03-12-2024, 11:25 AM
अपने बड़े भाई की शादी में मेरी बड़ी बहन निक्की आयी हुई थी। क्या बताऊँ दोस्तो, मैं दीदी से पूरे दो साल बाद मिला था। वो देखने में एकदम भोजपुरी स्टार अक्षरा सिंह जैसी लग रही थी। उनका फिगर 34-32-38 था, यह बात दीदी ने ही मुझे बाद में बतायी थी।
दीदी मुझसे बात कर ही रही थी कि इतने में उनकी बेटी अरु रोने लगी; उसे शायद भूख लगी थी।
मम्मी ने दीदी से कहा- तुम बच्ची को लेकर कमरे में जाओ, मैं पीहू से दूध भिजवाती हूँ।
दीदी अरु को लेकर कमरे में गयी।
मैं मम्मी से बच्ची के लिए दूध लेकर दीदी के कमरे में पहुँचा और अरु को दूध पिलाने लगा।
इतने में दीदी बोली- तू अरु को देख, मैं नहाने जा रही हूँ।
दीदी बाथरूम चली गयी, मैंने अरु को दूध पिला कर सुला दिया, फिर बैठ कर टीवी देखने लगा।
दीदी नहा कर वापस कमरे में लौटी, हल्का सा तौलिया बदन पर और पानी से भीगी … एकदम अप्सरा सी लग रही थी।
मेरी निगाह दीदी के हिलते हुए कूल्हों पर थी।
मैं कमरे से निकल कर तुरन्त बाथरूम में घुस गया। अंदर जाकर मैंने दीदी की ब्रा और पैण्टी को चूमा और चूसा, फिर बाथरूम में ही खड़े खड़े मुठ मारी। जब तबीयत थोड़ी हल्की हुई तो बाहर निकल कर काम में बिजी हो गया.
शाम में दीदी को कुछ काम था तो वे बोली- पीहू भाई, मुझे बाइक से मार्किट ले चल!
मैं खुश हो गया और दीदी को मार्किट ले जाने के लिए बाइक निकाला।
दीदी उस समय नीले रंग का सूट पहने थी। उस सूट में दीदी बहुत ज्यादा सेक्सी लग रही थी। उस सूट में उसकी चूची बहुत बड़ी लग रही थी।
खैर, मैं दीदी को बिठाकर जैसे थोड़ी दूर बढ़ा तभी रास्ते में छोटा सा पप्पी आ गया। मैंने तेजी से ब्रेक लगाया; दीदी मेरी ओर झुक गयी और उसकी चूची मेरी पीठ में चुभ गयी। क्या बताऊँ दोस्तो, क्या फीलिंग थी ओह्ह।
फिर मैं दीदी से बातें करता हुआ मार्केट पहुंच गया और एक डेढ़ घण्टे में हम दोनों भाई बहन काम निबटा कर वापस चले आये।
घर पर दीदी बाइक से उतरी, मैंने बाइक खड़ी की। दीदी ने सारा का सारा सामान मेरे हाथ में दे दिया। मैं दोनों हाथों से सामान उठाये हुए दीदी के पीछे पीछे चल रहा था। ऊपर जाने के लिए सीढि़याँ चढ़ते समय दीदी का पैर फिसला और सीधी मुझ पर गिर गयी। गिरते ही दीदी का हाथ सीधा मेरे लण्ड पर पड़ा। दीदी का सारा भार मेरे ऊपर था।
हम दोनों किसी तरह उठ खड़े हुए, मगर मेरा लण्ड उसके हाथ के स्पर्श से एकदम तन जैसा गया था जिसे दीदी भी समझ गयी थी।
हम दोनों ऊपर चली गये।
मम्मी को हमारे गिरने का पता चल गया था तो उन्होंने पूछा- कुछ ज्यादा चोट तो नहीं लगी?
तो दीदी ने कहा- नहीं मम्मी!
मैं ऊपर दीदी के कमरे में सामान रख कर वापस लौट आया।
रात में सारे अतिथियों को खिलाते पिलाते 12 बज गए। सारा घर अतिथियों से भर गया था। यहॉं तक कि मेरे कमरा भी अतिथियों से पूरा भरा था।
मैं मम्मी के पास जाकर बोला- मम्मी कहा सोऊँ?
