03-12-2024, 05:03 PM
मुझे जब इस बात का अहसास हुआ कि अनीता मेरे साथ में अकेली रहने वाली है तो मेरे मन में हवस जाग उठी. बीवी की गैरमौजूदगी मुझे अपनी सलहज की चुदाई के लिए मजबूर करने लगी. सोचने लगा कि आज रात को किसी तरह इसकी चूत को चखने का मौका लग जाये तो बस मजा ही आ जाये.
किचन में जब वो खाना बना रही थी तो मैं पीछे से खड़ा होकर उसकी उठी हुई गांड को देख रहा था. उसको देख देख कर लंड बार-बार उछल रहा था. मैं वहीं पर खड़ा होकर लंड को मसल रहा था. एक बार तो मन किया कि जाकर अभी इसकी गांड पर लंड को लगा दूं.
मगर कुछ सोच कर वहीं खड़ा रहा. उसे पता नहीं कैसे आभास हो गया कि मैं उसके पीछे ही खड़ा हुआ हूं. उसने अचानक से पीछे मुड़ कर देख लिया. मेरा हाथ उस वक्त हौले हौले मेरे तने हुए लंड पर चल रहा था. अनीता के पलटते ही मैंने घबराहट में हाथ हटा लिया.
मैं ऐसे देखने लगा जैसे किसी चोर को चोरी करते हुए रंगे हाथ पकड़ लिया गया हो.
वो बोली- क्या बात है जीजा जी, कुछ चाहिए क्या आपको?
मैंने मन ही मन कहा- तुम्हारी चूत!
फिर उसके सवाल का जवाब देते हुए बोला- बस खाने का इंतजार कर रहा था. अभी कितनी देर और लगेगी खाना तैयार होने में? मुझे तो जोर से भूख लगी हुई है.
अनीता ने मेरी लोअर में तने हुए मेरे लौड़े की तरफ सरसरी निगाह से देखा और फिर मेरे चेहरे से टपक रही हवस को पढ़ने की कोशिश करते हुए कहने लगी- हां, बस खाना तैयार होने ही वाला है जीजा जी. आप बाहर जाकर बैठिये मैं अभी पांच मिनट में खाना लेकर आती हूं.
उसने मुंह फेर लिया और दोबारा से रोटी बेलने में लग गई. मैं जाकर बच्चों के साथ हॉल में टीवी देखने लगा. फिर अनीता खाना लेकर आ गई. टीवी देखते हुए ही सबने साथ में खाना खाया. मेरी नजर टीवी पर कम और अनीता के चूचों की क्लिवेज पर ज्यादा जा रही थी.
वो भी मेरे मन को पढ़ने की कोशिश कर रही थी शायद लेकिन दोनों में से ही कोई भी जाहिर नहीं होने देना चाह रहा था. खाने के बाद वो किचन में चली गई. बच्चे अभी टीवी देखने में मग्न थे. अनीता को किचन में गये हुए पांच मिनट हो गये थे.
मैं अपने जूठे बर्तन लेकर किचन की तरफ बढ़ने लगा तो मेरा लौड़ा बगैर मेरी इजाजत के ही तना जा रहा था. लोअर में तंबू बना दिया हरामी ने. मैंने किसी तरह शर्ट के नीचे उसको ढका और किचन में बर्तन रखने के लिए चला गया.
किचन में जब वो खाना बना रही थी तो मैं पीछे से खड़ा होकर उसकी उठी हुई गांड को देख रहा था. उसको देख देख कर लंड बार-बार उछल रहा था. मैं वहीं पर खड़ा होकर लंड को मसल रहा था. एक बार तो मन किया कि जाकर अभी इसकी गांड पर लंड को लगा दूं.
मगर कुछ सोच कर वहीं खड़ा रहा. उसे पता नहीं कैसे आभास हो गया कि मैं उसके पीछे ही खड़ा हुआ हूं. उसने अचानक से पीछे मुड़ कर देख लिया. मेरा हाथ उस वक्त हौले हौले मेरे तने हुए लंड पर चल रहा था. अनीता के पलटते ही मैंने घबराहट में हाथ हटा लिया.
मैं ऐसे देखने लगा जैसे किसी चोर को चोरी करते हुए रंगे हाथ पकड़ लिया गया हो.
वो बोली- क्या बात है जीजा जी, कुछ चाहिए क्या आपको?
मैंने मन ही मन कहा- तुम्हारी चूत!
फिर उसके सवाल का जवाब देते हुए बोला- बस खाने का इंतजार कर रहा था. अभी कितनी देर और लगेगी खाना तैयार होने में? मुझे तो जोर से भूख लगी हुई है.
अनीता ने मेरी लोअर में तने हुए मेरे लौड़े की तरफ सरसरी निगाह से देखा और फिर मेरे चेहरे से टपक रही हवस को पढ़ने की कोशिश करते हुए कहने लगी- हां, बस खाना तैयार होने ही वाला है जीजा जी. आप बाहर जाकर बैठिये मैं अभी पांच मिनट में खाना लेकर आती हूं.
उसने मुंह फेर लिया और दोबारा से रोटी बेलने में लग गई. मैं जाकर बच्चों के साथ हॉल में टीवी देखने लगा. फिर अनीता खाना लेकर आ गई. टीवी देखते हुए ही सबने साथ में खाना खाया. मेरी नजर टीवी पर कम और अनीता के चूचों की क्लिवेज पर ज्यादा जा रही थी.
वो भी मेरे मन को पढ़ने की कोशिश कर रही थी शायद लेकिन दोनों में से ही कोई भी जाहिर नहीं होने देना चाह रहा था. खाने के बाद वो किचन में चली गई. बच्चे अभी टीवी देखने में मग्न थे. अनीता को किचन में गये हुए पांच मिनट हो गये थे.
मैं अपने जूठे बर्तन लेकर किचन की तरफ बढ़ने लगा तो मेरा लौड़ा बगैर मेरी इजाजत के ही तना जा रहा था. लोअर में तंबू बना दिया हरामी ने. मैंने किसी तरह शर्ट के नीचे उसको ढका और किचन में बर्तन रखने के लिए चला गया.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
