03-12-2024, 05:05 PM
मैंने अपने लंड की तरफ देखा तो वो एक तरफ तन कर डंडे जैसा दिख रहा था. मैंने बनियान से उसको ढकने की नाकाम सी कोशिश की क्योंकि बनियान ढकने के बाद भी लौड़े का उठाव साफ दिखाई दे रहा था.
अब मैंने अनीता का ध्यान दूसरी तरफ हटाने के लिए पूछा- क्या बात है? तुम सोई नहीं अभी तक?
वो बोली- मुझे नींद नहीं आ रही है जीजा जी क्योंकि मेरी कमर में बहुत तेज दर्द हो रहा है.
मैं बोला- कोई बात नहीं, मैं बाम दे देता हूं, उसकी मालिश कर लो. आराम हो जायेगा.
मैंने बेड की दराज से बाम निकाल कर अनीता को ले जाने के लिए कहा. वो मेरे करीब आई और मेरे हाथ से बाम की शीशी लेकर अपनी उठी हुई गांड को मटकाती हुई वापस जाने लगी तो मेरे मन में उसकी गोल-गोल गांड की ठुमकती शेप को देख कर एक हवस भरी टीस सी कचोट गई.
मन मार कर बोला- अनीता, लाइट बंद कर दो. नहीं तो बच्चे जाग जायेंगे. वो लाइट बंद करके अपने कमरे में चली गई और मैंने उसके जाते ही दोबारा से अपने कच्छे में हाथ डाल लिया. फिर से लंड को मसलने लगा.
लेकिन पांच मिनट के बाद ही दोबारा से कमरे की लाइट जल उठी. मेरा हाथ मेरी लोअर में ही था. देखा तो अनीता बाम की शीशी लेकर खड़ी हुई थी. उसे देखते ही मैंने हाथ को फिर से बाहर खींच लिया.
वो बोली- मैंने बाम लगा ली है. ये लीजिए.
वो वापस आकर मेरे हाथ में बाम की शीशी देकर चली गई.
अब तो मेरा मन करने लगा था कि उसको जाकर चोद ही दूं. मगर उसकी तरफ से कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिलने के कारण मेरी भी हिम्मत नहीं पड़ रही थी. मैं चुपचाप लेटा रहा. बच्चे गहरी नींद में थे लेकिन मैं बेड पर पड़ा हुआ करवट बदल रहा था.
अब मैंने अनीता का ध्यान दूसरी तरफ हटाने के लिए पूछा- क्या बात है? तुम सोई नहीं अभी तक?
वो बोली- मुझे नींद नहीं आ रही है जीजा जी क्योंकि मेरी कमर में बहुत तेज दर्द हो रहा है.
मैं बोला- कोई बात नहीं, मैं बाम दे देता हूं, उसकी मालिश कर लो. आराम हो जायेगा.
मैंने बेड की दराज से बाम निकाल कर अनीता को ले जाने के लिए कहा. वो मेरे करीब आई और मेरे हाथ से बाम की शीशी लेकर अपनी उठी हुई गांड को मटकाती हुई वापस जाने लगी तो मेरे मन में उसकी गोल-गोल गांड की ठुमकती शेप को देख कर एक हवस भरी टीस सी कचोट गई.
मन मार कर बोला- अनीता, लाइट बंद कर दो. नहीं तो बच्चे जाग जायेंगे. वो लाइट बंद करके अपने कमरे में चली गई और मैंने उसके जाते ही दोबारा से अपने कच्छे में हाथ डाल लिया. फिर से लंड को मसलने लगा.
लेकिन पांच मिनट के बाद ही दोबारा से कमरे की लाइट जल उठी. मेरा हाथ मेरी लोअर में ही था. देखा तो अनीता बाम की शीशी लेकर खड़ी हुई थी. उसे देखते ही मैंने हाथ को फिर से बाहर खींच लिया.
वो बोली- मैंने बाम लगा ली है. ये लीजिए.
वो वापस आकर मेरे हाथ में बाम की शीशी देकर चली गई.
अब तो मेरा मन करने लगा था कि उसको जाकर चोद ही दूं. मगर उसकी तरफ से कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिलने के कारण मेरी भी हिम्मत नहीं पड़ रही थी. मैं चुपचाप लेटा रहा. बच्चे गहरी नींद में थे लेकिन मैं बेड पर पड़ा हुआ करवट बदल रहा था.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