तो मम्मी बोली- जाओ, निक्की दीदी के रूम में सो जाओ।
मुझे तो मानो मुँह मांगी मुराद मिल गयी हो। मैं दीदी के कमरे में सोने गया तो देखा कि दीदी काले रंग की नाईटी पहन कर सोई हुई है। मैं चुपचाप जाकर लाइट बुझा कर दीदी के बगल में लेट गया।
मुझे दिन में हुई घटना को याद करके नींद नहीं आ रही थी, मैंने सोचा कि चलो मुठ मार कर सो जाते हैं पर मुठ मारने का मन ही नहीं कर रहा था।
इतने में दीदी करवट बदल कर अरु की तरफ होकर सो गयी। करवट लेटने से दीदी की गांड बहुत बड़ी और सुन्दर दिखने लगी। अब मुझ पर सेक्स का भूत सवार हो गया। मैंने सोचा आखिर कब तक दीदी के नाम पर मुठ मारता रहूँगा। एक ज़िन्दगी मिली है, इसमें अपने पहले प्यार को नहीं चोदूँगा तो किसे चोदूँगा?
यही सोच कर मैं दीदी के पास सट कर सोने लगा। मुझे लगा दीदी शायद जाग जायेंगी पर ऐसा नहीं हुआ। बल्कि वह नींद में ही थोड़ा और पीछे खिसकी। इतना कि मेरा 8 इंच लम्बा लंड उनके गांड की दरार में सेट हो गया।
मुझे तो मानो जन्नत मिल गयी थी। क्या बताऊँ, कैसा फील हो रहा था.. आह।
फिर मेरी हिम्मत बढ़ी और मैंने अपना हाथ अपनी निक्कीदीदी के पेट पर रख दिया। दीदी के बदन में कोई हरकत न देख कर मैं हाथ को हल्का हल्का दबाने लगा जिससे मेरा लंड दीदी के नाइटी के ऊपर से ही गांड से सट कर उसको फाड़ने की कोशिश करने लगा।
दीदी अभी भी वैसी से सोई थी। मेरी हिम्मत थोड़ा और बढ़ी। मैं उसकी चूची को दबाने लगा और सहलाने लगा। इतने में दीदी की सांसें तेज़ चलने लगीं और उन्होंने हाथ पीछे ले जाकर मेरा लंड पकड़ लिया।
मेरी तो गांड फट गई। मुझे डर लगा कि दीदी अब उठ कर मम्मी पापा से जाकर बोलेंगी!
पर ऐसा नहीं हुआ।
ओह … वे तो मेरा लंड अंदर से पकड़ कर सहलाने लगी। मैं समझ गया कि दीदी अब चुदाई चाहती हैं… मैं और ज़ोर ज़ोर से उनकी चूची दबाने लगा। जितना जोर से मैं उनकी चूची दबाता था उतनी ही ज़ोर से वो मेरा लंड दबाती थी।
मैं तो मानो सपना देख रहा था- जिस लड़की को मैं बचपन से पसन्द करता था, वो मेरे लंड के साथ खेल रही थी।
फिर दीदी मेरे तरफ घूम गयी और मेरे लंड को पकड़ कर उस पे थूक लगाकर खूब मसल रही थी और मैं उनके गुलाबी गुलाबी होंठों को किस कर रहा था। कभी लिप्स, कभी कान, कभी गर्दन, कभी चूची का पूरा रस पीना चाह रहा था।
फिर दीदी ने इशारा किया- मैं तुम्हरा लंड चूसना चाहती हूँ।
मैं उठ कर खड़ा हुआ और अपने लंड को दीदी के मुँह के पास लगा दिया। दीदी तो मानो पागल हो गयी मेरा लंड पाकर … उसे मुँह में अंदर तक लेकर चूसने लगी।
फिर मैं दीदी के मुँह में ही झड़ गया। दीदी मेरे पानी को पूरा का पूरा पी गयी…
फिर मैं दीदी को चित लिटा कर अपनी बहन की चुत के रस को पीने लगा। जैसे ही मैंने उसकी चुत पर हाथ रखा.. आह.. क्या चुत थी दीदी की एकदम मक्खन। फिर मैं दीदी के चुत को जैसे ही जीभ से टच किया वो खुद ब खुद अपनी गांड ऊपर कर चुसवाने लगी और अपने मुँह से आह.. आह.. की आवाज निकालने लगी।
मैं दीदी की चुत को बहुत प्यार से चूस रहा था जैसे आइसक्रीम हो…
दीदी आहें भरे जा रही थी और मैं उनकी चुत चूसे जा रहा था- आह अह आह और पीहू और चूसो.. मेरी चुत को.. और..
