ गया. मेरे आने के बाद उसने शायद दोबारा से बाम लगाने की कोशिश की होगी.
उसके बाद भी जब उसका दर्द नहीं गया तो उसने मुझे दोबारा बुलाया.
मैंने कहा- अगर ज्यादा ही दर्द है तो एक दर्द निवारक गोली खा लो.
वो मेरी बात पर किसी सोच में पड़ गयी.
शायद वो यह सोच रही थी कि अगर उसको गर्भ ठहर गया होगा तो ऐसी दवा खाने से नुकसान हो सकता है. इसलिए उसने आखिरकार सोचने के बाद बाम लगवाने के लिए हां कर दी.
वो बेड पर लेट गई. उसकी गांड ऊपर की तरफ थी जो उसकी मैक्सी में से उठी हुई दिख रही थी. मैं उसके पास ही बेड पर बैठ गया. मैंने धीरे से उसकी मैक्सी को उठा दिया. उसने नीचे से काले रंग की पैंटी पहनी हुई थी.
उसकी गोरी जांघों में उसकी पैंटी को देख कर मेरे मुंह में लार आने लगी और लंड तन कर बिल्कुल अकड़ गया. उसकी गांड में पैंटी पूरी तरह से फंसी हुई थी. मैंने उसकी मैक्सी थोड़ा और ऊपर उठा कर उसकी पीठ तक कर दिया.
फिर मैंने अपने हाथ में बाम ली और उसकी कमर पर मालिश करने लगा. उसकी कमर को मैं मालिश कम और सहला ज्यादा रहा था. उसके चिकने बदन पर मेरे हाथ रेंगते हुए मेरी उत्तेजना एकदम से तेज हो गई थी.
मालिश करते हुए अब मेरे हाथ उसकी बगलों से होते हुए उसकी चूचियों तक छूने लगे. उसने शायद नीचे से ब्रा नहीं पहनी हुई थी क्योंकि अभी तक मुझे उसकी ब्रा की पट्टी नहीं दिखाई दी थी. मैं धीरे-धीरे मालिश करते हुए अपने हाथों को उसके चूचों तक लेकर जा रहा था.
जैसे जैसे मेरे हाथ उसके बदन पर मालिश कर रहे थे वैसे वैसे ही उसके शरीर के रोंगटे अब खड़े होने लगे थे. दस मिनट तक मैंने बड़े ही प्यार से उसकी कमर की मालिश की और इस दौरान कई बार उसके चूचों को छू लिया.
फिर वो पलट गई. उसने मेरी तरफ ऐसी नजर से देखा कि जैसे धन्यवाद कह रही हो. फिर उसने एकदम से मेरे हाथ को अपने हाथ में ले लिया और उसको सहलाने लगी. वो मेरे चेहरे की तरफ देख रही थी और मैं उसके चेहरे को पढ़ने की कोशिश कर रहा था.
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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