दीदी की मस्त सिसकारी के साथ मैं अपनी दीदी की प्यारी चुत को चाट रहा था।
तभी दीदी ने मेरे सर को अपनी चुत पर दबोच के अपना पानी छोड़ दिया।
मैं भी दीदी का पानी पी गया पूरा का पूरा और दीदी को अपने ऊपर लाकर कर अपने लंड को दीदी के चुत पर सेट किया और अंदर घुसाने लगा तो मुझे हल्का हल्का सा दर्द होने लगा.
तो मेरी सिस्टर ने पूछा- तूने कभी सेक्स नहीं किया है ना किसी लड़की के साथ?
मैं- आपको कैसे पता?
दीदी- भाई मेरे … पहली बार सेक्स में दर्द होता है, समझा मेरे स्वीटू।
मैं- तो क्या, आपको भी दर्द हुआ था दीदी?
तो वे बोली- हाँ, मेरी में से तो खून भी निकला था।
मैं- दीदी, तो आप रोई होंगी ना?
दीदी- हॉं बहुत। पर कुछ देर बाद मज़ा आने लगता है जैसे तुझे भी आने लगेगा।
मैं- दीदी आई लव यू।
दीदी- आई लव यू टू, मेरे जाना!
मैं हल्का हल्का दीदी के चुत में लंड डालने लगा तो पता चला साला जान निकल जाएगी। दीदी की चुत काफी कसी थी और मेरा लंड मोटा था। इसलिए बहुत मुश्किल से जा पा रहा था।
मैं दीदी से बोला- दर्द हो रहा है!
तो दीदी बोली- होता है जानू … आँखों बंद करो, फिर देखो क्या होता है…
मुझे आँखें बंद करवा कर दीदी ने नीचे लिटा दिया। मेरी अक्षरा जैसी दीदी मुझे अपनी चूची पिलाते हुए मेरे लंड पर धीरे धीरे बैठने लगी।
जब मैंने देखा तो पता लगा कि मेरा लंड आधा दीदी के चुत में धँसा हुआ है और दीदी अपने मुँह पर हाथ रखे आह भर रही है। शायद उसको डर था कि अरु ना जाग जाये। दीदी मेरे ऊपर ऐसे ही 15 मिनट तक सवारी करती रही फिर खुद नीचे होकर और मुझे ऊपर चढ़ कर चोदने को कहा।
दीदी मुझसे बात कर ही रही थी कि इतने में उनकी बेटी अरु रोने लगी; उसे शायद भूख लगी थी।
मम्मी ने दीदी से कहा- तुम बच्ची को लेकर कमरे में जाओ, मैं पीहू से दूध भिजवाती हूँ।
दीदी अरु को लेकर कमरे में गयी।
मैं मम्मी से बच्ची के लिए दूध लेकर दीदी के कमरे में पहुँचा और अरु को दूध पिलाने लगा।
इतने में दीदी बोली- तू अरु को देख, मैं नहाने जा रही हूँ।
दीदी बाथरूम चली गयी, मैंने अरु को दूध पिला कर सुला दिया, फिर बैठ कर टीवी देखने लगा।
दीदी नहा कर वापस कमरे में लौटी, हल्का सा तौलिया बदन पर और पानी से भीगी … एकदम अप्सरा सी लग रही थी।
मेरी निगाह दीदी के हिलते हुए कूल्हों पर थी।
मैं कमरे से निकल कर तुरन्त बाथरूम में घुस गया। अंदर जाकर मैंने दीदी की ब्रा और पैण्टी को चूमा और चूसा, फिर बाथरूम में ही खड़े खड़े मुठ मारी। जब तबीयत थोड़ी हल्की हुई तो बाहर निकल कर काम में बिजी हो गया.
शाम में दीदी को कुछ काम था तो वे बोली- पीहू भाई, मुझे बाइक से मार्किट ले चल!
मैं खुश हो गया और दीदी को मार्किट ले जाने के लिए बाइक निकाला।
दीदी उस समय नीले रंग का सूट पहने थी। उस सूट में दीदी बहुत ज्यादा सेक्सी लग रही थी। उस सूट में उसकी चूची बहुत बड़ी लग रही थी।
खैर, मैं दीदी को बिठाकर जैसे थोड़ी दूर बढ़ा तभी रास्ते में छोटा सा पप्पी आ गया। मैंने तेजी से ब्रेक लगाया; दीदी मेरी ओर झुक गयी और उसकी चूची मेरी पीठ में चुभ गयी। क्या बताऊँ दोस्तो, क्या फीलिंग थी ओह्ह।
फिर मैं दीदी से बातें करता हुआ मार्केट पहुंच गया और एक डेढ़ घण्टे में हम दोनों भाई बहन काम निबटा कर वापस चले आये।
घर पर दीदी बाइक से उतरी, मैंने बाइक खड़ी की। दीदी ने सारा का सारा सामान मेरे हाथ में दे दिया। मैं दोनों हाथों से सामान उठाये हुए दीदी के पीछे पीछे चल रहा था। ऊपर जाने के लिए सीढि़याँ चढ़ते समय दीदी का पैर फिसला और सीधी मुझ पर गिर गयी। गिरते ही दीदी का हाथ सीधा मेरे लण्ड पर पड़ा। दीदी का सारा भार मेरे ऊपर था।
हम दोनों किसी तरह उठ खड़े हुए, मगर मेरा लण्ड उसके हाथ के स्पर्श से एकदम तन जैसा गया था जिसे दीदी भी समझ गयी थी।
हम दोनों ऊपर चली गये।
मम्मी को हमारे गिरने का पता चल गया था तो उन्होंने पूछा- कुछ ज्यादा चोट तो नहीं लगी?
तो दीदी ने कहा- नहीं मम्मी!
मैं ऊपर दीदी के कमरे में सामान रख कर वापस लौट आया।
रात में सारे अतिथियों को खिलाते पिलाते 12 बज गए। सारा घर अतिथियों से भर गया था। यहॉं तक कि मेरे कमरा भी अतिथियों से पूरा भरा था।
मैं मम्मी के पास जाकर बोला- मम्मी कहा सोऊँ?
तो मम्मी बोली- जाओ, निक्की दीदी के रूम में सो जाओ।
मुझे तो मानो मुँह मांगी मुराद मिल गयी हो। मैं दीदी के कमरे में सोने गया तो देखा कि दीदी काले रंग की नाईटी पहन कर सोई हुई है। मैं चुपचाप जाकर लाइट बुझा कर दीदी के बगल में लेट गया।
मुझे दिन में हुई घटना को याद करके नींद नहीं आ रही थी, मैंने सोचा कि चलो मुठ मार कर सो जाते हैं पर मुठ मारने का मन ही नहीं कर रहा था।
इतने में दीदी करवट बदल कर अरु की तरफ होकर सो गयी। करवट लेटने से दीदी की गांड बहुत बड़ी और सुन्दर दिखने लगी। अब मुझ पर सेक्स का भूत सवार हो गया। मैंने सोचा आखिर कब तक दीदी के नाम पर मुठ मारता रहूँगा। एक ज़िन्दगी मिली है, इसमें अपने पहले प्यार को नहीं चोदूँगा तो किसे चोदूँगा?
यही सोच कर मैं दीदी के पास सट कर सोने लगा। मुझे लगा दीदी शायद जाग जायेंगी पर ऐसा नहीं हुआ। बल्कि वह नींद में ही थोड़ा और पीछे खिसकी। इतना कि मेरा 8 इंच लम्बा लंड उनके गांड की दरार में सेट हो गया।
मुझे तो मानो जन्नत मिल गयी थी। क्या बताऊँ, कैसा फील हो रहा था.. आह।
फिर मेरी हिम्मत बढ़ी और मैंने अपना हाथ अपनी निक्कीदीदी के पेट पर रख दिया। दीदी के बदन में कोई हरकत न देख कर मैं हाथ को हल्का हल्का दबाने लगा जिससे मेरा लंड दीदी के नाइटी के ऊपर से ही गांड से सट कर उसको फाड़ने की कोशिश करने लगा।
दीदी अभी भी वैसी से सोई थी। मेरी हिम्मत थोड़ा और बढ़ी। मैं उसकी चूची को दबाने लगा और सहलाने लगा। इतने में दीदी की सांसें तेज़ चलने लगीं और उन्होंने हाथ पीछे ले जाकर मेरा लंड पकड़ लिया।
मेरी तो गांड फट गई। मुझे डर लगा कि दीदी अब उठ कर मम्मी पापा से जाकर बोलेंगी!
पर ऐसा नहीं हुआ।
ओह … वे तो मेरा लंड अंदर से पकड़ कर सहलाने लगी। मैं समझ गया कि दीदी अब चुदाई चाहती हैं… मैं और ज़ोर ज़ोर से उनकी चूची दबाने लगा। जितना जोर से मैं उनकी चूची दबाता था उतनी ही ज़ोर से वो मेरा लंड दबाती थी।
मैं तो मानो सपना देख रहा था- जिस लड़की को मैं बचपन से पसन्द करता था, वो मेरे लंड के साथ खेल रही थी।
फिर दीदी मेरे तरफ घूम गयी और मेरे लंड को पकड़ कर उस पे थूक लगाकर खूब मसल रही थी और मैं उनके गुलाबी गुलाबी होंठों को किस कर रहा था। कभी लिप्स, कभी कान, कभी गर्दन, कभी चूची का पूरा रस पीना चाह रहा था।
फिर दीदी ने इशारा किया- मैं तुम्हरा लंड चूसना चाहती हूँ।
मैं उठ कर खड़ा हुआ और अपने लंड को दीदी के मुँह के पास लगा दिया। दीदी तो मानो पागल हो गयी मेरा लंड पाकर … उसे मुँह में अंदर तक लेकर चूसने लगी।
फिर मैं दीदी के मुँह में ही झड़ गया। दीदी मेरे पानी को पूरा का पूरा पी गयी…
फिर मैं दीदी को चित लिटा कर अपनी बहन की चुत के रस को पीने लगा। जैसे ही मैंने उसकी चुत पर हाथ रखा.. आह.. क्या चुत थी दीदी की एकदम मक्खन। फिर मैं दीदी के चुत को जैसे ही जीभ से टच किया वो खुद ब खुद अपनी गांड ऊपर कर चुसवाने लगी और अपने मुँह से आह.. आह.. की आवाज निकालने लगी।
मैं दीदी की चुत को बहुत प्यार से चूस रहा था जैसे आइसक्रीम हो…
दीदी आहें भरे जा रही थी और मैं उनकी चुत चूसे जा रहा था- आह अह आह और पीहू और चूसो.. मेरी चुत को.. और..
दीदी की मस्त सिसकारी के साथ मैं अपनी दीदी की प्यारी चुत को चाट रहा था।
तभी दीदी ने मेरे सर को अपनी चुत पर दबोच के अपना पानी छोड़ दिया।
मैं भी दीदी का पानी पी गया पूरा का पूरा और दीदी को अपने ऊपर लाकर कर अपने लंड को दीदी के चुत पर सेट किया और अंदर घुसाने लगा तो मुझे हल्का हल्का सा दर्द होने लगा.
तो मेरी सिस्टर ने पूछा- तूने कभी सेक्स नहीं किया है ना किसी लड़की के साथ?
मैं- आपको कैसे पता?
दीदी- भाई मेरे … पहली बार सेक्स में दर्द होता है, समझा मेरे स्वीटू।
मैं- तो क्या, आपको भी दर्द हुआ था दीदी?
तो वे बोली- हाँ, मेरी में से तो खून भी निकला था।
मैं- दीदी, तो आप रोई होंगी ना?
दीदी- हॉं बहुत। पर कुछ देर बाद मज़ा आने लगता है जैसे तुझे भी आने लगेगा।
मैं- दीदी आई लव यू।
दीदी- आई लव यू टू, मेरे जाना!
मैं हल्का हल्का दीदी के चुत में लंड डालने लगा तो पता चला साला जान निकल जाएगी। दीदी की चुत काफी कसी थी और मेरा लंड मोटा था। इसलिए बहुत मुश्किल से जा पा रहा था।
मैं दीदी से बोला- दर्द हो रहा है!
तो दीदी बोली- होता है जानू … आँखों बंद करो, फिर देखो क्या होता है…
मुझे आँखें बंद करवा कर दीदी ने नीचे लिटा दिया। मेरी अक्षरा जैसी दीदी मुझे अपनी चूची पिलाते हुए मेरे लंड पर धीरे धीरे बैठने लगी।
जब मैंने देखा तो पता लगा कि मेरा लंड आधा दीदी के चुत में धँसा हुआ है और दीदी अपने मुँह पर हाथ रखे आह भर रही है। शायद उसको डर था कि अरु ना जाग जाये। दीदी मेरे ऊपर ऐसे ही 15 मिनट तक सवारी करती रही फिर खुद नीचे होकर और मुझे ऊपर चढ़ कर चोदने को कहा।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.